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दिव्य लोक ले जाने वाली नीरजा यक्षिणी साधना

दिव्य लोक ले जाने वाली नीरजा यक्षिणी साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज जो साधना लेकर उपस्थित हुआ हूं, यह अत्यंत गोपनीय नीरजा यक्षिणी साधना है। नीरजा यक्षिणी को बहुत ही कम लोग जानते हैं। एक ऐसी यक्षिणी जो कि ऐसे सरोवर या तालाब में वास करती है जहां से वह। किसी अन्य लोक में ले जाने की क्षमता रखती है। इतना ही नहीं यहां से दूसरे आयामों में जाया जा सकता है। अगर इस शक्ति की पूर्ण सिद्धि हो जाती है। पुराने समय में विशेष प्रकार के ऋषि और मुनि इसकी साधना किया करते थे और इसे सिद्ध कर गमन, लोक गमन सिद्धि को लोग गमन विद्यया को प्राप्त करते थे। इतना ही नहीं यह बुद्धि ज्ञान देने में भी निपुण देवी मानी जाती है क्योंकि इस से साधक विद्वान माना जाता है।

ऐसे तालाब का चयन इस साधना के लिए किया जाता है। जिस तालाब में कमल खिलते हो ।

अब आपको ज्यादातर जब बरसात का समय हो उससे ही इसकी साधना उपयुक्त मानी जाती है और इनकी साधना सावन महीने से लेकर के दीपावली तक कभी भी की जा सकती है। दिन शुभ शुक्रवार का हमेशा लेना चाहिए। इनकी साधना में कमल गट्टे की माला का ही प्रयोग किया जाता है। और यह देवी अत्यंत ही चतुर और निपुण मानी जाती हैं। इसलिए जो भी इनकी साधना करता है, उसकी बुद्धि प्रखर हो जाती है। उसका ज्ञान बढ़ जाता है। इस के अलावा यह देवी जब प्रकट होती हैं तो पहले सरोवर से एक विशालकाय। कमल का फूल। दिव्यता से पूर्ण दिव्यता से भरा होता है इसी कमल के फूल पर विराजित हो कर आप को दर्शन देती हैं ठीक जैसे माता लक्ष्मी माता सरस्वती और अन्य देवी देवता! कमल के आसन पर विराजमान होकर दर्शन देते हैं। यह गुप्त यक्षिणी है और पूर्णता सात्विक भी हैं। इसी कारण से इनकी साधना करने पर कोई नुकसान नहीं होता है। इनकी साधना मा, बहन के रूप में करनी चाहिए जिसके अंदर महान बलाबल हो।यक्ष समान जो शक्तिशाली और सिद्धिवान हो केवल वही इन्हें प्रेमिका या पत्नी के रूप में सिद्ध करने के बारे में सोचे, क्योंकि यह अपने से अधिक शक्तिशाली का वरन करती हैं।

साधारण व्यक्ति को यह कुछ नहीं समझती हैं और और उसका नाश कर देती हैं। इसीलिए केवल वही साधक जो इन्हें पूर्व सिद्ध करके अपने पास प्रेयसी या पत्नी रूप में रखना चाहता है, उसका आध्यात्मिक बल बहुत ज्यादा होना चाहिए।

यह अन्य लोक में जाने का मार्ग देती हैं। उस तालाब के अंदर जब साधक प्रवेश करता है तब उसे सांस लेने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती और वहां एक दिव्य कमल तलहटी में आपको दिखाई पड़ता है। जिस भी लोक में आप जाना चाहते हैं, बस उसका स्मरण करते हुए देवी के मंत्रों का जाप करते हुए उस कमल के अंदर कदम रखना चाहिए। और फिर वहां से आप को उसके अंदर पहुंचा देती हैं। इसीलिए यह साधना अत्यंत दुर्लभ और देव लोक तक ले जाने वाली मानी जाती है। मृत्यु के बाद साधक देवता बनता है और यक्ष राज कुबेर के साथ सुख का भागी बनता है।

वह देवलोक में यक्ष लोक में देवता बनकर निवास करता है और जब तक उसके पुन्य समाप्त नही हो जाते तब तक वह पृथ्वी पर दोबारा जन्म तब तक नहीं लेता है। इसीलिए इस साधना को बहुत ही उच्च कोटि की साधना माना जाता है। लेकिन जैसा कि हम जानते हैं जो भी सात्विक साधना होती हैं, उनकी अधिकतर ज्यादा तपस्या करनी पड़ती है। साधना वह इस प्रकार से है कि साधक सावन महीने में भगवान शिव की वंदना करने के पश्चात यक्ष राज कुबेर की साधना करें और अब किसी निर्जन एकांत वन में। कमल के फूलों से सजे हुए तालाब के किनारे अपनी साधना की व्यवस्था कर ले वहां पर। एक कमल के आसन पर विराजित। देवी का चित्र अथवा मूर्ति बनाकर स्थापित करें। वह पीले रंग का  हो। उनके सामने शुद्ध घी का दीपक जलाकर और रोजाना और रोजाना रात्रि के प्रथम पहर शुरू होते ही रात्रि के अंतिम पहर तक लगातार छह माह तक साधना करें। तब देवी किसी रात्रि अचानक से प्रकट हो जाती है माया दिखाती हैं । और विभिन्न प्रकार से साधक की परीक्षा लेती है। अगर साधक इनकी साधना में पूरी तरह सफल हो जाता है और इनको प्राप्त कर लेता है तब यह आप से पूछती है। मैं तुम्हारी कौन हूं? तब साधक को संबोधित शब्द के द्वारा इन्हें सिद्ध करें अर्थात उन्हें मां बहन या फिर। प्रेमिका पत्नी जो भी वह उन्हें कहना चाहता है, वह कहे उसी रूप में वह आपके साथ आ जाती हैं। तुरंत।

भोजन लेकर आपके सामने रख देती हैं इस दिव्य भोजन से  बीमारियां साधक के और सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसके अंदर बल आ जाता है। उससे विभिन्न प्रकार की अद्भुत सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं। जब साधक इन्हें बहन कहता है तो उनके साथ में वहां पर बहुत सारी यक्ष कन्याएं प्रकट हो जाती हैं और वह आकर प्रेयसी बन जाती है। साधक की प्रेमिका बनकर वह उसके साथ रमण करती हैं।

साधक को संतुष्ट रखती हैं रक्षा सूत्र। अवश्य ही बंधवा ले! अपने गले अथवा हाथ में बांध कर रखें यह देवी यक्ष।

रक्षा सूत्र होता है।

जब भी से आप रक्षा सूत्र पर हाथ रखकर इनके मंत्र का उच्चारण करेंगे। आप कैसी भी परिस्थिति में जहां भी आप परेशान हो और आपको देवी की सहायता आवश्यकता है 7 बार मंत्र उच्चारण कर लेने मात्र से देवी साक्षात वहां प्रकट हो जाकर आप को दर्शन देंगी और आपकी हर प्रकार से रक्षा कर आपके कार्यों का संपादन करेंगी। देवी तुरंत प्रकट होकर जो भी आपकी समस्या है, उसको हल कर देती हैं। और साधक अगर इन्हें पत्नी रूप में पुकारता है तो यह तुरंत ही आपके हृदय में प्रवेश कर जाती हैं। जोरदार बिजली का झटका साधक को लगता है और तब साधक! उसे सारी दूसरी दुनिया के दृश्य दिखाई देने लगते हैं ऐसा साधक किसी को देखकर उसका भूत भविष्य वर्तमान भी भी उस से छिपा नहीं रहता है। वह जिसे देख लेता है उसका सब ज्ञान उसे हो जाता है। आसपास विचरने वाले भूत प्रेत बेताल देवी देवता, यक्ष गंधर्व किन्नर सभी को वह खुली आंखों से देख सकता है और उनसे वार्तालाप कर सकता है। इतना ही नहीं वह सरोवर सिद्ध हो जाता है। इसी कारण से जब वह उस सरोवर में प्रवेश करता है। तो वहां एक दिव्य कमल प्रकट हो जाता है। तो जिस भी लोक में जाने की उसकी इच्छा है, वह उस लोक में पहुंच जाता है। वहां घूमने के पश्चात वहां से जब उसे वापस आने की इच्छा मात्र से वहां पर।

पैर रखते ही वह वापस सरोवर के माध्यम से पृथ्वी में वापस आ सकता है। देवी! अर्धांगिनी रूप ले लेती हैं हैं अर्थात जिस प्रकार अर्धनारीश्वर भगवान शिव दिखाई पड़ते हैं, वैसा ही साधक हो जाता है। देवी की सारी उपयोग वह कर सकता है।

इनकी पत्नी रूप में साधना बड़ी कठिन मानी जाती है। और विरला साधक ही इन्हें सिद्ध कर सकता है।

ऐसे में साधक को ज्यादातर इन्हें मां अथवा बहन के रूप में सिद्ध करना चाहिए और जब साधक इन्हें पुकारता है तब शक्ति अवश्य ही प्रकट होती है।

मां के रूप में यह अतुलनीय प्रेम देने वाली वात्सल्य से भर देने वाली देवी के रूप में। बहन और बहन के रूप में जीवन में अच्छी पत्नी प्रेमिका इत्यादि लगातार देती रहती हैं।

इस प्रकार इनकी शक्ति के माध्यम से साधक धन, वैभव, संपन्नता इत्यादि प्राप्त कर सकता है क्योंकि उसकी बुद्धि प्रखर हो जाती है। उसका ज्ञान काफी उच्चता प्राप्त कर लेता है। देवी के मंत्र को सर्वथा गोपनीय रखने को कहा गया है।

इसका जो मंत्र है वह केवल उसी साधक को दिया जाएगा जो साधक इस साधना को करने के लिए पूरी तरह होगा जिसके पास 6 महीने से लेकर 2- 3 वर्ष का समय हो।

साधना के लिए घर बार छोड़कर एकांत में स्वयं भोजन बनाकर अकेला रहता हुआ सरोवर के किनारे सिद्धि करना चाहता हूं। वही केवल इस साधना को प्राप्त करें और इसका गुप्त मंत्र अपने गुरु से प्राप्त करें। तब साधक इस साधना को अवश्य ही सरल भाव से कर सकता है। यह साधना सात्विक मानी जाती है। इतनी है की मोक्ष प्राप्ति में कभी भी संकट उत्पन्न नहीं करती बल्कि स्वर्ग इत्यादि उच्च लोकों को देने वाली मानी जाती है।

इसलिए इस साधना को अगर कोई करना चाहे तो अवश्य ही कर सकता है।

इनकी कृपा इनकी विधिवत साधना से ही प्राप्त होती है। साधना का विधान बहुत सरल है जैसा कि मैंने बताया है। कुछ भी और करने की आवश्यकता इसमें नहीं होती है। विधान को गोपनीय रखने को कहा जाता है और किसी भी ऐसे व्यक्ति को कदापि यह मंत्र नहीं देनी चाहिए जो इनका दुरुपयोग करें। एक ऋषि ने इस मंत्र को एक शिष्य को दिया था जो राक्षसी प्रवृत्ति का था। वह!

स्वर्ग लोक जाकर वहां से एक अप्सरा का हाथ पकड़कर धरती पर खींच लाया था। अप्सरा वापस नहीं जा पाई। और उसने देवी देवताओं को पुकारना शुरू कर दिया। उसका भोग उपभोग बहुत बुरी तरह उस साधक ने किया था तब उसने। इस?

श्राप को दिया कि इस मंत्र को सर्वथा गोपनीय कर दिया जाए। और? इसके बाद वह एक देवता की मदद से वापस स्वर्ग लोक चली गई थी। इस व्यक्ति को कोढ उत्पन्न हो गया था। सारी जिंदगी भर यह कोढ रहा।

इसलिए कोई भी साधना का उद्देश्य गलत नहीं होना चाहिए।

इस प्रकार साधना नीरजा यक्षिणी की जाती है। अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

https://youtu.be/TNhC7_Xacvg
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