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दिवाली में धन देने वाली कौशिक यक्षिणी साधना

दिवाली में धन देने वाली कौशिक यक्षिणी साधना

नमस्कार दोस्तों। धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग एक ऐसी साधना का ज्ञान प्राप्त करेंगे जो दिवाली की रात्रि में। करके आप अपने जीवन में धन संबंधी परेशानियों को हल कर सकते हैं। इतना ही नहीं आप सिद्धि भी प्राप्त कर सकते हैं। एक ऐसी यक्षिणी जो दिवाली की रात में सिद्ध की जा सकती है। उसकी प्रभाव क्षमता और उसका प्रभाव? एक अस्तित्व बहुत ही दुर्लभ है। आपको शायद इस विषय में जानकारी भी नहीं होगी। इस यक्षिणी को हम कौशिक यक्षिणी के नाम से जानते हैं। एक ऐसी दुर्लभ यक्षिणी। जिसकी अगर आराधना। दीपावली में। कोई करता है? तो यह साधक को। सीधे स्वर्ण मुद्राएं प्रदान करती है। अगर कोई व्यक्ति इसकी साधना में सफल हो जाता है। तो? देवी उससे प्रसन्न होकर। सब कुछ प्रदान करती है। यह शक्ति विशेष रूप से दीपावली की रात को ही जागृत होती है। इसलिए पूरे वर्ष में केवल यही 1 दिन है। जिस दिन इस शक्ति की आराधना की जा सकती है। इसीलिए। इसे गोपनीय रखा जाता है।

कौशिक? बहुत ही दुर्लभ लक्ष्मीदेवी सेविका है। यह अपने प्रभाव से। साधक के धन की समस्याओं को हल करने वाली मानी जाती है। पुराने समय में। जो लोग माता लक्ष्मी को प्रसन्न नहीं कर पाते थे। अगर वह इस कौशिक को प्रसन्न कर ले। तो उसके जीवन में धन का अभाव तुरंत ही समाप्त हो जाता था। सबसे पहले। हम लोग इसकी कथा के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे और इस साधना का विवरण मैंने इंस्टामोजो स्टोर पर उपलब्ध करवा दिया है। इस पोस्ट के नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में लिंक दिया है। उस पर क्लिक करके आप इस साधना को खरीद सकते हैं। आवश्यक सामग्रीया जुटाकर इस साधना को करके विशेष धन लाभ प्राप्त कर सकते हैं। तो जैसा कि। आपको पता है कि कौशिक। एक ऐसी यक्षिणी है, जिसका सीधा संबंध। माता लक्ष्मी के वाहन से माना जाता है। दुर्लभ स्वरूप में। यह। दीपावली के। रात्रि में उल्लू के रूप में विचरण करती है। और अपनी बड़ी बड़ी आँखों से। सभी साधकों को देखती हैं। यह इतनी दुर्लभ है की कई बार यहाँ तक कहा जाता है। कि अगर दीपावली की रात में उल्लू के रूप में धरती पर आई। कौशिक को कोई देख ले। तो देखने मात्र से ही। उसके जीवन में धन वर्षा होने लगती है। उसकी सामर्थ्य इतनी ज्यादा बताई गई है। इस संबंध में जो पौराणिक। किंवदंती हमें प्राप्त होती है। वह इस प्रकार से है।

एक राज्य में एक विद्वान और बहुत निर्धन ब्राह्मण रहता था। उसके पास सदैव धन का अभाव रहता था। इस कारण। वह। बहुत कोशिश करता था। यजमानी के कई प्रकार के कार्य। करने की कोशिश करता था। लेकिन। जीवन में तब भी उसके पास धन नहीं रह जाता। कोई ना कोई संकट, बिमारी। व्यापार संबंधी जो भी कार्य उन सभी में घाटा,यजमान जिसके यहाँ। वह कार्य करता उसको भी आर्थिक संकट होता। ऐसी अवस्था में। जब उसका विवाह हुआ। तो उसकी पत्नी ने उससे मांगा कि उसे कम से कम। एक सोने की कोई आभूषण तो दे दे। लेकिन वह कुछ भी देने में सक्षम नहीं था। इसी कारण से। वह दुखी हो गया। पत्नी ने कहा। अगर गृहस्थ जीवन जीने लायक। तुम्हारे अंदर सामर्थ्य है ही नहीं। तो फिर आखिर क्यों तुमने मुझसे विवाह किया है? तुरंत यहाँ से चले जाओ। और जब तक धन कमाकर वापस नहीं आते। अपना मुँह मुझे मत दिखाना। यह सुनकर। एक ब्राह्मण को बहुत तीव्र आत्मग्लानि हुई। उसने सोचा कि इस जीवन का क्या लाभ अगर मैं। गृहस्थ होते हुए अपनी पत्नी की समस्त इच्छाएं। पूरी ही ना कर पाऊँ। इसलिए उसने जंगल जाना ठीक समझा। और सोचा या तो जानवर मुझे मार कर खा जाए। या फिर किसी साधु संत से मुलाकात हो। और वह कोई मार्ग बताएं? क्योंकि मैं तो कोशिश कर के थक चुका हूँ। इस प्रकार वह दिन धनतेरस का था। और वह जंगल में चला गया। वहाँ जाकर। माता लक्ष्मी। के बारे में सोचने लगा। माता लक्ष्मी। उस दिन। कुबेर जी के साथ में पृथ्वी पर भ्रमण कर रही थी। उनकी नजर। इस। विद्वान ब्राह्मण पर पड़ी। तो उन्होंने कहा चलो इसकी परीक्षा ली जाए।

उन्होंने अपनी वाहन को कहा। जाओ। कौशिक, तुम नीचे उतरो। और तुम्हारे अंदर विराजमान मेरी शक्ति। तुम्हे। हर कार्य के लिए तैयार कर देगी। तभी। उल्लू जैसे नीचे उतरा। वह एक स्त्री में बदल गया। वह स्त्री अत्यंत गौर वर्ण श्वेत वस्त्र पहने। आभूषणों से युक्त। वहाँ पर प्रकट हो गई। तब यह स्त्री उस ब्राह्मण के पास पहुंची। उससे कहने लगी। मैं रास्ता भटक चुकी हूँ। क्या आप। मुझे कोई मार्ग दिखाएंगे ताकि मैं। गांव पहुँच जाऊं? इसलिए। आप मेरी मदद कीजिए। ब्राह्मण कहने लगा। कि मैं आपकी मदद कर देता पर मैं स्वयं बहुत दुखी हूँ। मेरे जीवन में बड़े ही संकट है। धन का बहुत ज्यादा अभाव है। मैं जीवित नहीं रहना चाहता। या तो कोई मेरी मदद करें। या फिर। कोई जंगली जानवर आकर मुझे खा जाए। ताकि मेरे जीवन का अंत हो सके। इस प्रकार गरीबी में जीना। मेरे लिए संभव नहीं है। यह सुनकर वह स्त्री कहने लगी, अरे? तुम्हे नहीं पता। माता लक्ष्मी स्वयं धरती पर। इन 3 दिन विचरण करती है। धनतेरस? चतुर्दशी। ओर अमावस। जिसमे दिवाली की रात्रि सबसे ज्यादा चमत्कारिक होती है। आप क्यों नहीं माता लक्ष्मी को प्रसन्न कर लेते हैं? तब विद्वान ब्राह्मण बोला। आपकी बात सत्य है। किंतु आपको शायद नहीं पता। जो स्वयं नारायण की पत्नी है। जिनकी सामर्थ्य अनंत हैं। भला उन्हें कोई एक रात्रि में कैसे प्रसन्न कर लेगा? उसके लिए तो महान तपस्या चाहिए। ओर मैं तो दुनियादारी में फंसा हुआ एक ब्राह्मण हूँ। आप अगर कोई अन्य मार्ग जानती हो तो बताइए।

तब वह ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी। और कहने लगी अच्छा तो ये बात है। चलिए मैं आपको एक अत्यंत गोपनीय साधना बताती हूँ। यह साधना? कौशिक नाम की एक यक्षिणी की है। जो कि वाहन है देवी का? अगर तुमने उसे प्रसन्न कर लिया। तो जीवन में तुम्हारे सारे संकट। टल जाएंगे। ब्राह्मण ने कहा। मैं तो पहली बार ऐसी किसी। देवी के बारे सुन रहा हूँ। इनका साधना विधान क्या है? आप अवश्य बताइए। मेरी सामर्थ्य होगी तो मैं। तन मन से। पूरी तरह पवित्र होकर करूँगा। तब उस यक्षिणी ने कहा सुनिए। आप। सबसे पहले। देवी का मंडप सजाईये हैं।  स्फटिक की माला से यहाँ बैठ कर इस दिव्य मंत्र का जाप कीजिए। आप निश्चित रूप से सफल होंगे। मैं आपकी पूरी मदद करूँगी। इस प्रकार। उस साधु ने? अर्थात। उस विद्वान ब्राह्मण ने एक साधु की तरह निराहार रहकर साधना शुरू कर दी। इस प्रकार। दीपावली के। दिन। उन्होंने। भीषण साधना की। मान वचन। पूरी तरह पवित्र हो गए। साधना के दौरान। जब वह साधना कर रहे थे। एक विशालकाय। उल्लू उड़कर आया। और इनके सिर के ऊपर बैठ गया। और सिर पर चोंच मारने लगा। यह दर्द से चिल्लाने लगें। तब ब्राह्मण को एक बात याद आई। देवी ने कहा था। मंत्र जाप पूर्ण होने तक उठना नहीं है, चाहे कोई भी समस्या। क्यों ना आ जाए? इसलिए। सिर पे बहुत तेज दर्द होने के कारण भी। उन्होंने मंत्र जाप नहीं छोड़ा।

इधर उस उल्लू ने इनकी खोपड़ी में छेद कर दिया। जहाँ से खून निकल कर सामने गिरने लगा। ब्राह्मण ने यह सोचा आज उसकी मृत्यु है। पर अगर वह ऐसे। वापस लौटा। तो भी क्या जीवन? जब अपनी पत्नी की। इच्छा ही नहीं पूरी कर सकता। इसीलिए। उस। विद्वान ब्राह्मण ने। तपस्या जारी रखी। दर्द अपनी चरम पर था। और इसमें और भी ज्यादा तीव्रता तब आ गई। जब। सिर के उस छेद से मांस निकाल कर वह उल्लू खाने लगा। उस मांस को खाते हुए। ब्राह्मण देख तो नहीं पा रहा था। पर स्पष्ट रूप से समझ रहा था कि कोई जीव उसकी खोपड़ी को फाड़कर खा रहा है। इस प्रकार। ऐसी अद्भुत। घटना उसके साथ घटित हो रही थी। कि तभी। एक स्त्री बहुत तेजी से वहाँ दौड़कर आई। उसने डंडे से उस उल्लू को भगा दिया। ब्राह्मण कि गोदी में जाकर बैठ गई। उसके शरीर पर। चूमने लगी। सबसे पहले उसने सिर पर। चुम्बन किया। और ब्राह्मण? का सिर ठीक हो गया। फिर उसने बहते हुए खून पर चुंबन किया। और उसका खून बहना रुक गया। और फिर उसने ब्राह्मण के होठों पर चुम्बन किया। इससे ब्राह्मण आश्चर्य में आ गया। उसके अंदर कामवासना तीव्रता से आई। लेकिन। कन्या को अपने हाथ से धक्का देकर। उसके पैर छूकर बोला। मुझे माफ़ कीजिए, मैं शादीशुदा हूँ। मैं यह सब कुछ नहीं कर सकता। बस इतना ही सुनना था। कि वहाँ पर।

दिव्य स्वरूप में एक कन्या प्रकट हो गयी। मुस्कुराते हुए बोली। हे ब्राह्मण देव। मैंने। आपकी परीक्षा ली है। जिसमें आप सफल रहे हैं। इसलिए मैं आपको। अतुलनीय धन राशि प्रदान करती हूँ। अपने हाथ को उठाकर। उसने आकाश की तरफ इशारा किया। और वहाँ सोने के सिक्के बरसने लगे। और ब्राह्मण के पास बहुत अधिक मात्रा में। वहाँ सोना इकट्ठा हो गया। तब ब्राह्मण ने पूछा, देवी आप कौन हैं? तब उन्होंने बताया मैं। देवी लक्ष्मी की वाहन हूँ। मेरा नाम कौशिक है। ओर मैं ही। कौशिक यक्षिणी के नाम से जानी जाती हूँ। मैं माता की आज्ञा से पृथ्वी पर दीपावली की रात्रि में आती हूँ। माता लक्ष्मी की नजर आप पर पड़ गई थी। इसीलिए उन्होंने। आपकी परीक्षा लेने के लिए मुझे भेजा था। जिसमें आप सफल रहे हैं। इसलिए आप जीवन में आपके कभी धन की कमी नहीं होगी। आप जब भी। मेरे मंत्र का एक माला उच्चारण करेंगे। मैं साक्षात् प्रकट हो जाउंगी। और आपकी? इच्छानुसार आपको। स्वर्ण धनराशि प्रदान करूँगी। जो भी मेरी इस गोपनीय कथा को सुनेगा? उसकी भी मैं सदैव सहायता करती रहूंगी। दीपावली को जो मेरी साधना। करेगा? अपने गुरु के मुख से सुनेगा। उसका भी मैं कल्याण अवश्य करूँगी।

जो मेरी साधना करेगा। और मुझे सिद्ध करेगा उसके जीवन में मैं धन की वर्षा करूँगी। लेकिन केवल उसी को मैं प्रदान करूँगी जो मेरी परीक्षा में सफल रहेगा। यह कहते हुए। वह देवी अंतर्ध्यान हो गई। इस प्रकार। आप लोग समझ चूके होंगे। कि कैसे देवी कौशिक उल्लू के स्वरूप में धरती पर आती है। और अपने साधकों को धन प्रदान करती है। यह केवल दीपावली की रात्रि में घटित होता है। इसीलिए। इनकी साधना? करके व्यक्ति अपने जीवन से। समस्त धन संबंधी परेशानियों को हल कर सकता है। तो अगर इस साधना को आपको। खरीदना है तो नीचे वीडियो के डिस्क्रिप्शन बॉक्स में लिंक दिया है उस पर क्लिक करके इन instamojo स्टोर पर जाएं। अपना नाम, ईमेल,फ़ोन नंबर इत्यादि डालकर। उसके बाद पेमेंट करें और फिर पीडीएफ़ को डाउनलोड करें। पीडीईऍफ़ आपके ईमेल पर भी लिंक के रूप में डाउनलोड करने के लिए आता है। इस विधि को खरीदकर पूरी व्यवस्था कर लें और दीपावली में इस साधना को करें। ताकि। देवी की कृपा आपको प्राप्त हो।

 

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