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दस्यू सुंदरी और जगन्नाथ डाकू कथा

दस्यू सुंदरी और जगन्नाथ डाकू कथा

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य पर आपका एक बार फिर से स्वागत है मठ और मंदिरों की कहानी में एक बार फिर से मैं आपके लिए एक नई कहानी लेकर आया हूं और आज की कहानी यह है कि ऐसे डाकुओं की जिनके बारे में प्रसिद्धि आज भी फैली हुई है और जो मंदिर है उसके बारे में काफी प्रसिद्ध है सबसे पहले उस मंदिर के बारे में जानेंगे लेकिन उस स्थान से जुड़ी हुई जो और भी घटनाएं हैं जिनके बारे में लोग नहीं जानते हैं उसके बारे में जो दंत कथाएं हैं और पूरी तरह से खो चुकी है उनके बारे में भी हम आज जानेंगे इस कथा के माध्यम से तो सबसे पहले जानते हैं कि मैं किस स्थान की बात कर रहा हूं और वहां से जुड़ी हुई कौन सी घटना है आपको पता ही होगा कि डाकुओं के बहुत सारे मंदिर रहे हैं पुराने जमाने में और डाकू लोग भी मां भगवती की भिन्न-भिन्न प्रकार से पूजा किया करते थे और उनसे जुड़ी हुई बहुत सी चमत्कारिक घटनाएं उनके साथ हुआ करती थी ऐसा ही एक मंदिर है जिसमें नारियल चुनरी और पेड़े इस तरह के प्रशादो को नहीं चढ़ाया जाता बल्कि माता की प्रसन्नता के लिए वहां पर हथकड़िया और बेड़िया चढ़ाकर मां का आशीर्वाद लिया जाता है यह स्थान है राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में वहां पर मां का एक अद्भुत मंदिर है

जिनको हम लोग दिवाक माता के मंदिर से जानते हैं यह स्थान राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले की जोलर ग्राम पंचायत में स्थापित है और यह बहुत ही प्रसिद्ध वहां का एक मंदिर है मंदिर की जो स्थापना की गई उसके बारे में एक कहानी कही जाती है कि यहां पर दूर-दूर से बहुत से डाकू यहां पर पूजा करने के लिए आया करते थे और देवी मां की पूजा किया करते थे और कहते थे कि मां हमें किसी भी प्रकार से हम पकड़े नहीं गए तो आपकी सेवा में हम लोग आकर के हथकड़ियां चढ़ाएंगे और इसीलिए हथकड़ी चढ़ाने की परंपरा यहां पर चल पड़ी इसीलिए यह स्थान बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध होता चला गया और इस समय यह बहुत ही ज्यादा प्रसिद्धि पा चुका है वहां पर काफी 200 साल पुराना यह मंदिर है और कहते हैं

श्रद्धालु त्रिशूल हथकड़ियां और बेड़िया वगैहा चढ़ाते हैं और इसके अलावा जिन लोगों के परिवार पर कानूनी कार्यवाही वगैरह भी चल रही होती है वह लोग भी यहां पर आ कर के अपनी माता के सामने प्रार्थना करते हैं और मां उनकी झोली अवश्य भरती है और मैंने जैसा आपको बताया कि कोई भी जो स्थान है वहां पर मंदिर यूं ही नहीं बन जाता है मंदिर तभी बनता है जब वहां से कोई जुड़ी घटना उससे पहले हुई होती है या फिर वहां पर ऐसा कोई विशेष पूजा या कोई ऐसा कोई कार्य हुआ होता है जिसकी वजह से जगह बाद में प्रसिद्ध हो जाती है और धीरे-धीरे करके विचार किसी मनुष्य के मन में आता है और स्थाई लोगों के संयोग से वहां पर मंदिर बना दिया जाता है

इसीलिए प्राचीन रहस्यमई कहानियां उन मंदिरों के बारे में जो मंदिर बने आज हैं लेकिन उनकी पृष्ठभूमि बहुत पहले ही लिखी जा चुकी है इस स्थान से भी जुड़ी हुई एक कहानी मैं आज आप लोगों के लिए लेकर आया हूं और यह बहुत ही प्रसिद्ध स्थान इस समय है अब जानते हैं उस कहानी के बारे में की क्या उस कहानी के बारे में वर्णन आता है किस प्रकार से यहां की कथा है तो कहते हैं कि यहां पर एक बार भीमा नाम का एक डाकू था वह आया मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने लगा मंदिर के पास पहुंच करके मंदिर के अंदर जब उसने प्रवेश किया यह काफी समय पहले की बात है वह अंदर जाकर के मां के दर्शन करने लगा तभी वहां पर उसे एक सोने की बेड़ी पढ़ी हुई छोटी सी दिखाई पड़ीजिसे देख कर के वह आश्चर्यचकित हो गया

उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर कोई सोने की बेड़ी यहां पर चढ़ाकर क्यों जाएगा लेकिन चुकि वह डाकू था इसलिए उसके मन में एक विचार आया कि क्यों ना मैं बेड़ी को उठा कर के लेकर चला जाऊं और बाद में इसे बेचकर और भी ज्यादा धन कम आ सकूंगा इसलिए उसने वहां से बेड़ी जो थी उसने वहां से उठा लिया और उसे लेकर के मंदिर से बाहर आ गया तभी आकाश में उसने तेज चमक देखी चमकता है उस चमक का असर ऐसा हुआ कि भीमा कुछ मदहोश सा होने लगा वह कुछ दूर आगे बढ़ गया आगे बढ़ता गया बढ़ता गया और अचानक से एक स्थान पर जाकर के जमीन पर गिर गया

क्योंकि वहां पर काफी भीषण जंगल था काफी बड़ा जंगल था ऐसा स्थान बहुत ही दुर्लभ होता है और उस जमाने में जिस जमाने में यह कहानी घटित हुई होगी आस पास कुछ भी नहीं था इसलिए तुरंत ही गिरने के कारण वह बेहोश हो गया और जब उसे अचानक से उसे ऐसा महसूस हुआ कि कोई स्त्री है जिसकी गोदी में उसका सिर है वह स्त्री के बाल उसके चेहरे पर आ रहे थे वह उसे महसूस कर पा रहा था लेकिन वह ऐसी अवस्था में था जिसे बेहोशी की अवस्था कहते हैं इसलिए वह कुछ समझ नहीं पा रहा था तभी उस स्त्री ने उसके गाल पर चार पांच जगह चुमा और एक मधुर मुस्कान उसे दी उसके दिव्य चेहरे को देखकर वह बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हो गया उसके अंदर एक ऐसी भावना और ऐसा प्यार उमडा जैसे कि वह उसी के लिए जीवित है यह कौन है यह जानने की उसने कोशिश की तभी उसे होश आ गया उसने चारों तरफ देखा

वहां पर कोई नहीं था उसके सिर पर चोट लगी हुई थी लेकिन वह पीछे ठीक हो चुकी थी इससे उसे शक हुआ कि कोई ना कोई अवश्य था जो यहां आया था कौन है वह स्त्री जिस स्त्री के कारण उसके सिर पर चोट लगी और उसने अपने प्यार से उस चोट को ठीक भी कर दिया जो चमक देखी थी वह क्या थी और आखिर उसने उसके चेहरे का चुंबन क्यों लिया उसके चुंबन से उसे प्यार की एक महक सी आई उसे ऐसा लगा कि जैसे वह उसी के लिए जिंदा है क्या वह उसकी जीवन साथी है क्या मैं उसे प्रेम करती है इसी उधेड़बुन में वह इधर-उधर भटकने लगा तभी वहां कुछ दूर आगे जाते हुए एक साधु से तपस्या करते हुए मिला साधु के पास जाकर के उसने उन्हें प्रणाम किया

और उन्हें वह सोने की जंजीर दिखाई और कहा कि बाबा कुछ आप बता सकते हैं कि जंजीर से जुड़े कोई बात कोई रहस्य या कोई ऐसी चीज ऐसी घटना जो मेरी आंखों से ओझल है और मैं जान नहीं पा रहा हूं मैं बहुत बड़ी उधेड़बुन में फंस गया हूं सोने की तो क्या बात मेरा मन यह कहता है कि अगर मेरे पास सारी दुनिया की भी दौलत हो तो कुछ पल पहले जो मेरे साथ घटित हुआ है वह सब का सब मैं उसे दे दूं बाबा ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा और कहा डाकू लगते हो इस पर भीमा डाकू ने कहा हां बाबा मैं हूं तो एक डाकू ही और इधर से मां की महिमा सुनकर उनके दर्शनों के लिए यहां आया था लेकिन मंदिर में मैंने सोने की जंजीर यह बेड़ी पड़े हुए देखा अब मुझे कुछ समझ में नहीं आया तभी जब मैं मंदिर से बाहर निकला तो मैंने आकाश में एक चमक देखी उसके बाद मैं मदहोश होने लगा और एक जगह पर गिर गया उसके बाद मैंने अपने ऊपर किसी स्त्री का स्पर्श महसूस किया जिसने मेरे चेहरे का चुंबन लिया वह कौन है

मैं उसे जानना चाहता हूं उसके लिए मेरे दिल में इतनी अधिक बेचैनी क्यों हो रही है मैं उसे पाने के मन में ख्वाब को क्यों देख रहा हूं कौन है वह क्या आप मुझे कुछ बता सकते हैं आप तो सिद्ध और साधक पुरुष है कृपया मुझे कोई मार्ग बताइए यह क्या जो मैंने देखा वह मेरे मन का भ्रम था या कोई मायाजाल आप ही मेरी दुविधा का अंत कर सकते हैं साधु ने कहा मेरे पास कुछ सिद्धियां है चलो तुम्हारे लिए मैं उनका प्रयोग करता हूं आओ मेरे सामने बैठ जाओ और वह वहां पर बैठ गया कहां मेरे साथ ध्यान लगाओ मैं तुम्हारे सिर पर अपना हाथ रख लूंगा और तब तक उठना नहीं जब तक कि अगले दिन की सुबह ना हो जाए तब तक मेरे साथ आंखें बंद करके इसी तरह तुम बैठे रहना उसकी बात को मान करके भीमा डाकू ने कहा ठीक है उसे पाने के लिए चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े मैं सब कुछ करने को तैयार हूं और उस साधु ने उसके सिर पर हाथ रखा और स्वयं साधना में चला गया साथ ही साथ भीमा भी उनके साथ बैठकर योग साधना करने लगा

दोनों बैठकर योग साधना करने लगे इस प्रकार कुछ घंटे बीते और रात्रि के तीसरे और चौथे पहर में अचानक से ही जो दृश्य दिखाई दिए भीमा को भीमा ने कहा लगता है मैं किसी और ही जीवन में प्रवेश कर रहा हूं और जो उसे दिखने वाला था वह एक पूरी की पूरी कहानी थी भीमा देखता है कि वह और उसके बहुत सारे साथी आपस में योजना बना रहे हैं वह कह रहे हैं कि मंदिर में राजकुमारी आएंगी उनके साथ में बहुत सारा सोना चांदी जवाहरात चढ़ाने के लिए माता को आ रहा है हमें जाना चाहिए और उस स्थान से उस सोने-चांदी को चुरा लेना चाहिए यह बात वहां पर स्थित डाकू जो डाकुओं का सरदार था जगन्नाथ डाकू के नाम से प्रसिद्ध था अपने साथियों से कहता है

ऐसा मौका दोबारा नहीं आएगा राज्य की राजकुमारी आज इस मंदिर के दर्शन के लिए आई हुई है और वह बहुत सारा सोना चांदी भी चढ़ाने जा रही है हम लोगों को जाकर के सिर्फ वहां पर छुप जाना है और राजकुमारी से सारा सोना चांदी लूट लेना है इतना अधिक सोना चांदी इतनी आसानी से और कहीं से हमें नहीं मिल सकता जगन्नाथ डाकू और उसके साथी सभी जितने भी डाकू सरदार थे वह सारे के सारे इस बात के लिए तैयार हो जाते हैं और मंदिर के बाहर घूमने लगते हैं तभी उन्हें वेरी की आवाज सुनाई पड़ती है जो राजकुमारी के आगमन का प्रतीक थी राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ और कुछ दो चार सैनिकों के साथ उस स्थान के लिए भ्रमण पर निकली थी और मां को सोना चांदी चढ़ाने वाली थी सभी डाकू छिप जाते हैं और पूजा करने के लिए राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ मंदिर में प्रवेश कर जाती है माता को वह बहुत सारी लाई हुई सोने की भिन्न भिन्न प्रकार की वस्तुएं अर्पित करती है और उनके चरणों में रखती है

तभी डाकू लोग वहां पर अंदर प्रवेश करके हमला कर देते हैं और सैनिकों को मार मार कर के बेहोश कर देते हैं अब केवल राजकुमारी और उनकी सहेलियां वहां पर थी सभी घबरा जाती हैं डाकू के साथ में स्थित बहुत सारे जितने भी डाकू थे सभी कहने लगते हैं आज तो धन के साथ में सुंदर स्त्रियां भी प्राप्त हो गई है क्यों नहीं है उठाकर ले जाया जाए और अपनी जीवन सखियां बना लिया जाए ऐसी सुंदर स्त्रियां भला बार बार देखने को कहा मिलेगी जगन्नाथ डाकू कुछ नहीं बोला तभी उनमें से एक राजकुमारी की ओर बढ़ा जगन्नाथ डाकू ने उसे घुसा मार कर पीछे कर दिया और कहां कि किसी भी स्त्री कि किसी भी प्रकार से मंदिर के अंदर तुम भेजती नहीं कर सकते याद रखो यह माता का मंदिर है और हम भी इनके उपासक हैं हालांकि हम जानते हैं की मां को सोने-चांदी गहने से क्या लाभ और यह सारा सोना चांदी हम लेकर चोरी कर ले जाने वाले हैं

लेकिन किसी भी स्त्री की कोई भी बेज्जती इस मंदिर के अंदर नहीं की जाएगी और वह सभी अपने डाकुओं को चेतावनी दे देता है लेकिन डाकू उसकी बात को उस तरह से नहीं लेते हैं और लड़कियों को खींच कर मंदिर से बाहर लेकर चले जाते हैं अब वहां पर केवल राजकुमारी बचती है वह डाकू के पैरों में गिर जाती है जगन्नाथ डाकू से कहने लगती है आप मुझे छोड़ दीजिए चाहे तो जितना भी सोना चांदी मैं लेकर आई हूं वह सब आप ले लीजिए जगन्नाथ डाकू कहता है ठीक है वह तो मैं लेकर जाऊंगा ही मैं तुम्हें छोड़ देता हूं मैं इतना भी बुरा नहीं हूं

कि मैं किसी स्त्री की मर्जी के बिना उसे प्राप्त करूं मेरे साथी लोग तुम्हारे साथ आई जितनी भी तुम्हारी सेविकाए हैं उन्हें अपनी पत्नियां बनाकर यहां से उठा कर ले जा रहे हैं उनको वैसे भी सदैव नौकरानी ही बने रहना था इसलिए अब उनकी पत्नियां होंगी इसलिए वह उन्हें लेकर जा रहे हैं लेकिन आपको मैं नहीं प्राप्त कर सकता क्योंकि यह करना उचित भी नहीं है क्योंकि आप एक राज्य की राजकुमारी है आप लाल झंडा लेकर के कुछ ही दूरी पर उत्तर दिशा की ओर जाइएगा और उसे हिला दीजिएगा आपके राज्य के सैनिक आपको लेने के लिए आ जाएंगे उनकी बात को सुनकर के राजकुमारी उन्हें प्रणाम करती है और वही मंदिर में मंदिर से चुपचाप बैठ जाती है डाकू बाहर लड़कियों के साथ छेड़खानी या करने लगते हैं जगन्नाथ एक बार फिर से उन्हें जाकर के भयभीत करता है और डांटता है और कहता है कि किसी भी प्रकार से किसी भी स्त्री की बेज्जती नहीं की जाए डाकू कहते हैं अरे जा आठ प्रकार के प्रशस्त विवाह है

इसमें राक्षस विवाह और पिशाच विवाह भी शामिल है हम चाहे तो राक्षस विवाह करके इन्हें अपने साथ ले जाए या फिर इस पिशाच विवाह करके इनका बलात्कार करने के बाद अपनी पत्नी बना ले जगन्नाथ डाकू कहता है तुम सबका मन कितना मलीन है मंदिर में आकर के भी तुम्हारे मन में कितना पाप भरा हुआ है अगर तुम्हें इन्हें इज्जत से पत्नियां बनाना है तो अभी इन्हें छोड़ दो वरना मेरा सामना करो जगन्नाथ डाकू की बात सुनकर के सभी को क्रोध आ जाता है यह काल का ही प्रभाव था कि अचानक से उन डाकुओं ने जगन्नाथ पर हमला करना शुरू कर दिया जगन्नाथ और उन सब डाकुओं के बीच भयंकर युद्ध शुरू हो गया जगन्नाथ डाकू तलवार बाजी में बहुत ही अच्छा था वह काफी देर उनसे लड़ता रहा लेकिन उन से घायल हो जाने की वजह से उसके शरीर से रक्त की धाराएं बहने लगी कई जगह से उसके शरीर में बड़े बड़े घाव हो गए थे जगन्नाथ अपनी जान बचाने के लिए एक और भागा उधर अंदर छिपी राजकुमारी चुपचाप वहां से निकलकर उत्तर दिशा की ओर प्रस्थान कर गई थी इधर जगन्नाथ भागता हुआ एक और जाने लगा डाकू उसे ढूंढने लगे आगे क्या हुआ हम लोग जानेंगे –

दस्यू सुंदरी और जगन्नाथ डाकू कथा 2

नमस्कार दोस्तों धर्म जैसे पर आपका एक बार फिर से स्वागत है जैसा कि हमारी कहानी चल ही रही है आपने जाना कि किस प्रकार से एक डाकू जिसका नाम भीमा था वह अपने अद्भुत चमत्कारिक स्वरूप से नाकाफी था यानी कि वह नहीं जान पा रहा था कि आखिर उसके साथ इस तरह की घटनाएं क्यों रही है वह एक बाबा के पास जाता है और उनसे पूछता है कि इस संबंध में अगर आप कुछ बता सके वह उनसे इस प्रकार पूछने पर विशेष तरह का प्रयोग किया जाता है जिसमें वह उसके सिर पर हाथ रख के साधना शक्तियों के माध्यम से उसके पूर्व जन्म में ले जाने की कोशिश करते हैं तब उन्हें पता चलता है कि वह एक जगन्नाथ नाम का डाकू था जो राजकुमारी की रक्षा के लिए घायल हो जाता है और अपने डाकुओं से रक्षा के लिए इधर-उधर भागता है

अब जानते हैं कि आगे क्या हुआ जगन्नाथ डाकू अपनी स्थिति से बहुत ही ज्यादा परेशान हो चुका था उसको लग रहा था कि अब उसके साथी डाकू उसे जान से मार देंगे क्योंकि वह एक राजकुमारी के लिए और इन अन्य स्त्रियों के लिए अपने ही डाकू साथियों से लड़ा है उनसे लड़ने के कारण अब उसके सामने परिस्थितियां बदल चुकी थी वह झाड़ियों में इधर-उधर भागने की कोशिश कर रहा था लेकिन निशानदेही देता चला जा रहा था उसके शरीर से गिरने वाला रक्त एक पहचान बनाता चला जा रहा था जिसके कारण डाकू उसके पीछे लगे हुए थे जगन्नाथ को यह विश्वास हो चुका था कि वह ज्यादा देर नहीं बचेगा क्योंकि उसके शरीर से गिरता हुआ जहां उसे कमजोर कर रहा है

वही उसके साथी उसके पीछे उसकी पहचान पर चलते हुए चले आ रहे हैं क्योंकि रक्त की बूंदे पत्तियों और फूलों पर लग रही थी जिन्हें देखकर के पीछे से डाकू समझ जा रहे थे कि जगन्नाथ किस दिशा की ओर बढ़ रहा है आखिरकार जगन्नाथ एक स्थान पर बैठ गया और अपनी मृत्यु का इंतजार करने लगा उसने प्रार्थना की की माता अगर मैंने आपकी भक्ति की है तो मुझे बचा लीजिए आज मैंने पहली बार किसी अच्छे कार्य के लिए अपना सर्वस्व अर्पण किया लेकिन जिसका प्रतिफल मुझे बुरे के रूप में मिल रहा है

यही कहते कहते अचानक से वह बेहोश हो गया उसके शरीर से बहती हुई रक्त की धारा पास ही पड़ी एक बामबी के पास चली जाती है बामबी के अंदर उसका रक्त प्रवेश कर जाता है अचानक से वहां पर हलचल मचती है चारों ओर के पशु पक्षी इधर-उधर भागने लगते हैं बामबी के अंदर रक्त जाना किसी विशेष प्रभाव को दर्शाता था जिस पेड़ के नीचे वह  बैठा हुआ था उसी के बगल में एक बामबी बनी हुई थी बामबी काफी पुरानी थी उस बामबी के नजदीक बैठे हुए जगन्नाथ को यह पता नहीं चला था और वह बेहोश हो चुका था क्योंकि उसके शरीर से रक्त की मात्रा लगातार निकलती चली जा रही थी धीरे-धीरे करके जब रक्त की धारा तेजी से बामबी में जाने लगी तो वहां पर हलचल मच गई उस हलचल का प्रभाव वहां के वातावरण मैं दिख रहा था

चारों ओर का वातावरण बदलने लगा हल्की हवाएं अब तेज चलने लगी थी चारों ओर का वातावरण बारिश के माहौल जैसा बनने लगा था बादल घिर आए थे और हल्का हल्का अंधेरा होने लगा था अभी तक जो डाकू रक्त का पीछा करते हुए आसानी से पत्तियों पर लगे खून को देख पा रहे थे अबे उन्हें दिखना बंद हो गया था कारण था आकाश में बादलों का घिराना काले बादलों के घिर जाने की वजह से कुछ भी दिखना ढंग से संभव नहीं हो पा रहा था डाकू सभी एक दूसरे से बातें करने लगे और कहने लगे कि अब शायद उसे ढूंढना मुश्किल होगा क्योंकि अंधेरा काफी तेजी से बड़ रहा है इस अंधेरे के कारण कुछ भी नजर नहीं आ रहा है सभी के सभी इस बात से सहमत थे

कि अब उन्हें जगन्नाथ के पीछे नहीं जाना चाहिए बल्कि अपना बचा कुचा जितना भी धन संपदा है उसे लेकर के निकल जाना चाहिए वहां पर जो स्त्रियां बंधी हुई थी उस अंधेरे की वजह से वह भी फायदा उठाकर वहां से भाग ली इस दौरान अचानक से वहां पर जिस बांबी के पास में जगन्नाथ का शरीर था वह बांबी अचानक से फट जाती है और उसके अंदर से एक अत्यंत ही सुंदर प्रकाशवान श्वेत वस्त्र धारणी एक कन्या स्त्री चौथी वहां पर प्रकट होती है अद्भुत सुंदर वह स्त्री चारों ओर अपने नैनों से उस चारों ओर के वातावरण को देखती है फिर अंगड़ाई लेते हुए हवा का आनंद लेते हुए इधर-उधर देखने लगती है तभी उसकी नजर पास ही पड़े जगन्नाथ डाकू के शरीर पर पड़ती है उसे देखकर वह समझ जाती है कि ज्यादा समय इस व्यक्ति के पास नहीं है

लेकिन ध्यान से देखने पर उसे पता चलता है कि वह उसके शरीर से बहता हुआ रक्त ही इस बामबी में आया था इस वजह से उसे देखकर वह मुस्कुराने लगती है उसको सहारा देकर उठाने की कोशिश करती है लेकिन जगन्नाथ पूरी तरह से बेहोश होता है वह तुरंत ही वहां पर बैठ जाती है और उसके शरीर को अपनी गोद में ले लेती है उसके मस्तक पर अपनी तीन उंगलियां रखती है और कुछ बुद बुदाती है वह शायद किसी तरह के मंत्र थे उन मंत्रों के जाप के कारण से अचानक से ही तेजी से जगन्नाथ को होश आता है जगन्नाथ अपने सिर पर एक सुंदर स्त्री का चेहरा देखता है लेकिन रक्त के ज्यादा बह जाने के कारण सिर्फ उसके चेहरे को कुछ क्षण देखने के बाद फिर से उसकी आंखें बंद हो जाती है यह देख कर के वह सुंदर स्त्री उसकी अवस्था को समझ जाती है

और तुरंत ही उसके सारे कपड़ों को फाड़ देती है जिस जिस अंग में जहां-जहां उसे घाव थे उन उन स्थानों को अपने सुंदर हाथों से स्पर्श करती है उसके स्पर्श मात्र से उस जगह के घाव भर जाता है धीरे-धीरे करके शरीर के सारे घाव अति तीव्रता से भागने लगते हैं और कुछ ही क्षणों में शरीर पर जितने भी घाव थे वह सारे के सारे भर जाते हैं अब उसके बाद वहां पर तीव्र बारिश शुरू हो जाती है इसके बाद अचानक से वह स्त्री उस डाकू जगन्नाथ की शरीर के साथ वहां बैठी बैठी अदृश्य हो जाती है इधर राजकुमारी उत्तर दिशा की ओर पहुंच करके एक ऊंचे टीले पर खड़े होकर के जिस संकेत को जगन्नाथ डाकू ने बताया था

उसी अनुसार वह वैसा ही करती है उसके संकेत को उसके राजधानी के बाहर रहने वाले राजा के सैनिकों की एक टोली समझ लेती है और तीव्रता से नगाड़ा बजा करके उस और दौड़ जाती है सैनिकों की एक पूरी टुकड़ी तेजी से उस और दौड़ती है उन्हें यह यकीन था कि कोई राज महल का ही कोई व्यक्ति इस तरह का संकेत दे सकता है सभी लोग दौड़ते हुए वहां पर पहुंचते हैं और राजकुमारी को देखकर आश्चर्यचकित में पड़ जाते हैं राजकुमारी को सुरक्षित राजमहल पहुंचाया जाता है और यह खबर चारों ओर फैल जाती है की राजकुमारी के प्राण किसी डाकू ने ही बचाए अन्य डाकू ने उन्हें लूट लिया है राजकुमारी अपने पिता से कह कर के यह आदेश करवाती है कि उस डाकू को किसी भी प्रकार से बचा लिया जाए

सैनिक जंगल में ढूंढे और पता लगाएं कि वह डाकू कहां गया है और कहीं पर भी वह मिलता है वह घायल अवस्था में ही होगा क्योंकि उसे बहुत ज्यादा घायल कर दिया गया था तुरंत ही उसे उपचार कराया जाए इसीलिए सैनिकों की टुकड़ी के साथ में वैद्ययों की एक टोली भी साथ ही साथ चल रही थी जंगल में चारों और खोजने पर रक्त की बूंदे तो उन्हें दिखाई देती है लेकिन कहीं पर भी जगन्नाथ डाकू का शरीर उन्हें नहीं मिलता है सभी लोग यह अनुमान लगाते हैं कि अवश्य ही किसी जंगली जानवर में जगन्नाथ डाकू को अपना शिकार बना लिया होगा अन्यथा उसका शरीर अवश्य ही मिल जाता क्योंकि खून हर जगह बिखरा पड़ा हुआ था

और कई जगह कई पत्तों पर और पेड़ों पर उसका खून लगा हुआ था लेकिन उसके बावजूद भी जगन्नाथ डाकू के शरीर का कहीं भी अता पता नहीं था सैनिकों की एक टुकड़ी इस कार्य के लिए लगा दी जाती है कि वह पता लगाए की डाकू लोग अपना सारा धन किस और लेकर गए हैं क्योंकि राजकुमारी की दासिया बचकर निकल आई थी उन्होंने संकेत दिया था कि विशेष दिशा की ओर जहां पर डाकू अपने धन को लेकर गए होंगे इधर एक कुटिया में जगन्नाथ को होश आता है वह देखता है कि वह कहां पर स्थित है वह कुछ समझ नहीं पाता है और पता लगाने की कोशिश करता है कि आखिर वह है कहां वह उठकर चारों ओर जाता है लेकिन वहां कोई नहीं था वह इधर-उधर घूमता है उसके शरीर में ताकत नहीं थी थोड़ा बहुत इधर उधर जाने के बाद फिर से उसी कुटिया में वापस आ जाता है और एक बार फिर से उसे बेहोशी छाने लगती है

कि वह एक और लुढ़क ने की जैसे ही वह गिरने वाला होता है एक सुंदर सी स्त्री आ कर के उसे अपनी बाहों में लेकर उसे गिरने से बचा लेती है जगन्नाथ वही चेहरा देखता है जब उसने पहली बार आंखें खुली थी यह कौन थी तुरंत ही वह उस स्त्री से पूछता है कि आप कौन हैं और आपने मुझे जंगल में से कैसे बचाया वह कहती है इन सब बातों की ओर ध्यान मत दो मैं सब कुछ तुम्हें बता दूंगी पर पहले आप विश्राम करो और उसे वहां पर घास के बने हुए एक बिस्तर पर लिटा देती है घास के बने हुए बिस्तर पर लेटते ही जगन्नाथ डाकू उसकी ओर देखता है

और कहता है मुझे बहुत भूख लग रही है शरीर कमजोर हो चुका है सुंदरी मुस्कुराते हुए कहती है एक क्षण रुकिए में अभी आपके लिए भोजन लेकर आती हूं वह एक और जाती है और वहां से एक कटोरा ले आती है वह कटोरे को बंद करके रखी हुई थी और उसके सामने कहती है कि इस कटोरे से भोजन करते रहिए मुझे अभी जाना होगा जगन्नाथ डाकू ने कहा इस कटोरे में भला कितना मैं भोजन कर पाऊंगा दो बहने लगती है और कहती है कि यह जो भोजन का कटोरा मैं आपको देकर जा रही हूं यह चमत्कारिक है आप इसे खोले बिना इसके अंदर हाथ डालकर के जो भी भोजन करना चाहते हैं वह करते रहिएगा जो इच्छा हो जितना चाहिए

यह कटोरा आपको देता रहेगा पर ध्यान रखिए आप इसे खोले पूरा नहीं अगर आपने इसे पूरा खोल दिया तो जितना आप देख पाएंगे उतना ही आ पाएंगे इसलिए इसे साइड से बंद करके रखें और इसमें अपनी उंगलियां डालते रहे भोजन के रूप में जो भी खाना चाहे वह अंदर उंगलियां डालकर खाते रहें यह सुनकर जगन्नाथ को आश्चर्य होता है और इसी के साथ में वह सुंदरी वहां से विदा ले लेती है जगन्नाथ को कोई बात समझ में नहीं आती है लेकिन उसके कहे अनुसार वह कटोरे को किनारे से खोलकर उसके अंदर उंगलियां डालता है और आकांक्षा करता है कि वह खीर खाए जैसे ही वह अपनी उंगलियां बाहर निकालता है तो उसके अंदर काफी मात्रा में खीर होती है और वह खीर खाते रहता है इसी प्रकार वह मुंह में ले जा ले जा करके उसे खाता रहता है

इसके बाद उसके मन में अचानक से विचार आता है क्यों ना मैं किसी फल को खाऊं वह जिस फल के बारे में सोचता है उस फल को उस कटोरे से निकाल लेता है और खाने लगता है यह देख कर के आश्चर्य में पड़ जाता है कि ऐसा चमत्कारी कटोरा आखिर स्त्री के पास आया कहां से यह स्त्री कौन है जो रहस्यमई बनी हुई है इसने मुझे जंगल में भी बचाया मेरे घावो को भी भर दिया और अब ऐसा कटोरा देकर गई है जिस कटोरे से मुझे जो भी खाना होता है मैं सिर्फ सोचता हूं और उसे खा लेता हूं क्या मैं कटोरा खुलकर देखूं और वह कटोरा खोल कर देख लेता है उस कटोरे के अंदर जिस भोजन को वह कर रहा था वही केवल पड़ा था और उसे खाने के बाद दोबारा जब वह नए भोजन के बारे में सोचता है

तो फिर उसके अंदर और कुछ भी नजर नहीं आता और वह कुछ भी नहीं खा पाता है वह समझ जाता है कि यह कटोरा निश्चित रूप से चमत्कारिक है और इस कटोरे को बनाने वाली वह स्त्री चमत्कारिक है वह कोई जादूगरनी है जो मेरी मदद के लिए आई हुई है इसलिए मुझे कटोरा बंद करके ही खाना होगा वह कटोरा बंद करके एक किनारेे रख देता है और इंतजार करने लगता है कि वह कब वापस आएगी तभी चारों ओर से डाकूओ की एक फौज वहां पर आ जाती है जो लोग एक बार फिर से उसकी ओर तेजी से हमला करने के लिए बढ़ते हैं चारों ओर से जगन्नाथ डाकू घिर चुका था सब ने उस पर तलवारे धनुष बाणे तान दिए थे और उसका वध करने के लिए तैयार थे आगे क्या हुआ हम लोग जानेंगे अगले भाग में-

दस्यू सुंदरी और जगन्नाथ डाकू कथा 3

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य पर आपका एक बार फिर से स्वागत है हमारी कहानी दस्यु सुंदरी जगन्नाथ डाकू की कहानी चल रही है पहले भाग और दूसरे भाग में आपने जाना यह किस प्रकार से एक डाकू जिसका नाम भीमा है उसको एक कड़ी मिलती है जिसकी वजह से उस कड़ी के कारण आकाश में चमक दिखाई पड़ती है इसका रहस्य जानने के लिए वह एक साधु के पास जाता है और साधु अपनी सिद्धि के द्वारा उसके पूर्व जन्म की ओर ले कर चला जाता है जहां उसे एक अलग ही दृश्य नजर आते हैं और एक डाकू के ही रूप में वह राजकुमारी की रक्षा करता है और लेकिन वह खुद घायल खो जाने पर उसकी रक्षा सुरक्षा के लिए वहां पर एक चमत्कारिक सुंदरी प्रकट हो जाती है

जो उसकी रक्षा करती है से अपनी कुटी में ले जाती है लेकिन वहां पर भी डाकू उस पर हमला कर देते हैं आप जानते हैं कि आगे क्या हुआ जगन्नाथ डाकू के बुरी तरह से सभी लोगों से घिरे होने के कारण अब जगन्नाथ को एक बार फिर से महसूस होने लगा अब उसकी जान का बचना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि यहां पर यह अकेला है उसके पास कोई अस्त्र-शस्त्र कुछ भी नहीं है और चारों तरफ से उसे डाकू ने घेरा हुआ है उनमें से कई सारे डाकू उसके पास आकर के बोले इससे पहले कि हम तेरी मृत्यु कर दे यानी कि तुझे मार डाले तू हमें वह बता कि वहां पर रखी हुई एक सोने की कढ़ी कहां पर है

जो महारानी ने भेंट की थी अब उसकी बात सुनकर के जगन्नाथ डाकू कहता है कि मुझे याद नहीं है आप लोग किसके बारे में बात कर रहे हैं तभी उनमें से कई डाकू बोलने लगे और कहते हैं अरे वही वह महारानी वह राजकुमारी जो राज महल से आई थी वह अपने साथ एक सोने की कड़ी भी लाई थी उस कड़ी में ही एक बहुत बड़ा हीरा लगा हुआ था उसी हीरे की कीमत बहुत ज्यादा है हम उसी कड़ी को ढूंढ रहे हैं मुझे पता है कि वह तेरे ही पास है क्योंकि राजकुमारी को भागने में तूने ही मदद की थी मुझे तुरंत बता नहीं तो हम तेरे को जान से मार देंगेइस पर जगन्नाथ कहता है कि मुझे उसके बारे में मालूम है लेकिन तुम लोगों को मैं ऐसे नहीं बता सकता सभी डाकू कहने लगते हैं

यह ऐसे नहीं बताएगा इसका एक हाथ और एक पैर काट दो और इसे बचाए भी रखो ताकि यह हमें वहां पर ले जा सके जगन्नाथ पूरी तरह से घबरा जाता है उसकी चाल कामयाब नहीं हो रही थी उसे तो याद भी नहीं था कि यह लोग किस कड़ी के बारे में बात कर रहे हैं लेकिन उसे समय चाहिए था इसलिए उनकी बात पर हां कह दिया जगन्नाथ में लेकिन डाकू उससे भी ज्यादा खतरनाक थे इसलिए उन्होंने उसे ऐसी बात कही की जिसकी वजह से उसे बताना ही पड़ जाए वह बात जगन्नाथ एक बार फिर से माता को याद करने लगा और कहने लगा मां आपने मेरी रक्षा की थी क्या आप दोबारा मेरी रक्षा नहीं करेंगी मैं असहाय पड़ा हुआ तभी वहां पर एक मुर्गा बहुत तेजी से दौड़ता हुआ आता है उस मुर्गे को देख कर के सभी डाकू आश्चर्यचकित हो जाते हैं मुर्गा प्रत्येक डाकू के चारों ओर दौड़ता हुआ इधर से उधर दौड़ रहा था

उसने सभी डाकुओं का ध्यान अपनी और खींच लिया था उसे देख कर के सभी के मन में भूख सी जागृत हो गई थी सभी डाकू चाहते थे मुर्गे को पकड़कर और उस मुर्गे को खाया जाए ऐसा रहस्य में मुर्गा चारों ओर दौड़ रहा था वह मुर्गा इधर से उधर उधर से इधर अटकेलियां करता हुआ बड़ा तेजी से जा रहा था तभी सभी डाकुओं का ध्यान उस मुर्गे की तरफ चला गया और सब के सब उसे दौड़ कर पकड़ने की कोशिश करने लगे यह सारे लोग बात भूल ही गए की जगन्नाथ डाकू उनके सामने है जगन्नाथ जी धीरे धीरे इधर-उधर बढ़ता रहा और कुटी से बाहर निकल कर के एक झाड़ी के पीछे जाकर के छुप गया क्योंकि वह अभी भी पूरी तरह से आस्वास्थ्य ही था शरीर में भोजन के कारण थोड़ी सी शक्तियां अवश्य ही आई थी

लेकिन उसके बावजूद भी उसके साथ बहुत ज्यादा समस्या थी मुर्गा इधर से उधर तो हो रहा था और सारे डाकू उसी के पीछे लगे हुए थे उस मुर्गे में ऐसा आकर्षण था जिसके कारण से वहां पर सभी डाकू मदहोश से हो गए थे सब के मुंह में लार आ रही थी सब उसे खाना चाहते थे ऐसा वशीकरण उस मुर्गे ने कर दिया था मुर्गा इधर से उधर दौड़ता रहा और डाकू उसके पीछे जाते रहे जगन्नाथ डाकू इधर माता को याद करने लगा और प्रार्थना करने लगा कि उसकी रक्षा करें क्योंकि वह ज्यादा दूर चल नहीं पाएगा जैसे ही डाकुओं का ध्यान मुर्गे से  हटेगा उसकी मृत्यु निश्चित ही है अभी इतना हुआ ही था कि मुर्गा दौड़ता हुआ एक झाड़ी के अंदर घुस गया

झाड़ी के पीछे की जगन्नाथ बैठा हुआ था जगन्नाथ इस बात से घबरा गया और सोचने लगा कि इस मुर्गे की वजह से अब डाकू उसे अवश्य ही पकड़ लेंगे और वह मुर्गा जाकर के जगन्नाथ के पैरों के पास बैठ गया जगन्नाथ ने उस मुर्गे को पकड़ लिया जैसे ही मुर्गे को पकड़ा तभी दूर खड़ी हुई वही स्त्री जिसने जगन्नाथ की 1 दिन पहले रक्षा की थी उसके सामने कुछ दूरी पर आती हुई नजर आई उसका चमत्कारिक सुंदरी शरीर से आती हुई खुशबू और शरीर से चमकता हुआ तेज अत्यंत ही गोरा मुंह और उसके शरीर से निकलती हुई रोशनी सी देखते ही जगन्नाथ एक बार फिर से आश्चर्यचकित रह गया उसे देख कर के वह कहने लगा

हे देवी आप दोबारा से आ गई है मेरी मदद कीजिए मैं चारों ओर से डाकुओं से घिरा हुआ हूं मेरी रक्षा कीजिए तभी वहां पर चारों और डाकू उस मुर्गे को ढूंढते हुए उसके पास आ गए सभी लोगों ने अर्थात डाकुओं ने उसे घेर लिया और कहा मुर्गा हमें दे दे वरना तेरे हाथ पाव तो काटेंगे ही साथ में तेरे कटे हुए शरीर को यही छोड़ जाएंगे जगन्नाथ कुछ बोलता है इससे पहले कि वह स्त्री बोल पड़ी और जगन्नाथ से कहा तुरंत ही अपने पास रखे हुए चाकू से इस मुर्गे के सिर को काट करके इसका खून मुझे अर्पित करो देर ना करो समय नहीं है अगर तुम अपने प्राणों की रक्षा चाहते हो तो ऐसा ही करो जगन्नाथ विस्मित सा हुआ उसने मुर्गे की गर्दन पकड़ी और चाकू से काट दिया तेजी से खून बहने लगा और उठाकर उसने उस खून को उस स्त्री को समर्पित कर दिया खून का गिरना ही था कि वहां पर चमत्कार घटित हो गया वह स्त्री भयानक रूप में बदल गई

तीन मुंह वाली लंबी लंबी जीभ निकालने वाली भयंकर स्त्री बनकर उसने चारों ओर सारे डाकुओं पर हमला कर दिया वह एक डाकू से लड़ती तो दूसरे डाकू से भी युद्ध करती तीसरे डाकू के पास जाकर के उस पर वार करती चौथे डाकू को मार डालती इस तरह इतनी तेजी से उसने वहां पर सब पर हमला किया कुछ ही देर में डाकुओं की लाशें बिछी थी यह सब देखकर जगन्नाथ एक बार फिर से आश्चर्यचकित रह गया उसने सोचा यह स्त्री सचमुच में कोई बहुत शक्तिशाली जादूगरनी है इतनी शक्ति किसी स्त्री में नहीं हो सकती जो क्षणभर में सारे डाकुओं को मार डाले तभी वहां पर दौड़ता हुआ

एक बार फिर से एक मुर्गा आया और एक बार फिर वह जगन्नाथ के पैरों के पास आकर बैठ गया जगन्नाथ में देर नहीं की और एक बार फिर से उस मुर्गे को पकड़कर के उसकी गर्दन काट दी और उस देवी की ओर उसके रक्त प्रवाह को अर्पित करते हुए कहने लगा हे देवी इस मुर्गे को भी मैं आपको अर्पित करता हूं भयंकर ठाहास करती हूं वह स्त्री विशालकाय रूप में आ गई और अपने विशाल का रूप में वहां पर सुंदर रूप बना करके खड़ी हो गई और कहने लगी आपने दो प्रतिज्ञा अपनी पूरी करी तीसरी प्रतिज्ञा मैं आपको बताऊंगी कि कब पूरी करनी है किंतु मैं आपसे प्रसन्न हो गई हूं मैं हूं दस्यु सुंदरी मैं दस्यु सुंदरी यक्ष लोग से यहां आई हूं

मुझे दस्यु सुंदरी रूप में एक ऋषि ने सिद्ध किया था और उसने मेरे यहां बैठ कर के जहां पर आप मंदिर देख रहे हैं वहीं पर माता की प्रार्थना करने के बाद मुझे सिद्ध करने के लिए वह बगल में ही बामबी के पास नजदीक बैठकर साधना किया करता था क्योंकि उसे यह विद्या मालूम थी के किस प्रकार से मुझे सिद्ध किया जाएगा बामबी के अंदर मेरा प्रवेश हो चुका था लेकिन अचानक से ही उस ऋषि की मृत्यु हो गई मैं नहीं जान पाई क्योंकि मैं धरती पर तो आ चुकी थी लेकिन धरती से बामबी के बाहर नहीं आ पाई उस ऋषि के साथ क्या हुआ

मुझे कुछ भी नहीं पता है लेकिन तो मुर्गे चढ़ाने के बाद तीसरा मुर्गा चढ़ाते ही मैं उसके वशीभूत हो जाऊंगी जो मुझे चढ़ आएगा मैंने आपको अपने प्रीतम के रूप में देख लिया है आप को मैं समय बताती हूं तब आप आने वाली अमावस्या को तीसरा मुर्गा चला दीजिएगा उसके बाद से ही सदैव मैं आपकी ही हो जाऊंगी आपसे ही प्रेम करूंगी और आपकी हर इच्छा का पालन भी करूंगी मुझे इसीलिए सिद्ध करके यहां बुलाया भी गया था उस ऋषि ने मुझे प्राप्त करने की कोशिश भी की थी लेकिन पता नहीं क्यों वह मृत्यु को प्राप्त हो गया और मैं तब से इस बामबी के अंदर बैठे इंतजार कर रही थी कि कोई तो अपना रक्त मुझे अर्पित करें जिससे मैं बाहर आ सकूं जिस दिन तुम घायल हो करके यहां तक पहुंचे

उस दिन तुम्हारे शरीर के रक्त का प्रवेश किस बांबी के अंदर हो गया और मुझे बाहर निकलने का मौका मिल गया अब मैं अपने स्वामी की सेवा करना चाहती हैं यानी कि तुम्हारी और मैं हूं दस्यु सुंदरी मुझे मुर्गों का रक्त बहुत पसंद है यह दोनों मुर्गे मेरे ही आकर्षण से यहां पर आए हैं और अपनी बलि देने के लिए स्वयं ही तैयार हो गए मुझे मुर्गों की बलि बहुत प्रसन्न है और यही मेरा भोजन भी है आप मुझे इसी का भोग लगाते रहिए और मैं आपकी हर एक इच्छा को पूरी करूंगी डाकुओं की तो क्या विषाद में कोई भी किसी की भी समर्थ नहीं है जो मेरी शक्ति के साथ यहां पर युद्ध कर सके इस प्रकार सारी बातें सुनकर के एक बार फिर से जगन्नाथ डाकू आश्चर्यचकित हो गया वह सोच रहे थे कि यह कौन है

इतनी अधिक शक्तिशाली स्त्री इधर राजकुमारी अपने राज्य ज्योतिषी से मिलने जाती है राज्य ज्योतिषी जो की तंत्र विद्या में पारंगत है और तंत्र शास्त्र में काफी निपुण है वहां पर यज्ञ हवन करते हुए नजर आते हैं राजकुमारी उनके पास जाती है और राज ज्योतिषी से मिलने के लिए आग्रह करती है राज्य ज्योतिषी अपने हवन पूरा करने के बाद में गुफा के दूसरे कोने में जाकर के एक पत्थर पर बैठ यानी शीला पर बैठ जाते हैं और राजकुमारी उनके सामने खड़ी हो जाती है उनसे कहती है की गुरुदेव आपकी आज्ञा अनुसार मैं उस मंदिर में गई मैंने सारा षड्यंत्र रचा मैंने ही अपने सैनिकों को भेज करके डाकुओं को इस बात के लिए इंगित करवाया की डाकू आए मैंने वह दिव्य बेड़ी भी वहां पर अर्पित की क्योंकि मैं जानती हूं

कि माता को बेड़ी पसंद है उन पर बेडियो में से एक बेड़ी में हीरा भी लगा था सारी चीजें मेरे ही अनुसार चल रही थी जैसा कि आपने कहा था अब यह सब आगे क्या करना है मुझे समझाइए राज ज्योतिषी हंसते हैं और कहते हैं तुम्हारी योजना सफल रही तो मैं जो सबसे शक्तिशाली डाकू चाहिए था उसमें से निकल कर जो डाकू आया वह डाकू डाकुओं का सरदार ही था जिसका नाम जगन्नाथ डाकू ही था वह दिल का साफ है और ऐसी ही शक्ति के माध्यम से हम वह कार्य कर सकते थे जो हम करने की सोच रहे थे अब आगे की बातें मुझ पर छोड़ दो और हां ध्यान रहे तुम्हें अपने नियंत्रण में किसी भी प्रकार से उस जगन्नाथ डाकू को ले लेना है

और इसी के साथ में बहुत कुछ ऐसा तुम प्राप्त करोगी जिसकी कल्पना भी तुमने नहीं की है इस प्रकार बहुत कुछ समझाने पर राजकुमारी सब कुछ समझ चुकी थी राज्य ज्योतिषी अपने सारे राज और गुप्त युक्तियां उसे बताते चले जा रहे थे उनके विभिन्न प्रकार के षडयंत्रो में एक अलग तरह का लक्ष्य शामिल था जिस लक्ष्य को वह दोनों प्राप्त करना चाहते हैं राज्य ज्योतिषी इस बात में बहुत निपुण था कुछ देर बाद राजकुमारी अपने महल की ओर लौट जाती है राज ज्योतिषी हवन करते हुए हंसता है और कहता है शायद सब कुछ प्राप्त करने के सामर्थ्य मुझ में आ जाएगी और वैसे भी यह बेचारी राजकुमारी तो सीधी साधी है मेरी बातों में पूरी तरह से आ ही गई है और यह कहते हुए वह बहुत ही आसानी के साथ में एक बंदर को हवन कुंड से प्रकट कर देता है

बंदर आकर खड़ा हो जाता है और बंदर कहता है कि महाराज मेरे लिए क्या आज्ञा है राज ज्योतिषी उसे समझाता है की जंगल में जाओ एक विशेष दिशा की ओर जहां पर कुछ चमकता हुआ सा नजर आए उसे उठा कर ले आना वह झोपड़ी में होगा और इस प्रकार से वह उस बंदर को आज्ञा दे दे बंदर बड़ी चतुराई के साथ में अपने पैरों पर खड़ा होकर के चलने लगता है वानर स्वरूप वाला वह बंदर कोई साधारण बंदर नहीं था वह मंत्र शक्ति से बना हुआ बंदर था जो अपने लक्ष्य को निश्चित रूप से प्राप्त कर लेता है वानर शक्ति के रूप में बना हुआ वह बंदर धीरे-धीरे करके उस जंगल में प्रवेश कर जाता है जिस जंगल में राजकुमारी गई हुई थी

और वह उस स्थान की ओर स्वता ही बढ़ता चला जाता है जहां पर जगन्नाथ उसकी स्त्री के साथ में रह रहा है डाकू दूर से ही उन चीजों को देख लेते हैं लेकिन रहस्य को नहीं समझ पाए जगन्नाथ ने बंदर को आते हुए तो देख लिया लेकिन वह यह नहीं जान पाया कि यह कोई साधारण बंदर नहीं है बल्कि एक मायावी बंदर है जिस जगह जगन्नाथ आराम कर रहा था उस कुटिया में जहां पर इस वक्त दस्यु सुंदरी मौजूद नहीं थी उसी की पास में बंदर आकर टहल रहा था

क्योंकि उसे जिस कार्य के लिए यहां भेजा गया था वह कार्य उसे करना था साथ ही साथ राजकुमारी अपने महल में आती है और अपने आपको आईने के सामने देख कर खुश हो जाती है और कहती है सब कुछ मुझे प्राप्त होगा और सारी चीजें मुझे प्राप्त हो जाएगी राज ज्योतिषी सोचते हैं कि मैं बहुत सीधी हूं पर उन्हें नहीं पता मैं क्या हूं आखिर राजकुमारी के मन में क्या चल रहा था राज ज्योतिषी ने क्या षड्यंत्र रचा था दस्यु  सुंदरी के मन में क्या था और जगन्नाथ डाकू और उस बंदर के साथ क्या हुआ यह सब कुछ जानेंगे हम अगले भाग में—

दस्यू सुंदरी और जगन्नाथ डाकू कथा 4

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य पर आपका एक बार फिर से स्वागत है दस्यु  सुंदरी और जगरनाथ डाकू कथा 3 अभी तक आप लोगों ने जान लिया अब यह भाग 4 है अभी तक आप लोगों ने संक्षेप में यह जाना कि किस प्रकार से भीमा नाम के डाकू जिसको एक अद्भुत अनुभव वहां पर बैठे एक गुरु जी कराते है जिसकी वजह से वह अपने पूर्व जन्म को जानता है जब वह जगन्नाथ डाकू था और वह एक राजकुमारी की रक्षा के लिए उसके साथ उसके जीवन में बहुत सी घटनाएं घटती है और अपनी रक्षा के लिए वह इधर-उधर भागता है

तब एक दस्यु सुंदरी नाम की शक्तिशाली यक्षिणी उसकी रक्षा सुरक्षा करती है और सिद्धि भी प्रदान करती है उसके कटोरे को लेने के लिए एक राज्य ज्योतिषी अपने एक चमत्कारिक बंदर को वहां पर भेजता है जोकि जगन्नाथ से कटोरा चुराने की कोशिश करता है आइए जानते हैं कि आगे क्या हुआ बंदर चारों तरफ घूमता है और घर का सारा मुआयना ले लेने के बाद इस बात की वह तैयारी करने लगा कि जब जगन्नाथ पूरी तरह से शांत पड़ जाए और हर प्रकार से वह सभी चीजों से मुक्त हो जगन्नाथ डाकू की सारी समस्याएं यक्षिणी ने दूर कर दी थी

उसने सभी डाकुओं को मार डाला था उसने अपने तंत्र मंत्र के जाल से सभी को विश्म्य कर दिया था उसके गायब होते ही असुरक्षित कटोरे को एक जगह पर रखकर छोड़कर जगन्नाथ अपने कार्यों में व्यस्त हो गया उसी दौरान चुपके से उस बंदर ने उस कटोरे को उठा लिया कटोरे को पकड़ते ही बंदर कांपने लगा क्योंकि उसके अंदर अद्भुत शक्ति मौजूद थी बंदर ने सोचा के अब किसी भी तरह से मुझे इस कटोरे को बहुत ही जल्दी अपने गुरु जी जिन्होंने उसकी उत्पत्ति की है उनके पास इस कटोरे को पहुंचाना होगा कांपते हुए हाथों से पकड़ते हुए

और शरीर में जलन महसूस करते हुए वह तेजी से पेड़ों के ऊपर कूदते हुए उस क्षेत्र की ओर जाने लगा जहां पर राज्य ज्योतिषी रहते थे और अपनी तांत्रिक क्रियाएं करते थे राज्य ज्योतिषी ने दूर से ही उसे देख लिया प्रसन्नता के साथ दूर से ही चमकता हुआ वह कटोरा हाथ में वह देख रहे थे धीरे से बंदर उसके पास पहुंचा और उनके चरणों में उस कटोरे को रख  दिया राज्य ज्योतिषी की आंखें चमक उठी उन्होंने जब कटोरे को देखा तो आश्चर्य से चकित हो गए और कहने लगे संसार में पहला ऐसा कटोरा में देख रहा हूं जो चमत्कारों से परिपूर्ण है यह कटोरा अद्भुत है

और योजना भी पूरी तरह से कामयाब होती चली जा रही है इसके बाद फिर वह हवन और यज्ञ करने बैठ गए उन्होंने अभिमंत्रित किया उस कटोरे को और कटोरे से अद्भुत शक्तियां प्रकट होने लगी जो भी भोजन सामग्री की चीजें वह उस कटोरे ऊपर मन में इच्छा अनुसार कहते वह सब कुछ अंतरिक्ष में वह प्रकट कर देते फिर वह उसे अपने हाथ में लेकर भोजन करते फिर वह अद्भुत स्वाद का आनंद लेते बहुत ही ज्यादा खुश हो जाने पर राज्य ज्योतिषी विशेष प्रकार के तंत्र मंत्र प्रयोगों का उस पर इस्तेमाल किया महा मोहिनी वशीकरण विद्या का प्रयोग करके उस कटोर के अंदर डाल दिया अब समय था

राजकुमारी को बताने का राज ज्योतिषी ने राजकुमारी को बुलाया और कहा कि आपका कटोरा तैयार हो चुका है अब मेरे कहे अनुसार आपको सब कुछ करना होगा राज ज्योतिषी की ओर देख कर मुस्कुराते हुए राजकुमारी ने कहा अवश्य ही आज जाकर हमारी योजना सफल हुई तुरंत ही राजकुमारी महल की ओर बढ़ गई और सभी को प्रसाद बांटने लगी उसका कहना था कि वह मंदिर से आई है और हर एक व्यक्ति को प्रसाद दे नगर के जो भी लोग उसे मिलते उन सबको उस कटोरे से निकाल निकाल कर प्रसाद के रूप में वह भोजन देती रहती

जो व्यक्ति जो इच्छा करता वही उस कटोरे के अंदर से वह चीज निकाल कर दे देती सभी लोग खुशी-खुशी उस प्रसाद को ग्रहण करने लगे धीरे-धीरे करके राज महल के सभी सभा शदों को उसने वह भोजन करा दिया और अंततोगत्वा अपने पिता के पास पहुंच कर उन्हें भी यह भोजन कराया और अगले ही पल पूरा राज्य उसका था राज ज्योतिषी ने वशीकरण विद्या मोहिनी का प्रयोग किया था जो उस कटोरे में डाल दी गई थी जोकि कटोरा पहले से ही सिद्ध था

इसलिए उन्हें कुछ ज्यादा करने की आवश्यकता नहीं थी जिन जिन ने भी राजकुमारी के हाथों से उस प्रसाद को ग्रहण किया था वह सारे के सारे अब राजकुमारी के आदेश है चलने लगे राजकुमारी जो कहती वह सब उन्हें मानना पड़ता सबके अंदर एक अद्भुत आकर्षण और ऐसा स्तब्ध कर देने वाला जादू बस गया था जो केवल और केवल एक बुत की तरह काम करवा रहा था जैसे मशीन में कोई यंत्र लगा दिया जाता है और उस यंत्र के अनुसार उस मशीन को कार्य करना पड़ता है

ठीक ऐसे ही हाल वहां के समस्त लोगों के हो गए थे जिन लोगों ने भी उस कटोरे के माध्यम से वह प्रसाद ग्रहण किया था राजकुमारी खुशी से इधर-उधर उछलते हुए एक बार फिर से अपने सैनिकों को आदेश देती है कि चलो मुझे राज्य ज्योतिषी से मिलना है वह वहां से निकल आती है और नगर को पार करके एक बार फिर से राज्य ज्योतिषी की गुफा के नजदीक पहुंचती है राज्य ज्योतिषी  अपने तंत्र मंत्र विद्या का प्रयोग कर रहे थे वहां पर पहुंचकर वह राज्य ज्योतिषी को कहती है कि आपने एक अद्भुत चमत्कार दिखाया है और मैं आपसे बहुत ज्यादा प्रसन्न हूं मैं आपको हूं अपने राज्य का स्वामी बना दूंगी आपको यहां का राजा घोषित कर दूंगी

लेकिन आप मेरी इच्छा जानते हैं मुझे पूरी तरह से त्रिलोकी जीतना है मुझे आसपास के सभी राजाओं को जीतना है सभी प्रकार से सब कुछ करना है राज्य ज्योतिषी भी मुस्कुराते हुए कहता है आपकी कृपा से मैं राजा बन जाऊंगा और आप महारानी होंगी और आप इस पूरे क्षेत्र को अपने कब्जे में कर लीजिएगा धरती पर जहां जहां मानव है सभी जगह हम अपना वशीकरण फैला देंगे और सबको जीत लेंगे लेकिन यह इतने से काफी नहीं होगा आपको प्रत्येक के पास जा जाकर के इस प्रकार खिलाएंगे तब वह आपके वशीकरण में आएगा

इसका एक अच्छा सा उपाय यह है कि हम क्यों ना उस यक्षिणी को ही अपने वश में कर ले इस पर राजकुमारी विश्म्य में होकर पूछती है यह कैसे संभव है क्या वह यक्षिणी हमारी बात मानेगी तो राज्य ज्योतिषी कहते हैं शायद आपको पता नहीं है इस कटोरे के साथ वह जुड़ी हुई है इसलिए इस कटोरे से जो कुछ भी किया कराया जाएगा वह सब कुछ वह करने के लिए तैयार हो जाएगी लेकिन उसके लिए मैं आपको एक विशेष तरह का प्रयोग बताता हूं उसको कहने पर अब राजकुमारी मुस्कुराते हुए महल से बाहर निकल गई बहुत ही ज्यादा सुंदर और रूपवान गहने और चीजें पहन कर के और सौंदर्य के बड़े-बड़े उबटन लगाने के बाद में वह अपने आप को शीशे में देखती है

और कहती है कि मैं अद्भुत रूप से सुंदर हो चुकी हूं अब मुझे वहां जाना चाहिए इसके बाद जगन्नाथ डाकू के पास सैनिक जाते हैं और उसे राजकुमारी का संदेश सुनाते हैं कि आपको राजकुमारी ने राज महल में बुलाया है जगन्नाथ अब तक शक्तिवान हो चुका था और उसकी शक्ति लौट चुकी थी उसके घाव भी भर चुके थे और वह स्वास्थ्य हो चुका था डाकू ने सोचा क्योंकि उसने उस राजकुमारी की मदद की थी इस कारण से वह उसे बुला रही है और अवश्य ही उसे धन्यवाद करने के लिए बुला रही है इसलिए जगन्नाथ डाकू ने बिना सोचे समझे सैनिकों के साथ जाना स्वीकार कर लिया इसके बाद जगन्नाथ को महल में लाया गया महल में लाने के बाद एक विशेष कक्ष में उसे ठहराया गया जहां पर शाम को राजकुमारी सजी-धजी उसके पास पहुंची

उसको देख कर के जगन्नाथ कहने लगा अद्भुत सुंदरी आज राजकुमारी लग रही है उस दिन काफी भयानक लग रही थी डरी हुई लग रही थी क्योंकि ऐसी अवस्था में किसी के साथ कोई भी अच्छा बर्ताव नहीं करता है तो उसका रूप भी बिगड़ जाता है यही सोचते हुए मैं राजकुमारी से बातें करते हुए कहता है अगर आपने मुझे धन्यवाद देने के लिए बुलाया है तो इसकी कोई आवश्यकता नहीं है यह मेरा कर्तव्य था आखिर आप मेरी भी महारानी है और हमेशा रहने वाली है इस पर राजकुमारी आकर के तुरंत ही जगन्नाथ को गले लगा लेती है और उसके होठों पर चुंबन कर देती है जगन्नाथ इस तरह की हरकत को देख कर के आश्चर्य से विभोर हो जाता है उसे कुछ समझ में नहीं आता है वह सोचता है कि यह कैसे संभव हो गया राजकुमारी ने उसका चुंबन कैसे ले लिया जगन्नाथ डरते डरते कहता है कि आप मेरी राजकुमारी है आप मेरी महारानी है आप के अधीन सब कुछ है फिर आपने इस तरह का व्यवहार मेरे साथ क्यों प्रदर्शित किया है राजकुमारी कहती है

कि मुझे आप उसी दिन पसंद आ गए थे ऐसे मनुष्य का मिलना बड़े ही सौभाग्य की बात होती है जो स्त्री की रक्षा के लिए हर वक्त खड़ा रहे और अपने निजी कार्य को छोड़ कर के भी किसी स्त्री की रक्षा के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग करने केतैयार हो जाए आपने अपनी जान की परवाह ना करते हुए मेरे लिए अपने ही साथियों के साथ ही युद्ध किया जिसमें आप पूरी तरह से घायल भी हो गए थे आपने मेरे बचने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए अपने ही प्राण संकट में डाल दिए उसी दिन से मैं अपना हृदय आपके लिए हार चुकी हूं मैं आप से प्रेम करती हूं मैं आपसे विवाह करना चाहती हूं और यह चुंबन इस बात का प्रमाण है जगन्नाथ आश्चर्य से राजकुमारी को देखता है

उसे कुछ समझ में नहीं आता है राजकुमारी पास ही रखे हुए हार को उसके गले में डाल देती है और जगन्नाथ से कहती है मैं आपको अपना पति मानती हूं राजकुमारी के यू कहने पर जगन्नाथ डाकू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था आखिर यह सब हो क्या रहा है और कुछ ही क्षणों में उसका जवाब उन्हें मिलने वाला था जो अद्भुत नजारा उनके साथ घटित होने वाला था जगन्नाथ ने भी हामी भर दी क्योंकि जगन्नाथ को भी इतनी अच्छी स्त्री कहां मिलने वाली थी जगन्नाथ ने कहा अगर आपकी यही इच्छा है तो अवश्य ही मैं आपसे विवाह करूंगा लेकिन मुझे राजा की स्वीकृति चाहिए राजकुमारी कहती है अवश्य और जगन्नाथ का हाथ पकड़ कर के राजमहल की ओर ले करके जाती है राज महल में भरे हुए सभागार में राजकुमारी कहती है कि यह जगन्नाथ जी है

और मैंने इनके साथ प्रेम विवाह कर लिया है क्या पिताजी आपको यह प्रेम विवाह स्वीकार है इस पर राजा और वहां के सभी सभा आश्चर्य से वहां देखते हैं और सभी एक हामी में हां कहते हैं यह देख कर के जगन्नाथ को भी आश्चर्य हो जाता है कि आखिर कैसे एक डाकू के साथ राजा अपनी पुत्री का विवाह करने के लिए तैयार हो गया है कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था आखिर यह सब चल क्या रहा था यह सब आश्चर्य की बात थी तभी किनारे खड़े हुए राज्य ज्योतिषी वहां पर आते हैं और कहते हैं कि आपका विवाह विधिवत तरीके से किया जाएगा और उसके बाद वहां पर मंडप बनवा दिया जाता है नगर आयोजन किया जाता है

और सभी लोगों के सामने राजकुमारी और जगन्नाथ का विवाह हो जाता है जगन्नाथ अभी भी आश्चर्य में था कि यह सब उसके जीवन में कैसे घटित हो रहा है क्या उसके जीवन की रक्षा करने वाली उस शक्ति के कारण ऐसा हो रहा है या फिर इसका क्या मतलब है वह कुछ भी समझ नहीं पा रहा था तभी कुछ देर बाद राजा की हत्या हो जाती है राजा का सिर कटा हुआ एक और गिरा हुआ था यह देखकर जगन्नाथ गुस्से में भर जाता है और अपनी तलवार निकालकर कहता है इस राज्य में किसने ऐसा दुस्साहस किया है जो उसने उनके राजा का वध किया है

वह उसे अवश्य ही दंड देगा तभी वहां पर जगन्नाथ की पत्नी बनी राजकुमारी आती है और कहती है यह तो होना ही था मुझे पूरा का पूरा पता था कि यह बहुत बुरा हो जाएगा अब ऐसी अवस्था में राजा की अंतिम आज्ञा का पालन करना अनिवार्य हो जाता है और वह कहती है कि मेरे पिता की अंत्येष्टि से पहले मैं यहां का नया राजा घोषित करती हूं और वह राज्य ज्योतिषी को वहां का राजा बना देती है उसकी इस प्रकार की घोषणा से सारे के सारे राज्य में आश्चर्य की बातें होने लगती है सब कहने लगते हैं कि अगर राजा बनना ही था तो राजकुमारी क्यों नहीं बनी जगन्नाथ क्यों नहीं बना आखिर यह राज्य ज्योतिषी ही क्यों बन गया किसी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था

इधर राजा का अंतिम संस्कार किया जाता है और इधर राज्य ज्योतिषी उस राज्य महल में राजा के सिंहासन पर प्रतिष्ठित हो जाता है और वह कहता है महारानी अब भले ही वह राजा है वह सारे आदेश आपके पालन करेगा आप बताइए आपकी क्या आज्ञा है इस पर राज्य ज्योतिषी को वह कन्या कहती है कि आप तुरंत ही जगन्नाथ को कैद करके उसका सर काटिए इस प्रकार का आदेश देने पर जगन्नाथ एक बार फिर से आश्चर्यचकित हो जाता है

और राजकुमारी की ओर देखकर वह कहता है आपकी तबीयत तो सही है आपने मुझसे विवाह किया है प्रेम किया है और आप आज मेरा वध करने की आज्ञा दे रही है राजकुमारी हंसने लगती है तभी वहां पर अचानक से तेज से प्रकाश फेलने लगता है इधर है राजकुमारी जगन्नाथ को कैद कर लेती है और उसके वध के लिए निषाद राज को बुलाती है निषाद राज उसकी गर्दन के ऊपर तलवार रखता है और वार करने ही वाला होता है तभी जो प्रकाश वहां पर उत्पन्न हुआ था वह तेजी से उस और बढ़ता है आगे क्या हुआ हम लोग जानेंगे अगले भाग में————–

दस्यू सुंदरी और जगन्नाथ डाकू कथा 5

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है जैसा कि अभी तक हमारी कहानी चल रही है आप लोगो ने जाना कि किस प्रकार से एक राजकमारी और एक उनका राज्य ज्योतिषी एक विशेष तरह का षड्यंत्र रचते हैं और उस षड्यंत्र में एक जगन्नाथ नाम के साधारण से डाकू को फंसा लिया जाता है जगन्नाथ डाकू उस माया में फंस जाता है जो माया राजकुमारी और उसका राजपुरोहित दोनों के दोनों मिलकर बना रहे थे राजकुमारी ने जगन्नाथ डाकू से विवाह करने के बाद मैं उसका गला काटने का आदेश एक विशेष प्रकार के अपने सेवक को दे दिया और जैसे ही गर्दन के ऊपर वह सेवक तलवार रखता है

जगन्नाथ डाकू एक बार फिर से राजकुमारी से कहता है आपने मुझसे विवाह किया है और इस विवाह के कारण आप इस तरह की हरकत नहीं कर सकती है उसकी बात को सुनते हुए वह राजकुमारी हंसने लगती है और कहती है अभी तुम कुछ जानते ही नहीं हो अब थोड़ी ही देर में सारा सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा अपने सेवक निषादराज को आदेश देती है कि इसकी गर्दन को हल्के से अपनी तलवार की धार से खून टपकाओ यानी कि खून से सनाओ और जैसे ही वह इस तरह से करती है गर्दन से हल्का हल्का खून निकलने लगता है उसके खून की निकलने की वजह से अचानक से वहां पर जो उनका राजपुरोहित था वह कटोरा लेकर आ जाता है

और उस कटोरे में जगन्नाथ की गर्दन से निकलता हुए खून को इकट्ठा करने लगता है इस प्रकार से करने पर कुछ भी जगन्नाथ को समझ में नहीं आता है कि आखिर यह सब यह क्यों कर रहे हैं यह एक अद्भुत घटना थी जो वहां घटित हो रही थी इसको समझने की क्षमता किसी में भी नहीं थी वहां पर मौजूद प्रकाश यह सब कुछ देख रहा था और वह आकर के धरती पर खड़ा हो जाता है और उसके खड़े होने से वहां पर प्रकाश की चारों ओर किरणें घूमने लगती है

किरणों के घूमने के कारण अचानक से वहां पर एक सुंदर सी स्त्री प्रकट होती है जो कोई और नहीं दस्यु सुंदरी ही थी दस्यु सुंदरी वहां पर शांतिपूर्वक खड़ी हुई थी वह कुछ भी नहीं जान पा रही थी कि यह सब क्या घटित हो रहा है और इस कार्य के लिए वह अपनी तैयारी कर रही थी कि वह करें तो क्या करें इस प्रकार जगन्नाथ डाकू ने तुरंत ही ऊंचे स्वर में उसे पुकारा और चिल्लाकर बोला कि सुंदरी सुनो यह देखो मेरे साथ क्या कर रहे हैं तुमने मेरे प्राणों की रक्षा की थी एक बार फिर से मेरी जान बचाओ इस राजकुमारी ने मुझे धोखा दिया है इसने मुझसे विवाह करके अब मेरी ही बलि चढ़ा रही है दस्यु सुंदरी वहां पर चुपचाप खड़ी थी वह कुछ बोल नहीं रही थी

जगन्नाथ डाकू यह बात समझ नहीं पाता कि आखिर यह सब हो क्या रहा है तभी राजकुमारी उस राजपुरोहित के हाथों से वह कटोरा ले लेती है और उस कटोरे का खून दस्यु सुंदरी के पैरों पर गिरा देती है दस्यु सुंदरी स्तब्ध रह जाती है और कहती है अभी आपकी पूजा अधूरी है जब तक इसे पूर्ण नहीं करोगी तब तक मैं तुम्हारी कोई आज्ञा नहीं मानूंगी दस्यु सुंदरी के इस प्रकार कहने से सभी वहां पर मुस्कुराने लगते हैं क्योंकि वह अपने उस षड्यंत्र में पूरी तरह से कामयाब हो जाते हैं यह बात दस्यु सुंदरी को भी नहीं पता थी और ना ही जगन्नाथ डाकू इस बात को समझ पा रहा था तभी वहां पर दौड़ता हुआ एक सफेद मुर्गा एक बार फिर से आता है और वह चारों तरफ महल में घूमने लगता है राजकुमारी और राजपुरोहित दोनों ही आदेश देते हैं

कि इस मुर्गे को तुरंत ही पकड़ लिया जाए इस मुर्गे को पकड़कर के आप तुरंत ही उस कार्य के लिए तैयार हो जाए और जैसे ही इस मुर्गे को इस प्रकार से किया जाता है यानी कि पकड़ लिया जाता है और उस चीज के लिए तैयार किया जाता है कि एक बार फिर से उसकी बलि चढ़ा दी जाए वहां पर सभी लोग उसे घेर कर पकड़ लेते हैं अंततोगत्वा उसे राजकुमारी के पास लाया जाता है और राजपुरोहित भी उसे लेकर के उस मुर्गे की गर्दन को काट दिया जाता है

और उसके रक्त को एक बार फिर से दस्यु सुंदरी के पैर पर गिरा दिया जाता है दस्यु सुंदरी वातावरण में चारों ओर देखकर हंसने लगती है और अपने विशालकाय रूप में आ जाती है और कहती है राजकुमारी बताओ कि तुम्हारी क्या इच्छा है इस पर राजकुमारी की है आसपास के जितने भी राज्य हैं वहां मेरा सब शासन हो और मैं सब को अपना गुलाम बना हूं मैं जिसे चाहो उसे अपने वश में कर लूं इस पर दस्यु सुंदरी कहती है कि यह कटोरा जिस कार्य के लिए उत्पन्न किया गया था यह उसी कार्य में और भी अधिक शक्तिशाली हो करके आपके लिए कार्य करेगा आप इससे जितना चाहे उतना भोजन बना सकती हैं इस भोजन को आप जिसको भी खिला देंगे

वह अद्भुत रूप से सबसे ज्यादा आपकी सेवा में तत्पर हो जाएगा और आपके बारे में ही सोचेगा और आपके ही आदेश का पालन करेगा ऐसा चमत्कार संसार में और कहीं नहीं होगा इसलिए आप इसका मनचाहा प्रयोग कर सकती हैं मैं आपको एक सलाह देती हूं आप भव्य भंडारे का आयोजन कीजिए भंडारा कितना भी बड़ा हो सकता है आप करोड़ों लोगों को भी बुला सकती हैं जितने लोग भी आपके इस कटोरे से बने हुए भोजन को खाएंगे वह सब के सब आपके वशीकरण में आ जाएंगे दस्यु सुंदरी के इस प्रकार कहने पर राजकुमारी मुस्कुराती है

और अपने राजपुरोहित की ओर देखती है राजपुरोहित वहां पर जोकि राजा बन चुका था इस तरह से देखने के बाद खुशी से कहता है राजकुमारी आपकी सारी इच्छा है आज पूरी हो जाएंगी मैं तुरंत ही सेवकों को विशाल भंडारे को आयोजित करने का आदेश देता हूं और पूरे जहां तक मनुष्य रहते हैं वहां तक सब के सब को यह आदेश देता हूं की सभी को यहां आने का निमंत्रण दिया जाए उन सभी को भोजन में भिन्न-भिन्न प्रकार के भोजन पकवान दिए जाएंगे और यह आयोजन किया जा रहा है महाराजा की स्मृति में और सभी लोग आयोजित हैं इस भव्य समारोह में आने के लिए और अपना आभार ग्रहण करने के लिए इस प्रकार से वहां पर लाखों की भीड़ को इकट्ठा करने का प्रबंध कर लिया जाता है नगर को पूरी तरह से अच्छे प्रकार से सजाया जाता है

और सभी और कड़े और सख्त नियम लागू कर दिए जाते हैं किसी को भी हिलने डूलने की आजादी नहीं थी एक पूरा नियम लगा कर के चारों ओर अपनी बात को मनवाने के लिए एक विशेष तरह का प्रयत्न वहां पर किया जाता है यद्यपि वहां पर आयोजन बहुत ही भव्य होने वाला था लेकिन नगर के लोगों की हालत बहुत बुरी थी इस प्रकार से सभी ने महारानी को अपना समर्पण स्वीकार करने की तैयारी की यानी की सारे के सारे लोग इस बात के लिए राजी हो गए थे कि जो भी रानी कहेगी वह उनके लिए आदेश होगा चाहे वह उनको मृत्यु आदेश क्यों ना दे दी इधर अपनी शक्ति को बढ़ाने के लिए राजकुमारी के मन में और भी ज्यादा घमंड आ गया वह नगर में आने वाला सभी प्रकार का भंडारा

और अनाज सभी का प्रयोग रुकवा देती है वह आदेश देती है कि किसी भी प्रकार से हमारे नगर में कोई भी भोजन सामग्री ना लाई जाए उसका उद्देश्य यही था कि वह सभी प्रकार से अपने कटोरे से बने हुए भोजन को ही पूरे नगर वासियों को ही खिलाएं इससे फायदा यही होने वाला था कि जो भी उसके उस कटोरे से बने हुए भोजन को खाता निश्चित रूप से वह उसके वशीकरण में आ जाता यही प्रयोग को सोच कर के नगर में आने वाले भंडार यानी कि भोजन को मना करवा दिया

अब यह बुरी स्थिति चारों ओर फैल गई क्योंकि बिना भोजन के लोगों का जीवित रहना मुश्किल था सब के सब राजकुमारी के पास आकर उसका चरण स्पर्श करते और भोजन की मांग करते वह भी बड़ी खुशी खुशी सब लोगों को भोजन देती और जितनी भी इच्छा हो उतना भोजन निकाल कर के उस कटोरे से दे देती इधर जेल में पड़े हुए जगन्नाथ डाकू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वह करे तो क्या करें वह सब कुछ जान रहा था उन सैनिकों के माध्यम से जो उसके पहरेदार थे और आपस में गई बातें किया करते थे कि किस प्रकार से आज रानी ने क्या किया और किस प्रकार से आज नए तरह का प्रपंच रचा गया और कैसे पूरे नगर वासियों उसने अपने वशीकरण में ले लिया कोई भी इच्छा के बिना पैर तक नहीं हिलाता था

ऐसे खड़े रहते थे जैसे की पाषाण की बनी हुई मूर्ति इस प्रकार बहुत ही ज्यादा चमत्कारिक रूप से उस कटोरे का प्रयोग किया जा रहा था जगन्नाथ डाकू ने अपने दोनों चढ़ाएं जय मुर्गों को याद किया और एक बार फिर से दस्यु सुंदरी को याद करने लगा दस्यु सुंदरी कुछ देर बाद वहां पर प्रकट हो गई जगन्नाथ डाकू से वह कहने लगी कि मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकती प्रत्यक्ष रूप से मैं अब तुम्हारी मदद नहीं कर पाऊंगी क्योंकि कारण कि तुमने अपनी पूजा पूरी नहीं की थी तीसरे मुर्गे को अगर तुम मुझे चढ़ा दिए होते तो निश्चित रूप से मैं तुम्हें हर प्रकार से सहायता दे देती और तुम्हारी इच्छा अनुसार कार्य करती

क्योंकि तुम दिल के पवित्र हो इस कारण से सदैव मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती लेकिन यहां पर कुछ और ही घटित हो गया है राजकुमारी ने भी इसी कारण से तुमसे शादी की थी क्योंकि वह जानती थी कि 3 मुर्गे मेरी इच्छा के बिना प्रकट नहीं हो सकते सिर्फ और सिर्फ एक मुर्गा ही प्रकट हो सकता था और इसीलिए उसने तुम्हारी गर्दन पर तलवार रखकर तुम्हारे रक्त को लिया उस रक्त के कारण जब उसने उसे कटोरे में दिया तब दो प्रकार के मुर्गे पैदा हो गए और वह मुर्गे रक्त के रूप में जमीन पर गिरे तो सोता ही उसने दोनों मुर्गों की बलि दे दी यह एक तांत्रिक प्रयोग था जो केवल राज्य का जो राज्य पुरोहित है और यह राजकुमारी जो है

जो महारानी बन चुकी है सिर्फ यही जानते थे इन लोगों की मिलीभगत आज कि नहीं है यह कहानी बहुत ही पुरानी है और जिस ऋषि ने मुझे प्राप्त करने की कोशिश की थी वह भी एक विशेष तरह का प्रपंच था लेकिन उसमें भारतीय के कारण सफलता नहीं मिल पाई थी अब मैं यहां पर तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकती हूं फिर जगन्नाथ डाकू ने कहा कोई तो मार्ग होगा अगर आप मेरे पास नहीं आती तो मैं कैसे समझ लेता कि आप किसी भी प्रकार से मेरी मदद नहीं करना चाहती आप मेरी मदद करना चाहती हैं आप मुझे पसंद करती हैं

लेकिन प्रत्यक्ष रूप से आप मेरी मदद नहीं कर सकती यह एक विडंबना है बस कृपया मुझे कोई मार्ग दिखाइए ऐसा कोई रास्ता जिससे एक बार फिर से मैं आपको प्रसन्न कर सकूं तो इसलिए दस्यु सुंदरी कहती है ठीक है मैं तो यही चाहती हूं कि तुम्हारे ही वश में वह कटोरा रहे और सब कटोरे के अधीन है क्योंकि उस कटोरे से में जुड़ी हुई हूं वह मेरी शक्ति का प्रतीक है इसलिए चलो अगर किसी भी तरह से तुम उसे प्राप्त कर पाए तो एक बार फिर से वह सब कुछ कर पाओगे जो सब कुछ छूट गया था इस प्रकार सारी बातें कहने पर दस्यु सुंदरी की बात को समझते हुए जगन्नाथ डाकू ने उसके सारे को समझा रात के समय में अचानक से वहां पर एक भंवरा प्रकट हुआ

और वह भंवरा धीरे-धीरे जाकर के जगन्नाथ डाकू के पास पहुंचा और वह भंवरा जगन्नाथ डाकू को काट लिया उसके काटने की वजह से जगन्नाथ भयंकर पीड़ा में आ गया और जोर जोर से चिल्लाने लगा उसकी चिल्लाहट को सुनकर के वहां जो बाहर पहरेदार सैनिक खड़े थे वह सब के सब उसकी चिल्लाहट को और उसकी स्थिति को जानने के लिए उस जगह का दरवाजा खोल देते हैं अंदर जाकर के देखते हैं तभी जिस कीड़े ने यानी कि भवर ने जगन्नाथ डाकू को काटा था उसने उन दोनों सैनिकों को भी काट लिया इस प्रकार दोनों के दोनों सैनिक तुरंत की वहीं पर बेहोश हो गए अब वह भंवरा आगे आगे चले

और जगन्नाथ डाकू उसके पीछे पीछे यह करते-करते जगन्नाथ डाकू गोपनीय मार्ग से नगर से बाहर निकल गया और एक बार फिर से अपने इलाके में पहुंच गया जहां पर उसके पुराने डाकू लोग उसका इंतजार कर रहे थे सब के सब स्तब्ध से खड़े थे और माफी मांगने के लिए तैयारी कर रहे थे आखिरकार जगन्नाथ डाकू जब उनके पास पहुंचा तो डाकू ने कहा हम लोग बहक गए थे क्योंकि हम लोगों को अधिक धन का लालच दिया गया था

और यह रानी के सैनिकों ने ही दिया था इसी कारण से हम लोगों ने आप को मारने का षड्यंत्र रचा हालाकी यह बात स्पष्ट रूप से कही गई थी कि आप को जान से नहीं मारना है सिर्फ आप को घायल करके छोड़ देना है बाकी का काम सब कुछ संभाल लिया जाएगा और एक विशेष जगह पर ही आपको छोड़ना है अब सारी बात जगन्नाथ को समझ में आ गई कि आखिर किस प्रकार से एक बहुत बड़ा षड्यंत्र राजकुमारी और उसके राजपुरोहित ने रचा था जिसमें वह फस गया था इधर राजकुमारी ने भव्य आयोजन कर लिया था जिसके कारण से नगर में लोगों का आना शुरू हो गया था जगन्नाथ के पास अब एक ही मौका था

कि किसी भी प्रकार से वह उस कटोरे तो प्राप्त कर ले अगर उसने वह कटोरा प्राप्त कर लिया तो ही दस्यु सुंदरी उसके बस में आएगी और राजकुमारी का षड्यंत्र और राजपुरोहित का षड्यंत्र जिसे वह बचा पाएगा लाखों लोगों को जो लोग सभी के सभी भंडारा खाने के उद्देश्य से वहां पर आए हैं वह सारे के सारे उनके गुलाम बन जाने वाले थे जगन्नाथ ने सारे डाकुओं को इकट्ठा किया और योजना बनाने लगा उसकी योजना क्या थी क्या उसने दस्यु सुंदरी को एक बार फिर से प्राप्त किया क्या राजकुमारी और राजपुरोहित का षड्यंत्र को वह नष्ट कर सका यह सब हम जानेंगे अगले भाग में—

दस्यू सुंदरी और जगन्नाथ डाकू कथा 6वां अंतिम भाग विडियो

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