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नील वर्णी काली साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है आज मैं आप लोगों के लिए लेकर आया हूं नील वर्णी काली साधना या माता नील काली की साधना अलग-अलग तरीकों से की जाती है पर आज मैं जो आप लोगों को साधना का विधान दे रहा हूं वह नाथ संप्रदाय की है । शाबर मंत्र है जिन लोगों ने भी इनकी साधना की थी उनको सफलता मिली है मैं उन्हीं से लेकर आपको देने आया हूं ।

तो सबसे पहले जान लेते हैं कि माता नील काली कौन है इनका रूप स्वरुप कैसा है ?देवी काली जब नीले रूप की वो जाती हैं तब उन्हें तारा कहा जाता है ।यहां पर माता का काला स्वरुप नहीं है यहां पर उनका रंग बदल जाता है और उनका रंग कैसे बदल जाता है ? वह ऐसे कि जैसे शिव रुपी जो है उस पर प्रत्याडील  मुद्रा धारण किए हुए हैं दोनों का ही निवास स्थान समझाने दोनों की ही जीभ बाहर को निकली हुई होती है गाढ़ा काला रंग माता कालिका है और गाढ़ा नीला रंग माता तारा का है दोनों के भयानक रुप स्वरुप वाली हैं ।जो लोगों को डराने में सक्षम हैं ।जिन्हें देखकर कोई भी भयभीत  हो सकता है।

दोनों ही निर्वस्त्र रहती हैं, माता काली कटे हुए मनुष्यों की हाथों की करधनी धारण करती है और माता तारा बाघ की चमड़ी को धारण करती हैं दोनों की साधना नाथ संप्रदाय से मकर बिंदु से की जाती है दोनों ही विशेष हैं देवी तारा ने भगवान शिव को बालक के रूप में परिवर्तित कर दिया था और उनको अपना दूध भी पिलाया था इनका रंग नीला इसलिए पड़ा था क्योंकि जब समुद्र मंथन हुआ था तब भगवान शिव ने हलाहल विष पी  लिया था जिसके कारण से उनका शरीर जलने लगा था उनकी शारीरिक पीड़ा को नष्ट करने के लिए ही अपना दूध पिलाया था ।

शिव और शक्ति दोनों एक ही हैं काल कूट विश के कारण ही उनका रंग नीला हो गया था क्योंकि विष का रंग भी नीला था मुझे नाथ संप्रदाय से यह मंत्र मिला है उसी की विधि मैं आप लोगों को बता रहा हूं आपको इसकी साधना माघ की संक्रांति से शुरु करनी है और पूरे नियम से विधि विधान से दोपहर के समय पानी के किनारे आपको 40 दिनों तक 101 बार ईसी मंत्र को पढ़ना है और आपको ध्यान करते समय नीले रंग की काली माता का ध्यान करना चाहिए और आपको हवन करते समय नारियल चढ़ाना चाहिए काली मां को, जब आपके 40 दिन पूरे हो जाएं तब बली के लिए एक काले रंग का बकरा लिया है जो कि चारा खाता हो।

आपको उसे मारना नहीं ऐसे जंगल में छोड़ देना उसकी बली देवी खुद ही ले लेंगी और आपको हवन करते समय अपने अनामिका उंगली  का खून मिलाकर हवन करना है बाजार से आपको हवन सामग्री मिल जाएगी आपको उसे लाकर अपने दाएं हाथ की अनामिका उंगली को काटकर उसका खून मिलाकर हवन करना है अनामिका उंगली को रिंग फिंगर भी कहते हैं उसके बाद आप अपने ही खून से अपने माथे पर तिलक लगाना है ।

40 वे  दिन माता काली आपको दर्शन देंगी और आपका रोग बीमारी परेशानी सब नष्ट कर देंगे और आपको मनवांछित फल प्रदान करेंगे यह एक अत्यंत ही दुर्लभ साधना है यह आपको कहीं भी किताबों में नहीं मिलेगी । इस साधना को करके आप अपना भला करिए और लोगों का नहीं भला करिए लोगो का परोपकार करिए कभी किसी का अनिष्ट मत करिए चलिए अब मैं आप लोगों को इसका मंत्र बता देता हूं इसका मंत्र इस प्रकार से है। 

मँत्र: ओम नमो आदेश गुरु को प्रगटी जोत जद अदि मस्तके हलचल भई उदय अस्तके कापे तीन लोक जल थल सब पर्वत छुटा ध्यान तवै कैलाश पर चन्द्र सुरज सबे ही डर पावै बह्मलोक सब होवे हैरान यदि कडगी आन रवि मण्डल गर्भ जान के गर्भ गये सब जब शत्रु पकड तै चलावै फिर गगन मध्य अज हु लौ न आये रक्त बीज रुद्र को पान किओ सेना समेत तिसै नाश किओ तेरी है जय तेरी ही जय पडी जग जब नमो नमो अक्षर तैतीस तब नमस्ते नमस्ते  करै ध्यावे मन वाछीत सगले फल पावै नमो जय नमो जय  नील वर्णी ऐं नमः।। 

जब आप संक्रांति के समय जल के किनारे जाप शुरू करेंगे तब बिल्कुल एकांत होना चाहिए कोई भी आपके आसपास नहीं होना चाहिए और बाकी सारे नियम वैसे ही होंगे जैसे कि बाकी के साधनाओं में बताए जाते हैं अगर आपको यह साधना पसंद आई हो तो धन्यवाद।।

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