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तांत्रिक भैरवी मंजूषा साधना सीखना भाग 7

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। तांत्रिक भैरवी मंजूषा साधना सीखना यह भाग ७ है और अभी तक आपने जाना कि मंजूषा ने भैरवी स्वरूप धारण करके कैसे लोगों की मदद की, लेकिन अब उसके सामने एक नई चुनौती आ चुकी थी। एक राज महल! का राजा उसके सामने अपनी विनती लेकर आया था कि उसकी कन्या को किसी प्रेतात्मा ने राज महल में कैद कर दिया है। मंजूषा ने जब यह बातें सुनी तो उसने उस! राजा से कहा आप चिंता ना कीजिए, मैं साथ में चलूंगी। लेकिन आज रात आप यही विश्राम कीजिए, मैं आपके महल के बारे में जानकारी इकट्ठा करती हूं। इस प्रकार वह एक छोटी सी रियासत का राजा। मंजूषा के उस प्रांगण में ही रह कर आराम करने लगा। और इंतजार करने लगा कि कब तांत्रिक भैरवी उसकी मदद करेगी। रात्रि के समय मंजूषा ने अपनी तांत्रिक शक्तियों के माध्यम से। उस प्रेत आत्मा को बुलाया जिसे उसने पहले सिद्ध किया था। उससे उसने पूछा जाओ और पता लगाओ कि आखिर उस राज महल में ऐसी कौन सी प्रेत आत्मा है जिसने? राजा की कन्या को अपने वश में कर रखा है और राज महल से सभी लोगों को भगा दिया है। यह बात बड़ी ही विचित्र है कि एक प्रेत आत्मा इतनी अधिक शक्तिशाली आखिर हो कैसे गई? कि वह मनुष्यों को कुछ भी नहीं समझ रही।

वह पिशाच मंजूषा की आज्ञा लेकर उड़ चला उस और जहां पर वह राज महल स्थित था। राज महल पहुंचकर उसने राज महल का मुआयना किया। और चारों तरफ घूमते हुए आखिर उस राज महल में वह प्रवेश कर गया।लेकिन कुछ देर बाद! वह चीख पुकार मचाता हुआ वहां से भाग गया।यह स्थिति? उस शक्तिशाली पिशाच की हुई थी जो मंजूषा के कहने पर उस स्थान पर गया था और जिसे मंजूषा ने स्वयं सिद्ध किया था।पिछली कथा में पिशाच आत्मा ने एक व्यापारी की लड़की को बहुत अधिक परेशान किया था। लेकिन आखिरकार उस 1000 साल पुराने! पिशाच ने इस प्रेत आत्मा को अपने वश में क्यों नहीं किया यह एक प्रश्न था? वह! पिशाच! अब अपनी शक्तियां लगाने पर भी उस प्रेतात्मा का कुछ भी नहीं बिगाड़ पा रहा था। आखिरकार हार कर वह मंजूषा के पास लौट आया। और कहने लगा। आपने जिस प्रेतात्मा के लिए मुझे भेजा था, वह मुझ से कई गुना अधिक शक्तिशाली है। मैं एक पिशाच हूं। और प्रेत आत्माओं से अधिक शक्तिशाली शक्ति रखता हूं। किंतु मैं अचंभित हो गया। उसने मुझे पकड़कर राज महल के बाहर फेंक दिया। कहा दुबारा अगर यहां आया तो तुझे बांधकर अपना गुलाम बना कर रख लूंगा।

भैरवी मंजूषा समझ चुकी थी कि यह छोटी मोटी बात नहीं है। उसे स्वयं राज महल की ओर जाना पड़ेगा। क्योंकि जब 1000 साल पुराना पिशाच! उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाया। तो फिर? अन्य शक्तियां कोई काम नहीं कर पाएंगी। मुझे स्वयं ही उसी स्थान पर जाकर सच्चाई का पता करना पड़ेगा। मंजूषा सुबह उठी और उस राजा के पास जाकर बोली, मैंने यह निर्णय लिया है कि मैं आपके साथ आपके राजमहल चलूंगी।राजा इस बात से काफी प्रसन्नता हुयी।पर उसने कहा, देवी बात इतनी आसान नहीं है। हो सके तो मुझे क्षमा कीजिएगा।मंजूषा ने पूछा, क्या बात है आप पहले ही मुझ से क्षमा क्यों मांग रहे हैं? तब उस व्यापारी ने कहा, देवी आपके रहने खाने का प्रबंध महल के बाहर ही करना पड़ेगा। वहां हमें शिविर लगाकर रहना पड़ेगा। क्योंकि महल के भीतर कोई भी नहीं जा सकता है। वह एक भयानक महल बन चुका है। उसके अंदर इस वक्त मेरी पुत्री के अलावा और कोई भी मौजूद नहीं है। उसकी शक्तियां इतनी अधिक थी कि? राज महल छोड़कर सारे लोग भाग गए थे। यह सुनकर मंजूषा ने कहा, कोई बात नहीं। मैं कोई आवाभगत प्राप्त करने के लिए उस स्थान पर नहीं जा रही। मुझे तो वहां जाकर उस कन्या की रक्षा करनी है और राजमहल को उस प्रेत आत्मा के संकट से बचाना है।

फिर दोनों लोग? उस स्थान की ओर बढ़ चले। राज महल के बाहर पहुंचकर। राजा ने एक शिविर का निर्माण करवाया। मंजूषा के लिए जितनी उचित व्यवस्था हो सकती थी वह सब कर दी गई। उन लोगों ने वहां रात बिताने की सोची। लेकिन? होनी को तो कुछ और ही मंजूर था। क्योंकि कभी-कभी! जैसा हम सोचते हैं, उससे कहीं आगे की घटनाएं घट जाती हैं। रात! जब सभी लोग सोने लगे तभी कुछ देर बाद अचानक से चीख-पुकार मचने लगी।भैरवी मंजूषा ने अपने नेत्र खोले तो उसके पूरे शिविर में आग लगी हुई थी। उसने यह देखा तो आश्चर्यचकित रह गई। उसके शिविर में आग लगाने की क्षमता आखिर कौन कर सकता है? उसने अपनी तंत्र शक्तियों का तुरंत प्रयोग करके।वहाँ चारों और वर्षा करवा दी। उस वर्षा के कारण। जहां भी आग लगी थी, सभी जगह बुझ गई। अब सबसे बड़े रहस्य को समझना आवश्यक था। आखिर आग लगी तो लगी कैसे। मंजूषा ने अपनी तांत्रिक शक्तियों का प्रयोग किया और पता लगाया कि आखिर यहां घटित क्या हुआ है लेकिन वह तो आश्चर्य में पड़ गई। उसे पता लगा कि यह वही राजमहल वाली प्रेतात्मा है। जिसने यहां पर आग लगाकर हम सबकी जान लेने की कोशिश की है ।

मंजूषा समझ गई थी। इस प्रेतात्मा में बहुत अधिक शक्ति है। लेकिन इतनी अधिक शक्ति किसी प्रेतात्मा में होना संभव नहीं है। ऐसा क्या राज है जिसके कारण से यह प्रेतात्मा इतनी अधिक शक्तिशाली हो गई है?हमने तो सदैव यही सुना था कि अग्नि प्रेत आत्माओं को दूर रखती है पर यहां तो प्रेतात्मा ही चारों ओर आग लगा रही है। ऐसा क्या रहस्य है जिसके कारण यह आत्मा इतनी अधिक शक्तिशाली हो चुकी है? मंजूषा तुरंत राजा के पास गई और उससे पूछा कि आखिर? यह प्रेतात्मा इस महल में आई कैसे? इसके बारे में जो कुछ भी आप जानते हो, वह तुरंत ही मुझे बता दीजिए। राजा ने कहा, मुझे इस बारे में ज्यादा ज्ञात नहीं है। मैं सिर्फ इतना जानता हूं कि एक बार शिकार खेलते समय। मैं अपनी पुत्री को भी।परिवार के अन्य सदस्यों के साथ जंगल में ले गया था। और वही से जब मेरी कन्या वापस आई तो अजीब सी हरकतें करने लगी थी। उसकी इन हरकतों की वजह से मैंने। पंडित जी को अपने पास बुलवाया तब उन्होंने कहा कि यह उनके वश की बात नहीं है। उन्हें किसी तांत्रिक को दिखाना चाहिए। मैंने राज्य के कई तांत्रिकों को बुलवा भेजा। लेकिन कोई भी मेरी कन्या को ठीक नहीं कर पाया। एक दिन मेरी कन्या ने कहा, तुम सभी इस राज महल से बाहर निकल जाओ। अगर तुम में से कोई यहां रुका मैं सबको मार डालूंगी। यह बात सब ने हल्के में ली किंतु।

जब रात्रि के समय। महल के कई पहरेदारों को महल से बाहर उठा कर फेंक दिया गया और गिर कर उनकी मृत्यु हो गई तो सबको। राजकुमारी की बात सत्य प्रतीत होने लगी। उसके बाद यहां भयंकर प्रेतात्मा की लीला शुरू हो गई। उसके भय के कारण सब ने रातों-रात पूरा राज महल खाली कर दिया। और? यहां पर रह गया केवल सुनसान राज महल। मेरी कन्या इस राज महल के अंदर है। लेकिन मुझे नहीं पता वह प्रेतात्मा मेरी पुत्री के साथ क्या कर रही है? और क्यों मेरी पुत्री पर हावी हो चुकी है? अब आप ही हैं जो इन सब चीजों से हमारी रक्षा कर सकती हैं।तभी राज महल के अंदर से चीखने की आवाज बाहर आई। सब ने देखा। वहां पर राजमहल की ऊपरी दीवार पर एक लड़की खड़ी है। जो की राजकुमारी थी, उसने कहा, तुम लोग यहां से जल्दी निकल जाओ। वरना मैं यहां से छलांग लगा दूंगी। यह कहकर वह सब को डराने लगी। आगे क्या घटित हुआ हम लोग जानेंगे। अगले भाग में तो अगर आपको यह कहानी पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

तांत्रिक भैरवी मंजूषा साधना सीखना भाग 8
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