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नवरात्री में माता ने छोटी कन्या के रूप में प्राण रक्षा की

नवरात्री में माता ने छोटी कन्या के रूप में प्राण रक्षा की

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज का जो यह अनुभव हमको प्राप्त हुआ है। यह एक विदेशी भारतीय महिला का है और उन्होंने माता की साधना के दौरान जो भी उनके जीवन में विभिन्न प्रकार के अनुभव हुये उन्हें ईमेल पत्र के माध्यम से लिख करके भेजा है। आइए जानते हैं और पढ़ते हैं इनके ईमेल पत्र को।
नमस्कार गुरु जी, सबसे पहले माता चंडिका को मेरा प्रणाम और आपके श्री चरणों में भी मेरा प्रणाम, गुरु जी मैं बचपन से ही माता के प्रति एक वात्सल्य की भावना रखती हूं। मैं उनसे बचपन से ही बहुत अधिक प्रेम करती हूं। मैंने इस सत्य को समझा है कि? चाहे वह भगवान राम हो। कृष्ण हूं। शिव हो! ब्रह्मा हो कि कोई भी अन्य देवता उनके साथ उनकी शक्ति सदैव विराजमान रहती है और कार्य करती है। माता विभिन्न स्वरूपों में सदैव अपने कार्यों का संपादन करती रहती है। इसीलिए उनकी कृपा अवश्य ही प्रत्येक व्यक्ति को मिलती है। इसके बावजूद कभी भी वह अपना नाम संसार में प्रदर्शन के लिए नहीं रखती है। अगर महिषासुर जैसे राक्षस पैदा नहीं हुए होते तो? या फिर शुंभ निशुंभ जैसे राक्षस ना आए होते तो शायद माता अपनी महिमा को संसार को नहीं बता पाती? जबकि सभी देवताओं के पीछे से स्वयं कार्य करने वाली वही एकमात्र सर्वोत्तम शक्ति है। गुरु जी आपसे गुरु दीक्षा बहुत पहले ली थी लेकिन? मैं पूरी तरह गुरु मंत्र का जाप नहीं कर पाती थी। कारण मैं अपने कार्य में व्यस्त रहती हूं। इसके लिए आपसे क्षमा प्रार्थी हूं। गुरु जी यह अनुभव तब का है जब शुरुआत में मैंने आपसे गुरु दीक्षा ली थी और माता दुर्गा की भक्ति शुरू करी थी।

उस दौरान जो मुझे अनुभव हुए, वही मैं बताना चाहती हूं। हालांकि मैं यहां। अमेरिका में बहुत पहले से ही आती-जाती रही हूं और यही मेरा निवास है। क्योंकि हमारी पेत्रक पीढ़ी में बहुत सारे लोग यहां आ चुके हैं। रिश्तेदार भी यहां और इंडिया दोनों जगह आते जाते रहते हैं। मेरी दादी के समय से ही माता के प्रति सबके मन में श्रद्धा और भक्ति भाव हमेशा विद्यमान रहा है। इसीलिए मेरा भी झुकाव इसी और हो गया था। उस वक्त एक ऐसा दौर आया जब आर्थिक परेशानियां हमारे जीवन में आने लगी। तब मैंने सोचा कि जीवन का क्या है जीवन तो 1 दिन समाप्त हो जाने वाला है। इसलिए! आर्थिक परेशानियों से ज्यादा माता की भक्ति पर ध्यान देना चाहिए। उस वक्त इंटरनेट पर मैंने बहुत सारे गुरु लोगों को देखा। किसे मैं अपना गुरु बनाऊं यह सोचती रही। आखिरकार आप पर जाकर मेरी यह श्रद्धा स्थापित हुई। क्योंकि आप के बात करने का तरीका सबसे अलग है। सहज भाव में हर रहस्य को खोलते हैं। अनुभव के माध्यम से लोगों को ज्ञान देते हैं। अब मैं ज्यादा देर ना करते हुए अपने अनुभव पर आती हूं। गुरु जी गुरु मंत्र लेने के बाद मैं रोजाना गुरु मंत्र का जाप करने लगी। माता दुर्गा की स्थापित प्रतिमा की रोजाना पूजा करने लगी। एक दिन जब मैं पूजा कर रही थी तो दीपक बुझ गया।

मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि जलता हुआ दीपक कैसे बुझ गया है? तब मैंने दूसरा दीपक जलाया तो?

वहां पर कुछ ही देर में कुछ कीड़े उस दीपक में गिर गए और दोबारा से वह दीपक बुझ गया। यह अप्रत्याशित बात थी। मैंने फिर से! अखंड दीपक को जलाने की कोशिश की। लेकिन अबकी बार मेरी छोटी बच्ची! खेलते खेलते मंदिर तक पहुंच गई और उसने बाल मारकर वह दीपक गिरा दिया।

तब मुझे यह महसूस हुआ अवश्य ही कोई बड़ी परेशानी आने वाली है। मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा जैसे कोई पूर्वाभास हो।

तब अचानक से मेरे हृदय ने कहा। कि मुझे अभी तुरंत माता के इस गुरु मंत्र को लगातार जाप करना चाहिए। पता नहीं क्यों लेकिन उस वक्त ऐसी ही सोच मेरे अंदर आ चुकी थी। इसलिए फिर से मैंने दीपक जलाया और जाकर बैठ गई सामने!

मैं माता के मंत्रों का जाप बुरी घबराहट के साथ करने लगी। और जब मैं पूजा करके उठी। तो लगभग डेढ़ से 2 घंटे बीत चुके थे। तभी फोन आता है मैंने फोन उठाया और उस बात को सुनकर मुझे तो लगभग चक्कर ही आ गया था। मैं गिरते-गिरते बची। क्योंकि इतनी बड़ी घटना घट चुकी थी जिसकी मैं उम्मीद नहीं कर सकती।

गुरुजी इंडिया में मेरे पति मेरे सास ससुर और एक दो और भी व्यक्ति! टूर पर?

पारिवारिक मिलन के लिए कहीं जा रहे थे। पुराने सगे संबंधियों से उन्हें मिलना था। उनकी कार का भयानक एक्सीडेंट हो गया था। उन्हें? जबरदस्त चोट आई, सास-ससुर बुरी तरह घायल हो चुके थे।

उस टक्कर की वजह से जो कि एक ट्रक से हुई थी, गाड़ी नीचे की तरफ आ गई थी। इसीलिए लोगों को पता ही नहीं चला। कि वहां कोई घायल है अचानक से लगभग। जब?

तीसरी बार मेरा दीपक बुझा था तब तक इस घटना को लगभग 10 घंटे बीत चुके थे।

वहां सारे लोग गाड़ी के अंदर घायल जिनके शरीर से बुरी मात्रा में खून निकल रहा था। घबराए हुए या यूं कहिए कि उन्हें तो होश ही नहीं था वरना वह तो बाहर निकल कर आ जाते। बेहोश हुए गाड़ी में पड़े रहे तीसरी बार। जब मेरी बेटी ने उस दीपक को।

बुझाया था। तब? मैंने इस बात को गंभीरता पूर्वक लिया और मैं गुरु मंत्र का जाप करने लगी।

तब उसी वक्त पुलिस वालों की एक गाड़ी वहां से निकली।

तब जैसा कि उन्होंने बताया। की एक छोटी बच्ची जो कि सड़क क्रॉस कर रही थी। अचानक से नीचे गिरती हुई उन्हें दिखाई दी। इसलिए उन्होंने तुरंत अपनी गाड़ी को रोककर उसे बचाने की कोशिश की।

और नीचे देखा तो एक स्कॉर्पियो जिसमें मेरे परिवार के सारे लोग सवार थे, नीचे गिरी हुई है। पुलिस वालों ने तुरंत ही फोन किया एंबुलेंस आई और किसी प्रकार वह!

उन्हें हॉस्पिटल ले गई।

चमत्कारी बात यह है गुरुजी की हो सकता है। इसमें कोई चमत्कार किसी को ना दिखाई दे लेकिन दो जो बातें मुझे नजर आयी। मुझे!

दीपक के बुझने के संकेत प्राप्त होते रहे थे और इसी वजह से।

मेरा दिल घबरा रहा था और मैं। इसी वजह से बार-बार दीपक जलाती रही। तीसरी बार जब मैंने दीपक जलाया तो 10 घंटे बीत चुके थे। इस एक्सीडेंट को हुए भी। और? डेढ़ घंटो में जब मैंने मंत्र का जाप किया तब। उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया और वहां डॉक्टर ने कहा, अगर इन्हें लाने में थोड़ी देर हो जाती तो इनमें से कोई भी नहीं बचता क्योंकि ब्लड लगातार शरीर से निकल रहा था तब। डॉक्टर ने खून की सहायता से उन सभी की जान बचा ली। आज मैं! माता के चमत्कार को प्रणाम करती हूं जो उन्होंने दिखाया। क्योंकि बीच रोड में कोई कन्या कैसे पुलिस वालों को ऐसा चमत्कार दिखा सकती है। अगर मेरा विश्वास टूट ना होता और मैं गुरु मंत्र का लगातार जाप ना करती होती तो शायद उस दिन कुछ भी हो सकता था। हालांकि सभी लोग। 1 हफ्ते तक हॉस्पिटल में रहे मैं इंडिया वापस गई लेकिन सभी को सुरक्षित देख पाई। यही मेरे लिए सबसे बड़ी बात है उस एक्सीडेंट में।

किसी को कुछ नहीं हुआ हाँलाकि 1 महीने तक सभी।

अपने अपने बेड पर रहे।

इतनी ज्यादा चोटे उन्हीं आई थी लेकिन कोई अंदरूनी और गहरी चोट उन्हें नहीं लगी थी।

गुरु जी यह एक अद्भुत और वास्तविक अनुभव है जब कन्या छोटी कन्या।

के रूप में माता ने पुलिस वालों को संकेत दिया था। यह बात स्वयं पुलिस अधिकारी ने उन्हें बताई।

और तब मुझे भी पता चला।

उस वक्त गुरुजी नवरात्रि की अष्टमी चल रही थी और तब मैं अखंड दीपक जलाया करती थी। सुबह जब दीपक बुझा तब मुझे कुछ आभास तो हुआ था फिर दोपहर में भी वही हुआ और शाम के वक्त भी वही मेरी बेटी ने किया, लेकिन मैंने इस कार्य को निश्चित रूप से माता की कृपा से।

दीपक को बचाने की कोशिश की और अपनी गुरु मंत्र की साधना से मैं अपने परिवार को सुरक्षित रख पाई। माता दुर्गा को रक्षक माना जाता है और वह सदैव रक्षा करती हैं। आपके इस दिव्य गुरु मंत्र की सहायता से ही मैं अपने परिवार की रक्षा कर पाई इसका। मैं सदैव! आभार व्यक्त करती ही रहूंगी। नवरात्रि के समय में मैंने यह अनुभव आपको इसीलिए भेजा है कि उस पुरानी याद को दोबारा से याद कर सकूँ। जब छोटी सी कन्या के रूप में माता ने दर्शन देकर। मेरे पति की और उनके परिवार वालों की एक अद्भुत प्रकार से रक्षा की थी।

गुरु जी इस अनुभव को प्रकाशित अवश्य करें। कृपया मेरी जानकारी को गुप्त रखें। और? इसी प्रकार अपना आशीर्वाद बनाए रखें।

सन्देश- तो देखिए यहां पर माता ने छोटी कन्या के रूप में आकर समस्त परिवार की रक्षा की और संकेत के रूप में बार-बार दीपक के बुझने का संकेत किया। अगर इन्होंने तीसरी बार बुझे हुए दीपक। की रक्षा करते हुए अपने गुरु मंत्र का लगातार जाप नहीं किया होता तो पता नहीं कैसी परिस्थिति हो जाती या कुछ अनहोनी घटित हो सकती थी तो मां के सानिध्य में। उन पर विश्वास रखते हुए उनके संकेतों को समझते हुए हमें लगातार उनकी कृपा को प्राप्त करने का प्रयास करते रहना चाहिए। यह थी जानकारी और अनुभव माता दुर्गा की कृपा का अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें सब्सक्राइब करें आपका दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।

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