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देवाल मंदिर की विषकन्या कथा भाग 3

देवाल मंदिर की विषकन्या कथा भाग 3

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । जैसा कि अभी तक आपने इस कहानी में जाना किस प्रकार से विषकन्या माधवी नगर में आ चुकी है । और वहां पर उसने अद्भुत नृत्य के द्वारा राजा सहित संपूर्ण प्रजा को मोहित कर लिया । माधवी ने वशीकरण शक्ति का प्रयोग के माध्यम से वह राजा तक पहुंचने का प्रयास कर रही थी । जिसमें वह सफल भी हो गई थी । राजा ने स्वयं उस को आमंत्रित किया था अपने नगर भवन में । और वह वही जाने के लिए तैयार हुई थी । वहीं पर उसकी एक नेवले से लड़ाई हो जाती है । और नेवले को वह अपनी शक्ति के द्वारा बेहोश कर देती है । और घायल कर देती है नेवला भी उसके पैरों पर काट लेता है । जिसकी वजह से उसको घाव हो जाता है । और इसी प्रकार लड़खड़ाते हुए वह राजा के महल में पहुंचती है । राजा उसे प्रेम से बुलाता है । लेकिन उसे पैर से इस प्रकार घायल हुआ देख कर के आश्चर्यचकित रह जाता है । राजा ध्रुव कीर्ति उससे कहता है की । हे कन्या आखिर तुम इतनी परेशान क्यों हो क्या हो गया । तुम्हारे पैरों में ऐसी समस्या कहां से आ गई है । इस पर माधवी कहती है महाराज पता नहीं लेकिन कुछ अजीब सा हुआ । जिसकी वजह से मेरे पैर में चोट लग गई । राजा ध्रुव कीर्ति अपने वैद्य को कहता है आप इनका इलाज कीजिए ।

इस पर माधवी कहती है नहीं उसकी आवश्यकता नहीं है । महाराज मेरी एक इच्छा अगर आप  पूरी कर दे तो मैं आपके प्रति बहुत अधिक आभारी रहूंगी । राजा ध्रुव कीर्ति कहते हैं कि क्या इच्छा है ।माधवी कहती है मैं आपके हाथों को चूमना चाहती हूं । इस पर राजा ध्रुव कीर्ति प्रसन्न होकर कहते हैं भला मेरे हाथों को चुम कर तुम्हें क्या हासिल होगा । माधवी कहती है मेरी बचपन से इच्छा थी कि मैं राजा को अपने हाथों से स्वयं छू कर के देखूं और उनके हाथों को की उंगलियों का स्पर्श पाऊं उन्हें चूमू जो हाथ पूरे राज्य को बनाते हैं । पूरे राज्य का कार्यभार संभालते हैं । वह हाथ अद्भुत होंगे । राजा ध्रुव कीर्ति उसकी इस बात से प्रसन्न हो जाता है । और माधवी से कहता है अवश्य ही तुम ऐसा कर सकती हो । आओ माधुरी बहुत खुश होकर के सोचती है अब उसका कार्य हो गया । क्योंकि अगर उसने उनके हाथों को चूम भी लिया तो उसके होठों में भरा हुआ जो जहर है वह राजा ध्रुव को मार देगा । धीरे-धीरे बढ़ती हुई माधवी राजा के पास पहुंचती है ।राजा उसे अपने हृदय से लगा लेता है । उसके बाद जैसे ही वह उनकी तरफ झुकती है । राजा की उंगली को छूती है और वह अपने होठों से उनकी उंगलियों को चूम लेती है ।और मुस्कुराती हुई वहां से चली जाती है । माधवी को विश्वास था । अगले कुछ घंटों में ही राजा ध्रुव कीर्ति की मौत हो जाएगी ।

क्योंकि मेरा जहर कोई नहीं काट सकता । इसके बाद माधवी उसी व्यापारी के पुत्र के पास पहुंच जाती है । व्यापारी का पुत्र उसे देख कर बहुत ज्यादा मुस्कुराता है । और उसे छूने की कोशिश करता है । इस पर माधवी उसे रोक देती है और माधवी कहती है मुझे छूइये मत । मैं एक पवित्र स्त्री हूं और यही चाहूंगी कि जब तक मेरा विवाह किसी पुरुष से ना हो जाए तब तक कोई भी पुरुष मुझे ना छुए । इस बात से बहुत ही ज्यादा प्रभावित होकर व्यापारी का पुत्र कहता है अद्भुत हो तुम ऐसी स्त्री आज के युग में मिलना बहुत ही असंभव सी बात है । जो अपने शरीर को भी किसी पराए पुरुष से छूने तक ना दे । माधवी कहती है मैंने प्रतिज्ञा ले ली है के मेरे शरीर को छूने का केवल कार्य मेरा पति ही कर सकता है । और संसार में कोई भी पुरुष मुझे ना छूए । उसकी इस प्रतिज्ञा की इज्जत रखते हुए व्यापारी पुत्र बहुत ही खुश होता है । और उसे अपने घर लेकर आ जाता है । इधर माधवी सुबह जब उठती है तब वह कहती है कि जरूर मुझे कुछ नई समाचार सुनने को मिलेगा । और वह व्यापारी के पुत्र के पास जाकर के कहती है कि मुझे कोई भी नगर से नई समाचार जो भी प्राप्त हो मुझे तुरंत आकर सुनाना । इसी प्रकार श्याम हो जाती है और माधवी आश्चर्य में पड़ जाती है कि । राजा ध्रुव कीर्ति कि अगर मृत्यु हो गई है अभी तक नगर में शोर-शराबा क्यों नहीं मचा है । माधवी व्यापारी के पुत्र के पास जाकर के कहती है कि नगर से कोई समाचार नहीं आया है । तो व्यापारी पुत्र कहता है ओह बड़ी उत्सुक हो कल तुम राजा के पास गई थी ।

इसलिए राजा का समाचार जानना चाहती हो कि क्या वे तुम्हें दोबारा बुलाएंगे । तो तुम्हारे लिए अच्छी खबर है राज महल से संदेश आया है कि आज राज्य भोज में राजा ने तुमको बुलाया है । यह सुनकर के माधवी आश्चर्यचकित रह जाती है । माधवी को याद था कि उसने अच्छी तरह से उसके उंगलियों को चुम्मा था । उसके चुमने मात्र से राजा ध्रुव कीर्ति की मृत्यु हो जानी चाहिए थी ।क्योंकि उसके पास ना सिर्फ विष की बहुत भयंकर शक्ति है बल्कि उसके पास अत्यधिक तांत्रिक शक्तियां भी मौजूद है । फिर राजा ध्रुव कीर्ति कैसे बच गया । उस बात का उसे बिल्कुल भी आभास नहीं हो पा रहा था । ऐसा कैसे संभव है । ऐसा तो केवल और केवल एक कारण से हो सकता है ।लेकिन वे उस पर विश्वास नहीं कर पा रही थी । इधर नेवला जब सुबह अचेत अवस्था से उठा अपनी घायल अवस्था में ही नेवला वहां से धीरे-धीरे एक कुटिया की और बढ़ता है ।जो भीषण जंगल में मौजूद थे । उस गहरे जंगल में जाकर के उस कुटिया के अंदर अपनी आवाज में वह चीख पुकारता है । अंदर बैठा तांत्रिक जिसका नाम भाल था । उसे अपने पास बुलाने का आदेश देता है । और कहता है अंदर आ जाओ । वह नेवला जो तांत्रिक शक्ति का बना था उसके पास जा करके बेहोश हो करके फिर से गिर पड़ता है । उसकी बुरी हालत देख कर के और उसे डशा हुआ देख कर के बहुत ही बुरी अवस्था में देख कर वह तांत्रिक बहुत ही ज्यादा आश्चर्यचकित हो जाता है । तांत्रिक कहता है इस संसार में मेरे तंत्र से बने नेवले को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता ।

यह कार्य केवल नागिन कर सकती है । नाग शक्ति कर सकती है या फिर कोई संसार में विषकन्या कर सकती है । आखिर वह कौन सी शक्ति है जिसने मेरी तांत्रिक इस नेवला शक्ति को घायल कर दिया । उसके मुंह और दातों के ऊपर परीक्षण करने पर उसमें लगा हुआ खून वह देखता है । उस खून को अपनी उंगली पर एकत्रित कर अभिमंत्रित कर उस पर मंत्र पड़ता है । मंत्र पढ़ते ही माधवी का चेहरा उसे नजर आ जाता है । भाल बहुत ही क्रोधित होता है और कहता है विषकन्या उसके राज्य में प्रवेश कर गई है । और उसका जो लक्ष्य है वह राजा ध्रुव कीर्ति यानी कि राजा ध्रुव कीर्ति को मारना ही उस विषकन्या की लक्ष्य है । इस लक्ष्य को सोचकर के भाल अपने तांत्रिक नेवले को जीवित करने की कोशिश करता है । नेवले को जीवित करने के लिए उसे पौराणिक सर्प जहर नाशक मंत्र का प्रयोग करना पड़ता है ।वह उस मंत्र को अभिमंत्रित करके अपनी कपालकुंडला शक्ति से उसे जागृत करता है । और मंत्र को इस प्रकार से पड़ता है ओम हरि मर्कटटॉय शेष नागाए विश्व स्वाहा दुहाई भोलेनाथ नागराज की ओम हरि मर्कटटॉय शेष नागाए विश्व स्वाहा दुहाई भोलेनाथ नागराज की । बोल करके वह उस मंत्र को अभिमंत्रित करके उस पर फूकता है । और वह तुरंत ही उसका नेवला जीवित हो जाता है । अपने नेवले को वह अद्भुत शक्तियां प्रदान करता है ।

नेवला कहता है मैं इस रूप में उसका सामना नहीं कर सकता हूं । मुझे आप और शक्तियां प्रदान कीजिए । भाल तांत्रिक अब उसे एक स्त्री का रूप निर्धारित करके बना देता है और वह भी एक सुंदर स्त्री माधवी के समान ही बन जाती है । काफी खूबसूरती के साथ में अब उसका निर्माण करके भाल बहुत ही प्रसन्न होता है । और भाल से दिव्य रुपावती विद्या प्रदान करता है । रुपावती विद्या से वह जब चाहे तब अपना रूप बदल सकती है । और अद्भुत रूप और सौंदर्य का मालिक वह नेवला हो जाता है । इस प्रकार से नेवला एक कन्या में यानी स्त्री में बदलकर नगर की ओर प्रस्थान कर जाता है । यह बात समझ से परे थी कि क्यों आखिर माधवी राजा ध्रुव कीर्ति को मारना चाहती थी । भाल को यह बात समझ में नहीं आ रही थी । कि यह बाहर से आई हुई कन्या क्यों भाल कि दुश्मन बनने के लिए आ गई है । और राजा ध्रुव कीर्ति को मारना चाहती है । भाल तंत्र विद्या से पता करने की कोशिश की । लेकिन वह कुछ भी पता नहीं कर पा रहा था । इसके बाद भाल स्वयं राजा ध्रुव कीर्ति के पास जाता है और कहता है । महाराज मुझे आपकी जान पर खतरा नजर आ रहा है । तो राजा ध्रुव कीर्ति कहता है भाल तुम तो मेरे बचपन से मित्र हो और मेरी रक्षा सुरक्षा अपनी तांत्रिक विद्या से करते चले आ रहे हो । बताओ क्या है कारण । इस पर भाल एक बड़े बर्तन में जल मंगवाता हैं उस पर जल विद्या का प्रयोग करके देखता है । तो उसे एक स्त्री दिखाई पड़ती है जिसे देखकर राजा ध्रुव कीर्ति उछल पड़ता हैं ।

और कहता है यह तो मेरी पत्नी है अपनी पत्नी को याद करके उसे पुरानी बातें याद आती है । वह याद करता है और उसे याद आता है कि एक स्त्री के साथ जिसका प्रेम व्यवहार उसका हुआ था । वह स्त्री पहाड़ी क्षेत्र में उससे मिली थी और उससे उसका प्रेम संबंध बना था । उन दोनों के बीच में प्रेम विवाह गंधर्व विवाह संपन्न हुआ था । और उसके बाद वो किसी कार्यवष को अपने नगर को वापस चला आया । और उसे मैं भूल गया । क्यों आखिर वह उसे भूल गया आखिर वह स्त्री अब कहां है । राजा ध्रुव कीर्ति भाल से कहता है कुछ भी करो उस स्त्री का पता लगाओ । भाल भी सोचता है यह स्त्री तो वह स्त्री नहीं है । और अगर वह स्त्री थी तो इसकी उम्र तो आज काफी हो चुकी होगी ।यह कम से कम 45 46 वर्ष की होगी । लेकिन उस लड़की को जिस लड़की ने उसके नेवले को घायल किया था । उसकी उम्र 18 साल की मात्र है । भाल को कुछ समझ में नहीं आया । तो भाल अपनी तंत्र विद्या से देखता है कि वह स्त्री कहां पर स्थित है । वह स्त्री हिमालय में किसी कुदरा में जाकर तपस्या कर रही होती है । भाल कहता है मुझे अपनी तंत्र शक्ति को वहां भेजना होगा । और भाल अपनी तंत्र विद्या से गुप्त नोका विद्या का प्रयोग करता है । और वहां पर एक विशेष प्रकार की चिड़िया जाती है । वह चिड़िया जाकर के उसके सामने बैठ जाती है । और उस स्त्री से कहती है कि आपकी तपस्या बहुत समय से मैं देख रही हूं ।आपके पति कहां है । इस पर वह स्त्री बहुत ही गुस्से से कहती हैं वह जो मुझे छोड़कर चला गया जो मुझे गर्भवती बना कर चला गया और जिसकी वजह से मैंने अपनी कन्या को जंगल में छोड़ दिया मैं उससे बहुत ही ज्यादा क्रोधी हूं ।मैं उसका वध कर देना चाहती हूं । मुझे उसकी याद ना दिलाओ ।

इस पर वह चिड़िया बोलती है आपको जाकर के तांत्रिक भाल से मिलना चाहिए । वही आपके कार्यों का संपादन कर पाएगा । यह बात सुनकर के अपनी तपस्या छोड़कर के वह स्त्री भाल की तरफ निकल पड़ती है । और जा कर के एक नगर में विश्राम करती है । विश्राम करने के बाद में उसको वह चिड़िया एक बार फिर से दिखाई दी । और धीरे-धीरे करके रात्रि के समय में वह भाल की कुटिया के पास पहुंचती है । भाल अंदर से अपनी चिड़िया के माध्यम से सारी बातें जान रहा था । भाल उसे अंदर बुलाता है और कहता है आइए महारानी आपका स्वागत है । इस पर वह आश्चर्यचकित होकर भाल को देखती है । और कहती है कि मैं कहां की महारानी हूं । मैं तो एक साधारण सी स्त्री हूं । तब भाल कहता है नहीं महारानी आप साधारण स्त्री नहीं है आप राजा की पत्नी है । उस राजा की जो आपको छोड़ गया । फिर एक बार स्त्री बड़ी ही क्रोध में कहती है मैं उस निर्मोही के बारे में बात भी नहीं करना चाहती जो मुझे गर्भवती बना करके चला गया था । मैं चाहती हूं कि उसे बहुत-बडा दंड मिले । भाल कहता है उसी लिए तो मैंने आपको बुलाया है मैं आपका साथ दूंगा । बस शर्त यह है आप मुझे राजा ध्रुव कीर्ति को मारने और उसके बाद इस राज्य का सेनापति बनाने का वादा करेे । भाल की बात को सुनकर के वह स्त्री कहती है ठीक है मैं तुम्हारा कार्य संपादित कर दूंगी ।

यह सोच कर के अब भाल और माधवी की मां दोनों एक साथ मिल चुके थे । भाल का मुख्य अब यह क्षेत्र रह गया था कि उसे किसी भी प्रकार से राजा का वध करवाना और राजा के साथ उस स्त्री का विवाह करवाना है । अगले दिन भाल वहां पहुंच जाता है और राजा ध्रुव कीर्ति के सामने उसकी पत्नी को दिखा देता है । राजा ध्रुव कीर्ति खुशी के मारे अपनी पत्नी को गले लगा लेता है । भाल और उस स्त्री की आपसी चालें एक बार फिर से कामयाब हो जाती हैं । और राजा ध्रुव कीर्ति नगर में कह देता है कि वह इस स्त्री से विवाह करना चाहता है । माधवी को यह बात पता चलती है और कहती है कि यह किस तरह का राजा है । जो बुढ़ापे में भी विवाह करना चाहता है वह भी बूढ़ी स्त्री से । लेकिन उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था  । तभी माधवी अपने नाग देवता लाडू देव को अर्थात नाग राज को याद करती है और उनसे पूछती है कि क्या है यह सब सत्य । तो नाग देवता उन्हें बताते हैं कहते हैं तुम्हारे काटने से या चूमने से जो नहीं मरेगा वह सिर्फ दो ही लोग होंगे । एक जब तक कि तुम विवाहित नहीं हो तब तक तुम्हारे पिता और माता विवाह ओर विवाह के बाद तुम्हारा पति ।

वह भी अगर तांत्रिक शक्तियों से संपन्न हो गया तो अन्यथा तुम्हारा पति भी मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा । इस प्रकार केवल तीन ही व्यक्ति ऐसे हैं जो तुम्हारे जहर को सह सकते हैं । और उनमें आध्यात्मिक शक्ति होगी अन्यथा किसी के पास यह शक्ति नहीं होगी । माधवी को आश्चर्य होता है । माधवी कहती है मेरी मां के बारे में  मुझे बड़ा दुख होता है । फिर नागराज कहता है कि तुम्हारी असली मां वह नहीं है तुम्हारी असली मां कोई और है । और तुम्हारी जो असली मां है उसी का विवाह राजा ध्रुव के साथ होने जा रहा है । माधवी आश्चर्य से भर जाती है उसे कुछ समझ में नहीं आता है । माधवी को बड़ा क्रोध आता है और वह कहती है किसी भी हालत में अब राजा ध्रुव को वह जीवित नहीं छोड़ेगी । क्योंकि वह उसकी ही मां के साथ विवाह करने वाला है । और यह क्या राज है इस पर वह नागराज से पूछती है । तो नागराज कहते हैं स्वयं पता लगाओ । आगे क्या हुआ यह जानेंगे हम लोग अगले भाग में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

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