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दातियाना शिव मंदिर की कुलसुंदरी भूतनी साधना भाग 3

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है दतियाना शिव मंदिर की कुल सुंदरी भूतनी साधना मे अभी तक आपने भाग-2 जाना, अभी तक जगतपाल नाम के एक व्यक्ति एक साधना उनके गुरु प्रदीप बताते हैं जिसमें वह सफलता हासिल कर लेते हैं और उस सफलता के बाद में वह एक सुंदर बहुत ही सुंदर भूतनी जिसको कुल सुंदरी भूतनी के नाम से जाना जाता है और भगवान शिव के लोक से संबंधित है उनको सिद्ध कर लेते है ।

अपनी पत्नी के रूप में लेकिन उनके द्वारा दिए गए धन को वह नगर में जाकर के खर्च कर देते हैं इससे अगले दिन वह कुल सुंदरी को एक बार फिर से अंगूठी को चूम कर बुलाने की कोशिश करते हैं तो कुल सुंदरी प्रकट नहीं होती है अब आगे जानते हैं क्या हुआ है ।तो दोस्तों की आपको अभी तक की कहानी पता है कि आखिर जब जगतपाल ने 7 बार मंत्र पढ़कर कुल सुंदरी भूतनी की दी हुई अंगूठी को चुम्मा उसके बाद भी फुल सुंदरी भूतनी प्रकट नहीं हुई जगतपाल आश्चर्य में पड़ गए उन्होंने सोचा कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि कल तक तो जो मुझे सिद्धि प्राप्त थी वह शक्ति दिखाई नहीं पड़ रही है ।

उसका कहीं आभास भी नहीं हो रहा है वह गुरु प्रदीप के पास जाते हैं और उनसे पूछते हैं की ऐसी ऐसी बात हो गई है मैंने उसके द्वारा दी गई अंगूठी को प्रयोग करके देखा है और उसने वादा किया था कि जब भी आप इस तरह से करेंगे तो मैं अवश्य ही आपके पास आ जाऊंगी किंतु उसका तो अता पता तक नहीं है आखिर क्या हो गया है गुरु प्रदीप ने सोचा और विचार किया की उसके द्वारा दिए गए वस्त्र आभूषण को हमने खर्च कर दिया है इसकी वजह से मुझे लगता है वह नाराज हो गई है हमें सोचना चाहिए था और यह बात को पूछना चाहिए था कि धन को हम किस प्रकार से खर्च करें कहीं ना कहीं इसी मे हमसे कोई खामी हो गई है इसी कारण से वह नाराज हो गई है ।

जगतपाल ने कहा गुरु प्रदीप आप बताइए अब क्या कोई ऐसा मार्ग है जिससे कुल सुंदरी को दोबारा से प्राप्त किया जा सके गुरु प्रदीप ने कहा अब तो केवल और केवल भगवान शिव या फिर भगवान शिव का ही एक बहुत ही रूद्र रूप है जिसे हम क्रोध भैरव के रूप से भी जानते हैं उनकी शक्ति से ही ऐसा संभव हो सकेगा अन्यथा नहीं उनकी बातों को समझ करके फिर दोनों एक विशेष तरह के वहां पर प्रसिद्ध तांत्रिक है उनके पास रात्रि के समय वहां गए तांत्रिक की कुटिया में कोई यूं ही नहीं प्रवेश कर पाता था जब तक की स्वयं तांत्रिक नहीं चाहता था कुटिया के बाहर खड़े होकर के जगतपाल और गुरु प्रदीप अपनी बारी का इंतजार करने लगे और वहीं से कहते हे तांत्रिक महोदय हमें अंदर आने की आज्ञा प्रदान कीजिए ।

लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं आता इस प्रकार से पूरी रात वह दोनों ही पर खड़े रहे सुबह 4:00 बजे के करीब अचानक से ही तांत्रिक महोदय ने कहा ठीक है आप लोग अंदर आ सकते हैं गुरु प्रदीप और जगतपाल अंदर चले गए और तांत्रिक ने कहा मैं आप लोगों के निष्ठा से प्रसन्न हूं आप लोगों ने पूरी रात्रि मेरा इंतजार किया है इस कारण से आप में इतनी योग्यता है कि आप मेरी सहायता ले सके बताइए क्या कार्य है गुरु प्रदीप में तुरंत ही सारी बात और और पूरी कहानी जगतपाल की सुना दी किस प्रकार से एक शिवलिंग की वजह से वहां पर भूतनी का आगमन हो जाता है और उसकी सिद्धि के लिए जगतपाल को मैं नियुक्त करता हूं जगतपाल उसको सिद्ध भी कर लेता है ।

लेकिन रात्रि के समय जब कुल सुंदरी भूल करने के पश्चात अपने सर्व आभूषण उतार कर के चली जाती है तो उस आभूषण को हम लोग अगले दिन जाकर के नगर में जाकर के खर्च कर देते हैं क्या यही कारण है जिसकी वजह से वह जगतपाल को छोड़ कर के चली गई है तांत्रिक ने कहा ठीक है मैं अभी बताता हूं तांत्रिक ने अपनी आंखें बंद की और कुछ मंत्र बुदबूदाए और अचानक से फिर थोड़ी देर शांत पड़ गए उसके बाद फिर उन्होंने अपनी आंखें खोल दी और जगतपाल की ओर देखते हुए कहा तुमने बड़ी गलती की है किसी भी प्रकार से जब किसी देवी देवता या भूत भूतनी कोई भी हो उनके सिद्धि होती है तो उनके द्वारा जो भी वस्त्र आभूषण धन रुपया पैसा दिया जाता है उस का सबसे पहले प्रयोग दान कार्य में करना चाहिए यानी कि दान दक्षिणा देनी चाहिए और शुद्ध कर्म करने चाहिए ।

जिससे पवित्रता आए क्योंकि उनके द्वारा दिया गया था वह स्वयं पवित्र कराना चाहते है आपने यहां पर एक बहुत बड़ी गलती की है अपने स्वयं के स्वार्थ के लिए आपने उस धन को खर्च कर दिया है इसके कारण से कुल सुंदरी नाराज हो गई है अब उसे समझाना आसान नहीं होगा गुरु प्रदीप कहते हैं कि क्या हम क्रोध भैरव मंत्र का प्रयोग करें तांत्रिक तुरंत ही मना कर देता है और कहता है यह प्रयोग कब किया जाता है जब आपकी बात कोई शक्ति सुन नहीं रही हो और यह स्पष्ट हो जाए कि आपने कर्म किया है मेहनत की है और हर प्रकार से आपने कोशिश की है लेकिन उसके बाद भी शक्ति ने आपको किसी भी भी प्रकार से कुछ भी करने का मौका नहीं दिया है और आपकी सारी मेहनत और सारे कार्य व्यर्थ हो रहे हैं इसलिए आप ने भगवान शिव से प्रार्थना कर उनके क्रोध राज भैरव स्वरूप से प्रार्थना की की मुझे यह कार्य संपादन करने की क्षमता और शक्ति प्रदान कीजिए.

ताकि मैं उस शक्ति को अपने नियंत्रण में ला सकूं इस पर क्रोध राग भैरव निश्चित ही आज्ञा प्रदान कर देते हैं और उनके मंत्र के प्रभाव से वह शक्ति खिंची चली आती है लेकिन यहां पर कहानी दूसरी है यहां पर वह शक्ति आपसे सिद्ध हो चुकी थी और इसके बावजूद आपने उसे ही नाराज किया है तो यहां पर आपको क्रोध भैरव राज के मंत्र का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए जिससे आपकी क्रोध राज भैरव का क्रोध है आप पर ही गिर पड़ेगा क्योंकि इनके मंत्रों का प्रयोग बड़ी ही सावधानी से तभी करना चाहिए जब आपकी कोई गलती ना हो और आपकी मेहनत के बावजूद भी आपको सभी प्रकार से असफलता हासिल हो रही हो केवल तभी उनसे आज्ञा लेकर के इस शक्ति का प्रयोग किया जाता है अन्यथा स्वयं अपना ही नाश करने लगती है ।

तांत्रिक ने कहा ऐसी गलतियां मैंने भी बहुत बार की है इसीलिए मैं आपको समझा रहा हूं इस पर गुरु प्रदीप ने कहा तो फिर कोई ऐसा मार्ग बताइए जिसके माध्यम से कुल सुंदरी को हम दोबारा से प्राप्त कर सके फिर तांत्रिक ने कहा ठीक है मैं यह मार्ग जगतपाल को बताऊंगा लेकिन जगतपाल को आपसे संपर्क काट लेना होगा क्योंकि यह सारी चीजें गोपनीय रखी जाती है सारे भेद जब खुल जाते हैं तो फिर सिद्धि का कोई अर्थ नहीं रह जाता और दुनियादारी में फस जाने के लिए यह सीधी नहीं होती है वह दुनियादारी से अलग करती है इसलिए आपको यह समझना होगा जो भी साधना या उपासना कर रहे हो उसका ज्ञान किसी को भी ना हो जगतपाल की ओर इशारा करके तांत्रिक ने उन्हें सारी बात बताई जगतपाल ने गुरु प्रदीप से थोड़ी देर बात की और गुरु प्रदीप ने कहा अवश्य ही यह मेरा हक नहीं है ।

मैंने तो सिर्फ तुम्हें साधना करानी थी और यह मैं करवा चुका हूं और मैं समझ चुका हूं और बाकी तुम जो कुछ भी भेट या धनराशि मुझे देना चाहो अवश्य दे सकते हो लेकिन यह शक्ति साधना और परीक्षा सब तुम्हारी थी इसलिए मेरा संपर्क और इसके बारे में ज्ञान कोई मत देना इसके बाद गुरु प्रदीप अपने घर वापस लौट गए और जगतपाल वहां पर रुके रहे क्योंकि तांत्रिक ने उन्हें ऐसा ही कहा था तांत्रिक ने कहा ठीक है अब मैं तुम्हें वह गोपनीय विद्या तुम्हें बताता हूं जिसके माध्यम से तुम कुल सुंदरी भूतनी को दोबारा से प्राप्त कर सकते हो तुम नदी पर चले जाओ और गर्दन भर पानी में बैठ कर के कुल सुंदरी के मंत्र का दोबारा उच्चारण करो दोबारा से उनकी पूजा करो और अपने सिर के ऊपर शिवलिंग को स्थापित कर लो शिवलिंग हिले डूले नहीं और जब तक कि तुम्हारे 10 सहस्त्र मंत्र ना हो जाए ।

तब तक शिवलिंग तुम्हारे सिर से गिरना नहीं चाहिए इस पर जगतपाल ने कहा मैं शिवलिंग कहां से प्राप्त कर लूंगा तो तांत्रिक ने कहा चाहे तो पत्थर का बना लो उसकी पूजा कर लो और उसको अपने सिर के ऊपर स्थान दो या फिर तुम मिट्टी का भी बना सकते हो जगतपाल ने कहा मिट्टी का बनाना सही होगा और फिर उसने मिट्टी के शिवलिंग का निर्माण किया उसको अच्छी तरह से निर्माण करके फिर उसे अपने सिर पर स्थान दिया ताकि वह अच्छी तरह से चिपक जाए उसके बाद गर्दन भर जल में बैठकर उन्होंने मंत्र का जाप शुरू कर दिया साधना करते करते पूरी रात बीत गई और इस प्रकार से सुबह के समय अचानक से उन्हें लगा कि जैसे कि वहां कोई मगरमच्छ आ गया हो वह मगरमच्छ लगातार उनकी ओर आ रहा है जगतपाल घबराने लगे ।

लेकिन क्योंकि तांत्रिक ने कहा था अगर कोई माया हो तो उससे बिल्कुल भी भ्रमित ना हो ना जगतपाल ने सोचा वैसे भी इस जीवन में क्या रखा है अगर सच में कोई मगरमच्छ होगा तो मैं बच नहीं सकता अगर यह मगरमच्छ नहीं कोई माया है तो निश्चित रूप से मुझे सिद्धि की प्राप्ति हो जाएगी अगर नहीं मैं मरा जगतपाल कठिन निर्णय ले चुके थे उन्होंने कहा ठीक है अब जो होगा देखा जाएगा और वह उस जगह से टस से मस नहीं हुए मगरमच्छ उनके चारों तरफ चक्कर काटने लगा और फिर उसने तेजी से उनकी कमर पकड़ ली कमर पर पड़े दबाव से जगतपाल कराहने लगे लेकिन फिर भी उन्होंने मंत्र जाप नहीं रोका अपने दर्द में भी वह मंत्र जाप करते रहे मगरमच्छ उनके पेट को चबाता रहा जगतपाल दर्द के मारे चिल्लाते रहे ।

फिर भी उनके मंत्र का जाप नहीं रुका जैसे ही मंत्र जाप पूरा हुआ अचानक से ही सब कुछ सामान्य हो गया जैसे कि वहां कुछ हुआ ही ना हो फिर उनके सामने पानी में खड़ी सुंदरी दिखाई पड़ी वही सुंदरी जिसको उन्होंने अपनी पहली तपस्या में देखा था वह सामने खड़ी हुई मुस्कुरा रही थी और आकर के पानी में ही उनके गले लग गई उनके होठों पर चुंबन करके बोली आपने मुझे दोबारा से प्राप्त कर लिया जो कि मैं बहुत अधिक क्रोधित थी फिर भी आपकी इस प्रकार की सामर्थ देख कर फिर से मैं वापस आ गई मैं आपकी पत्नी बनकर आपके साथ ही रहूंगी और इस तरह की गलती अब दुबारा मत कीजिएगा इस पर जगतपाल ने कहा वह मैंने जानबूझकर नहीं किया मुझे इस बारे में कुछ पता भी नहीं था क्या तुम इस बारे में मुझे बता नहीं सकती थी इस पर कुल सुंदरी ने कहा तंत्र के अपने कुछ नियम होते हैं जिसमें शक्तियां स्वयं किसी को कुछ नहीं बताती जब तक कि उनसे खुद ना पूछा जाए आपने एक बार भी मुझसे नहीं पूछा बस मैंने अपने वस्त्र आभूषण इसलिए उतारे थे कि आप इनका उपयोग कीजिए अवश्य ही कर सकते हैं ।

लेकिन कुछ धार्मिक कार्यों में और पुण्य के कार्य में इसे खर्च करना था आपने ऐसा नहीं किया इसी कारण मुझे रुष्टता आ गई क्योंकि मैं अपने जो भी कार्य कर रही हूं अपने आप को बड़ा अधिक पवित्र करने के लिए और अपने मुक्ति के मार्ग को ढूंढने के लिए कर रही यद्यपि मैं आप से प्रेम करती हूं क्योंकि आपने मेरे लिए अपने जीवन का बहुमूल्य समय दिया है और अत्यधिक कब किया है किंतु फिर भी हर एक शक्ति की एक इच्छा होती है कि वह और भी अधिक शक्तिवान हो जाए सामर्थवान और अपने उच्चतम लोको को प्राप्त करें इसीलिए मैंने बहुत कोशिश की कि मैं आपसे सिद्ध ना हो किंतु फिर भी आपकी दृढ़ता के कारण मुझे सिद्ध होना पड़ा अंततोगत्वा फिर से मैं आपके पास आ गई हूं और अब आपके साथ ही रहूंगी ।

लेकिन अब इस तरह की कोई गलती नहीं कीजिएगा इसके बाद जगतपाल उठे और कुटिया की ओर चल पड़े तुरंत ही वहां पर कुल सुंदरी ने बहुत ही सुंदर बिछोना वहां पर बिछा दिया और एक बार फिर से उनके साथ संसर्ग करने लगी रात्रि बीतने के बाद सुबह के समय उन्होंने फिर से सारे वस्त्र आभूषण उतार दिए और वहां से चली गई और यह कहकर कि जल्द ही मैं आपके सामने उपस्थित होंगी जब भी आप मुझे याद करेंगे एक बार फिर से 7 बार मेरे मंत्रों का उच्चारण कीजिएगा और अंगूठी को चूम लीजिए मैं आपके सामने प्रकट हो जाऊंगी जगतपाल बहुत प्रसन्न थे आज उनके फिर से धनराशि आ चुकी थी जगतपाल ने सोचा कि चलो अब मैं इस धन को सही कार्यों में खर्च करूंगा और उन्होंने एक बार फिर से नगर की ओर प्रस्थान किया वह देखने लगे कि इस धन को में कहां खर्च करूं ।

नगर के बाहर एक अधिकारी उन्हें दिखाई दिया उन्होंने अपने सारा धन उठा कर के उसे दे दिए और कहा जाओ निश्चिंत होकर के जियो तुम्हारा जीवन खुशमय रहे वह भिखारी बहुत ही ज्यादा खुश हुआ और सभी लोग वहां पर खड़े हुए जितने भी नगर के लोग थे वह सब जगतपाल की वाहवाही करने लगे जगतपाल शाम को घर वापस आ गया और एक बार फिर से उन्होंने उस अंगूठी को 7 बार अभिमंत्रित करके चुम्मा लेकिन आज फिर से वही हुआ कुल सुंदरी गायब थी कुल सुंदरी दोबारा से नहीं दिख रही थी आखिर ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से कुल सुंदरी ने फिर से उन्हें नहीं दिखी क्या उनसे फिर से कोई गलती हो गई थी अबकी बार तो उन्होंने एक गरीब भिखारी को ही सारा धन दे दिया था फिर भी ऐसा क्यों हुआ वह बहुत ही ज्यादा सोच में थे आखिर ऐसा क्यों हुआ था हम लोग जानेंगे अगले भाग में तो अगर आपको यह जानकारी और कहानी पसंद आ रही है तो लाइक करें शेयर करें सब्सक्राइब करें आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद

दातियाना शिव मंदिर की कुलसुंदरी भूतनी साधना भाग 4

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