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नकारात्मक शक्ति की गलत हरकत का अनुभव

नकारात्मक शक्ति की गलत हरकत का अनुभव

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज एक साधिका के जीवन में साधना के दौरान घटित कुछ अजीब से अनुभवों के विषय में बात करेंगे क्योंकि उन पर किसी बुरी शक्ति ने उनकी साधना के दौरान कुछ एडल्ट हरकतें की हैं। चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं कि क्या इनके जीवन में साधना के दौरान घटित हुआ था?

ईमेल पत्र-नमस्कार गुरु जी, आज जब मैं जॉप कर रही थी माता शिवा धात्री का तो दो बार माला हाथ से गिर गई। आज केवल 7 माला ही हुए थे। फिर जाप के बाद जब मैं लेट गई तो मुझे सांस लेने में प्रॉब्लम हो रही थी और फिर मुझे महसूस हुआ कि मेरे पैरों की तरफ सिर करके कोई लेटा हुआ है और उसके बाद मुझे कुछ ऐसा फील हुआ कि जैसे कुछ एडल्ट हरकत कर रहा हो। जैसे मेरी कमर पर हाथ लगाना और ऊपर के पार्ट पर हाथ लगाना। तभी मुझे लगा कि यहां कुछ नकारात्मक चीज है। कुछ गलत हरकतें हो रही हैं और मैं अपने ब्रह्मचर्य को बचाने के लिए। तुरंत उठने और हिलने की कोशिश करने लगी और जितना मैं कोशिश कर रही थी उतना ही ज्यादा वह अपनी उंगलियां फ़ेर रहा था मेरे पेट पर और मेरे पेट को दबा भी रहा था। तभी मैं किसी तरह कोशिश करके उठी और तीन बार माता दुर्गा कवच का पाठ किया और यही प्रार्थना की कि हे माता काली मेरी रक्षा करो। मेरे साधना काल में ब्रह्मचर्य रक्षा करो।

कवच पाठ करते समय एक बुढ़िया औरत दिखाई दी। गुरु जी मैं जो कल का अनुभव था जिसमें जाप के समय दो बार माला गिर गई और इस तरह की एडल्ट हरकत में आपसे बस यही जानना चाहती हूं कि माता शिवा धात्री की साधना में कौन सा कवच लगाऊं। दुर्गा कवच और सुदर्शन चक्र कवच दोनों ही बड़े कवच है। ऐसे में माता के अनुभव मुझे नहीं हो पा रहे हैं और जब कोई कवच नहीं लगाती हूं तो ऐसी हरकत या बुरा अनुभव होता है। कृपया इस साधना में मेरा मार्गदर्शन करें। जैसा कि मैंने आपको बताया था कि परसों रात को अजीब घटना हुई जिसमें मेरे ब्रम्हचर्य से संबंधित परीक्षा हुई। जो माता की कृपा से मैंने उसे क्रॉस भी कर लिया। कल रात मेरे डर की परीक्षा हुई माता शिवा धात्री की मंत्र जाप करते हुए ही मेरे राइट एयर यानी कान के पास एयर प्रेशर बढ़ने लगा और मुझे दिखा की कोई देवी शक्ति जो देवी रूप में थी प्रवेश किया पर जॉप! को नहीं बढा और मेरी बॉडी ऐसे ही रेस्ट कर रही थी। जैसे मेरे अंदर कोई नकारात्मक पावर है और मंत्र जाप से वह तड़प रही है। अजीब सा एक्सपीरियंस बनाने लगा था और थोड़ी देर में ऐसा फील हुआ कि मेरी गोद में कोई बैठा है और मैं क्या कहूं। गुरुजी कल मुझे डर लग रहा था। फिर मैंने सोचा पहले गुरु मंत्र अनुष्ठान पूरा कर लूं। फिर यह साधना करूंगी। फिर मुझे महसूस हुआ। एक बार पहले भी यह साधना फिजिकल इश्यू की वजह से खंडित हो गई थी और अब भी ऐसा ही हुआ यह ठीक होगा या नहीं। फिर थोड़ी देर के लिए मैंने साधना बंद कर दी और सोचा सुबह में हवन कर लूंगी, जितना मंत्र जाप हुआ है। फिर मुझे लगा। इस तरह बीच में साधना छोड़ना ठीक नहीं है। आपकी भी कोई अवेलेबिलिटी नहीं थी। फिर मैंने सब कुछ पिता महादेव के हाथों में सौंप कर सोचा, जो होगा देखा जाएगा।

मेरी जिंदगी की आखिरी रात हो और अपनी पिता महादेव के हाथों में सौंप कर फिर मैं बैठ गई। दुर्गा कवच का पाठ किया। सुदर्शन चक्र मंत्र से चारों ओर मानसिक तौर पर सुरक्षा कवच लगाया। गुरु मंत्र से 50 चक्कर लगाया और मेरे दिल में बस यही आया कि पहले गुरु मंत्र की 21 माला जाप कर लूं और मैंने वहां यही किया। फिर मैंने देखा कि एक गोरे रंग की लड़की है जो पूरी तरह नग्न है और पीछे से बैठी हुई मुद्रा में दिखाई दी, जिनका बैकबोन बिल्कुल स्ट्रीट था माने सीधा था और बैकबोन की वजह से वाइट कलर की लाइट उनसे निकल रही थी और यह महसूस हुआ कि वह आपकी भैरवी देवी शक्ति है और मुझे कोई भी डरावना अनुभव नहीं हुआ। हालांकि माता शिवा धात्री का जाप नहीं हो पाया क्योंकि गुरु मंत्र करते हुए ही मुझे बहुत तेज नींद आ गई थी। गुरुजी मेरे कुछ प्रश्न है, इस तरह के अनुभव हो रहे हैं। क्या मुझे यह साधना अभी करनी चाहिए या 900000 अनुष्ठान के बाद? छोटी शक्ति की साधना में सुरक्षा कवच किस मंत्र से लगाया जाए और किस मंत्र से कैसे सिद्ध किया जाए दे हर अक्षर? कि मुझे जो चक्र पता है उसके लिए और सोमवार रात में 13 दिसंबर को माता वैष्णो देवी दर्शन के लिए जा रहे हैं और 3 दिन इस साधना में गैप भी हो जाएगा। क्या मैं वहां भी किसी अकेले स्थान पर इस साधना को करूं या घर पर ही करु। मैंने 21 माला 21 दिन का संकल्प लिया है। अभी मेरी देह रक्षा मंत्र सिद्ध नहीं है। अगर मैं यह साधना 6 महीने बाद करु और इन 6 महीनों में गुरु मंत्र अनुष्ठान कंप्लीट कर दू। रक्षा मंत्र और सुरक्षा मंत्र सिद्ध करने के बाद यह साधना करु तो क्या यह ठीक रहेगा और अभी जो साधना बीच में रह जाएगी। इसका प्रायश्चित के लिए क्या करूं। गुरु जी माता शिवा धात्री साधना पीडीएफ में कहीं भी सेफ्टी चक्र लगाने के लिए नहीं बताए गए हैं तो क्या इस साधना में चक्र लगाना? है या नहीं हो सके तो गुरु जी शेयर करें और अप्सरा साधना में ऐसा अनुभव है तो भैरवी साधना में क्या होगा जो मैं फ्यूचर में करूंगी?

वशीकरण भैरवी साधना आप कृपया रिप्लाई देना। इसके लिए आप मुझे बताइए धन्यवाद गुरु जी!

संदेश-तो देखिए यहां पर उन्होंने यह अनुभव दिया है। साधना चाहे कोई भी हो, उसमें आपके साथ काम क्रोध मद मोह लोभ की परीक्षा होती ही है और इसको आपको स्वयं ही सहना होता है। अगर आप कवच लगाकर इन शक्तियों का प्रवेश रोक देंगे तो फिर सिद्धि भी नहीं मिलती है। इसलिए प्रत्येक साधक को अपनी प्राण बचाने और अपने ऊपर हावी ना होने देने। तक के स्तर तक की कवच लगाना चाहिए। शक्ति को रोकने के लिए नहीं, क्योंकि अगर शक्ति आएगी ही नहीं तो सिद्धि भी नहीं मिलेगी। आपके लिए सबसे अच्छा यह रहेगा। कि पहले गुरु मंत्र का पूर्ण अनुष्ठान कर लीजिए, उसके बाद ही कोई छोटी तांत्रिक साधना शुरू कीजिए और? बिना भय के साधना कीजिए। इस तरह के अनुभवों से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि अगर अनुभव ही नहीं होंगे और परीक्षा ही नहीं होगी तो रिजल्ट कैसे आएगा। यही बात ध्यान में रखते हुए आपको हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना है और क्योंकि आप गुरु मंत्र का जाप करते हो तो कोई भी शक्ति ना आप पर हावी हो सकती है और ना ही आपका कुछ बिगाड़ सकती है। सिर्फ साधना भंग कर सकती है। उसी को रोकना आप का मूल उद्देश्य होना चाहिए। आत्म नियंत्रण सबसे महत्वपूर्ण है और वह किसी भी परीक्षा के लिए सबसे ज्यादा अनिवार्य होता है। शक्तियां रोकने से कोई फायदा नहीं, क्योंकि शक्तियां रोकने का मूल उद्देश्य सिद्धि प्राप्ति कभी होता ही नहीं बल्कि शक्ति आए और आप उसे जीत लें तभी वह सिद्ध होती है तो आप गुरु मंत्र के अनुष्ठान के बाद यह साधना कीजिए और बिल्कुल निश्चिंत होकर के गुरु मंत्र के जाप के बाद इसकी साधना करेंगे और जितने भी परीक्षाएं हैं, उसके लिए तैयार रहते हुए आगे बढ़ेंगे तो आपका कुछ भी नहीं बिगड़ेगा और सिद्धि में अगर आप सफल! हुये तो शक्ति निश्चित रूप से सिद्ध होकर आपके पास प्रत्यक्ष रुप में सिद्ध होकर रहेंगी तो यह था आज का इनका यह अनुभव अगर आप लोगों को यह अनुभव पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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