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नीलिमा योगिनी साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। इस बात की मांग हुई थी कि मैं नीलिमा योगिनी साधना के विषय में आप लोगों को बताऊं तो आज मैं आपके लिए नीलिमा साधना को लेकर उपस्थित हूँ। यह एक गोपनीय गुप्त विद्या है जिसके माध्यम से मां काली की सेविका शक्तियों में इस योगिनी की साधना की जाती है।

चलिए जानते हैं इस योगिनी के बारे में और किस प्रकार से इनकी साधना की जाती है यह भी जानेंगे।

आप लोगों ने माता काली के विषय में सुना ही है। इनके क्रोध और स्वेद के कारण। यानी इनकी पसीने की बूंदों से बहुत सारी योगनियों की उत्पत्ति हुई थी।

वह सारी योगनियाँ उस वक्त राक्षसों का वध करने और उनका रक्तपान करने के लिए प्रकट हुई थी। भयंकर युद्ध जब हो रहा था। तब माता काली ने अपने इन रूपों के द्वारा सर्वनाश मचा दिया था। उनका उग्र क्रोध इतना अधिक बढ़ गया की संपूर्ण संसार भय से व्याकुल होने लगा था। और? उनके आदेश पर योगनिया कच्चे मांस को खाने लगी थी।

कहने का तात्पर्य है कि उस वक्त योगनियों ने जीव जंतुओं मनुष्य यहां तक कि देवी देवताओं का भी भक्षण आरंभ कर दिया था।

ऐसा केवल और केवल माता कालिका की शक्तियां ही कर सकती हैं। उन्हीं में से एक योगिनी उग्र श्रेणी में आती हैं जो नीलिमा योगिनी के नाम से जानी जाती हैं।

नीलिमा नीले रंग से पूरी तरह प्रभावित। शनि ग्रह की अधिष्ठात्री, दंड देने में अति उत्तम। योगिनी स्वरूपा मानी जाती है।

इनकी साधना करने वाले का शनि ग्रह भी शांत हो जाता है। और किसी को भी कोई भी दंड देने की क्षमता इसी योगिनी शक्ति में है।

इनका पूरा वर्ण यानी कि शरीर, नीले रंग का है।

अपनी नीली आभा से यह दिशाओं को जगमगा देती है।

इनका रूप वर्ण क्रोध रूप में मां काली के जैसा ही दिखाई देता है क्योंकि ये उन्हीं की योगिनी शक्ति है। किसी भी शत्रु को मृत्युदंड देने का अधिकार और शक्ति रखती है।

इनकी उपासना करने वाला मृत्यु है से तरता है और काल भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।

जब तक कि यह योगिनी आपसे सिद्ध हैं, आपका कोई भी एक्सीडेंट नहीं होता है।

इनकी साधना को प्राप्त करके व्यक्ति स्वयं लौह समान हो जाता है।

लोहे जैसा वह व्यक्ति मन से वचन से और कर्मों से बन जाता है। उनकी गति बहुत ही तीव्र हैं, लेकिन इनकी साधना भी माता काली की ही तरह अत्यंत उग्रता के साथ ही जाती है। इनकी साधना को अत्यधिक शक्तिशाली बनाने के लिए नीलम भी धारण किया जा सकता है। लेकिन याद रखें। अगर आपकी जन्म पत्रिका में नीलम आपको सूट नहीं करता है तो कृपया उसे धारण ना करें क्योंकि नीलम का प्रभाव 24 घंटे में ही असर दिखाने लगता है और जिनके लिए यह शुभ होता नहीं है, वह उनके लिए मृत्यु योग तक की स्थिति बना देता है।

यहां पर यह बात हमें समझने की आवश्यकता है।

नीलिमा उपासना के लिए आपको किसी भी शुभ शनिवार के दिन!

रात्रि के मध्यकाल यानी 12:00 बजे। साधना की शुरुआत करनी होती है। यह साधना किसी बंद स्थान में ही करें।

उसी स्थान पर किसी और का प्रवेश वर्जित होना चाहिए। साधना के दौरान आपको। किसी भी?

नीले पक्षी के मांस को अर्पित करना होता है और साथ ही साथ।

उसी पक्षी के मांस से हवन भी करना होता है। क्योंकि यह एक तांत्रिक उग्र तामसिक साधना है इसलिए आपको सचेत रहने की आवश्यकता है।

दूसरी बात यह है कि इनकी साधना से पहले। शनि देव! जय माता काली की साधना अवश्य ही कर लेनी चाहिए ताकि इस साधना का कोई दुष्प्रभाव आपके ऊपर ना पड़े। वेग से आती हुई योगिनी शक्ति को रोकने की सामर्थ्य माता काली के अतिरिक्त और किसी में नहीं होती है क्योंकि यह उन्हीं की शक्ति है । आपको शुभ नीले वस्त्र पहनने हैं। नीले ही रंग के आसन का जो ऊनी कंबल का हो बैठना है नीले वर्ण के जानवर की खाल पर बैठकर भी आप यह साधना कर सकते हैं।

पशु पक्षी कोई भी हो सकता है।

क्योंकि यह नीले रंग से ही संबंधित है और नीला रंग शनिदेव का प्रतीक है, साथ ही साथ यह। माता के नीले रंग का भी द्योतक है। इसीलिए नीलिमा देवी के नाम से इन्हें संबोधित किया जाता है।

नीलिमा शक्ति। अत्यंत ही त्वरित है। इनकी शक्ति से व्यक्ति के अंदर एक अतुलनीय तेज आ जाता है। किसी भी कार्य को करने के लिए वह गधे जैसा जुट जाता है।

यानी कि किसी भी सीमा तक वह मेहनत करके। उस कार्य को करता है। इनके पूर्ण प्रभाव के कारण उसके अंदर मेहनत करने की लालसा जाग जाती है। और कहा भी ज्यादा ही है जो व्यक्ति अत्यधिक मेहनत करता है, उसे सफलता तो मिलती ही है। जीवन का कोई भी कार्य उसके लिए फिर असंभव नहीं रहता है क्योंकि वह प्राण पर मेहनत कर कार्यों को करता है। यह केवल नीलिमा देवी की उग्र ऊर्जा के कारण ही हो पाता है।

तो जैसे कि मैंने आपको बताया। आपको इनकी साधनान पूरे 41 दिन तक करनी है।

और इसके लिए किसी भी शुभ शनिवार को। रुद्राक्ष की माला से। इनके मूल मंत्र का जाप करना चाहिए।

सामने नीले रंग की एक प्रतिमा स्थापित कर। 41 दिन तक अखंड दीपक उसके आगे जलाइए।

सरसों के तेल क्या उसमें इस्तेमाल होना चाहिए?

41 दिन तक दीपक बुझना नहीं चाहिए।

प्रत्येक दिन मंत्र जाप के बाद आप दशांश हवन कर सकते हैं अथवा।

एक पक्ष यानी 15 दिन के बाद भी हवन किया जा सकता है। दशांश हवन भी कर लेने के पश्चात ही देवी की सिद्धि आपको प्राप्त हो जाती है।

मैंने जैसा कहा की है, अत्यंत ही उग्र शक्ति हैं तो अपने शत्रुओं का विनाश साधक तुरंत कर सकता है।

साधक! साधना के बाद में या किसी कार्य विशेष के बाद हवन करके इनका भोग इनको हवन के द्वारा अर्पित कर दे।

ऐसा करने पर देवी को साक्षात प्रसाद अर्पित हो जाता है। क्योंकि यह तामसिक साधना है इसलिए गुरु के निर्देशन में ही कीजिए। अन्यथा आपके लिए कभी भी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। अपने चारों सुरक्षा घेरा बनाना शरीर को कीलन करके सुरक्षित करना इस साधना में अनिवार्य है। साधना के दौरान कई तरह के भयानक अनुभव हो सकते हैं।

साधना काल में। ब्रह्मचर्य का पूर्णता पालन करना है। मन वचन और कर्म से जहां तक हो सके बोलने से बचना है।

असत्य भाषण नहीं करना है। साफ-सुथरे होकर नहा धोकर ही साधना में रोज बैठना है। तीव्रता से मंत्र का उच्चारण करना है।

जिस कमरे में या किसी भी गोपनीय स्थान में आप यह साधना कर रहे हैं, वह स्थान को अत्यंत ही गोपनीय कर दें क्योंकि देवी साक्षात वहां पर आपको दिखाई दे सकती हैं। साधना के बाद में उसी स्थान में बिस्तर बिछा कर सो जाना है। साधना काल में आप जमीन पर ही बिस्तर बिछा कर के सोएंगे।

इसके अलावा सिद्धि के विषय में किसी और को कुछ भी बातें कभी नहीं बताएंगे।

योगिनी देवी को वचनों में बांध लेना आवश्यक है।

और? इनके वेग को रोकने के लिए गुरु मंत्र अथवा मां काली के इस मंत्र का होना अनिवार्य है वरना उनके वेग में बहकर साधक अपना या किसी और का अनिष्ट भी कर सकता है।

बाकी मंत्र के विषय में जानकारी के लिए नीचे दे दिया है।

मंत्र – ॐ ह्री क्रीं क्रीं नीलिमा योगिनी आगच्छ स्वाहा

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