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दिवाली की रात की भयानक गलती 3 अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। पिछली बार हमने दीवाली की भयानक गलती में जाना था कि चार दोस्तों में से दो दोस्तों की मौत हो चुकी थी। अब आगे जानते हैं।

पत्र के अनुसार अब! वह बताते हैं। कि दोनों दोस्त मंदिर में आपस में वार्तालाप कर रहे थे। उस वार्तालाप के। दौरान उन्होंने अपने एक मित्र को नहीं पाया और उसके बाद जब उन्होंने गांव में जाकर देखा तो उन्हें! अपने मित्र की लाश मिली तथा स्त्री के कपड़े। इस दौरान उन्होंने यह सोचा कि यह मुसीबत अब बहुत अधिक भारी हो चुकी है।

इसे रोकने की सामर्थ्य , इनके पास नहीं है क्योंकि पूरी जिंदगी तो वह! मंदिर में नहीं बैठे रह सकते। ऐसे में उन्हें किसी की मदद चाहिए।

उन्होंने उसी मंदिर के। एक प्रसिद्ध तांत्रिक को अपनी सारी बातें बताएं। और उस से मदद मांगी उस व्यक्ति ने जब इनकी बातें सुनी तो वह जोर से हंसते हुए बोला, तुमने मौत ही अपने पास बुला लिया है।

वह व्यक्ति कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। वह एक! जिंद को सिद्ध किए हुए व्यक्ति है।आसपास के कई गांवों में उसे जिन्नात बाबा के नाम से जाना जाता है। इसलिए आपने जिन्नात बाबा को छेड़ कर बहुत बड़ी गलती कर दी है।

अब या तो आप उनसे जाकर माफी मांगो या फिर अब आपको भगवान भैरव ही बचा सकते हैं, उन्हे किसी भी तरह प्रसन्न करना होगा ।

यह बातें सुनकर उन्होंने कहा कि हम उनसे अगर माफी मांगने जाएंगे भी तो भी वह जिन्न हमको नहीं छोड़ेगा। इसलिए आप ही हमें भैरव रक्षा का कोई उपाय बताइए। उनकी बातों को सुनकर अब तांत्रिक कुछ देर सोचता है। और कहता है यह सत्य है कि जिन्न लोगों से रक्षा केवल भैरव जी ही कर सकते हैं। उनको सिद्ध करना होगा। इसके लिए तुम दोनों लोग इसी मंदिर में 21 दिवसीय साधना करो और हां इस साधना के दौरान मंदिर से बाहर मत जाना। जो भी खानपान, भोजन इत्यादि की व्यवस्था करनी हो, वह सब कर लो क्योंकि साधना के दौरान तुम्हें रोकने के लिए वह कुछ ना कुछ अवश्य ही करेगा। साथ ही उस स्त्री के कपड़े भी ले आना जो गांव में तुमने पाए थे।

इस पर दोनों दोस्त पूछते हैं कि आखिर उन कपड़ों की क्या आवश्यकता है? इस पर तांत्रिक बताता है कि तुम नहीं समझ पा रहे हो, ऐसी कुछ बातें हैं जो अगर प्राप्त हो जाए तो तंत्र सिद्धि बड़े आराम से हो जाती है। वह कन्या या तो जिन्न वशीकरण में थी अथवा जिन्न ही था।

और अगर वह जिन्न था तो उसके कपड़े प्राप्त होना बड़ी बात है। इसलिए उसके कपड़े लेकर आ जाओ। दोनों दोस्त आपस में विचार कर गांव की तरफ निकलने ही वाले थे लेकिन तभी दोनों कहने लगते हैं।

अभी अगर किसी वक्त जिन हम पर हमला कर दे तो हम अपने आप को कैसे बचाएंगे? इस पर तांत्रिक उन्हें दो अभिमंत्रित ताबीज उनके गले में पहना देता है। इससे उनकी रक्षा होती रहेगी और तांत्रिक ने यह भी कहा। जब भी तुम्हें मंदिर से बाहर जाना हो उस दौरान तुम्हारे गले में पड़े हुए रहे कभी भी उतरने नहीं चाहिए। इन ताबीजों की शक्ति के कारण जिन तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएगा, लेकिन अगर यह ताबीज किसी वजह से उतर गए तो फिर मैं तुम्हारी रक्षा नहीं कर पाऊंगा। क्योंकि पता नहीं वह जिन किस रूप और किस? सोच के साथ तुम लोगों को मारने के बारे में अपना कोई विचार बनाएं।

यह बातें सुनकर अब दोनों दोस्त और भी अधिक घबरा गए थे, लेकिन दीवाली की रात की गई उस गलती का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा था। दोनों दोस्तों ने तुरंत ही गांव जाकर उस कन्या के वस्त्र प्राप्त कर लिए और उन वस्तुओं को लेकर के वह। तांत्रिक के पास आ गया।

तांत्रिक ने वस्त्रों को अभिमंत्रित कर उन्हें हवन कुंड में जला दिया। जलने के तुरंत बाद ही अचानक से चमत्कार हुआ। कोई विशेष प्रकार की सिद्धि थी, उस तांत्रिक को प्राप्त हो गई।

तांत्रिक ने कहा, तुमने बड़ा ही भला काम किया है। लेकिन जिन्न को जो आज्ञा दी गई थी, उसको रोकना संभव नहीं है। क्योंकि जो चीज वचन से बंध जाती है उसको रोकना संभव नहीं होता है। हालांकि अब यह जिन्न मेरे वश में है लेकिन जब मैंने इस से बात की है तो यह कह रहा है कि इसे आखरी आदेश यही प्राप्त हुआ था कि इन लोगों को जान से मार देना है। यह अपने वचनों से फिर नहीं सकता और अगर इसका पुराना मालिक इसे मना भी करें तो भी यह अपने पुराने कार्य को जरूर करेगा क्योंकि सारी बातें वचनों के अंतर्गत आती हैं। अब ऐसे में अगर! कोई व्यक्ति किसी को कोई आदेश दे देता है तो उसे पूरा करना ही होता है।

यह सुनकर दोनों दोस्त अब और भी अधिक घबरा गए थे। क्योंकि वह यह बात जानते थे जिन किसी भी हालत में उन दोनों को मार डालना चाहता है। अब केवल भैरव जी ही रक्षा कर सकते हैं।

तांत्रिक के कहे अनुसार मंदिर में उन्होंने अनुष्ठान करना शुरू कर दिया। और इस प्रकार वहां पर बैठकर जाप करने लगे।

भैरव जी की कृपा प्राप्त होने लगी।

उन्हें कई ऐसे अवसर! उपलब्ध हुये जब जिन्न ने उन्हें मारने की कोशिश की लेकिन उनके आसपास भी फटक नहीं पा रहा था। कारण था भैरव जी की शक्ति का उनके चारों ओर मंडराते रहना ।

इस वजह से अब दोनों सुरक्षित अपने आपको महसूस कर रहे थे।

और तभी वह बाबा उन्हें मंदिर के पास से गुजरता हुआ दिखाई पड़ा।

एक दोस्त!

जिसने भैरव जी को शराब चढ़ाई थी और उसका प्रसाद भी खुद ही ग्रहण किया था। उसने मंदिर से नीचे उतर कर एक बार फिर से उस बाबा को कहा। बाबा तू क्या समझता है तू हम को मार डालेगा तेरे जिन्न की औकात नहीं है? एक बार फिर से उसने उन बाबाजी से बहस करनी शुरू कर दी। कहा जाता है कि जो कुपात्र हो उन्हें अगर आप ज्ञान देंगे तो उस ज्ञान का वह सदैव दुरुपयोग ही करेंगे। यहां पर भी वैसा ही हो रहा था। बाबा को गुस्सा आने लगा। तभी दूसरा दोस्त भी नीचे उतर आया और वह भी बाबा को बुरा भला कहने लगा।

एक बार फिर से बाबा ने कहा, तुम लोग कभी नहीं सुधरने वाले हो।

तुम लोगों की मौत तो होकर रहेगी। और बाबा वहां से चला गया। लेकिन इन दोनों ने भी पीछे से बाबा को जोर से कहा, तुझे जो करना है वह कर ले हमारे साथ तो भैरव जी हैं।

इस प्रकार से वह बाबा वहां से चला गया।

शाम के समय में जब वह अपनी पूजा कर रहे थे तभी। चारों तरफ जोर-जोर से।

गांव वालों की चिल्लाहट की आवाज उन्हें सुनाई दी। दोनों ने सोचा आखिर गांव वाले इस प्रकार से क्यों चिल्ला रहे हैं?

गांव वालों को चिल्लाता हुआ देखकर दोनों खड़े हो गए और अपनी साधना को भूल कर के उन्होंने चारों तरफ देखना शुरू कर दिया। गांव के एक मकान में बड़ी जोर की आग लग गई थी। लोग चिल्ला कर बोल रहे थे कोई इस आग को बुझाओ?

तभी इन दोनों ने कहा, हमारे पास तो है भैरव जी की शक्ति है। चलो हम लोग इस शक्ति का प्रयोग इन गांव वालों की रक्षा के लिए करते हैं तो यह मंदिर से खड़े होकर जोर-जोर से बोलने लगे। कि हम तुम्हारे घरों की रक्षा करेंगे। हम को प्रणाम करो और हमें कुछ दान दक्षिणा दो।

गांव वालों ने जोर से कहा, अगर आप लोग हमारे घरों की रक्षा कर देते हैं तो हम सभी मिलकर आपको सोना चांदी देंगे। उनकी बात को सुनकर यह दोनों खुश हो गए और एक पात्र में जल लेकर तेजी से गांव की ओर चले। अभिमंत्रित कर जल को जैसे ही उस मकान के ऊपर फेंका वहां के जलने वाले सभी मकान बुझ गए। वहां की अग्नि शांत हो गई। दोनों! बहुत ही तेजी से खुश हो गए और कहने लगे। हम लोगों ने तुम्हारा काम कर दिया है हम लोगों की। इसी प्रकार सेवा और पूजा करते रहना लेकिन तुम लोगों ने सोना चांदी देने का वादा किया है। वह सब दो।

दोनों खड़े थे तभी गांव वालों ने उनके सामने काफी मात्रा में सोना चांदी रख दिया।

और?

उन्होंने कहा, इसे आप लेकर के जाइए। दोनों सोना चांदी लेकर के चलने लगे। तभी दोनों के शरीरों से हल्का हल्का रक्त चूने लगा।

रक्त इन दोनों के शरीर से निकल रहा था। यह बात उन्हें देर में समझ में आई कि कुछ गड़बड़ी है। वह गड़बड़ी क्या थी। यह बात जब तक समझ में आती तब तक उनके शरीर से बहुत सारा रक्त बह गया था और मंदिर पहुंचने से पहले ही दोनों निढाल होकर के गिर गए। दोनों की मौत हो चुकी थी।

तब तक वह व्यक्ति जो तांत्रिक था और भैरव मंदिर में रहता था, उसने जाकर देखा। तो दोनों के दोनों के गले में कोई ताबीज नहीं था।

और जब उसने गांव वालों की तरफ देखा तो वहां कोई गांव नहीं था। उसने अभिमंत्रित जल का प्रयोग कर।

भैरव जी के मंत्र का जप प्रयोग किया तो जो नजारा उसे दिखाई दिया। बहुत सोच में पड़ गया और सारा रहस्य समझ गया। उसने देखा जिन्नो की एक पूरी फौज ने पूरा गांव बनाया था। और उस गांव में आग भी लगाई थी ताकि दोनों बाहर आकर।

गांव की रक्षा करने के बहाने मूर्खता कर सकें। सोने चांदी के रूप में उन्होंने अपने हथियार इनके शरीर पर रखवा दिए उन्हीं से। ताबीज कट गए और शरीर धीरे-धीरे कटते चले गए क्योंकि उनके हथियारों को इन्होंने खुद ही स्वीकार किया था। जब कोई वस्तु स्वीकार कर ली जाती है तो उसी का प्रभाव पड़ता जाता है। उन हथियारों ने अपना काम करना शुरू कर दिया और इनके शरीर को काटती चली गई । इसी प्रकार दोनों के शरीर! भ्रम की अवस्था में कटते गए और दोनों की मौत हो गई। तो इस प्रकार गुरुजी चारों दोस्तों का अंत हो गया।

उन दोनों की लापरवाही और भैरव जी की पूजा सिद्धि भी काम नहीं आई । ऐसा इसीलिए हुआ क्योंकि वह साधना के पात्र नहीं थे। तो जब तक आपका मन हृदय पवित्र नहीं होगा, देवता भी आपकी रक्षा नहीं करते हैं। इस प्रकार यह बात केवल एक घटना और कहानी बनकर हमारे गांव में रह गई। तो यदि हमारे गांव की एक कहानी जो विश्वास करना चाहे वह विश्वास करें, जो ना करना चाहे वह मनोरंजन के रूप में लें।

आप एक अच्छा काम कर रहे हैं। गुरुजी, प्राचीन तंत्र मंत्र विद्या और कथाओं को सभी लोगों के सामने लाकर उसके लिए मैं आपका हृदय से आभारी हूं। नमस्कार गुरु जी!

संदेश – दो लोगों की अपनी खुद की बेवकूफी के कारण ऐसा मौका उनके हाथ से निकल गया। जब उन्हें सिद्धि की प्राप्ति भी हो जाती और लोगों का भला भी कर पाते। पर अपने अहं में आकर उन्होंने एक बार फिर से जिन्नात बाबा को चुनौती दे डाली और उसने जिन्नों की पूरी फौज ही उन को मारने के काम में लगा दी और आखिरकार उसका नतीजा इस प्रकार से घटित होगा। तो पहले! अपने हृदय को पवित्र रखना चाहिए ताकि आप किसी से। कोई दुश्मनी बेमतलब की ना लें और अपने जीवन को सुख में रखते हुये साथ ही साथ दूसरों का भी भला करें तो अगर आज की कहानी आपको पसंद आई है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें।आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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