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तिरिया राज की शक्तिशाली जादूगरनी 4 अंतिम भाग

तिरिया राज की शक्तिशाली जादूगरनी 4 अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। तिरिया राज की शक्तिशाली जादूगरनी या चौथा और अंतिम भाग है। अभी तक आपने जाना कि कैसे एक व्यक्ति तिरिया राज में फंस जाता है। अब आगे इनके पत्र को पढ़ते हैं और जानते हैं इस अंतिम भाग के विषय में।

नमस्कार गुरु जी, पिछली बार मैंने बताया था। अब उसके आगे की घटना के विषय में बताता हूं। गुरु जी अब मेरे परदादा को वह मौका मिला कि जब एक जादूगरनी अपने बकरे की बलि देने वाली थी और सबसे आश्चर्य वाली बात यह थी कि वह बकरा बहुत ज्यादा पुराना था मतलब तकरीबन 40 से 50 वर्ष पुराना था इसीलिए वह अब उससे छुटकारा पाना चाहती थी। जब पूरा चांद यानी पूर्णिमा की रात आई तब वह सभी जादूगर्नियों को न्योता देकर वहां बुला ली और सभी खुश होकर अपने-अपने बकरों के साथ में उस स्थान पर पहुंचने लगे। जिसमें मेरे परदादा के ऊपर बैठकर वह जादूगरनी जिसने मेरे परदादा को वश में कर रखा था, उड़ती हुई उस स्थान की ओर जाने लगी। मेरे परदादा यह देखकर आश्चर्यचकित थे कि यह जादूगरनी आखिर कितनी ज्यादा शक्तिशाली है जिसने मुझे उड़ने की विद्या प्रदान कर दी है और मैं इसका वाहन बनकर इसके साथ उस स्थान की ओर पैदल ना जाकर उड़ते हुए जा रहा हूं। शायद यह शक्ति का प्रदर्शन कर रही है क्योंकि किसी अन्य जादूगरनी में इतनी शक्ति शायद नहीं और यह दिखाकर शायद यह सब को अपने वश में करना चाहती हैं। उस स्थान पर केवल तीन चार जादूगरनी शक्तियां अपने-अपने वाहनों से। उड़ते हुए वहां पहुंची थी। इससे यह तो स्पष्ट हो गया कि यह सबसे शक्तिशाली जादूगरनी स्त्रियां हैं और उनमें से मेरी वाली भी सम्मिलित थी ऐसा मेरे परदादा ने सोचा। लेकिन इसी की वजह से हम परदादा यह भी सोच रहे थे कि अगर इतनी शक्तिशाली जादूगरनी उनकी स्वामी है तो कैसे वह इस तंत्र से बाहर निकल कर अपनी वास्तविक दुनिया में वापस जा पाएंगे। पता नहीं इसके पास कितनी ज्यादा शक्तियां होंगी।

और तभी अचानक से जब उस जादूगरनी ने अपने बकरे का सिर काटा। तब वहां पर वह द्वार खुल गया। मेरे परदादा बहुत तेजी के साथ उस ओर दौड़े तभी उस जादूगरनी ने मेरे परदादा को अपनी ऊर्जा शक्ति से पकड़ लिया और वापस खींच लिया। मेरे परदादा एक बार पूरी तरह असफल हो चुके थे। तब अपने इस वाहन के पास पहुंचकर उस जादूगरनी ने कहा, तू यहां से भागने की कैसे सोच सकता है। मेरे वश से तू कैसे निकल गया? अब तुझे फिर से पूरे वशीकरण में लेती हूं। मेरे परदादा यह बात जान गए कि अब इसके तंत्र से मैं पूरी तरह वशीकृत हो जाऊंगा और ऐसे में अगर मैंने जल्दी ही कुछ नहीं किया तो हमेशा के लिए इसी दुनिया में रह जाऊंगा। वह सोचने लगे कि तभी उन्हें एक बात याद आई। वह यहां आने से पहले जिस भैरवी देवी से मिले थे, उनको सोच कर उन्हें यह याद आया कि उन्होंने मुझे वचन दिया था और एक मंत्र भी दिया था। तो उन्होंने उसी मंत्र का जाप कर उन्हें पुकारना शुरू कर दिया। और फिर इस जादूगरनी ने अपने तंत्र का प्रयोग किया और मेरे परदादा सब कुछ फिर से भूल गए। वहां सभी ने जितनी भी जादूगरनी शक्तियां मौजूद थी,सबने इस जादूगरनी की वाहवाही की और इसे अपनी रानी की तरह स्वीकार किया। तब यह फिर से मेरे दादा के ऊपर बैठकर वापस अपने घर को लौट गई। तभी कुछ देर बाद जब मेरे परदादा ने मानव रूप धारण किया और इस स्त्री ने फिर से उनके साथ समागम करने की कोशिश की कि तभी वहां पर भैरवी प्रकट हो गई और उसने मेरे परदादा को इशारा किया। मेरे परदादा ने वह सारी क्रिया संपन्न की जिसके बाद जादूगरनी को नींद आ गई और वह सो गई। इसके बाद भैरवी मेरे परदादा के पास गई उनके सिर पर हाथ रखा और मेरे परदादा को फिर से सारी बात याद आ गई। उस भैरवी ने बताया तुम्हारी पत्नी के कारण ही मैं यहां पर आई हूं और तुमने मुझे याद करने में इतना वक्त बिता दिए। तब मेरे परदादा उनसे माफी मांगते हुए उनके चरणों में गिर गए और कहने लगे। मुझे यहां से बाहर निकाल दीजिए। क्योंकि?

यह मेरा शारीरिक और मानसिक का शोषण करती है। यह सुनकर उस! शक्तिशाली भैरवी देवी ने यह कहा कि तुम परेशान मत हो। मैं तुम्हें यहां से बाहर निकाल दूंगी और तब वह मेरे परदादा को लेकर उस पेड़ के पास पहुंची। और कहने लगी कि तुम्हें मैं एक मंत्र देती हूं और उस मंत्र का तुम यहां बैठकर जाप करो। कुछ देर बाद यहां पर इसी पेड़ के सामने वह रहस्यमई द्वार खुल जाएगा। याद रखना कुछ भी हो जाए। तुम्हें अपने मंत्र जाप को नहीं छोड़ना है और मंत्र जाप पूरा होते ही इस द्वार के भीतर चले आना और कोई भी माया हो। उससे तुम्हें बचना है। मैं तुम्हारे गले में एक सिद्ध ताबीज दे देती हूं। इससे तुम्हें कोई रोक नहीं पाएगा। लेकिन मायाजाल पार करना यह तुम्हारी जिम्मेदारी है। इस प्रकार सारा विधि और विधान बता कर के वह भैरवी देवी उसी पेड़ के अंदर से अपनी वास्तविक दुनिया में लौट गई। और यह बैठकर मंत्र जाप करने लगे। सुबह का समय हो गया। इन्होंने अपना मंत्र जाप नहीं छोड़ा कि तभी वहां पर बहुत सारे जादूगरनी और उनके बकरे आ गए। उन्होंने चिल्लाना शुरू कर दिया।

यह बात मेरे परदादा को पता लग गई और वह मंत्र जाप करते रहे। तभी वह जादूगरनी भी वहां पर आ गई और रोने लगी। वह कहने लगी। तुम मुझे छोड़ कर कैसे जा सकते हो। तुम तो मेरे पति हो। मैं शीघ्र ही यहां की महारानी बनने वाली हूं और तुम मेरे महाराज बनोगे। ऐसे में तुम मुझे छोड़कर क्यों जाना चाहते हो। मैं तुमसे वादा करती हूं। अब तुम्हें कभी बकरा नहीं बनाऊंगी लेकिन तुम मुझे छोड़कर मत जाओ पर मेरे परदादा ने उसकी कही हुई इन बातों पर ध्यान नहीं दिया। और वह अपना मंत्र जाप करते रहे। कुछ देर बाद वहां पर रहस्यमई द्वार प्रकट हो गया। अब उस जादूगरनी ने आखिरी अपनी माया शुरू कर दी। उसने वहां पर चार पेड़ बना दिए और उन सभी चारों पेड़ों में रहस्यमई द्वार बन गए और उनमें से सभी द्वारों में उसे मेरे परदादा की पत्नी यानी परदादी बाहर से चिल्लाती हुई पुकारती हुई दिखाई दी। अब मेरे परदादा के सामने बहुत बड़ा रहस्य था। अगर उन्होंने चारों दीवारों में से किसी गलत द्वार में प्रवेश कर लिया तो हमेशा के लिए वह यहीं रह जाएंगे। क्या करें तो वह यही सोच रहे थे।

उन्होंने मन ही मन भैरवी देवी को याद किया। तब भैरवी देवी एक बार फिर से वहां पर प्रकट हो गई। लेकिन वह भी चारों दीवारों पर दिखाई दे रही थी। ऐसे में अब उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें? चारों भैरवी भी उनसे यही कह रही थी कि मेरी ओर आओ यह बात मेरे परदादा समझ गए थे कि यह माया जाल है और इन चारों पेड़ों में से केवल एक पेड़ ही सत्य है जिसके बाहर मेरी दुनिया है तब उन्होंने एक कार्य किया। उन्होंने भैरवी देवी के एक संकेत को देखा। उन्होंने देखा कि भैरवी ने अपनी उंगली को छेद कर उन में से खून टपका दिया निकाल कर उस निकले खून से उनको संकेत मिला। उन्होंने भी वही किया। उन्होंने अपनी उंगली को छेद दिया और खून टपकाने लगे सिर्फ एक द्वार पर खून जमीन पर गिर गया और फिर वह उस द्वार के अंदर से निकलकर उस कामाख्या क्षेत्र में। नीलांचल पर्वत पर आ गए। इस प्रकार उन्होंने किसी प्रकार से उस माया का अंत किया। क्योंकि वह यह जानते थे कि इस दुनिया में खून नहीं गिरेगा। क्योंकि मैं उस दुनिया का हूं। केवल उसी द्वार पर खून गिरेगा जो मनुष्यों का है। इसी कारण से वह उस द्वार से बाहर निकल कर आ गए। माता कामाख्या के मंदिर पर उन्होंने मेरी परदादी को देखा जो अपने परिवार के साथ वहां पर उपस्थित थी। सभी लोग आपस में मिल गए और वहां से फिर वह इस घटना को अपने मन में लिए हुए लोगों को बताते हुए वापस अपने घर आ गए। लेकिन हमेशा के लिए वह राज आज भी कायम है। कि गुरुजी वह तिरिया राज में प्रवेश करने का मार्ग कौन सा है। नीलांचल पर्वत पर किसी पेड़ में यह रहस्य हैं और वह किसी विशेष अवसर पर ही खुलता है। इतना हमें बस पता है लेकिन इसके अलावा उस तिरिया राज में जाने का कोई और मार्ग नहीं है। तो गुरु जी यह थी एक सच्ची घटना जो हमारे ही परिवार में कई वर्षों पूर्व घटित हुई थी।

आप सभी का धन्यवाद और गुरु जी आपका विशेष रूप से धन्यवाद जो इन प्राचीन रहस्यों को आम जनता तक पहुंचा रहे हैं नमस्कार गुरु जी!

सन्देश-तो देखिए यहां पर तिरिया राज का रहस्य आज भी उस नीलांचल पर्वत में कहीं किसी पेड़ में उपस्थित है जिस में प्रवेश करने का मार्ग, कोई तांत्रिक या कोई महा सिद्ध भैरवी ही बता सकती है। तो अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

https://youtu.be/lATFi3_MDfE

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