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दंतेश्वरी मंदिर के प्रेत 5 वां अंतिम भाग

दंतेश्वरी मंदिर के प्रेत 5 वां अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग जानेंगे दंतेश्वरी मंदिर के अंतिम भाग की कथा को। तो पिछली बार हम लोगों ने जाना कि किस प्रकार प्रेत और उसकी प्रेत सेना उस स्थान पर पहुंचती है जहां उस कन्या से प्रेत को विवाह करना था। तांत्रिक और वह कन्या आपस में एक योजना बनाते हैं। शायद उस योजना के विषय में केवल तांत्रिक को ही पता था। कन्या उसके लिए हामी भर देती है। क्योंकि उसे तो अपनी रक्षा किसी भी प्रकार से करनी थी।

तांत्रिक प्रेत सेना सहित प्रेत के स्वागत के लिए निकल पड़ता है और जिस स्थान पर कन्या का विवाह होना था, उसके द्वार पर वह प्रेत का स्वागत करता है। प्रेत यह देखकर बहुत प्रसन्न होता है और कहता है कम से कम कुछ ससुराल वाले तो मिले। तब तांत्रिक और उसके अन्य शिष्य।

उस प्रेत से कहते हैं कि हमारे यहां एक रस्म है और रस्म इस प्रकार की है कि जो भी दूल्हा अंदर आकर कन्या के लिए

उसका हाथ मांगेगा और उससे विवाह करेगा उसे अंदर तभी जाने दिया जाएगा जब वहां कोई उपहार भेंट करें। अब क्योंकि मैं ही यहां पर कन्या पक्ष से खड़ा हूं, इसलिए तुम मुझे भेट दो।

तब प्रेत कहता है बता तांत्रिक तेरी क्या इच्छा है आखिर तू कौन सी वस्तु मांगना चाहता है? तब तांत्रिक कहता है मुझे मनुष्य के दांतो की बनी माला चाहिए।

इस पर वह प्रेत कहता है, यह कोई बड़ी बात नहीं है। मैं तुरंत ही अपनी प्रेत सेना को।

इसके लिए भेज देता हूं। और प्रेत सेना जल्दी ही मनुष्य के दांतो की बनी माला लेकर लौट आई।

तब तांत्रिक ने कहा, अब आप यहां विश्राम कीजिए आपके लिए मैंने मंडप और आयोजन किया हुआ है तब तक जब तक कन्या तैयार होती है, शाम के समय आप दोनों का विवाह होगा। इस प्रकार वह मनुष्य के दांतो की बनी माला लेकर तांत्रिक उस कन्या के पास पहुंचता है। उससे उसके कान में एक अत्यंत गोपनीय मंत्र प्रदान करता है और कहता है मैं तुम्हें इस मंत्र के जाप की पूर्ण विधि बताता हूं।

शाम तक तुम्हें एकनिष्ठ होकर यही बैठकर इस मंत्र का जाप करना है। इस मंत्र के जाप से चमत्कार घटित होगा।

कन्या क्योंकि उसके पास कोई और अन्य विकल्प नहीं था। इसीलिए तांत्रिक की बात को पूरी तरह मान कर अब तैयार हो गई थी उस मंत्र जाप के लिए। वह तैयार थी।

और उसने बिना कोई देर किए उन मंत्रों का जाप करना शुरू कर दिया।

तांत्रिक ने उसे समझाया था, कैसी भी अवस्था हो? चाहे तुम्हारे प्राण पर संकट ही क्यों ना जाए। जब तक मैं स्वयं आकर तुम्हें इस मंत्र के जाप को रोकने को ना कहूं, तब तक तुम इसका अखंड जाप करती रहना।

इस प्रकार वह तांत्रिक उस कन्या को समझा कर वहां से निकल गया और पहुंच गया उस प्रेत की सेवा में।

प्रेत के पास पहुंचकर उस तांत्रिक ने कहा। कि हमारे यहां?

जब विवाह होता है तो एक बड़ी रस्म निभानी पड़ती है। क्या आपने इतनी सामर्थ्य है कि आप उस रस्म को निभा कर दिखा पाए?

प्रेत हंसते हुए कहता है, मैं प्रेत राजा हूं। इसलिए मेरे लिए कुछ भी करना संभव है बता तांत्रिक तेरी कौन सी रस्म मुझे निभानी पड़ेगी? तब वह कहता है कि मनुष्य के रक्त से ही कन्या की मांग भरनी होगी।

इसलिए यह आवश्यक है कि मनुष्य का रक्त यहां पर लाया जाए और सामने के स्थल में उस रक्त से अभिषेक किया जाए।

प्रेत कहता है इसमें कौन सी बड़ी बात है। मैं अपनी समस्त सेना को अभी तुरंत इस कार्य के लिए भेज देता हूं। मनुष्य का रक्त बड़ी ही आसानी से हमें प्राप्त हो जाएगा। तब प्रेत अपनी प्रेत सेना को आदेश देता है जहां कहीं भी मनुष्य मिले। उन्हें उठाकर यहां ले आओ। उनकी बलि तांत्रिक द्वारा बताए गए स्थल पर दे दो। और? उनके रक्त को कटोरी में इकट्ठा करके रख दो। मैं उसी रक्त से अपनी पत्नी को सिंदूर दूंगा।

इस प्रकार जब उससे प्रेत ने अपनी सेना को आदेश दिया तो उसकी सेना तक्षण वहां से तीव्रता के साथ निकल गई और पहुंची आस-पास के गांव में। उन्हें जहां भी मनुष्य दिखाई पड़े। उन मनुष्यों को उठाकर उस स्थान पर लाकर पटकने लगे। इस प्रकार कुल 11 मनुष्य उन्होंने अलग-अलग गांव से उठा लिए थे। और उस स्थान पर लाकर पटक दिए थे। जहां पर कन्या पूजन कर रही थी।

और देर ना करते हुए उसी समय प्रेतो ने उन मनुष्यों के?

सिर पर वार कर।

उनके शरीर से रक्त निकालना शुरू कर दिया। इस प्रकार 11 मनुष्यों की बलि उस स्थान पर दे दी गई।

इससे अचानक से उस जगह की धरती कांपने लगी।

तांत्रिक तुरंत उस कन्या के पास पहुंचा और कहने लगा। कि तुम गोपनीय तरीके से यह कार्य करो और पुकारो उस शक्ति को। और तांत्रिक! के बताए गए तरीके से ही वह कन्या वहां पर आवाहन करने लगी। उस प्राचीन छिपी हुई महाशक्ति की। वह महाशक्ति थी माता सती का दांत जो उस स्थान पर कभी गिरा होगा। उसी दांत! से माता दंतेश्वरी। की शक्तियां प्रकट होकर चारों ओर हलचल मचाने लगी।

तभी वहां प्रेत पहुंच गया। प्रेत ने कहा, अब मेरा विवाह इस कन्या से करवा दो। तब वहां पर उस तांत्रिक ने कहा, अवश्य ही तुम स्वयं इस कन्या को उठाकर अपना विवाह संपन्न करो।

और तांत्रिक उस स्थल से दूर हट गया। कन्या मंत्रों का जाप करते हुए माता को पुकारने लगी तभी। वह प्रेत उस कन्या को आकर उसके स्थल से उठा लेता है। और जैसे ही यह घटना घटित होती है। माता दंतेश्वरी साक्षात भयानक रूप में वहां पर प्रकट हो जाती हैं।

माता दंतेश्वरी क्रोध में भरी हुई कहती हैं तूने मेरी इस कन्या को बहुत अधिक कष्ट दिया है। मैं अब यहां तुम सब का भक्षण करूंगी। माता दंतेश्वरी प्रत्येक प्रेत को उठाकर अपने दांतो से चबाकर खाने लगी। अपने दांतो से प्रेतों को मसल मसल कर चबाकर खाने के कारण।

वहां पर भयानक आवाजें आनी शुरू हो गई। प्रेत सेना माता पर प्रहार करने लगी लेकिन वह उनका! कुछ भी नहीं बिगाड़ पाई। इधर प्रेत भी घबराकर अपनी शक्तियां उन पर प्रयोग करने लगा। लेकिन माता दंतेश्वरी की शक्ति के आगे अब ना तो कोई प्रेत टिक सकता था। ना ही प्रेतों का राजा थोड़ी ही देर में उन्होंने सारी प्रेत सेना चबाकर खा ली और फिर उन्होंने प्रेत राजा को पकड़कर उसे भी मुंह में डाल लिया और उसे भी वह चबाकर खा गई। इस प्रकार! उस कन्या ने माता के पैरों पर गिरकर। उनसे प्रार्थना की कि माता मेरा जीवन! बड़ा दुख में बीता है कृपया मेरा सौभाग्य लौटा दे। तब माता दंतेश्वरी ने।

उसके सरदार को जीवित कर दिया और उसका विवाह उस कन्या से करवा दिया। तभी वहां तांत्रिक अपने शिष्यों के साथ माता के चरणों में गिर पड़ा। माता ने उसकी बुद्धि।

और? साधना के इस तरीके को स्वीकार किया। और कहा कि तू ने चतुराई से मेरी साधना करवाई है। इसलिए मैं तुझे सभी प्रेतों की सिद्धि प्रदान करती हूं। लेकिन निर्देशित करती हूं कि केवल जनमानस कल्याण हेतु ही तेरी शक्तियां काम करेंगी। अन्यथा वह नष्ट हो जाएंगी। यह स्थल प्रसिद्ध तांत्रिक स्थल बन जाएगा। अगर कोई इस स्थल पर गोपनीय तरीके से सिद्धियां प्राप्त करना चाहेगा तो उसे अवश्य ही प्रेतों सहित अन्य गोपनीय गुप्त सिद्धियां प्राप्त होंगी। भविष्य में यह स्थल दंतेश्वरी देवी के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध होगा।

इस प्रकार यह स्थान माता की प्रसिद्धि के कारण भविष्य में एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के रूप में समाज के सामने आया और माता दंतेश्वरी मंदिर के रूप में आज भी विराजमान है। अवश्य ही यहां जाकर आप माता की कृपा और तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त कर सकते हैं। तो यह थी माता दंतेश्वरी के स्थल की कथा अगर यह कथा आपको पसंद आई है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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