Site icon Dharam Rahasya

तारापीठ और श्मशान भैरवी की साधना भाग 1

तारापीठ और श्मशान भैरवी की साधना भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य में आपका एक बार फिर से स्वागत है । आज मैं आपके लिए एक अद्भुत कहानी लेकर आया हूं यह कहानी है तारापीठ के शमशान भैरवी की साधना पर आधारित तारापीठ के बारे में । आप लोग जानते ही होंगे कि यह पीठ तंत्र मंत्र साधनाओं के लिए बहुत ही प्रसिद्ध पीठ माना जाता है । इसी पीठ में एक बार एक व्यक्ति ने शमशान भैरवी की साधना की थी । यह कहानी उन्हीं लोगों की है । इस साधना में क्या-क्या चीजे घटित हुई थी क्या क्या हुआ था और यह कहानी किस प्रकार से आगे बढ़ेगी । यह सारी बातें आप आज की कहानी के माध्यम से जानेंगे । तो चलिए शुरू करते हैं यह कहानी है दो लोगों की जिनका नाम एक जिनका नाम महोदर बाबू था । और उनके गुरु थे श्याम पंडित । तो गुरु श्याम पंडित और महोदर बाबू दोनों काफी अच्छे आपस में मित्र भी थे । गुरु श्याम पंडित तंत्र मंत्र विद्या अच्छे  खासे जानकार भी थे । और इसीलिए उनके आगे गुरु शब्द लगा हुआ । उनकी कई सारे लोगों के साथ बातचीत होती थी । और उनकी कई सारे शिष्य भी थे । और लेकिन जिस से भी हो और मित्रता भी हो ऐसे केवल एक ही व्यक्तित्व थे वह थे महोदर बाबू ।

और महोदर बाबू अंग्रेजी सरकार में बाबू गिरी का कार्य करते थे । आजकल के लेखपाल की तरह से थे । और जो भी लिखा पढ़ी का काम होता था उसे वह संभाला करते थे । अंग्रेज सरकार में उनकी काफी अच्छी जान पहचान हो गई थी । और क्योंकि उनके पेत्तेल रूप से इसी कार्य को किया जाता था । इस वजह से इस कार्य में उनको काफी प्रसिद्धि मिली हुई थी समाज में । और वहां के स्थानीय लोगों में महोदर बाबू काफी प्रसिद्ध थे । और महोदर बाबू अंग्रेजी कार्यकाल में अच्छे बाबू के रूप में एक बहुत ही बढ़िया कार्य कर रहे थे । इसी कारण जनमानस में उनकी काफी प्रसिद्धि थी । लेकिन महोदय बाबू को गुरु श्याम पंडित जी से काफी अच्छी मित्रता के साथ में तंत्र मंत्र सीखने की एक अच्छी आदत भी पढ़ी हुई थी । वह हमेशा यह सोच करते थे कि क्या तंत्र मंत्र में कोई शक्ति होती है ।अगर होती है तो क्यों अंग्रेज इन चीजों से दूर भागते हैं । और अंग्रेज इन चीजों को नहीं किया करते हैं ऐसे ही एक बार गुरु श्याम पंडित जी के साथ बातचीत करते करते रात्रि के समय में काफी देर हो गई । इस वजह से महोदर बाबू सो गए और जब सोए तो देर में उठे इसी कारण देर से अपने ऑफिस पहुंचे । ऑफिस देर से पहुंचने के कारण अंग्रेज अफसर ने उन्हें बहुत जोर लताणा इस बात पर मौजूद महोदर बाबू को बड़ा क्रोध आया ।

उन्होंने कहा इतने समय से मैं इनके साथ साथ कार्य कर रहा हूं इसके बावजूद भी अंग्रेज हमें हिंदुस्तानियों को कोई इज्जत नहीं देते हैं । और ब्लडी इंडियन कहकर हमें बार-बार चिड़ाया करते है ऐसी बातें दिल में चुभने वाली थी । क्योंकि देश हमारा अंग्रेजों का गुलाम था । इसलिए महोदर बाबू भी सोचा करते थे कि काश ऐसा होता कि हमारा देश स्वतंत्र होता । तो शाम को जब महोदर बाबू गुरु श्याम पंडित से मिलने गए । बहुत ही ज्यादा परेशान थे गुरु श्याम पंडित ने उनसे पूछा क्या बात है । महोदर बाबू आप इतने ज्यादा परेशान क्यों है । तब महोदर बाबू ने बताया कि देखिए मैं इतने समय से अंग्रेजी सरकार में कार्य कर रहा हूं । लेकिन फिर भी अंग्रेज हमको ब्लडी इंडियंस कहकर पुकारते हैं । अब आप ही बताइए कि हमारी इतनी सारी मेहनत और कार्य समर्पण का क्या अर्थ रह जाता है । गुरु श्याम पंडित ने कहा हां यह तो है अंग्रेजों का शासन है अब अंग्रेज जैसा चाहे वैसा व्यवहार करें । हम हिंदुस्तानियों के सामने कोई विकल्प नहीं है जब हम इतनी अधिक संख्या में हो कर भी अंग्रेजों को यहां से बाहर नहीं  निकाल पा रहे हैं । तो भला अब आगे की बातें हम क्या कहे । तब महोदर बाबू ने कहा मुझे बड़ा गुस्सा उस अफसर  पर आ रहा  है मैं चाहता हूं कि मैं उसे सबक सिखाऊं । लेकिन मेरी सामर्थ नहीं है क्योंकि अगर मैं कुछ भी गलत करूंगा तो मेरे को तो नौकरी से भी निकाला जा सकता है । तो गुरु श्याम पंडित ने कहा हा हा कोई तुम तंत्र मंत्र का प्रयोग थोड़ी ही कर लोगे जिसकी वजह से उसका कोई नुकसान हो जाए ।

ऐसी बात पर महोदर बाबू ने कहा यार मैं हमेशा देखता हूं तुम तंत्र मंत्र की बातें किया करते हो इस समय तो यह सब बात तो झूठ है । अंग्रेज इन बातों को नहीं मानते हैं  कोई भी पढ़ा लिखा व्यक्ति इन चीजों को नहीं मानता है । और तुम इस तरह की बेकार की बातों को बताते रहते हो और कहते हो इसमें बड़ी शक्ति होती है । तो गुरु श्याम पंडित ने कहा हां अगर यह प्रयोग अति गोपनीय तरीके से किए जाएं तो इनमें बहुत बड़ी शक्ति होती है । लेकिन समस्या यह है कि किसके पास इतना समय है जो साधनाएं करने बैठे और जब साधना करने बैठेगा ही नहीं तो क्या सिद्धि और शक्तियों के बारे में जानेगा  । जब जानेगा नहीं मानेगा क्यों । तो इसमें उस बेचारे व्यक्ति की क्या गलती जो कुछ जानता ही नहीं तो मानेगा कहां से । लेकिन तुम खुद देखो हम जीवन मरण के चक्कर में फंसे हुए है हमको एक दिन मरना है । लेकिन इसके बावजूद भी सारे लोग इस बात को भूल जाते हैं और ऐसे जिंदगी जीते हैं जैसे उन्हें कभी नहीं मरना ही नहीं है । इसीलिए वह गलत कार्य भी कर लेते हैं इसलिए वह किसी से डरते भी नहीं है इसीलिए वह किसी को कुछ भी कह देते है तो यह तो इतनी बड़ी मूर्खता है । लेकिन देखो इस समाज को यह ऐसा ही चला रहा और व्यक्ति भी स्वयं इतना बड़ा मूर्ख बना हुआ बैठा है । तब महोदर बाबू ने कहा अच्छा इतना अगर कहते हो तो कोई सिद्धि विद्धि की बात तो बताओ क्या कोई सिद्धि वगैरह मुझे करा सकते हो । कोई ऐसी ताकत किसी के बारे में बताओ जो मेरा कार्य है ऐसे करें ।

जैसे कोई प्रेमिका हो और उसकी शक्तियां अतुलनीय हो और उसकी ताकत इतनी ज्यादा हो सबके साथ कुछ भी कर सके । मुझे ऐसी कोई साधना बताओ । और तो फिर मैं करने को तैयार हूं मैं भी तो देखूं कि तुम्हारी बातों में कितनी सच्चाई है । पंडित ने कहा ऐसी तो केवल एक ही खतरनाक साधना है और वह श्मशान भैरवी साधना है । तुमको श्मशान भैरवी को प्रेमिका के रूप में सिद्ध करना होगा । उसकी ताकत बहुत ही शक्तिशाली होगी । महोदर बाबू ने पूछा यह श्मशान भैरवी कौन है । तो श्याम पंडित ने कहा श्मशान में रहने वाली एक बहुत ही शक्तिशाली देवी के रूप में इसे पूजा जाता है । और कपालीको के द्वारा इनकी साधना की जाती रही है इसे आप माता भद्रकाली की सेविका मां भैरवी की शक्ति उनका अंश समझ सकते हैं । कि उन्हीं के कुछ अंश के रूप में इस शक्ति की पूजा की जाती है क्योंकि माता भैरवी तो महाशक्तिशाली है वह तो स्वयं मां जगदंबा है । लेकिन उनकी बहुत सी अंश शक्तियां है जो श्मशान में विराजती है । उसी में से एक बहुत ही शक्तिशाली भैरवी है और इस भैरवी का नाम है श्मशान भैरवी । श्मशान भैरवी भी कई तरह की होती है लेकिन मैं जिस भैरवी की साधना मैं बता रहा हूं यह प्रेमिका के रूप में सिद्ध की जाती है । यह तुम्हारी पत्नी के जैसा व्यवहार करेगी लेकिन इसकी शक्तियां बहुत ही शक्तिशाली होंगी इसे संभालना इसे रोकना बहुत ही कठिन बात होगी । लेकिन अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें इस कार्य के लिए तैयार करवा सकता हूं । लेकिन भयभीत नहीं होना क्योंकि भाई इसका तो नाम ही भैरवी है ।

अगर भय करोगे तो तुम्हें कुछ भी किसी भी प्रकार का दंड दे सकती है इसलिए साधना में दिल पक्का करके ही उतरना । अगर तुम्हारी सामर्थ ना हो तो आज ही मना कर दो । महोदर बाबू ने अपना दिल पक्का किया और कहा देखते हैं आपकी बातों में कितना दम है । मैं भी तो देखूं कितना दम है आपकी श्मशान भैरवी में । मैं साधना करने को तैयार हूं मैने अपने दिल को इसी प्रकार पक्का कर लिया हूं जैसे जंगल में बब्बर शेर से सामना करने जाया जाता है मै इसी प्रकार जाऊं और उस शक्ति से सामना करूंगा । तो अब गुरु श्याम पंडित जी ने कहा कि आपको यह साधना श्मशान में सूर्यास्त के बाद करनी होगी । इससे पहले आपको महाकाली भद्रकाली की पूजा करनी होगी ।इसमें माता त्रिपुर भैरवी की साधना स्वरूप उनको भेंट में एक माला उनके मंत्रों की जाप करना होगा । आपको इस भैरवी को भोग स्वरूप नारियल बताशे अगरबत्ती इत्यादि के रूप पूजित करना होगा । और आप इसमें अंडा और मदिरा भी उसे अर्पित करेंगे । अलग अलग तरीके से मैं जो जो बताऊं आपको वह सब आपको करना है । इसमें आपको देवी को मांस और मदिरा की बलि भी देनी होगी और मदिरा की धार से उसे स्वयं मदिरा पिलानी होगी । इसके बाद वह आपके कार्य को संपन्न करने का वचन देगी । और वह समस्त कार्यों को संपन्न कर लेगी जो आप सोच भी नहीं सकते हैं ।

लेकिन याद रखना इसका रूप स्वरूप बड़ा भयंकर होता है । यद्यपि पहले जब आती है तो बहुत ही भयानक होती है और आगे आपकी इच्छा अनुसार बहुत ही सुंदर रूप धारण कर लेती है । ताकि आपको इससे भय ना लगे लेकिन केवल सिद्ध होने के बाद ही ऐसा होता है । अगर आपने इसे सिद्ध नहीं कर पाते हैं तो इसके भयानक रूप की ज्वाला से आपकी मौत भी हो सकती है तो आप तैयार हैं क्या इस साधना के लिए । तब महोदर बाबू ने कहा ठीक है मुझे डर नहीं लगता मैं भला क्यों डरूं । और वैसे भी अंग्रेज कहते हैं कुछ नहीं होता यह हिंदुस्तानी सांप और साधु की पूजा किया करते हैं । तो इस वजह से सांप और साधु की दुनिया में अगर कुछ रहस्य निकल कर आता है । तो जरूर कुछ ना कुछ तो अनुभव होगा ही । मैं उस भयानक शक्ति की उपासना करने के लिए तैयार हूं बताइए मुझे क्या-क्या करना होगा । तो उन्होंने कहा तो मैं सबसे पहले आपको यह 21 दिन की साधना संपन्न करनी होगी ।इसके बाद ही आप के साथ जो जो चीजें होंगी वह सब मैं आपको संक्षेप में बताता रहूंगा । तो सबसे पहले आपको इस मंत्र की दीक्षा लेनी होगी और मंत्र मैं आपको बताता हूं । आपको मुझे गुरु मानना होगा साथ ही साथ मंत्र की दीक्षा लेनी होगी । तो उसकी बात सुनकर महोदर बाबू ने गुरु श्याम पंडित जी से उस मंत्र की दीक्षा ले ली ।

और मंत्र सुन लेने के बाद में फिर पहली रात के लिए वह लोग तारापीठ के श्मशान में जाने के लिए तैयार हो गए । तारापीठ बहुत ही प्रसिद्ध जगह थी । यहां की भैरवी साधना निश्चित सफलता दिलाने वाली होती थी । इसलिए दूर दूर से लोग यहां अलग अलग तरह की तांत्रिक शक्तियों को प्राप्त करने के लिए आया करते थे । और इसी वजह से यहां पर और लोग और अंग्रेज भी इन लोगों से भय खाते थे । यद्यपि वह इस बातों पर विश्वास नहीं करने वाली बात तो कहते थे ।लेकिन इन लोगों से दूर ही बनाए रखते थे । तो इस प्रकार से पहली रात्रि को यह दोनों लोग श्मशान मे जाते हैं । रात्रि के 9:00 बजे के बाद गुरु श्याम पंडित और महोदर बाबू से कहते हैं कि आप नहा लीजिए और नहा लेने के बाद में पूर्णता निर्वस्त्र हो करके इस साधना को कीजिए । इसके लिए आपको चिताओं को ढूंढना होगा यह साधना चिताओं पर होगी । इस प्रकार से आपको हर रात्रि में एक चिता की आवश्यकता होगी और 21 रातों तक आपको 21 चिताओं की पूजा करनी होगी । यह सारी साधनाएं करने के लिए आपको श्मशान में जो भी भटकने वाले प्रेत हैं भूत है और चुड़ैले हैं इन सब का सामना भी करना पड़ सकता है । इन सब से आपको डरना नहीं है । तो आप तैयार हैं उन्होंने कहा हां । तो महोदर बाबूजी ने उस श्मशान की रक्षा करने वाला एक वहां का जो स्थानीय व्यक्ति था ।

उसको बुलाया और कहा मेरे लिए रोज एक चिता की आवश्यकता होगी आप रोज एक चिता की व्यवस्था कर लीजिए । तो उसने कहा ठीक है मेरा तो यही कार्य ही है महोदर बाबू हम आपको जानते हैं आपसे तो हमारा काम पड़ता ही रहता है । आप चिंता मत कीजिए हम आपके लिए हर रात को एक चिता की व्यवस्था इस तरह से करवा देंगे कि लोग जब चिता जलाने आएंगे और वही समय आपके लिए साधना के लिए उसके हेतु उपयुक्त हो जाएगा । आप चिंता मत कीजिएगा । और इस प्रकार उस चांडाल की बातों को सुनकर महोदर बाबू प्रसन्न हो गए । क्योंकि अब 21 रातों तक उन्हें चिताओं के लिए नहीं भटकना होगा और चिता के बगल में बैठ कर साधना करने में कोई परेशानी भी नहीं होगी । तो इस प्रकार पहली रात्रि को उनके मंत्रों का जाप करने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्र पढ़ करके अपने चारों तरफ सुरक्षा घेरा बनाया ।

और रुद्राक्ष की माला लेकर के पूर्णता नग्न होकर के सामने चिता को ही अपनी यज्ञ हवन की सामग्री बना करके साधना की शुरुआत कर दी । साधना के पहले ही दिन वहां तेज हवाएं चलने लगी । तो महोदर बाबू ने कहा यह मुझे भयभीत कर रही है । तो गुरु श्याम पंडित जी ने कहा आप इससे भयभीत ना हो श्मशान में इस तरह की हवाएं चला ही करती है आप को डरने की आवश्यकता नहीं है । और आप बिल्कुल भी मत घबराइए नहीं । और साधना में जुट जाइए और मन को पक्का कर लीजिए । कि यह साधना में संकल्प लेकर कर रहा हूं इस वजह से आप इस साधना  को बीच में नहीं छोड़ पाएंगे । इन सब बातों को समझ लीजिए तो गुरु शाम पंडित जी की बात को समझते हुए । महोदर बाबू ने एक संकल्प लेकर के साधना की पहली रात्रि में मंत्र जाप करना शुरू किया । अभी मंत्र जाप कुछ हुआ ही था तभी चारों तरफ उन्हें अजीब अजीब तरह से शक्कले और चेहरे दिखाई देने लगे । जिनको देखकर के महोदर बाबू के मन में डर पैदा होने लग गया महोदर बाबू के होंठ कांप रहे थे ।लेकिन वह मंत्र का जाप करते जा रहे थे । तो आगे क्या हुआ । यह हम जानेंगे भाग 2 में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

Exit mobile version