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तुलसी के तांत्रिक औषधीय और धन प्रयोग

तुलसी पूजा सभी हिंदू परिवारों के घरों में होती है, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार तुलसी को पूजनीय और पवित्र माना गया है। तुलसी घर में होने से कई प्रकार के दैवीय और चिकित्सकीय लाभ प्राप्त होते हैं।
तुलसी के कई प्रकार के प्रयोग हैं। कुछ उपाय प्रयोग सामान्य हैं तो कुछ आयुर्वेद से जुड़े हुए हैं। यहां जानिए तुलसी के कुछ तांत्रिक उपाय, जिनसे आप अपनी किस्मत भी चमका सकते हैं।
यदि कोई व्यक्ति सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करना चाहता है तो वह तुलसी की जड़ को विधिपूर्वक लाये यानी तुलसी की जड़ को निमंत्रण देकर अपने घर ले आएं। घर पहुंचकर तुलसी की जड़ को गंगाजल से धो लें। इसके बाद इसका पूजन करें। पूजन के बाद इस जड़ को दाहिने हाथ पर पीले कपड़े में लपेटकर बांध लें। पूजन करते समय किसी तुलसी मंत्र का जप करेंगे तो श्रेष्ठ रहेगा।

(Basil, Holy Basil)
विविध नाम :
वृन्दा, अमृता, ग्राम्या, सुगन्धा, मंजरी, सुरभि, माधवी, पावनी
तीव्रा, पत्रपुष्पा, पवित्रा, भूतघ्नी, लक्ष्मी, विष्णुकान्ता, वैष्णवी, श्यामा.
सुरवल्लरी, सुलभा, हरिप्रिया, श्री ।
सामान्य परिचय :
यह एक पवित्र पौधा होता है । इसकी पत्तियों का प्रयोग भगवान
की पूजा के समय पर उनको भोग लगाने के लिये किया जाता है ।
तुलसी की पत्तियाँ सुखने के बाद में भी पवित्र मानी जाती हैं और
सूखी पत्तियों का भी शुभ कार्यों में नि:संकोच प्रयोग किया जाता
उत्पत्ति एवं प्राप्ति-स्थान :
तुलसी का पौधा प्राय: पूरे देश में पाया जाता है । इसे- घरों में
लगाया जाता है । इसे मन्दिरों और उद्यानों में भी लगाया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि- तुलसी के पौधे को अपवित्र और गन्दे
हाथों से नहीं छूना चाहिये क्योंकि ऐसा करने से यह मुरझा जाता
और धीरे-धीरे नष्ट हो जाता है ।
प्रकार :
तुलसी पाँच प्रकार की होती है-

  1. श्यामा तुलसी (काली तुलसी या कृष्ण तुलसी),
  2. श्वेत तुलसी (हरी सफेद तुलसी),
  3. दद्रिह तुलसी,
  4. तुकाशमीय तुलसी,
  5. वाबी तुलसी ।
    लेकिन इन पाँचों में से सबसे ज्यादा ‘श्यामा तुलसी’ का ही
    प्रयोग किया जाता है ।

स्वरूप :
श्यामा तुलसी प्रायः पूरे देश में पाई जाती है । इसके पौधे की
ऊँचाई लगभग तीन फुट तक होती है और इसके पत्ते छोटे तथा हरे रंग
के होते हैं । यह पत्ते सूखने के बाद में काले पड जाते हैं इसलिये ही
इस तुलसी को- श्यामा तुलसी या काली
तुलसी भी कहा जाता है । यह तुलसी भगवान
श्रीकृष्ण को बहुत अधिक प्रिय है, इसलिये
इसे ‘कृष्ण तुलसी’ भी कहा जाता
गुण-धर्म :
तुलसी में एक विशेष प्रकार की गंध
होती है । यह कुछ चरपरी और गर्म होती है।
यह कीटाणुओं का नाश करके शरीर को
आंतरिक रूप से स्वच्छ बनाती है । यह
त्रिदोषों का नाश करती है और इसके प्रयोग
से- खाँसी, जुकाम, बुखार, पेट के रोग,
दमा, फेफड़ों के रोग, चर्म-रोग आदि में
बहुत अधिक लाभ होता है । यही कारण है।
कि- प्राचीन हिन्दू वैज्ञानिकों (ऋषि-मुनियों)
ने इसको धर्म से जोड़ दिया था ताकि प्रत्येक हिन्दू व्यक्ति ‘तुलसी का
पौधा’ अपने घर में अवश्य लगाये और फिर इसके अपरिमित गुणों से
निरन्तर लाभान्वित होता रहे ।
तान्त्रिक प्रयोग
विषम ज्वर- श्यामा तुलसी की पत्तियों की माला बनाकर रोगी
के गले में धारण करायें । फिर अगले दिन इस माला को कच्ची जमीन
में गड्ढा खोदकर दबा दें और रोगी के गले में इसी प्रकार से एक नई
माला बनाकर पहना दें । इस प्रकार से यह प्रक्रिया लगातार सात दिन
तक करने से विषम ज्वर (कभी कम-कभी ज्यादा होने वाला बुखार)
पूरी तरह से शान्त हो जाता है।
सुख-शांति-समृद्धि प्राप्त करने के लिये- अपने घर में
तुलसी का पौधा लगायें । फिर प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होकर

उस पौधे की जड़ में थोड़ा-सा जल चढ़ायें और उसको प्रणाम करें ।
ऐसा करते रहने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
घर के किसी एक सदस्य (विशेषकर महिला) को शाम के
समय भी तुलसी के समक्ष एक दीपक जलाकर रखना चाहिये ।
शीघ्र विवाह के लिये- यदि किसी लड़की का उचित आयु
तक विवाह न हो पाया हो तो उसे प्रतिदिन प्रात:काल स्नान आदि से
निवृत्त होकर माता पार्वती के चित्र के समक्ष दीपक जलाना चाहिये।
और तुलसी की माला से निम्नलिखित मंत्र का जाप करना चाहिये-
हे गौरि शंकराद्धागिनी यथा त्वं शंकर प्रिया ।
तथा मां कुरु कल्याणि कान्त कान्ता सुदुर्लभाम् ॥

-इस प्रकार से उक्त मंत्र का प्रतिदिन एक माला (108 बार)
जाप करने से माता पार्वती प्रसन्न होकर कन्या को शीघ्र ही उत्तम वर
प्रदान करती हैं ।
स्मरण-शक्ति बढ़ाने के लिये- प्रतिदिन प्रातःकाल स्नान
आदि से निवृत्त होकर तुलसी के पौधे को जल चढ़ायें और उसे प्रणाम
करके निम्नलिखित मंत्र का पाँच बार पाठ करें-
ॐ नमो देवी कामाख्या, त्रिशूल खड्ग हस्त पाधां
पाती गरुड़, सर्व लखी तू प्रीतये समागन
तत्व चिन्तामणि, नरसिंह चल चल
क्षीन कोटि कात्यायनी, तालब प्रसाद के
ॐ हों ह्रीं क्रूं
त्रिभुवन चालिया चालिया स्वाहा ।

-इसके बाद में तुलसी के ग्यारह पत्ते तोड़
से चबा-चबाकर खा लें । इस प्रकार से इस प्रयोग को इकत्तीस दिन
तक करने से स्मरण-शक्ति में वृद्धि हो जाती है । आप चाहें तो इस
और अच्छी तरह
प्रयोग को आगे भी जारी रख सकते हैं।
भख-प्यास को समाप्त करने के लिये- तुलसी की जड़
कमल के बीज, ऑवला, अपामा्ग का दाना- इन चारों वस्तओं को
बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीस लें और फिर उस मिश्रण की
मटर के दाने के बराबर की गोलिया बनाकर रख लें । फिर प्रतिदिन

व्यक्ति को नहीं करना चाहिये बल्कि केवल कुछ विशेष लोगों
(जैसे- जिनका शारीरिक स्वास्थ्य बहुत अच्छा हो और जो दुर्गम क्षेत्रों
की लम्बी यात्राओं पर जाते हों) को ही करना चाहिये ।
औषधीय प्रयोग :
खाँसी-जुकाम-बुखार- रोगी के लिये चाय बनाते समय उसमें
तुलसी की 4-6 पत्तियाँ भी डाल दें । इस चाय का सेवन करने से रोगी
को बहुत लाभ होता है । इस कार्य के लिये तुलसी की पुरानी (सूखी
हुई) पत्तियाँ भी प्रयोग में ले सकते हैं । – अथवा- रोगी को तुलसी
की 4-6 पत्तियाँ चूसने के लिये दें और इस प्रक्रिया को दिन में 3-4
बार दोहरायें ।
दमा- रोगी को तुलसी की 4-6 पत्तियाँ मुख में डालकर चूसनी
चाहिये और यह प्रक्रिया प्रतिदिन 3-4 बार दोहरानी चाहिये । तुलसी
की माला अपने गले में पहननी चाहिये- यह माला बाजार में मिल
जाती है । इस प्रकार से लम्बे समय तक प्रयोग करने से शरीर के
भीतरी कीटाणु नष्ट हो जाते हैं और दमा में आराम होता है।
पेट के रोग- पेट के रोग (जैसे- कब्ज, अपच, अफारा,
पेट-दर्द, पेट में कीड़े होना, भूख न लगना आदि) में तुलसी का प्रयोग
करना चाहिये । इसके लिये अपने पीने का पानी उबाल लें और फिर
उसे आग से उतारकर ठण्डा होने दें, फिर उसमें तुलसी की 10-12
ताजी पत्तियाँ तोड़कर डाल दें- इसी पानी को पीयें । इस प्रकार से
प्रतिदिन प्रयोग करना चाहिये ।

किसी की बुरी नजर लग जाए तो तुलसी का यह तांत्रिक उपाय करें-
इसके अनुसार तुलसी के सात पत्ते और सात काली मिर्च मुट्ठी में लें। इसके बाद जिस व्यक्ति की नजर उतारनी है, उसे लेटा दें और मुट्ठी बांध उसके सिर से पैर तक 21 बार ऊँ-ऊँ मंत्र बोलकर वार लें। इसके बाद काली मिर्च पीड़ित व्यक्ति को चबाने को दें और तुलसी के पत्तों को मसलकर निगलने को दें।
अंत में प्रभावित व्यक्ति को लेटाकर उसके तलवों को किसी कपड़े से 7 बार या 11 बार झाड़ दें।
यदि आप मालामाल होना चाहते हैं तो घर के मुख्य दरवाजे के दोनों ओर तुलसी के पौधे गमले में लगाएं। प्रतिदिन तुलसी की उचित देखभाल करें।

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