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तांत्रिक भैरवी मंजूषा साधना सीखना भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग एक नई सीरीज शुरू करने जा रहे हैं जैसे कि कई लोगों की यही इच्छा होती है कि वह तंत्र के विषय में बहुत अधिक गहराई से जानना चाहते हैं और इसके लिए हमारे पास जो भी कथा और कहानियां उपलब्ध हैं। उन के माध्यम से अगर हम तंत्र को समझने की चेष्टा करेंगे तो आसानी होगी और गुप्त। साधना के विषय के साथ अन्य बातें भी पता चल सके। यहां पर मैं आप लोगों के लिए एक तांत्रिक भैरवी मंजूषा और उसकी जीवन में घटित हुई घटनाओं को वीडियो के माध्यम से प्रस्तुत करने की कोशिश करूंगा। तांत्रिक भैरवी मंजूषा के विषय में बहुत कम लोग जानते हैं क्योंकि यह आज की नहीं 1000 वर्ष पहले की बात है और उस दौरान जब हमारे देश में अच्छे साधन नहीं उपलब्ध थे और आवागमन भी नहीं हो पाता था। सही प्रकार से उस दौर में तांत्रिक विद्या सीखने एक स्त्री घर से निकलती है और उसके जीवन में कैसी तांत्रिक घटनाएं घटित होती है। आज के वीडियो के माध्यम से जानेंगे और सीखेंगे। चलिए शुरू करते हैं।
तांत्रिक बनने की इच्छा किसी स्त्री में कभी-कभी पैदा होती है जब वह अपने घर में परेशान होने लगती है। रामदीन की दो लड़कियां थी। एक का नाम मंजूषा और दूसरी का काव्या था। मंजूषा पहली पत्नी की लड़की थी। इसी कारण से घर में उसको उतना उचित मान-सम्मान कभी नहीं मिला उसकी सौतेली मां। उसके साथ बुरा व्यवहार करती थी। घर के सारे कार्य करवाना और दूसरों! को नसीहत देते रहना यही उसकी सौतेली माता का कार्य था। इससे बहुत अधिक परेशान रहती थी। उसे घर से निकलने की अनुमति तक उसकी सौतेली मां नहीं देती थी। पिता जो दूसरी शादी से सुंदर पत्नी प्राप्त किए थे। अपनी पत्नी के अलावा किसी और विषय पर सोचने के लिए उनके पास समय ही नहीं था और यही कारण था जिसकी वजह से ऐसी समस्या उत्पन्न हो गई थी। मंजूषा दिन प्रतिदिन घुटती रहती थी। वो हमेशा परेशान होकर घर में बैठी सोचती रहती थी। क्या कुछ ऐसा नहीं हो सकता कि मैं इस घर को त्याग दूं? उसे पता था केवल विवाह के द्वारा ही उसके जीवन में परिवर्तन आ सकता है, लेकिन उसकी सौतेली मां अच्छी जगह विवाह करेगी। यह भी एक भारी प्रश्न था। अब ऐसे में उसके सामने कोई विकल्प नहीं था, लेकिन मरती क्या ना करती वह बेचारी अपने समय को किसी प्रकार। आगे बढ़ाती चली जा रही थी मंजूषा अब16 वर्ष की हो गई थी। और अब वह एक अत्यंत ही सुंदर दिखने में। नजर आती जिसकी वजह से उसके घर आने वाले अधिकतर उसका। सदैव सम्मान करते थे। यह बात भी मंजूषा की सौतेली मां और बहन को अच्छी नहीं लगती थी।
मंजूषा रंग में अति श्वेत और बहुत अधिक सुंदर थी। लेकिन घर के सारे कार्य नौकरानी की तरह किया करती थी। समय बीतता चला गया अचानक से एक बार। एक साधु उस गांव में आया। जिस गांव में मंजूषा रहा करती थी वह साधु घर-घर जाकर चमत्कार दिखा रहा था। उसके चमत्कारों की प्रशंसा सुनकर गांव की पूरी टोली उसके साथ चलने लगी। इस प्रकार से वह हर घर जाते हुए। अचानक से मंजूषा के घर तक पहुंच गया। उसने बाहर से खड़े होकर दान में भोजन सामग्री मांगी। मंजूषा की मां बाहर निकली और उन्होंने कुछ देने का प्रयास किया। जैसे ही उन्होंने दान की वस्तु उन्हें दी वह सब कंकड़ पत्थर में बदल गए। यह देखकर मंजूषा की सौतेली मां। बहुत अधिक घबरा गई और वह हाथ पैर जोड़कर उस साधु से कहने लगी। बाबा यह क्या हुआ? साधु भी गुस्से में भर कर कहने लगा। तेरे घर में पाप का खाना खाया जा रहा है।
लेकिन तेरे घर में कोई ऐसा भी है जिसकी वजह से तुम और तुम्हारा परिवार बचा हुआ है। मंजूषा की मां ने कहा। साधु बाबा आप बताइए, कौन है जिसकी वजह से हमारे घर में संकट आने से बच रहा है? तब साधु बाबा ने कहा। घर के सारे सदस्य बाहर निकलो। मैं सब को देखना चाहता हूं। सब परिवार के सारे सदस्य बाहर आ गए। साधु ने कहा, मुझे लगता है अभी भी कोई घर में है। तब झिझकते हुए मंजूषा की सौतेली मां अंदर गई और मंजूषा को बाहर ले आई। मंजूषा को देखकर। सभी लोग अपनी आंखें मलने लगे क्योंकि वह अब 16 वर्ष की अत्यंत सुंदर कन्या बन चुकी थी। और अधिक गांव वालों ने उसे देखा भी नहीं था। उसे देखकर उन सबके हृदय में प्रेम भाव आ गया। साधु ने लड़की की ओर इशारा करते हुए कहा, यही है वह जिसकी वजह से तुम्हारे घर में संकट नहीं आ रहे। पर मुझे लगता है तुम इसे बहुत परेशान कर रही हो। अगर तुमने इसे परेशान करना नहीं छोड़ा तो तुम्हारे साथ बहुत बुरा हो जाएगा। मंजूषा की सौतेली मां ने कहा, ऐसा कुछ नहीं है। साधु बाबा यह तो हमारे घर में मेरी सबसे प्रिय बेटी है। घर के सारे काम काज तो मैं करती हूं। इसे तो बस फूलों पर बिठा कर रखती हूं। आप बताइए क्या समस्या है साधु बाबा ने कहा, तुम समझ नहीं रही। इस कन्या में मुझे तेज दिखाई देता है। यह शक्तिशाली बन सकती है। इसके अंदर पहले से ही तपोबल मौजूद है। सिर्फ उसे जगाने भर की देर है। इसे साधना और तपस्या करनी चाहिए। ताकि यह अपने साथ जगत का कल्याण कर सके। इसका भाग्य स्पष्ट रूप से देख पा रहा हूं यह घर में काम करने के लिए नहीं बनी।
साधु बाबा की बात सुनकर। मंजूषा की सौतेली मां ने कहा, आप ठीक कह रहे होंगे? पर मैं करूं क्या यह मेरी प्रिय बेटी है और मैं किसी भी प्रकार से इसे नहीं छोड़ सकती। साधु बाबा ने कहा, जो होना है वह तो स्वता ही हो जाएगा। यहां से कुछ दूरी पर एक सिद्ध तांत्रिक रहा करते हैं। उनसे अगर यह ज्ञान प्राप्त करें तो भविष्य में शक्तिशाली तांत्रिक भैरवी बन सकती है। और इस प्रकार बाबा जी वहां से चले गए। मंजूषा की सौतेली मां ने मंजूषा को अंदर ले जाकर कहा, जब तक मैं ना कहूं, तुम घर से बाहर नहीं निकलेगी। मंजूषा की सौतेली मां जानती थी। अगर यह घर से बाहर चली गई तो घर के सारे कार्य कौन करेगा? इसीलिए यह आवश्यक है कि यह कहीं नहीं जाए। मंजूषा को पहली बार ऐसी किरण नजर आई थी जिसको वह प्राप्त करना चाहती थी। क्योंकि अभी तक यह बात जानती थी कि उसका जीवन निरर्थक है, लेकिन इस साधु बाबा ने उसे तांत्रिक बनाने की बात कहकर। उसके मन में एक उत्कंठा सी भर दी थी। अब वह किसी भी तरह घर से छुटकारा पाना चाहती थी। साधु बाबा का चमत्कार देखकर वह। तैयार हो गई थी इस बात के लिए कि उसे भी साधु बाबा जैसा ही प्रसिद्ध तांत्रिक बनना है। और इसीलिए उसने मन में ठान लिया कि उसे अब किसी ना किसी दिन यह घर छोड़कर जाना ही होगा और उस प्रसिद्ध तांत्रिक के पास पहुंचकर उससे तंत्र विद्या सीखनी ही होगी।
एक दिन जब रात्रि में सभी लोग सो रहे थे अचानक से मंजूषा उठी। उसने अपने सारे कपड़े बांध लिए। कुछ? राशि अपने पास पोटली में बांध ली जो वर्षों से इकट्ठा करती आई थी। किवाड़ खोल कर निकल गई अंधेरे में। गुप्त अंधेरे में उसे प्रकाश की नई किरण नजर आ रही थी जो उसे जीवन में कुछ करने की प्रेरणा दे रही मंजूषा आगे बढ़ती गई। इस प्रकार वह एक घने जंगल में पहुंच गई। एक पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर। सुबह होने का इंतजार करने लगी। तभी वहां पर डाकू आ गए। एक खूबसूरत लड़की को अकेला पाकर उनके मन में वासना भर आई थी। उन्होंने कहा, इसे उठाकर ले चलते हैं और आनंद प्राप्त करेंगे। उन्होंने सीधे तौर पर मंजूषा को कहा। चलो हमारे साथ चलो। हम तुम्हें भोजन पानी सब कुछ प्रदान करेंगे। हम सब की पत्नी बनकर राज करो। मंजूषा उनकी यह बातें सुनकर घबरा गई। यहां उसकी रक्षा करने वाला कोई नहीं था। मंजूषा के साथ आगे क्या हुआ जानेंगे। अगले भाग में तो अगर आपको यह जीवन गाथा पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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