Site icon Dharam Rahasya

दिल्ली कनॉट प्लेस हनुमान मंदिर मठ अनसुनी कथा भाग 4

दिल्ली कनॉट प्लेस हनुमान मंदिर मठ अनसुनी कथा भाग 4

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । जैसे कि हमारी दिल्ली कनॉट प्लेस हनुमान मंदिर की कहानी चल रही है । उसमें अभी तक आपने जाना कि किस प्रकार से सेवा राम की जिंदगी में एक अच्छी खासी उथल पुथल आ चुकी है । उस पर आकर्षित होकर के एक दानवी राक्षसी स्त्री उसके पास आ गई है उसके घर में निवास करने लगी है । साथ ही साथ उसने अपने तंत्र मंत्र के जाल से अब उसकी पुत्री को फंसा लिया है । जैसा कि  हम जानते हैं यक्ष साधना के लिए जाने जाते हैं उसी प्रकार राक्षस मायाजाल के  लिए जाने जाते हैं । राक्षसी शक्ति होने के कारण बहुत सारा मायाजाल जानती थी । उसकी बेटी भी उसी की तरह राक्षसी हो गई थी । सेवा राम की पुत्री ने  मुर्गा खाया और खून से लथपथ होकर अपने बिस्तर पर आकर सो गई थी । और सुबह जब उसकी मां ने देखा तो उसको देखकर बड़ा ही आश्चर्य हुआ ।और  सेवाराम जी द्वारा रात को रखे गए नींबू लाल हो चुके थे । अब सेवाराम जी को समझ में आ गया कि उसके घर में जरूर कोई बड़ी बाधा है । वह तुरंत उन नींबूओ को लेकर सेवा राम जी अपने गुरु के पास गया । गुरु ने उनसे कहा कि तुम्हें हनुमान जी का विशेष राक्षस नाशक मंत्र का प्रयोग करना होगा ।लेकिन इसकी उत्पत्ति का प्रयोग तभी तुम कर सकते हो जब तुम हनुमान जी की सिद्धि को पूरी तरह से प्राप्त कर लो ।

मुझे लगता है हनुमान जी की सिद्धि तुम्हें इसलिए नहीं मिल रही है क्योंकि तुम्हारी कोई शक्ति खींच रहा है । ऐसे कारण से की जब तुम्हारी कोई शक्ति खींच रहा है तो तुम्हें सफलता कभी नहीं मिल पाएगी । जाओ विचार करो सोचो और पता लगाओ कि आखिर इसके पीछे कौन सा कारण है । सेवाराम को कुछ समझ में नहीं आया और वह अपने अगले दिन की पूजा के लिए रात्रि को वहां पर पहुंचा । उसने वहां पर एक बताई हुई तरकीब जो उसके गुरु यानी पंडित जी ने बताई थी । उसका प्रयोग किया प्रयोग इस तरह से किया उसने लाल मिर्च और लाल रंग को अभिमंत्रित करके जलाना शुरू कर दिया । उससे जो घुआ बना वह उस पर अपना अभिमंत्रित हनुमान जी का गोपनीय मंत्र उसका जाप किया । उस घुआ से आज तक जो शक्तियां उस राक्षस को मिल रही थी । इस प्रकार से अब ऊपर बैठा हुआ जो राक्षस था वह अब उस शक्ति को प्राप्त नहीं कर पा रहा था । और उसके अंदर एक अजीब सी हलचल मचने लगी वह बहुत ही ज्यादा घबरा गया । ऐसी ऊर्जा उसे मिल रही थी जो उसे अंदर ही अंदर जला रही थी । उस गंभीरता से जलता हुआ वह बहुत ही भयंकर चीख पुकारता हुआ वहां से कूदकर भागा । ऐसा भागता हुआ नजारा पहली बार सेवाराम जी ने देखा कि कोई जैसे पीपल के पेड़ से नीचे कूदा और बहुत ही तेजी से उसके पीछे से होता हुआ भागता चला गया ।

सेवाराम जी ने कहा लगता है समस्या टली और मुझे अब कोई समस्या नहीं होगी । इस प्रकार उन्होंने उस रात्रि की पूजा संपन्न की और सुबह होने से ठीक पहले वो अपने घर की ओर चल दिए । अपने घर वह पहुंचे तो वहां पर आज पहली बार उनकी पत्नी बीमार थी । तो भोजन बनाने की सारी विधि विधान वह स्त्री कर रही थी । जो पहले ही अपने आकर्षण से सेवाराम को फंसाने की कोशिश कर रही थी । सेवाराम उसके आकर्षण पास में धीरे-धीरे बंधते भी चले जा रहे थे ।और यह स्वाभाविक भी है कि कोई भी स्त्री अगर काफी दिनों तक किसी पुरुष के प्रति अपनी मायाजाल को रचती रहे । तो पुरुष को आखिरकार उससे जरूर प्रभावित हो ही जाता है । उसके लिए भोजन प्यार से परोसती और उसे खिलाती उसके प्रेम को देखकर सेवाराम का मन भी उसकी प्रति आकर्षण होने लगा । रात्रि के समय सेवाराम जब सो रहा था । क्योंकि वह अपनी साधना करके ऐसे समय आता था जब भोर होने वाली होती थी । तो वह आखिरी पहर होता था रात्रि का । उस वक्त जैसे ही सेवा राम सो रहा था उस समय सुबह के 3 या 3:30 बजे का समय हो रहा था उस समय जब सूरज की बेला नहीं होती है । अंधकार अपने चरम पर होता है उसके बिस्तर पर उसे किसी चीज की सरसराहट महसूस हुई । पहली बार उसकी आंखें फटी की फटी रह गई । जब उस नव विवाहिता वधू उस लड़की को अपने बिस्तर पर पाया । वह प्यार से उनके बालों को सहलाने लगी । सेवाराम एकदम से आश्चर्यचकित हो गए और कहने लगे ।

हे देवी आप मेरे बिस्तर पर क्यों आई हो यह स्थान मेरी पत्नी का है । आपकी इस तरह की हरकतों से आप की शुद्धता पर असर पड़ता है । तो वह कहने लगी मैं पता नहीं कब से अपने पति के प्यार में आस में इस प्रकार से डूबी हुई हूं पता नहीं वह मुझे मिलेगा या नहीं मिलेगा । मेरा जीवन तो नरक हो गया है मुझे साथी चाहिए मुझे सुख चाहिए क्या आप दे सकते हैं । मैं आपकी जीवन भर सेवा करने को तैयार हूं । इस पर सेवाराम ने कहा यह गलत होगा यद्यपि आपके प्रति मेरा आकर्षण पैदा हो रहा है लेकिन क्योंकि मेरी पत्नी है मेरे बच्चे हैं मैं किसी भी प्रकार से आप के प्रति इस तरह की भावना नहीं रख सकता हूं । इस पर वह बोली क्या फर्क पड़ता है जब तक लोगों को कुछ पता नहीं चलेगा तब तक हम लोग आनंद से बिफोर हो चुके होंगे । क्या तुम नहीं चाहते की एक नवयुवती का स्पर्श तुम्हें आनंदित करें । इस पर सेवाराम ने कहा नहीं यह गलत होगा यह करना किसी भी प्रकार से मर्यादा हीनता है । अगर इसी प्रकार सब लोग करने लगे तो संसार में मर्यादा का क्या महत्व रह जाएगा रिश्तो का क्या अर्थ रह जाएगा । मेरी पत्नी है मेरी बच्चिया हैं उन सब के बारे में मुझे सोचना है ।यह बहुत ही गलत विषय है आप यहां से तुरंत चली जाइए । इस पर दानवी गुस्से से बोली और कहा कि क्या तुम एक स्त्री का संसर्ग नहीं चाहते हो कैसे मूर्ख निरिजन हो तुम । और यह कहती हुई उसके गले लग गई । लेकिन कहते हैं ना हनुमान जी के मंत्रों का जाप करने वाले का ब्रह्मचर्य स्थिर होने की संभावना अधिक होती है । क्योंकि हनुमान भी स्वयं ब्रह्मचारी है ।

तो उनके मंत्र जाप की वजह से पुरुष के अंदर ऐसी शक्तियां आ जाती है जिसकी वजह से उसका ब्रह्मचर्य स्थाई और टिकाऊ होने लगता है । इसीलिए बाल ब्रह्मचारी हनुमान जी को माना जाता है । इसलिए ब्रह्मचर्य की समस्या कभी भी हनुमान के भक्त को नहीं आती हैं अगर वह साधक सच्चा है । और हनुमान जी के प्रति उसके भक्ति अटल और स्थिर है । उसे अपने छाती में भीषण ज्वार और आग से लगते हुई महसूस हुई । जहां पर उसके शरीर को वह इस्त्री छू रही थी वह स्थान अचानक दहकने लगा ।इस बात को पहली बार अत्यधिक ऊर्जावान और शरीर को जलाने वाली क्रिया जैसे समझने में आ रहा था । यह बात सेवाराम को समझ में नहीं आई कि किस प्रकार एक स्त्री  का स्पर्श सुख देने की वजह अति कष्ट देने लगा हो । उसने धक्का देकर उसे अपने से दूर किया । जिसकी वजह से वे बिस्तर से नीचे गिर पड़ी और क्रोधित होती हुई वहां से पैर पटकते हुए वहां से चली गई । सेवाराम ने कहा यह मैंने क्या किया मैंने उसे नाराज क्यों कर दिया । फिर वह सोचने लगा नहीं मैंने जो किया वह उत्तम किया । क्या इसी प्रकार मैं उसके साथ शारीरिक संबंध बना लेता यह तो गलत होता ।फिर मैं तो साधना में हूं हनुमान जी की भक्ति भी कर रहा हूं यह करना बहुत ही गलत है । यह बात कुछ उसके मन में लगातार खटकती रही । कुछ ना समझ में आने पर उसने सोचा कि चलो अपने गुरु से पूछा जाए । वह अपने गुरु के पास गया । और लगातार खटकती रही कुछ ना समझ में आने पर उसने सोचा कि चलो अपने गुरु से पूछा जाए । वह अपने गुरु के पास गया और उनसे पूछने लगा और कहा ।

हे गुरुदेव आप बताइए की क्या काम वासना हनुमान साधना में सताती है । गुरु ने कहा और साधनाओं की अपेक्षा यहां पर कामवासना कभी सताती नहीं है । तो सेवाराम कहने लगे गुरु जी ऐसा नहीं है स्वयं मेरे साथ ऐसा ऐसा दृश्य और स्थिति पैदा हो रही है । तो उन्होंने कहा जरूर इसमें कोई मायाजाल है क्योंकि हनुमान साधना में ऐसा कम ही होता है । हां क्रोध अवश्य ही आता है । लेकिन काम वासना भगवान हनुमान की साधना में अलग ही विषय है । क्योंकि वह बाल ब्रह्मचारी है भला उनके मंत्रों से आपके अंदर कामवासना क्यों जागेगी । इस पर आखिरकार उसके मुंह से निकल ही गया कि उसके घर में एक नवयुवती स्त्री आई है । और वह उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए उसने रात को उससे प्रस्ताव रखा था । यह सोचकर पंडित जी ने कहा यद्यपि यह तुम्हारा निजी मसला है मैं इस पर कुछ नहीं बोल सकता हूं । लेकिन मुझे यह विश्वास नहीं है कोई स्त्री इतनी आसानी से किसी पुरुष के प्रति कुछ ही दिनों में आतुर हो जाए । यह कार्य कुछ गलत है कुछ असंभव सा है मुझे लगता है तुम्हें इसके बारे में सोचना चाहिए । और मैं तुम्हें एक विशेष प्रकार की प्रक्रिया करने को कहता हूं । ऐसा करो जो प्रयोग तुमने पीपल वृक्ष के नीचे किया था । वही उस स्त्री के आसन यानी उसके बिस्तर के नीचे करो जाकर । तो इस प्रकार से जब अपनी साधना पूर्ण करने के बाद रात्रि में सेवाराम जी अपने घर को लौटे । सबको सोया हुआ पाया वह स्त्री भी अपने बिस्तर पर सो रही थी । और चुपचाप जाकर के इन्होंने वही किया लाल रंग और वही प्रयोग जिस प्रकार से उस राक्षस के साथ ऐसा ही किया था । और उसे जला दिया था । कुछ ही देर बाद वह सोए हुए थे तभी हाय हाय हाय तोबा सी मची किसी के चिल्लाने की आवाज सी नजर आने लगी ।

जब सेवा राम जी उठकर देखने गए उन्होंने एक भयंकर क्रूर स्त्री इधर उधर भागती फिर रही है । उसको देखकर वह हंस प्रभाव रह गए बहुत ही ज्यादा घबरा गए और उसे डंडा लेकर दौड़ाने लगे । वह  भागते हुए जंगल की तरफ जाने लगी । और उससे पहले वह उसे पकड़ पाते वह झाड़ियों में गायब हो गई । उसे देखकर उन्होंने कहा यह कोई ऐसी भयानक सी चुड़ैल या कोई राक्षस सी थी । जो उनके घर में आ गई थी शायद उस मंत्र की और उस जलाओ की वजह से ऐसा हुआ होगा ।ऐसा सोचकर वह उन्होंने घर की तरफ वापस आए और अपने उस घर में जा करके उन्होंने देखा । तो वह स्त्री एक बार फिर से वहीं पर लेटी हुई थी और अपने बिस्तर पर शयन कर रही है । इन्होंने कहा ठीक है इसका मतलब यह कोई और ही स्त्री थी यह स्त्री सही है । और इस प्रकार वह अपने बिस्तर पर जाकर फिर से सो गए । और उन्होंने यह देखने की कोशिश ही नहीं की वह स्त्री किस रूप में कैसे हैं । उसका पूरा शरीर बदन ढका हुआ था इस वजह से वह स्त्री का रहस्य वे नहीं जान पाए नहीं समझ पाए । कि आखिर यह सब क्या हुआ । जब उन्होंने इस बात को देखा और उन्हें इस बात को कभी भी अहसास ही नहीं हुआ कि क्या किसी स्त्री के वस्त्रों को हटाकर के देखना चाहिए ।उनके मन में यह विचार नहीं आया क्योंकि मन से और वाणी से वह पवित्र थे ।

लेकिन वैसा कुछ नहीं था वह पूरे शरीर में जली हुई थी और पूरा शरीर जैसे किसी स्त्री का जल जल जाता है उस प्रकार की त्वचा उसकी हो चुकी थी । लेकिन उसने अपने वस्त्रों से अपने आप को ढक रखा था । इस वजह से वे देख नहीं पाए की वही यह स्त्री है । जिस पर मैंने यह तंत्र मंत्र का प्रयोग किया था । सुबह वह उठी और बहुत ही ज्यादा क्रोधित होकर के उसने उसकी छोटी बेटी को जा करके कहा कि जाओ ऐसा करो । अपनी मां का रक्त मुझे ला करके दो । वह लड़की बड़ी तेजी के साथ में अपनी मां के पास गई और पास ही रखा चाकू उसने उसके हाथ की अंगुली पर मार दिया । और जिस से उंगली कट गई उससे भर भर भर के खून बहने लगा और वह तुरंत ही जोर जोर से चिल्लाने लगी । हाय मैया हाय मैया यह क्या हुई गया ऐसा कहते हुए उसने एक कटोरा लिया और उस कटोरे को उसकी उंगली के नीचे रख दिया । ताकि गिरता हुआ सारा खून कटोरे में भरने लग जाए और उसकी मम्मी का हाथ अपनी यानी कि अपनी माता का हाथ उसने पकड़ लिया । इस प्रकार वह खून गिरता जा रहा था और उसकी मां चिल्ला रही थी । तब तक घर की अन्य लड़कियां भी आ गई । उन्होंने उसकी उंगली पर पट्टी बांधी और तब तक जितना भी खून इखट्टा हुआ था । वह सारा का सारा खून उस कटोरे में लेकर के वह चुपचाप अपनी नई नवेली मा यानी उस राक्षसी के पास पहुंच गई ।

और उसे कहा इसे पी लीजिए । उसने बड़ी प्रशंसनता से उसको पिया और पीने के साथ ही एक अद्भुत नजारा देखने को मिला । उसका रूप स्वरूप बदल गया उसका रूप स्वरूप उसकी पत्नी का स्वरूप हो गया । जो कि अभी तक नहीं था रात्रि के समय उसने उसकी पत्नी को उठाया और मुंह पर हाथ रख कर के उसे बेहोश कर दिया । और जाकर के जंगल में बांध करके डाल आई । और उसकी जगह स्वयं शयन करने लगी और वहीं पर जाकर विराजमान हो गई । जब सेवाराम उस दिन की साधना पूरी करने के बाद में अपने घर में आए तो उन्होंने उस नव विवाहित स्त्री को नहीं देखा । तो वह अपनी पत्नी के कमरे में जाकर पत्नी से पूछने लगे । सुनो वह लड़की कहां है । तब उन्होंने कहां वह तो चली गई है कह के गई है कि अब वह नहीं लौटेगी । यहां उसका कोई नहीं है सेवाराम ने सोचा मैंने गलत किया बिचारी को बहुत दुख हुआ होगा । अपने पति को इस प्रकार से छोड़कर या उससे हटकर बिचारी यहां आकर के रह रही थी । और उसके जीवन में कोई उसका नहीं था । और मैंने कैसे उसे यहां जाने दिया । उसने कहा कि ठीक है अब चली गई है तो क्या करें । और उसकी पत्नी बोली अच्छा जी ठीक बात है कोई बात नहीं वो गई तो गई मैं तो हूं ना  और हंसने लगी ।अपनी पत्नी के नए तरह के व्यवहार को देख कर सेवाराम जी फिर से आश्चर्यचकित हो गए । और सोचने लगे यह कैसी स्त्री है मेरी पत्नी का व्यवहार इस तरह का नहीं था । जो किसी के दुख में या किसी की इस तरह की हरकत में खुश होकर के इस तरह की बातें करें । सेवाराम ने सोचा चलो जैसा भी है ठीक ही है । वह अब चली गई है मैं अपनी साधना भी सहजता से पूरी कर पाऊंगा । और काफी दिन साधना के बीच चुके हैं । मेरे अंदर अलग से उर्जा मुझे महसूस होने लगी है । तो इस प्रकार से अब सेवा राम जी के साथ आगे क्या हुआ । क्या उसकी पत्नी जंगल में बची और उसकी बेटी के साथ क्या हुआ । और उसकी पत्नी बनकर वह राक्षसी जो रह रही है उसने आगे क्या किया । यह जानेंगे हम लोग अगले भाग में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद

दिल्ली कनॉट प्लेस हनुमान मंदिर मठ अनसुनी कथा भाग 5

Exit mobile version