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देवाल मंदिर की विषकन्या कथा भाग 4

देवाल मंदिर की विषकन्या भाग 4

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आपका एक बार फिर से स्वागत है । जैसा की अभी तक देवाल मंदिर की विषकन्या भाग-3 तक आपने जाना के किस प्रकार से विश कन्या माधवी इस बात को लेकर काफी परेशान हैं कि क्यों राजा ध्रुव कीर्ति उसकी मां के साथ विवाह करने जा रहा है । अब सवाल यह बड़ा सा उठता है माधवी के मन में राजा ध्रुव कीर्ति कहीं उसका पिता तो नहीं है । लेकिन वह बार-बार यह सोचती है कि उसका पिता वह हो सकता है वह अगर उसका पिता होता उसकी मां के साथ अब विवाह क्यों कर रहा है । क्योंकि उसका विवाह तो पहले ही हो गया होता अगर पहले ही विवाह हो गया होता तो वह उत्पन्न हुई होती । तो इस तरह की भिन्न-भिन्न भावनाओं से विचलित होकर इधर-उधर टहल रही थी । और उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है । सब कुछ इस प्रकार से नागराज ने उसे संकेत दिया है कि उसकी मां का विवाह राजा ध्रुव कीर्ति के साथ हो रहा है । तो यह सब क्या है । बेचारी माधवी यह समझ नहीं पा रही थी जिस विषकन्या ने उसे पाल पोस कर बड़ा किया क्या वह सच में उसकी मां नहीं थी । तो माधवी विभिन्न प्रकार के सवालों से परेशान होकर के वह उद्यान भवन में टहल रही थी । उसके टहलने को देख कर के व्यापारी का पुत्र आ गया और उससे प्रेम पूर्वक वार्तालाप करने लगा ।

माधवी उसकी आंखों में अपने लिए प्रेम को देख सकती थी । उसने यह सोचा कि यह बेचारा व्यापारिक पुत्र कैसे मुझ पर आकर्षित हो चुका है । जबकि अगर इसने मेरे से विवाह किया या मैंने इसके प्रेम प्रसंग को स्वीकार कर लिया तो मेरे चुम्मन मात्र से मर जाएगा । मैं जहर से भरी हुई हूं और मेरे अंदर इतना अधिक जहर है । और देवकृपा के कारण नागदेव की शक्ति के कारण कोई भी पुरुष मेरे सामने ठहर भी नहीं सकता है । माधवी उसकी बातों को इस प्रकार से अनदेखा करती चली जा रही है । लेकिन वह बेचारा उसके प्रेम में पड़ा ही हुआ था । माधवी उसे अपने शरीर को छूने नहीं देती थी । माधवी ने पहले ही उससे कहा था कि आप मेरे शरीर को नहीं छू सकते हैं । क्योंकि मैंने प्रतिज्ञा की है जब तक मेरा विवाह नहीं होगा मेरे शरीर को कोई छू भी नहीं सकता । इस वजह से उनके बीच में अंतराल कभी हो ही नहीं सकता था । माधवी अपने ख्यालों में खोई रहती थी और व्यापारिक का पुत्र अपने ख्यालों में । खैर दोनों एक साथ इस प्रकार वन में टहलते रहे थे कुछ देर बाद फिर माधवी ने कहा कि मैं अब नगर में जाना चाहती हूं ।

और राजा ध्रुव कीर्ति की शादी देखने कि मेरी पूरी इच्छा है । माधवी की बातों को सुनकर के व्यापारी के पुत्र ने कहा ठीक है माधवी । आप चलिए और मैं भी आपके साथ चलूंगा । मैं भी राजा ध्रुव कीर्ति का विवाह देखना चाहता हूं । आखिर राजा इस उम्र में वह कौन सी भाग्यशाली स्त्री है जिसके साथ उनका विवाह संपन्न हो रहा है । फिर उस प्रकार दोनों वहां से निकल गए । इधर भान को एक बार फिर से उसके नेवले ने आकर के संकेत दे दिया था । नेवला आया स्त्री का रूप धारण करके उसके सामने खड़ा हो गया उससे बोलने लगा । कि वह कन्या दोबारा मेरे नजदीक आ रही है । इसका मुझे आभास हो रहा है । भान ने कहा ठीक है उससे निपटने के लिए हमें तैयार होना चाहिए । और इस प्रकार से उसने नगर द्वार में जिस स्थान पर माधवी प्रवेश कर सकती थी । उस स्थान पर अपनी देवीय शक्तियो को बैठा दिया । इस प्रकार से वहां पर दो अन्य शक्तिया स्थापित कर दी गई ।

माधवी उनके नजदीक पहुंचती ही है तभी नागदेव की कृपा से माधवी को एहसास होता है मार्ग पर कोई ना कोई जरुर बैठा हुआ है । माधवी अपनी शक्ति के माध्यम से तुरंत ही पता कर लेती है के मार्ग में कोई ना कोई बाधा है ।इसलिए वह शक्तियों का प्रयोग करके दूसरे रास्ते से रस्सी के माध्यम से चढ़ते हुए अलग स्थान पर पहुंच जाती है । इधर अपने पीछे आती हुई देखते हुए जो व्यापारी का पुत्र था आगे बढ़ा चला जा रहा था । और उसके चले जाने के बाद में वह कुछ सोचने लगा की वह सोचने लगा कि क्या हो रहा है  यह सब । और अभी तो मेरे पीछे माधवी थी आखिर वह गई कहां है । लेकिन वह फिर ढूंढता है और उसे माधवी कहीं दिखाई नहीं पड़ती । और फिर एक बार फिर से इधर-उधर ढूंढने लगता है । और टहलने लगता है उसे लगता है कि शायद वह नगर में प्रवेश कर गई है । भीड़ भाड़ की वजह से मैं उसे नहीं देख पा रहा हूं । और वह उसी स्थान पर प्रस्थान कर जाता है जहां राजा ध्रुव कीर्ति की शादी होने वाली थी । एक बड़ा सा मंडप नगर के बीच में बनाया गया था । वहां पर राजा ध्रुव कीर्ति ने उद्घोष किया था ।

कि अपनी इस पुरानी प्रेमिका के साथ विवाह करना चाहते हैं । लोगों में इस बात की बड़ी हलचल थी कि कौन है वह स्त्री जो राजा ध्रुव कीर्ति के साथ विवाह करने जा रही है  । कुछ देर बाद वह स्त्री बाहर आती है और सभी लोग उसका जय जय कारा करते हैं । भान उसके साथ खड़ा हुआ होता है । भान उसके कान में जाकर के कुछ बातें कहता है की है । देवी याद रखिएगा विवाह के तुरंत बाद में जो हमारा बनाया हुआ निर्णय है उसको आपको पालन करना है । उसकी बातों को सुनकर के हंसते हुए उसके हामी में हां भर देती है । इस प्रकार से दोनों के बीच में विवाह संपन्न होने लगता है । माधवी दूर खड़ी होकर के विवाह को देखती है । जब वह उस स्त्री को देखती है उसे अपना ही स्वरूप उसे दिखाई देता है । उसका रूप स्वरूप और चेहरा काफी मिलता-जुलता था । माधवी ने कहा मेरी मां एक ऐसा राजा के साथ विवाह कर रही है जो मेरी पालन करता मां का हत्यारा है । मैं क्या करूं यहां पर मैं कुछ कर भी तो नहीं सकती हूं । इस प्रकार राजा ध्रुव कीर्ति और पत्नी की शादी हो गई । उसके बाद वे लोग दोनों महल में प्रवेश कर जाते हैं ।

बधाई हो का एक ता ता सा वहां लग जाता है लोग उन्हें बधाइयां दे देकर वहां से जाने लगते हैं ।इसी बीच माधवी भी आती है बधाई देने की कोशिश करती है । और फिर से राजा ध्रुव कीर्ति के पैर छूती है और अपने नाखूनों से उनके पैरों को काटती है । हल्का सा वहां पर खून सा निकल आता है क्योंकि इसके माध्यम से वह जहर को राजा ध्रुव कीर्ति के शरीर में डाल देती है । लेकिन इस बात का पता राजा और किसी भी लोगों को पता नहीं चल पाता है । क्योंकि माधवी इस तरह से पैर छूती है कि किसी को इस बात का पता या संकेत नहीं मिलता है । चमत्कार की बात यह है कि माधवी यह जानती थी कि कुछ ही क्षणों में राजा मर जाएगा । और इस बार कोई दो राय नहीं थी कि उसने अपने समस्त जहर को अभिमंत्रित करके नाखून के माध्यम से राजा ध्रुव कीर्ति के शरीर में डाला था । लेकिन तकरीबन एक पहर बाद राजा ध्रुव कीर्ति मुस्कुराते हुए अपनी पत्नी के साथ अंदर अपने कमरे की ओर प्रस्थान करते हैं । यह देखकर माधवी आश्चर्य से भर जाती है और उसकी आंख से आंसू गिरने लगते हैं । क्योंकि यह प्रमाण था सचमुच में राजा ध्रुव कीर्ति ही उसका पिता है । अब माधवी विचलित हो जाती है माधवी को कुछ समझ में नहीं आता है की उसके सामने उसकी मां भी है और उसके पिता भी है । लेकिन वह करे तो क्या करें इसी बीच भान चुपके से जाकर के रानी के नजदीक खड़ा हो जाता है ।

और उन्हें अपनी योजना सुनाने लगता है । माधवी एक दीवार के पीछे से खड़ी होकर उनकी सारी बातें सुन लेती है । और आश्चर्य से भर जाती है कि यह सब क्या हो रहा है । माधवी को इस बात का कुछ भी तनिक भी आभास नहीं था कि जिस स्त्री के साथ राजा ध्रुव कीर्ति विवाह कर रहे हैं जो की उसकी सगी मां है । वही रानी राजा ध्रुव कीर्ति  को मारने का षड्यंत्र रच रही है । वह भी भाल नाम के उस तांत्रिक के साथ में । अब रानी को आदेश दिया जाता है कि भाल कहता है यह लो जड़ी बूटी और इस जड़ी बूटी को दूध में मिलाकर के राजा ध्रुव कीर्ति को पिला दीजिएगा । सुहागरात के समय में जैसे ही आप वह दूध पिलाएंगे राजा ध्रुव कीर्ति मर जाएंगे । उसके बाद आप क्योंकि आप उनकी पत्नी है इसलिए महाराज सारी संपत्ति सत्ता का अधिकार की मालकिन आप बन जाएंगि । ऐसी बात सुनकर के मुस्कुराते हुए उसकी मां उसकी बातों को मान लेती है । यह सब जब माधवी को पता चलता है तो माधवी यह बात समझ नहीं पाती क्यों आखिर उसकी मां अपने ही पति  मारना चाह रही है । माधवी कहती है नहीं कुछ भी होगा मुझे इस मार्ग को रोकना है । इस कार्य को रोकना है ।चाहे कुछ भी हो जाए मुझे इस कार्य को रोकना ही होगा ।क्योंकि अगर वह ऐसा नहीं कर पाई तो अपने पिता से हाथ धो बैठेगी ।

और इस बात को समझते हुए माधवी चुपचाप उसी जगह पर छिप जाती है । जो राजा और रानी का शयन कक्ष था । शयन कक्ष को अच्छी तरह से सजाया गया था ।और वहां पर पहली रात पति पत्नी का मिलन होना था । इसी प्रकार जब राजा ध्रुव कीर्ति और उनकी पत्नी अपने कमरे में जाते हैं । तो रानी दूध का गिलास उठाती हैं और उसमें तांत्रिक भाल द्वारा दिया गया विष रूपी जड़ी बूटियों जहर उस दूध में डाल देती है । और इधर प्रेम पूर्वक राजा ध्रुव कीर्ति से वार्तालाप करने लगती है । उनके वार्तालाप के बीच में ही बहुत ही सावधानी पूर्वक माधवी जाती है और दूध का गिलास बदल देती है । और वह दूध का गिलास फेंक देती है । राजा ध्रुव कीर्ति को उनकी पत्नी दूध पीने को कहती हैं । और राजा ध्रुव कीर्ति वह दूध पीते हैं फिर दोनों में प्रेम प्रसंग होता है । कुछ ही देर बाद राजा ध्रुव कीर्ति को नींद आ जाती है । इसी बीच रानी यह सोचती है कि लगता है राजा ध्रुव कीर्ति की मृत्य हो चुकी है । और वह भाल को बुला लेती है । भाल को बुलाते ही जैसे भाल को बुलाया जाता है भाल सारी बातें कहता है और कहता है कि मुझे तो ऐसा नहीं लग रहा है कि आपका कार्य हो चुका है । क्योंकि राजा तो बड़े ही आराम से सो रहा है । क्या इन्होंने दूध पिया था तो उसकी पत्नी कहती है हां वह दूध पी चुके हैं । तब भाल कहता है कि तब तो इन्हें  ब्रह्मा भी नहीं बचा सकते है । राजा ध्रुव कीर्ति की आंखें खुल जाती हैं और वह देखते हैं कि भाल को उनकी पत्नी के साथ में है । राजा ध्रुव कीर्ति सारी बात समझ लेते हैं और कहते हैं और गुस्से से भाल कहते हैं मैं तुम्हें जान से मार दूंगा ।

भाल अपनी तांत्रिक प्रयोग कर तुरंत ही राजा ध्रुव कीर्ति को बेहोश कर देता है ।और क्योंकी अगर अब राजा का यहां वध करता तो निश्चित रूप से लोगों को पता चल जाता । तो इसलिए वह तंत्र शक्ति से राजा ध्रुव को अपने सामने चुपचाप महल से बाहर ले आता है । और इस प्रकार से नगर में यह खबर फैल जाती है राजा ध्रुव कीर्ति गायब हो चुके हैं । खबर आने पर समाज में बड़े बड़े जितने भी वहां के मंत्री होते हैं वह सब एक सूत्र में रानी को ही राज्य की महारानी बना देते हैं । इधर माधवी इस बात से आश्चर्य चकित होती है । कि यह सब क्या हो रहा है लेकिन माधवी पीछा करती है । और वह स्थान जान लेती है जहां पर भाल ने राजा ध्रुव कीर्ति को कैद करके रखा हुआ होता है । माधवी उस स्थान पर प्रवेश करना चाहती है । जहां पर पहले से ही एक स्त्री के रूप में बहुत ही शक्तिशाली नेवला खड़ा हुआ होता है । उस नेवले को देख करके माधवी सारी बातों को समझ जाती है । माधवी अपनी नाग देवता की शक्ति को पुकारती है । और उसके बाद माधवी और उस नेवले के बीच में बहुत ही भयंकर युद्ध होता है ।

माधुरी अपने मंत्र मंत्रों के द्वारा उस पर प्रयोग करती हैं । और इस प्रकार से उस नेवले को जान से मार डालती है । और लाश को जमीन के अंदर डालकर करके उसके ऊपर से मिट्टी के द्वारा उसे पाट देती है । क्योंकि वह यह बात जानती थी अगर इस नेवले की लाश दोबारा तांत्रिक को मिलेगी तो वह उसे दोबारा जिंदा कर देगा । यानी की तांत्रिक एक बार फिर से जिंदा कर देगा ।उसके बाद फिर वो अंदर प्रवेश करती है । वहां राजा ध्रुव कीर्ति खड़ा होता है और वह लोहे की बड़ी-बड़ी सलाखों के पीछे होता है ।माधवी उसे देख कर के कहती है मैं आपको यहां से निकाल दूंगी । इस पर राजा ध्रुव कीर्ति कहते हैं माधवी तुम सच में बहुत अच्छी मददगार हो और तुम मेरी मदद आखिर क्यों कर रही हो । माधवी की आंखों में आंसू आ जाते हैं और बहते हुए आंसूओ से जा करके अपने पिता के नजदीक पहुंचकर उन्हें कहती है कि आप ही मेरे पिता है । आप शायद जानते नहीं है जिस माता जी के साथ विवाह कर रहे हैं । आपके और उनके संसर्ग से मैं मेरी उत्पत्ति हुई थी । यह बात मुझे नाग देवता ने बताई है । और इसका प्रमाण भी है आप चाहे तो मैं आपको नाग देवता से आपकी मुलाकात भी करा दूंगी । और वह स्वयं इस सत्य को बता देंगे और साथ ही साथ मैं जान गई हूं कि किस प्रकार मेरी मां ने मुझे छल से कहां छोड़ दिया था ।

और आप के कारण ही सदा ही उनके मन में यह भाव पैदा है कि आप उनके मित्र नहीं शत्रु है । यह बात जब राजा ध्रुव कीर्ति सोचते हैं तो वह भी रोने लगते हैं और कहते हैं मैं सत्य कहता हूं मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया । लेकिन मैं यह क्यों नहीं समझ पा रहा हूं कि जब मैं वहां गया था तो मैंने तुम्हारी मां को वहां अकेले छोड़ दिया था । तब माधवी सोचती हैं और पता लगाती हैं कि हां इसके पीछे भी भाल है । भाल ने ही यह कार्य संपन्न किया था । वह बहुत समय से इतने बड़े षड्यंत्र को अंजाम दे रहा था । उसी ने सब किया धरा है । वहीं मेरी पत्नी को भी वश में किया है । और अब कुछ भी करके हमें उसकी भी रक्षा करनी है और उसे भी सही रास्ते पर लाना है । भाल का मरना बहुत जरूरी है भाल ने हीं सारा षड्यंत्र रचा है । माधवी कहती है कि हां पिताजी अवश्य ही मैं सब कुछ करूंगी और आपको भी इस कार्य से मुक्त करा दूंगी । और इस कारागार को ज्यादा समय तक आपको यह बंधक बनाकर नहीं रख पाएगा । अभी माधवी कुछ बोल ही रही थी कि माधवी के सिर पर पीछे से बहुत तीव्रता से वार होता है । और उसके सिर से खून की धारा जमीन पर तेजी से बह निकलती है और माधवी एक तरफ धड़ाम करके गिरकर लुढ़क जाती है और बेहोश हो जाती है । और उसके सिर से लगातार खून बहता चला जाता है ।

जब इस पर राजा ध्रुव कीर्ति उसे देखते हैं तो पता लगता है कि भाल ही आ गया है । और उसने ही माधवी के सिर पर पत्थर से प्रहार किया है । जिसकी वजह से माधवी अब बेहोश हो गई है । और उसके सिर से खून बह रहा है । गुस्से में भरा हुआ राजा ध्रुव कीर्ति कहता है भाल तूने मुझे सदैव ही धोखा दिया है । और तेरी जीवित रहने की अब जितनी भी आशाएं हैं मैं स्वयं ही समाप्त करूंगा । इस पर भाल हंसते हुए कहता है आप की क्षमता ही क्या है महाराज ध्रुव कीर्ति आप तो स्वयं ही सलाखों के पीछे हैं । और आपकी पत्नी मेरे वश में है ।मैंने वशीकरण शक्ति के द्वारा उसे ऐसा द्रव्य पिला रखा है कि वह सदैव मेरी आज्ञा का पालन करेगी । और आने वाले समय में । मैं उससे विवाह कर लूंगा और यहां का राजा बन जाऊंगा । उसके बाद मैं उसे भी मार दूंगा और एक छत्र यहां का सम्राट बनूंगा । यह कहते हुए वह हंसने लगता है ।माधवी बची और क्या राजा ध्रुव कीर्ति एक बार फिर से आजाद हो पाए । और राजा ध्रुव कीर्ति की पत्नी का वशीकरण नष्ट हुआ । यह  आगे की कहानी में हम जानेंगे अगले भाग में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

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