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धूमावती साधना अनुभव भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज लेंगे। धूमावती महाविद्या साधना के अनुभव को एक साधक हैं जिन्होंने धूमावती महाविद्या साधना का अनुभव भेजा है चलिए पढ़ते इनके पत्र को और जानते हैं कि इस साधना के दौरान इन्हें कैसा अनुभव प्राप्त हुआ।

प्रणाम गुरुदेव आशीर्वाद बनाए रखें। मेरा नाम प्रियव्रत महाकुर है। मैं उड़ीसा से हूं। आपके धर्म रहस्य चैनल से बहुत दिनों से जुड़ा हुआ हूं। मेरे जीवन में बहुत सारे अनुभव हुए हैं और वह भी रहे हैं गुरुदेव आज मेरा जीवन! जो भी घटना है, पहले घटित हुई है वह साधना अनुभव आपको बताने जा रहा हूं। यह अनुभव धर्म रहस्य चैनल को ही भेजा जा रहा है और कहीं भी इसे नहीं भेजा जाएगा। आप चाहे तो वीडियो बना सकते हैं।यह सन 2011 की बात है जब मैं स्टूडेंट था। ग्रेजुएशन की क्लास में पढ़ रहा था। उस वक्त खेलने कूदने और पढ़ाई से ज्यादा मेरी रुचि अलग ही चीजों में थी। माता-पिता दोनों टीचर थे। उसी कारण हमारा घर में बहुत सारी किताबें हुआ करती थी। उन्हीं किताबों में से कुछ मंत्र तंत्र यंत्र की पुस्तकें भी थी। जब भी मेरा मन करता था। मैं दूसरी किताबों के साथ मंत्र तंत्र यंत्र की पुस्तकें पढ़ लिया करता था लेकिन ज्यादा समय। पढ़ाई के लिए ना होने के कारण उस कार्य को धीरे-धीरे किया करता था। यह कार्य धीरे-धीरे संपन्न हो रहा था।

छुपाकर के पढ़ने के कारण पिताजी कभी कभी नाराज भी होते थे। गुरु जी मैं भगवान के ऊपर विश्वास करता था लेकिन मंत्र तंत्र साधना आदि उन पर विश्वास नहीं होता था। कभी-कभी लगता था, ऐसा हो भी सकता है। फिर मन में यही सोचता था कि आज के विज्ञान के युग में यह सब अंधविश्वास ही है। गुरुदेव आपको एक बात बताना भूल गया। मेरे इष्ट देवी मां काली हैं जिनको मैं बहुत प्यार करता हूं। एक छोटे बच्चे की तरह मै उनके पास रहता हूं। उनके बिना मेरा जीवन है ही नहीं, ऐसा लगता है। क्योंकि हमेशा! अप्रत्यक्ष रूप में वह शायद मुझे अनुभव कराती रहती हैं। गुरुदेव मां काली ने मुझे एक सिद्धि दी है जो सिद्धि के कारण पहले से मुझे पता हो जाता है कि आगे क्या घटित होने वाला है? अभी मां काली की आज्ञा नहीं है। वह सिद्धि के बारे में सब कुछ बताने की समय आने पर गुरुदेव आपको जरूर बताऊंगा उस सिद्धि के बारे में।

मैं बता रहा था कि मंत्र तंत्र यंत्र जैसी चीजें मैं मेरा विश्वास नहीं था, लेकिन जब वह सारी किताबें पढ़ने लगा तो ना जाने क्यों मेरी इच्छा हुई एक बार परीक्षा ले कर देख लेते हैं कि क्या सच में ऐसा होता है जो कुछ इन पुस्तकों में लिखा है। यह सब सोचकर मैं सोच लिया की साधना करके देखता हूं। आज के कलयुग में यह सब बातें सोच कर। मैंने तब सोचा कि मैं आखिर कौन सी साधना करूं। उस वक्त मां काली को मैं बस साधारण भाव से ही पूजा करता था। उनकी साधना ढूंढी लेकिन नहीं मिली तभी एक पुस्तक में मां धूमावती साधना के बारे में लिखा हुआ था। वह साधना मुझे ज्यादा पसंद आई क्योंकि वहां पर लिखा हुआ था कि धूमावती देवी बहुत जल्दी प्रसन्न होकर सामने प्रकट हो जाती हैं तो मैंने सोचा यही ठीक रहेगा। देखते हैं सचमुच धूमावती देवी आती है कि नहीं? मेरे अंदर कोई डर नहीं था क्योंकि मैं यह सब चीजों में विश्वास ही नहीं करता था। शायद गुरुदेव ऐसा ही होता है। अगर हमारे अंदर डर नहीं होता है। तभी शक्ति जल्दी आती है। मैंने महाविद्या धूमावती, साधना का पूजा, सामग्री, नियम आदि के बारे में अच्छी तरह पढ़ लिया। मेरे पास धूमावती यंत्र नहीं था तो मैंने कागज में ही सुंदर सी यंत्र बना ली और कुछ साधना सामग्री भी ले ली थी।

साधना करने को मैं तैयार हो गया क्योंकि यह साधना अमावस्या से शुरू करके 11 दिनों तक करनी थी। लेकिन मैं मन ही मन सोच रहा था कि अगर अनुभव! हो तो साधना को आगे कर लूंगा। अगर नहीं होंगे तो बंद कर दूंगा। तंत्र साधना के बारे में मुझे कुछ भी ज्ञान नहीं था। मजाक में ही मैंने साधना करना आरंभ कर दिया। ठंड के महीने शीत ऋतु की अमावस्या की रात मुझे 12:00 बजे से साधना प्रारंभ करने थी, गुरुदेव हमारे घर में अकेला एक रूम था। उसी कारण साधना करने में कोई दिक्कत नहीं थी। आज भी वह रात मुझे भली-भांति याद है। अमावस्या की वह रात चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ था। मेरे को ठंड भी लग रही थी। घर में सारे लोग सो चुके थे। बस मैं जाग रहा था। करीब 12:00 बजे होंगे। यानी मध्य रात्रि से यह साधना शुरू करने के बारे में मैंने विचार किया था। किताब में लिखी हुई विधि और पद्धतियों को करने के लिए 12:00 बजे लाल वस्त्र पहन कर कोशिश करनी थी। लाल वस्त्र मेरे पास नहीं थे तो मेरे मां की एक नई लाल साड़ी को लेकर मैंने पहन लिया। गुरुजी यंत्र की स्थापना की मंत्र जो लिखा हुआ था वैसे ही जपते हुए जितना हो सकता था। उतनी साधना को विधि से पालन किया। सामने सिर्फ एक दीपक जलाया और यंत्र को स्थापित किया। रुम का लाइट ऑफ कर दिया। मुझे पता नहीं सुरक्षा घेरा क्या होता है इसलिए मैं वैसे ही साधना करने के लिए बैठ गया था।

जैसे जैसे समय बढ़ता गया, मैं वैसे वैसे धूमावती देवी के मंत्रों को पढ़ता गया और उसके बाद मूल मंत्र जपना आरंभ किया। पहले देवी धूमावती को मैं प्रार्थना की कि हे मां धूमावती मुझे साधना करना नहीं आता। मैं कोई तंत्र साधक भी नहीं हूं। मुझे कोई सिद्धि भी लेने की इच्छा नहीं है। बस मैं आपके अनुभव को प्राप्त करना चाहता हूं। अगर आप सच में हैं तो जरूर आइएगा। ऐसा बोलकर निर्भय होकर बिना माला के वैसे ही आंखे बंद करके मैंने मंत्र जप शुरू कर दिया लगभग। कई घंटे बीत गए कुछ भी अनुभव नहीं हुआ तो मैंने सोचा कि यह सब बकवास ही है। फिर भी मंत्र जाप चालू था। कुछ देर बाद मैंने सोचा बस बहुत हो गया। अब थोड़ी समय मंत्र का जाप करूंगा और साधना खत्म! मुझे नहीं पड़ना है ऐसे ही झूठी कहानियों के चक्कर में और फिर थोड़ी देर बाद बंद करने की सोच ही रहा था। आंखें खोली तो देखा कि चारों तरफ अंधेरा था क्योंकि दीपक बुझ चुकी थी। मुझे आश्चर्य हुआ क्योंकि ठंड के मौसम में और सारे दरवाजे खिड़कियां बंद थी। मैंने सोचा क्या मेरा भ्रम है और फिर से दीपक जलाया और आंखें बंद करके मंत्र जाप करने लगा।

थोड़ी देर बाद पता नहीं क्यों आंखें खोलने की फिर से इच्छा हुई जैसे ही मैं आखे खोला। फिर से दीपक बुझी हुई थी। चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था। अभी मुझे कुछ डर लग रहा था। शायद साधना के कारण हो रहा था, लेकिन मेरे अंदर डर नहीं था। मैंने फिर से दीपक जलाया और मंत्र जाप फिर से करने लगा। तीसरी बार में जब आखे खोला तो चारों तरफ से अंधेरा छाया हुआ था। गुरु जी इस बार मेरी सांस ही रुक गई । यह देखकर क्योंकि मुझे विश्वास हो गया कि ऐसा मंत्र जप के कारण नहीं हो रहा है। फिर भी डर को काबू में कर के दीपक जला कर फिर से मंत्र जाप करने लगा। उसके बाद जो हुआ गुरुदेव मेरे तो होश ही उड़ गए। तीसरी बार जब मैं आंखें खोला तो चारों तरफ अंधेरा था क्योंकि दीपक बुझ गया था। मैं ज्यादा डर गया था। इसलिए दीपक ना जलाकर आसन से उठ के दौड़ते हुए लाइट का स्विच ऑन किया। कुछ समय मेरे बिस्तर पर जाकर बैठा और सोचा आगे साधना करु या ना करु, यह सब सत्य है या यह मेरे मन का भ्रम है। कुछ देर बाद मेरे दिल में यह भ्रम हो गया कि सच में अगर है तो साधना जरूर करूंगा। देखते हैं क्या होता है गुरु जी यह घटना मेरे जीवन में पहली बार हो रही थी। इसलिए मुझे करने में मजा आ रहा था। लेकिन आगे क्या मजा है, खौफनाक सजा बन कर बीतेगा। इसके बारे में पता नहीं था।

मैं फिर से दीपक जलाकर मंत्र जप करने बैठ गया। इस बार लाइट ऑफ नहीं किया। लगभग 15 मिनट जप करने के बाद कोई अनुभव ना होने के कारण मैंने साधना बंद करके सोने का निश्चय किया तभी अचानक ही मेरे ध्यान में मुझे दिखा कि मेरे सामने कोई बैठा हुआ है। मुझे लगा साधना के कारण मेरे मन में ऐसी प्रति छवि आ रही है और डरते हुए धीरे-धीरे आंखें खोला तो देखा कि कोई नहीं। लेकिन पता नहीं मेरे कमरे में एक अलग सा वातावरण छाया हुआ था। साधना के पहले दिन इतना ही हुआ। वैज्ञानिक मानसिकता के कारण। मेरे मन में बहुत सारे प्रश्न उत्पन्न हुए। लेकिन किस से पूछता मेरा कोई आध्यात्मिक गुरु नहीं था। फिर सोचा चलो आगे साधना करते हैं। दूसरे दिन मैं रात को 12:00 बजे साधना में बैठ गया और आराम करने के पहले ही मां से प्रार्थना की कि हे मां मुझे फिर से विश्वास नहीं हो रहा है कि आप हैं आज आप का मंत्र फिर से जप रहा हूं। अगर आप सचमुच में हैं तो कृपया मेरे मन के सारे भ्रमों को तोड़ दीजिए। ऐसा कहते हुए जय मां धूमावती कहकर उनके मूल मंत्र का जाप करने लगा।

रूम का लाइट ऑफ था, मेरे सामने बस एक दीपक ही जल रहा था। मैं आंखें बंद करके मंत्र जपता ही चला जा रहा था। पता नहीं कितना समय हो गया था। मंत्र जपते जपते अचानक मुझे सर.. सर.. सर.. की ध्वनि सुनाई दी। मेरा ध्यान उस ध्वनि पर केंद्रित होने लगा। यह जानने के लिए कि यह क्या है और कहां से यह आवाज आ रही है। यह हमारे छत के ऊपर से आवाज आ रही थी जैसे कोई झाड़ू लगा रहा हूं। लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि हमारे घर में कोई सदस्य दिन में भी काम ना पड़े तो छत पर नहीं जाता और इस वक्त तो रात थी। मैं अच्छी तरह से जानने की कोशिश करने लगा कि कहीं कोई पास पड़ोस में तो ऐसा नहीं हो रहा। फिर मैं कंफर्म हुआ कि नहीं, हमारे छत से ही यहां आवाज आ रही है। इच्छा हुयी मंत्र जप बंद करके छत पर देखकर आता हूं लेकिन मैं नहीं गया। वैसे ही आंखें बंद करके मैं मंत्र जप करता रहा, थोड़ी देर बाद और झाड़ू मारने की ध्वनि बंद हो गई। कुछ देर बाद मुझे लगा कि मेरे दाहिनी तरफ कोई है क्योंकि किसी की सांस लेने की ध्वनि कान के पास सुनाई दे रही थी।

गुरु जी मुझे विश्वास हो गया कि तंत्र साधना झूठी नहीं है। डर के मारे वह ठंडी के मौसम में भी मुझे पसीना आ रहा था। अब क्या करूं मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था तभी मेरे मन में दृढ़ निश्चय हुआ और हिम्मत करके मैंने कहा कि जो होगा देखा जाएगा। अगर भाग्य में मृत्यु लिखी है तो मरूंगा ही अच्छा होगा कि महादेवी के हाथ से मारा जावू । फिर भी गुरु जी, मैं अपने डर को काबू में नहीं कर पा रहा था। जब ज्यादा डर लग रहा था तो सोच रहा था कि मंत्र जप नहीं करूंगा और आंखें खोल देता। आंखें खोलते ही जो मैंने देखा जैसे कि मैं मर ही जाऊं। ठीक मेरे सामने एक भेड़िया बैठा हुआ मुझे नजर आया मुझे उसकी बदबू! आ रही थी, उसे देख कर के मेरी सांसे रुक सी गई। अचानक ही वह फिर अदृश्य भी हो गया। मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि यह सब क्या घटित हो रहा है? ऐसी घटना! देखने और सुनने में तो अजीब लगती है पर सचमुच में ऐसा हुआ था। मैं हड़बड़ी में उठकर लाइट जलाया तो रूम के हालात कुछ अजीब ही दिख रहे थे। डर के मारे मुझे नींद नहीं आई।

सुबह होते ही मेरा सब डर पता नहीं कैसे निकल गया। फिर मैंने सोचा क्यों ना आगे का दिन भी साधना किया जाए। तीसरे दिन मैं रात को 12:00 बजे हर दिन की तरह लाल साड़ी पहन कर बैठ गया और मां से प्रार्थना करने लगा। आज मां आप जरूर आना और मंत्र जप करने के लिए जैसे ही बैठा। पर पता नहीं क्यों आज मेरे रूम में किसी के होने का आभास हो रहा था। बिना डरे में साधना में बैठकर मंत्र जपने लगा। जपते जपते बहुत समय बीत गया और आश्चर्य हुआ कि आज कोई नहीं हो रहा था । फिर भी मैं मंत्र जाप करता चला गया। बहुत मंत्र जाप करने के बाद अचानक दूर से किसी लड़की की रोने की आवाज मेरे कानों में सुनाई दी। मेरे तो इस बात से होश ही उड़ गए। वह आवाज दूर से धीरे-धीरे मेरी तरफ बढ़ती चली आ रही थी। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं, जो होगा देखा जाएगा। सोच कर के फिर मैं मंत्र जाप करता रहा। वह रोने की आवाज धीरे धीरे मेरे रूम के नजदीक बहुत जोर से सुनाई देने लगी। आंखें बंद करके मंत्र जप करता रहा। डर के मारे मेरा पसीना छूट रहा था। लग रहा था। मेरी हार्टबीट 100 की स्पीड से चल रही है। मैं हिल भी नहीं पा रहा था। पर पता नहीं कैसे अचानक हमारे घर वाले रोने की आवाज सुनकर उठ गए।

पिता जी और भैया सब के सब उठकर मेरे रूम की तरफ दौड़े। तभी वह रोने वाली आवाज अदृश्य हो गई। पिताजी जैसे मुझे पुकारे मैं डर के मारे मां धूमावती की यंत्र दीपक लाल साड़ी सिंदूर थाली सब कुछ छुपा दिया और तब मैंने उस दरवाजे को खोला। पिताजी पूछे, तुम्हारे रूम से किसी के रोने की आवाज आ रही थी ऐसा लगा । मैं सोने की एक्टिंग करते हुए आंखें मलते मलते कहा

कोई नहीं है। पापा पापा रूम के अंदर आए और थोड़ा सोचें। बोले, तू सपने में डर के रो रहा होगा। लेकिन गुरु जी मुझे पता था कि मैं सपना देख रहा था। ऐसा कुछ नहीं है। पिताजी को मैं बोला कि पिताजी कोई सपना देख कर रोया होगा। शायद इतना सब होने के बाद गुरु जी कैसे मैं आगे साधना कर सकता था। मेरे अंदर साहस नहीं था। मुझे भय हो रहा था। आगे साधना करूं कि ना करुं। मुझे नहीं पता था कि मैं उस शक्ति का सामना कर सकूंगा या नहीं। मुझे कोई सिद्धि भी नहीं पानी थी। इसलिए आगे साधना ना करने की सोचा। लेकिन गुरु जी बात इतनी में खत्म नहीं हुयी । मैंने सोच लिया था कि साधना नहीं करूंगा और साधना नहीं की लेकिन मेरे चाहने न चाहने से क्या होता है। साधना नहीं करने के कारण मेरे साथ जो हुआ वह और भी अचरज भरा था। गुरुजी आगे क्या हुआ वह आगे के भाग में मैं आपको लिखकर जल्दी ही भेजूंगा।

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धूमावती साधना अनुभव भाग 2

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