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तांत्रिक भैरवी मंजूषा साधना सीखना भाग 12

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। तांत्रिक भैरवी मंजूषा साधना सीखना है भाग 12, पिछली बार हम लोगों ने जाना था कि किस प्रकार से पिशाचीनी की कुटिल चाल की वजह से? परिवार के सारे सदस्यों को भोजन में विष दिया जा चुका था। अब आगे उस परिवार और दुर्गा माता के भक्तों के साथ क्या घटित हुआ जानते हैं?पिशाचीनी इशारे ही इशारे में तांत्रिक को कह चुकी थी कि तुम्हें? ध्यान देना है कि सारे लोग भोजन कर ले। पर? जब मृत्यु निकट नहीं होती है तो कई सारे जीवन के बहाने बन ही जाते हैं। और? रक्षा हो जाती है। ऐसा ही कुछ दुर्गा माता के उस वक्त के साथ उसी समय घटित हो गया।सभी लोग जब भोजन करने लगे और जैसे ही दुर्गा माता के भक्त ने अपनी थाली पकड़ी। ऊपर से एक छिपकली उसके भोजन में गिर गई। इस वजह से दुर्गा माता के भक्त ने उसे भोजन को नहीं खाया। जाकर वह भोजन घर के बाहर फेंक दिया। तभी बाहर उसे कुछ लोगों के लड़ने की आवाज सुनाई दी। इस वजह से वह उस और निकल गया। तब तक घर की सभी लोग भोजन कर चुके थे और भोजन में भी कुछ नहीं बचा था। लेकिन? तब तक?वह तांत्रिक। यानी कि मैं उस जगह से उस पिशाचिनी के साथ बाहर निकल आया। क्योंकि मुझे लग रहा था। सारे लोग अब सुबह तक मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे।

कुछ देर बाद दुर्गा भक्त वापस घर में आया तो सभी लोगों को सोता हुआ पाया। सारे लोग सो चुके थे इसलिए वह!उन लोगों के समीप ही सो गया।सुबह के वक्त जब दुर्गा भक्त उठा। तब चारों तरफ सभी को सोता हुआ पाया। सभी को उठाने के लिए वह उनकी और बढ़ा पर कोई भी हिलडुल नहीं रहा था। जब नजदीक जाकर वास्तविकता का पता किया तो देखा सारे लोगों के मुंह से झाग निकल रहा था। यह कोई जहर था? जिसकी वजह से परिवार के सभी सदस्य मृत्यु को प्राप्त हो चुके थे। दुर्गा भक्तों के ऊपर इतनी बड़ी चोट पड़ चुकी थी जिसके बारे में सोचना भी संभव नहीं था। अब क्या करता वह?चारों ओर हाय! चीख-पुकार मच गई।उससे मिलने के लिए गांव के सभी लोग आने लगे। वह सभी को बताता रात्रि को सब ने भोजन किया। मेरे भोजन में छिपकली गिर गई थी। लेकिन मैं उस भोजन को नहीं किया और मेरे प्राण बच गए किंतु मेरा सब कुछ समाप्त हो गया है। मेरा पूरा परिवार मृत्यु को प्राप्त हो चुका है।इधर में रक्त पिशाचिनी के पास जब पहुंचा तो उसने कहा, अब तुम्हारे रास्ते का कांटा निकल चुका है। चलो राज महल की ओर चलते हैं।उस राजकुमारी जो महारानी बनी बैठी है। उसे सबक सिखाते हैं। मैंने कहा ठीक है! अब आप जो कहोगी मैं वही करूंगा।

तांत्रिक यानी मैं राज महल पहुंच जाता हूं और रानी के सामने खड़े होकर उससे कहता हूं। तुम मुझसे विवाह करो। अगर तुमने ऐसा नहीं किया तो मैं तुम्हें दंडित करूंगा। तब वह रानी कहती है। सैनिकों इसे पकड़ लो।तभी पिशाचिनी! वहां पर सभी सैनिकों को मृत्यु दे देती है। और? अपनी वशीकरण शक्ति के माध्यम से रानी अब पूरी तरह वशीकृत हो जाती है।अब! मुझसे! वह कहती है कि तुम अब राज महल पर कब्जा कर लो, चलो! अब तुम्हें किसी पुत्र की भी आवश्यकता नहीं है। इसलिए आज रात इस रानी के साथ संबंध स्थापित करो। यह तुम्हारे पूरे वश में है। इसके शरीर में जो पुत्र है, वह मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा। इस प्रकार तुम्हारा कोई भी विकल्प इस राज महल में मौजूद नहीं रहेगा और तुम हमेशा के लिए इस राज्य के राजा बन जाओगे। इस प्रकार मेरी वशीकरण प्रयोग के माध्यम से मैंने उस रात रानी के साथ संभोग किया था। इसके कारण रानी के गर्भ में अभी जो पुत्र उतरा था। वह मृत्यु को प्राप्त हो गया। यह चाल पिशाचीनी की थी। इस प्रकार रानी को सुबह अपने गर्भपात का पता चला। लेकिन वह कैद खाने में कैद थी। वहां से बाहर नहीं निकल सकती थी।

उसने किसी प्रकार मदद के लिए अपने सैनिकों को कहा, किंतु सैनिक पूरी तरह मेरे वश में थे। इसलिए अब कोई उसकी मदद के लिए आगे नहीं आने वाला था। मेरा पूरे राजमहल पर कब्जा हो चुका था। सभी ने मुझे राजा स्वीकार कर लिया था क्योंकि रानी ने स्वयं मुझे यहां का राजा घोषित किया था। राजा के बाद राजा के परिवार में कोई भी जीवित नहीं था और रानी का विवाह मुझसे हो गया था। इसी कारण से अब रानी ने मुझे सारा राज्य सौंप दिया था। मैंने! रानी को राज्य मिलते ही कैद खाने में कैद कर दिया था। इस प्रकार सारा राज्य मेरे कब्जे में आ चुका था। अब पिशाचिनी बहुत अधिक प्रसन्न थी और मेरे पास आकर उसने कहा। सुनो अब तुम्हें मेरी एक विशालकाय प्रतिमा का निर्माण करवाना होगा। उस प्रतिमा के आगे 24 घंटे दीपक जलना चाहिए। मैंने कहा ठीक है, आपकी जो भी आज्ञा होगी, मैं अवश्य ही करूंगा। उनकी यह बात मैंने तुरंत ही पालन करवा ली।सभी मंत्रियों को बुलाकर मैंने कहा कि यहां पर देवी की एक विशालकाय प्रतिमा निर्मित करवाई जाए। इसका? सदैव पूजन किया जाए।इधर रानी! को कैद में देखकर कुछ मंत्रियों ने गुप्त तरीके से रानी के पास पहुंचकर रानी को कैद से निकलवा लिया और उनके साथ वार्तालाप किया। रानी ने कहा, वह बहुत अधिक शक्तिशाली है।

उसके साथ कोई शक्ति है जिसके कारण वह किसी का भी वशीकरण कर सकता है और किसी को भी मृत्युदंड दे सकता है। इसलिए मुझे वापस उस दुर्गा भक्त के पास जाना पड़ेगा। आप लोग मेरी मदद करें और मैं उसी स्थान पर पहुंचना चाहती हूं जहां मुझे दुर्गा भक्त मिलेगा।सभी मंत्रियों ने चुपचाप रानी को उस गांव की ओर भेज दिया जहां दुर्गा भक्त रहता था। इधर राज महल में रक्त पिशाचीनी की मूर्ति स्थापित कर दी गई और उसके आगे 24 घंटे अखंड दीपक प्रज्वलित किया गया। इससे रक्त पिशाचिनी की शक्ति बहुत अधिक बढ़ने लगी। किंतु वह केवल इतनी शक्ति से संतुष्ट नहीं थी। इसीलिए उसने अब ऐसा प्रस्ताव मेरे आगे रखा जिसे मुझे पूरा करना ही था। मैं उसके पास गया और उससे कहा देवी, अब तो आप अपनी पूजा से संतुष्ट है ना? तब उसने कहा हां, यह बात तो सही है लेकिन मुझे अपनी शक्तियां और अधिक बढ़ानी है। इसके लिए मुझे नरबलि चाहिए। तुम रोज अपने राज्य में से एक नर की नरबलि मेरी प्रतिमा के आगे चढ़ाओ। और इससे मैं और भी अधिक शक्तिशाली होकर तुम्हारे साम्राज्य को विस्तृत करूंगी। इस प्रकार उसके इस प्रस्ताव को मैंने सुनकर हामी भर दी। मैंने पूरे राज्य में।यह संदेश भिजवा दिया कि जो भी व्यक्ति अपनी इच्छा से नरबलि के लिए प्रस्तुत होगा। उसे 100 स्वर्ण मुद्राएं दी जाएंगी। लेकिन जब मैंने देखा कि पूरे राज्य में से एक भी व्यक्ति इसके लिए तैयार नहीं हुआ तब मैंने! अपने सैनिकों को आज्ञा दी कि हर घर से एक पुरुष को पकड़ कर लाया जाए।

मेरे सैनिकों ने यही करना शुरू कर दिया। हर घर से एक पुरुष पकड़ कर लाया जाता रहा और जिसका वध उस प्रतिमा के आगे कर दिया जाता। हर नर की बलि के बाद उस रक्त पिशाचिनी की शक्तियां बढ़ती चली गई। अब मुझे हराने की क्षमता देवताओं में भी नहीं थी।इधर रानी दुर्गा भक्त के पास आई और उसे सारी बात बताई। तब दुर्गा भक्त ने कहा, ठीक है, मैं आपकी मदद करूंगा। दुर्गा भक्त ने और रानी ने मिलकर क्या किया जानेंगे अगले भाग में?अगर आपको यह कहानी और पौराणिक घटना पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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