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देवाल मंदिर की विषकन्या कथा भाग 5

देवाल मंदिर की विषकन्या कथा भाग 5

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल मे आपका एक बार फिर से स्वागत है । हमारी कहानी देवाल मंदिर की विषकन्या में अभी तक के चार भागों में आपने जाना किस प्रकार से विषकन्या माधवी को भाल घायल कर देता है । और उसके सिर से खून बहने लगता है । इसी समय राजा ध्रुव कीर्ति भाल को जान से मारने की धमकी देते हैं । लेकिन स्वयं सलाखों के पीछे होने के कारण कुछ भी करने में असमर्थ है  । भाल भी उन्हें हंसते हुए कहता है कि अब मैं तुम्हारी पत्नी से ही विवाह कर लूंगा और साथ ही साथ तुम्हें ऐसी यातनाए दूंगा कि तुम सोचते रह जाओगे । भाल कहता है जल्दी ही मैं नगर में प्रवेश कर लूंगा और यह समाचार दूंगा कि राजा ध्रुव कीर्ति मर गया है । मैंने अपने जादुई तंत्र माध्यम से अपने नेवले को ऐसी शक्तियां प्रदान की है कि वो किसी का भी रूप ले सकता है । तुम्हारी मरी हुई लाश मैं नगर में दिखाऊंगा नगर में लोग जब उसे देखेंगे तो निश्चित रूप से तुम्हें मरा हुआ मान लेंगे । और फिर मैं ऐसा षड्यंत्र रच लूंगा जैसे तुम सोच भी नहीं सकते हो । यह कहते हुए राजा ध्रुव कीर्ति को धमकी देते हुए वहां से चला जाता है ।राजा ध्रुव कीर्ति अब सारी पुरानी बातों को याद करते हैं  ।किस प्रकार का प्रेम प्रसंग उस स्त्री से हुआ था और उसके भाल ने उन्हें कौन सी औषधि पिलाई थी और उसके बाद फिर वह हमेशा के लिए उस स्त्री को भूल गए थे ।

वे स्त्री उनकी सबसे बड़ी शत्रु बन चुकी हैं । यह कार्य भी भाल ने किया है भाल एक बहुत बड़ा तांत्रिक है । और उनके सामने उनकी सबसे प्रिय पुत्री जिसको वह जानता भी नहीं कि उनकी पुत्री थी खून से लथपथ पड़ी हुई मर रही है । अब तक सारी बातें राजा ध्रुव कीर्ति को समझ में आ जाती है ।वशीकरण को भाल ने हटा लिया था क्योंकि उसकी आवश्यकता अब राजा ध्रुव कीर्ति पर नहीं रहेगी । भाल वहां से चला जाता है राजा ध्रुव कीर्ति अपनी पुत्री को इस प्रकार से मरता हुआ देखकर बहुत ही दुखी होते हैं । और भगवान से प्रार्थना करने लगते हैं किसी प्रकार से उनकी पुत्री ठीक हो जाए । तभी अचानक से माधवी को होश आता है यद्यपि उसके सिर में लगी चोट के कारण वह उठ नहीं सकती हैं । लेकिन दर्द से कराहते हुए वह अपने नाग देवता मंत्र का उच्चारण करने लगती है । नाग देवता मंत्र का केवल एक माला जाप करने के बाद ही वहां पर नाग देवता प्रकट हो जाते हैं । और इस प्रकार से देवाल नाम के मंदिर से वह दर्शन देते हुए लाडो देवता उसके सामने साक्षात आ जाते हैं । और इतनी तीव्रता से उड़ते हुए आते हैं उनके साथ और भी अन्य प्रकार के जादुई शक्तियां और अन्य तरह के सर्प भी उनके साथ आ जाते हैं । ऐसी हालत में पड़ा देखकर नाग देवता माधवी को अपनी शक्ति के द्वारा उसके घाव को भर देते हैं ।

और इस प्रकार एक बार फिर से माधवी उनके साक्षात दर्शन पाकर के उनके पैरों को छूती हुई बोलती है कि । हे प्रभु आपने मुझे एक बार फिर से बचा लिया मेरी साधना मेरी तपस्या का फल है जो आप सदैव मुझे दर्शन दे देते हैं । मैं आपसे बहुत ही अधिक प्रसन्न हूं आप मेरी इस बार जरूर मदद कीजिए । क्योंकि यह प्रश्न मेरे अस्तित्व का है मेरे पिता के अस्तित्व का है मेरी मां के अस्तित्व का है । इस पर नागराज कहते हैं सब कुछ उत्तम है किंतु जो भविष्य को जो जानता होता है उसे कुछ कहना नहीं होता है । लेकिन फिर भी मैं तुमसे एक बात कहूंगा इस बात को ध्यान पूर्वक सुनना और जानना कि । तुम्हें मैं कुछ ऐसी औषधियां दे दूंगा जिसके कारण तुम्हारा पति और तुम्हारा संसर्ग जब होगा तो तुम उसके वीर्य को तुम ग्रहण कर सकोगे अन्यथा तुम कभी भी पुत्र उत्पत्ति नहीं कर सकती हो । क्योंकि तुम्हारे शरीर में इतना जहर भरा हुआ है कि कभी भी तुम्हारा पुत्र उत्पन्न नहीं हो सकता है इस प्रकार  दिव्य जड़ी बूटियां उन्होंने माधवी को उसके हाथ में दे कर प्रदान करते हुए कहते हैं । कि अब तत्कालीन समस्या को हल करो और जाओ मैं तुम्हें अपनी शक्तियां दे रहा हूं । और तुम्हें का इन्ही का प्रयोग करना है । और निश्चित रूप से तुम अपने कार्यों में सफल हो यह कहते हुए वहां से नाग देवता गायब हो जाते है ।

माधवी अपनी शक्तियों के प्रयोग के द्वारा सबसे पहले उस लोहे की बनी सलाखों को तोड़ डालती है ।और वहां से राजा ध्रुव आजाद करा लेती है । राजा ध्रुव कीर्ति और माधवी धीरे-धीरे नगर की ओर बढ़ने लगते हैं । जो कि कई किलोमीटर दूर होता है । इधर नगर में भाल ने फैला दी कि राजा का देहांत हो चुका है और राज्य को कौन संभालेगा । एक बड़ी देवी विविधा आने वाली है जोर जोर से चिल्लाता है तभी अपनी दूसरी तरह की गोपनीय शक्तियों और नेवलों में से एक नेवले को पुकारता है । वह नेवला बडे से राक्षस का रूप लेकर के नगर में त्राहि-त्राहि मचा देता है । भाल  चिल्लाता हुआ लोगों को कहता है कि तुम्हें तुरंत राजा की आवश्यकता है बिना राजा के सभी नागरिक मारे जाएंगे । जनता घबराई हुई सी और डरी हुई सी राजमहल की ओर दौड़ती है । इधर राक्षस का आतंक चारों तरफ फैल जाता है वह जिसे पकड़ता था उसे उठाकर पटक देता था और इससे उसकी मृत्यु भी हो जाती थी । कुछ एक घायल हो जाते थे । उस पर किसी प्रकार की शक्तियों का कोई प्रयोग नहीं हो रहा था । सेना उस पर भाले चलती तीरे चलाती लेकिन उन पर कोई भी उसका असर नहीं होता । इस प्रकार पूरे नगर शहर में बहुत ही तीव्र भयानक सा वातावरण मच गया था । जनता अब अपनी रानी को पुकारने लगी । रानी बाहर निकल के आई तो सभी ने उनसे कहा आप तुरंत ही हमें राजा प्रदान कीजिए । चाहे आप किसी से विवाद ही क्यों ना कर लीजिए । क्योंकि अगर राजा नहीं होगा । तो तांत्रिक भाल का कहना है कि किसी भी प्रकार से रक्षा नहीं हो पाएगी ।

केवल राजा ही ऐसा कार्य कर सकता है । जो इस नगर की रक्षा कर सकता है । तो रानी कहती है आप लोगों की नजर में कोई ऐसा है । क्योंकि मेरे पति का तो देहांत हो चुका है उनका और मैं एक स्त्री हूं राजा नहीं हो सकती शासिका हो सकती हूं । पर शासक नहीं हो सकती इस पर पूरी जनता सोच में पड़ जाती है । तभी भाल इशारा करता है तो उसकी पत्नी कहती है कि क्यों ना भाल जी को ही मैं अपना पति स्वीकार कर लूं । वह तांत्रिक भी है और दैवी शक्तियों के मालिक भी हैं । आप लोगों का राजा बन करके इस नगर का भला अवश्य करेंगे । ऐसा कह कर के वह भाल को पुकारती है जनता सब ओर से भाल की जय-जयकार करने लगते हैं ।और तुरंत ही भाल और राजा की पत्नी का विवाह संपन्न हो जाता है । विवाह संपन्न होने के बाद भाल अपनी तंत्र शक्ति से अपने नेवले को आदेश देता है । कि वह नगर छोड़ कर के चला जाए और अगले दिन आ करके ही हमला करें । और अपनी सारी तांत्रिक शक्तियों को उस नेवले में संचालित कर देता है । क्योंकि वह यह दिखाना चाहता था कि सारी शक्तियां किस प्रकार तबाही मचा सकती है ।

इसलिए भाल को राजा स्वीकार करना किसी कोई गलती नहीं है बल्कि आवश्यक बात है । इस प्रकार से भाल के आदेश पर वो नेवला वहां से चला जाता है । इधर धीरे-धीरे माधवी और राजा वहां के लिए प्रस्थान करने लगते हैं ।थोड़ी देर बाद वहां पर जब जनता के बीच में दोनों पहुंचते हैं  । तो जनता में इस बात का बहुत ही कोलाहल मच जाता है कि राजा तो हमारा जीवित है । और भाल ने निश्चित रूप से कोई षड्यंत्र रचा है इधर भाल रानी  को देखकर मुस्कुराता और कहता है कि आपने मेरा सारा काम कर दिया । लेकिन अब आप की कोई आवश्यकता नहीं है । यह कहते हुए अपनी छुरी निकालता है और महारानी की गर्दन उड़ा देता है  । महारानी की तत्काल वही पर मृत्यु हो जाती है । और भाल एक छीत्र अकेला बचता है । भाल को लगता है राजा ध्रुव कीर्ति कैद है माधवी मर चुकी है इस प्रकार का कोई ऐसा नहीं है जो उसे पराजित कर सके । लेकिन इधर जनता जब यह सारी बातें राजा के मुंह से सुनती है तो वह क्रोधित हो जाती है । सभी लोग अपने घर से जो भी उनके हाथ में हथियार हो सकता था चाकू बरछी तीरेे तलवारेे और यहां तक की औरतें चिमटा डंडा लेकर के नगर पर कब्जा करने के लिए बढ़ती है । इधर जब भाल को यह बात पता चलती है कि राजा आ रहा है तो भाल अपने सैनिकों को आदेश देता है कि उसे रोके और उनका वध कर दे । लेकिन जनता इतनी बड़ी संख्या में थी कि उसके सामने राजा के सैनिकों की औकात कुछ भी नहीं थी । यानी कि 10 गुना अधिक जनता अगर एक सैनिक को पकड़े तो सब सैनिकों का वध कर सकती थी । यह देख करके भाल अपनी तंत्र शक्ति को आदेश देता है लेकिन तंत्र शक्ति कहती है आपने स्वयं ही मेरे को संकल्प देख कर 1 दिन बाद आने को कहा है भला ऐसे में मैं कैसे आ सकता हूं ।

भाल अब फस जाता है । क्योंकि वह राज महल में तंत्र शक्तियों का प्रयोग अपने पास नहीं रखना चाहता था यह दिखाना नहीं चाहता था । इसलिए उसने सारी शक्तियां उस नेवले में स्थापित कर दी थी । और वह नेवला उस नगर से बाहर चला गया था । और 1 दिन बाद ही आने वाला था । तभी वह उसको रोका गया अपने मंत्र शक्ति के द्वारा लेकिन अब ऐसा स्थिति फस गई थी । कि अब भाल भी कुछ नहीं कर सकता । धीरे-धीरे करके जनता ने पूरे राजमहल को कैद कर लिया । उस महल को हर प्रकार से चारों तरफ से घेर लिया गया । और कोई भी जगह भागने के और निकले के लिए शेष नहीं रही थी । भाल को पकड़ लिया गया और जनता ने उसे पीट-पीटकर मार डाला । मरते हुए भाल ने कहा केवल और केवल माधवी का पुत्र ही अब मेरी तंत्र शक्ति को रोक पाएगा क्योंकि रानी नहीं है । और मैंने मरते हुए अपनी शक्तियों का आवाहन करके अपने नेवले में डाल दिया है । तुम लोग ने मेरा हर प्रकार से अपमान किया है । और मैं तुम लोगों को श्राप देकर जाता हूं जो केवल मां देवी का पुत्र ही तुम लोगों को मेरे नेवले से बचा सकेगा । और ऐसा होना संभव नहीं है क्योंकि मैं माधवी का राज जानता हूं । यह कहकर के भान अपने प्राण त्याग देता है । इधर राजा को कुछ समझ में नहीं आता है और वह कहते हैं कि अब सब शांत हो जाए ।

लेकिन कल आने वाली मुसीबत का क्या किया जाए इस प्रकार से राजा कृपा देव माधवी को अपने पास बैठा देते हैं । और कहते हैं पुत्री तुम इस समस्या से सबको निकालो माधवी कहती है मैं क्या कर सकती हूं पिताजी । उसने ऐसी बात कही है जो होना संभव ही नहीं है । इस पर राजा ध्रुव कीर्ति पूछते हैं ऐसा क्या राज है । माधवी कहती है कि वह एक विषकन्या है और विषकन्या होने के कारण वह जिससे भी विवाह करेगी उसके शरीर का उससे स्पर्श होते ही वह मारा जाएगा । लेकिन ऐसा कौन होगा जो कुछ घंटे ही मेरे साथ समागम करें और उसके बाद अपने प्राण त्यागने को भी तैयार हो । क्योंकि कुछ समय ही वह ऐसा कर पाएगा इतनी देर में । मैं उसके वीर्य का अपने शरीर में ग्रहण कर लूंगी । उस वीर्य को मैं अपने गर्भ में अपनी तंत्र शक्ति के साथ स्थापित कर दूंगी । जिससे कि वह फिर नष्ट ना होने पाए और इस प्रकार दोनों के सहयोग से एक पुत्र की उत्पत्ति हो जाए । लेकिन भला ऐसा कौन कर पाएगा राजा ध्रुव कीर्ति इस प्रकार से कहते हैं की राजा ध्रुव कीर्ति उस समय बड़ी समस्या में हो जाते हैं । राजा ध्रुव कीर्ति यह बात जानते हैं कि भला ऐसा कौन संभव है और ऐसा कौन कर सकता है । वह नगर में ढिंढोरा पिटवा देते हैं कि जो भी माधवी से विवाह करेगा और माधुरी के पुत्र का पिता बनेगा उसको राज सिंहासन भी सौंपा जाएगा । लेकिन धीरे-धीरे माधवी वाली बात सबको पता लगने लगती है की माधवी एक विषकन्या है । अर्थात जो भी उसके साथ संसर्ग करेगा वह निश्चित रूप से मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा ।

लेकिन फिर भी यह बात व्यापारी के पुत्र को पता चलती है । तो वह कहता है माधवी से उसने सच्चा प्रेम किया है । और अपने पिता से आज्ञा लेता है और कहता है मुझे जाने दीजिए ।उसके पिता उसे रोकने का बहुत प्रयास करते हैं लेकिन वह मानता नहीं है और दौड़ता हुआ राज महल की ओर आ जाता है । माधवी को देखकर प्रेम पूर्वक उससे कहता है मैं आपसे विवाह करूंगा । यद्यपि मैं जानता हूं यदि मेरी मृत्यु हो जाएगी । किंतु फिर भी मैं आपसे विवाह अवश्य करूंगा । इस प्रकार राजा ध्रुव कीर्ति तुरंत ही उनका तत्कालिक गंधर्व विवाह संपन्न करवा देते हैं । और माधवी और दोनों का संसर्ग प्रारंभ हो जाता है । जैसे ही संसर्ग प्रारंभ होता है व्यापारिक के पुत्र की कमर का पूरा क्षेत्र नीला पड़ जाता है । और वह धीरे-धीरे बढ़ने लगता है यद्यपि माधवी ने वह दिव्य औषधि उस व्यापारिक के पुत्र को पिला दी थी । किंतु फिर भी कमर से नीचे का हिस्सा पूरा नीला पड़ता चला जाता है । धीरे-धीरे में हिस्सा बढ़ते हुए छाती तक कंधों तक अंततोगत्वा गर्दन और फिर मुंह तक होता गया । जैसे ही उसके मस्तक तक पहुंचता है तब तक संसर्ग क्रिया संपन्न हो चुकी होती है । और इस प्रकार वह तत्कालिक रूप से विष के प्रभाव से जमीन पर गिर पड़ता है । माधवी उसके वीर्य को अपने शरीर में समागम कर लेती है । और अपनी शक्ति के द्वारा और तंत्र मंत्र के माध्यम से अपने गर्भ में स्थापित करवा लेती है । इसी के साथ ही तुरंत ही व्यापारिक का पुत्र वहां पर मुंह से झाग निकालता हुआ दम तोड़ देता है । आगे इसके बाद क्या हुआ जानेंगे अंतिम और आखरी भाग में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

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