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नैना योगिनी और डायन कथा 5 वां अंतिम भाग

कामपिशाचिनी प्रकट हुई और कहा मेरे लिए क्या आज्ञा है, देवी जो कार्य संपन्न कराना हो तुरंत कराइए डायन ने कहा तुमें एक वीरू नाम के व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करना है और उसे काम बेहाल कर दो अर्थात अपनी कामवासना में फंसा दो आगे मैं तुमसे जो मैं इशारे करूं वही तुम्हें करना है बाद में देखेंगे की उनका किस प्रकार से नाश होता है और दोनों हंसने लगे रात्रि के समय आकाश में बादल छाए हुए थे बारिश होने की संभावना नजर आ रही थी वीरू जहां पर सोता था वह जगह खुली थी घर में स्त्री होने की वजह से अर्थात नैना के होने की वजह से वह बाहर ही सोता था आज उसे लग रहा था की अंदर ही सोना पड़ेगा क्योंकि बारिश जैसा माहौल था लेकिन फिर भी वह बाहर ही सो गया तब नैना आई और नैना ने एक मीठा सा फल उसे लाकर दिया इसे खा लो यह तुम्हें शक्ति उस स्फूर्ति देगा बिना कुछ सोचे समझे वीरु ने वह फल खा लिया, वो फल डायन लेकर आई थी और उस फल के अंदर काम पिशाचिनी को बैठाया गया था

अब काम पिशाचिनी उस फल के माध्यम से वीरू के शरीर के अंदर प्रवेश कर गई रात्रि के समय जैसे बारिश शुरू हुई वीरू अंदर चला आया और अपना स्थान ढूंढने लगा, कहां पर मैं सोऊ अथवा शयन करूँ तभी नैना ने कहा मेरे साथ ही क्यों नहीं सो जाते हो मेरे बिस्तर पर आकर सो जाओ इधर-उधर भटकने से अच्छा है, रात्रि कट जाएगी उसकी बात को सुनकर के वीरू नैना के साथ ही लेट कर सो गया रात्रि के समय में इशारा पाकर के काम पिशाचिनी उसके अंदर भोग की वासना एकदम से बढ़ा दी वह गलत हरकतें नैना के साथ करने लगा नैना ने भी उसका साथ दिया, दोनों के बीच में शारीरिक संबंध बनने लगे अचानक से तीव्र चमक के साथ ज्वाला प्रकट हुई बिजली के बीच में दोनों ने एक दूसरे को पूर्णतः नग्न देखा और बौखला से गए,

दूर हटाते हुए नैना ने उसे धक्का दिया और कहा यह क्या कर दिया तुमने मैं तुम्हारी बहन के रूप में सिद्ध हुई थी और तुमने संबंध बना लिए, रिश्तो की मर्यादा भी नहीं देखी, तुमने मुझे आज क्रोधित कर दिया है तुमसे रिश्ते भी नहीं संभाले गए, भला क्या देवी देवता भी इतने निकृष्ट कार्य करने लगेंगे तो जीवन में क्या होगा मनुष्य जीवन तो वैसे भी नर्क के समान ही है और हड्डी मांस के शरीर के लिए तुमने मुझको वासना में देखा और मेरे साथ ही संबंध बनाने लग गए l

ऐसी बातें सुनकर के तुरंत ही सोते हुए वीरू को समझ में आया की उसने क्या कर डाला है तभी कामपिशाचिनी भी उसके शरीर से अदृश्य रूप में निकल गई, वह सोचने लगा यह मैंने क्या कर डाला, नैना ने जोर से उसे उलाहना देते हुए कहा तुम्हारी आंखें क्यों नहीं फूट जाती है तुम अपने आप को मार ही क्यों नहीं डालते हो ऐसा गलत कार्य करने के बाद क्या आवश्यकता है मैं आज तुम्हे छोड़ कर जा रही हूं उसकी बात को सुनकर पश्चाताप के तीव्र आँसू उसके शरीर में बहने लगे वह दुख से व्याकुल होकर दौड़ता हुआ, उस पहाड़ी चोटी पर चला गया जहां पर डायन रहती थी अपने शरीर में रखे हुए चाकू को निकाल कर अपने शरीर में प्रहार कर दिया

वो इस अपराध बोध को क्षमा नहीं कर पा रहा था की उसने ऐसा गलत कार्य कर दिया है, अपने आप को चाकू मार लेने के बाद में तड़पते हुए उसकी मौत हो गई, ईधर जब नैना उस मकान में प्रकट हुई तो देखा की वीरू घर पर नहीं है इधर-उधर खोजती हुई तुरंत ही उस पहाड़ी की ओर चली गई और देखा तो वहां पर वीरू मरा पड़ा था क्रोध से जलते हुए और बहुत ही गुस्से से भरी हुई नैना योगिनी ने कहा इस रात को ऐसा क्या प्रपंच रच गया जो मैं एक रात के लिए गायब हुई और यह सब हो गया इतना प्रिय भक्त और मेरा छोटा भाई मर कैसे गया इस बात को सोचते हुए तुरंत ही ध्यान मग्न हो गई इस रहस्य को जानने की कोशिश करने लगी।

नैना बहुत ही परेशान थी और अपने योग शक्ति के माध्यम से यह जानने की कोशिश करती हैं की आखिर रात्रि को ऐसा कैसे हो गया की मेरे रहते हुए भी वीरू की हत्या हो गई l योग साधना में कुछ देर बैठने के बाद नैना को वह सारे दृश्य सामने आ गए एक डायन और उसकी सखी काम पिशाचिनी दोनों ने मिलकर एक षड्यंत्र को जन्म दिया था, जिसमें डायन ने सोचा था की मैं शारीरिक संबंध उसके साथ बना लूंगी और काम पिशाचिनी की सहायता से उसके अंदर भी काम की भावना जगा दूंगी जब वह मेरे साथ संबंध बनाएगा

और जब फिर मैं उससे कहूंगी की तुमने ऐसा गलत कार्य क्यों किया है तो निश्चित रूप से (वीरू) अपनी हत्या खुद कर लेगा और बिल्कुल वही हुआ और विकट अट्टाहस करते हुए वह वहां से वह चली गई क्योंकि उसने उसी पर्वत पर जाकर अपनी हत्या की थी इसलिए वह नवी बली भी डायन को प्राप्त हो गई थी। डायन के पास अब अद्भुत शक्तियां थीं, अब वह महा डायन शक्तियों को अपने पास पा चुकी थी, नैना बहुत ही क्रोधित हो गई लेकिन जब उसने सोचा की मैं अब उसका वध करने लायक नहीं रही हूं क्योंकि वह महा डायन की शक्तियों को प्राप्त कर चुकी है l 9 बलि देने पर उसकी शक्तियां चरम पर पहुंच गई है इधर मेरा भाई भी मरा पड़ा है और मैं चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों ना हो लेकिन जीवन नहीं दे सकती अर्थात मैं अपने भाई को जीवित नहीं कर सकती हूं यह मेरी सामर्थ्य के बाहर है केवल और केवल माता चंडिका पराशक्ति ही इसे जीवित कर सकती हैं और उनके अतिरिक्त ब्रह्मांड की कोई शक्ति मरे हुए प्राणी को जीवित नही कर सकती, ऐसा सोचते हुए बड़े ही दुखी

मन से पूजा कर कामाख्या पीठ में अदृश्य रुप से साधना करने लगी थी साधना करते हुए 3 दिन बीत जाने पर माता कामाख्या ने उन्हें दर्शन दिए नैना योगिनी के सामने माता कामाख्या विराट स्वरूप में प्रकट हुई और पूछने लगी मनुष्यों के बाद अब योगिनी शक्तियों को भी मेरे आवाहन की क्या आवश्यकता पड़ी है बताओ क्या समस्या है ? नैना योगिनी ने रोते हुए कहा किसी ने मेरी साधना की उपासना की जीवन भर साथ रहने का संकल्प लिया मैं उसकी कोई सहायता नहीं कर पाई और वह मेरा नाम लेते लेते मर गया l मां मेरी मदद करो !

मां मेरी मदद करो क्योंकि मुझे मेरा भाई वापस चाहिए सच्चे मन से मेरी साधना की थी मुझे प्राप्त किया था अपनी बहन के रूप में और आज वह मेरा ही नाम लेते लेते परलोक सिधार गया है मां कुछ भी करो आपको इसे जीवित

करना ही होगा अगर आप इसे जीवित नहीं करेंगे तो मैं इसी प्रकार तपस्या करती रहूंगी और कभी भी इस पृथ्वी को नहीं छोडूंगी और हमेशा इस स्थान पर तपस्या करती रहूंगी l माँ ने कहा शांत हो जाओ नैना तुम्हारी इच्छा और तुम्हारे तप का फल मैं तुम्हें अवश्य देती हूं उसकी आत्मा पित्रलोक से गुजर रही है इसलिए मैं अभी आर्यमान को आदेश देती हूँ, माता कामाख्या ने तुरंत ही आर्यमान का आवाहन किया वो प्रकट हुए और आर्यमान ने कहा की मैं उसकी आत्मा को वापस करने को तैयार हूं आपकी आज्ञा का पालन क्यों नहीं करूंगा आखिर आप तो जगत जननी हैं इसलिए आपकी बात को मैं भला कैसे टाल सकता हूं, मैं तुरंत ही उसकी आत्मा को उसके शरीर में भेज देता हूं आर्यमान ने तुरंत ही उसकी आत्मा को उसके शरीर में वापस भेज दिया सड़ चुके शरीर को आत्मा ग्रहण नहीं कर पा रही थी इस समस्या को देखते हुए माता जगदंबा ने अब उसके शरीर पर दिव्य लेपन किया लेपन से तुरंत ही उसका शरीर पूर्ववत हो गया l

उसमे ओज आ गया ओज शक्ति के प्राप्त होने पर अब आत्मा शरीर में प्रवेश कर गई वह फिर से जीवित हो गया, घाव पूरी तरह से भर चुका था । जब उसने अपनी आंखें खोली सामने नैना को पाया और दुख से व्याकुल होकर बोला ये मैंने क्या कर दिया उसको दुखी होते देखकर उसके बहते आंसुओं को देखकर नैना के चेहरे पर आंसू आ गए गले लगाते हुए कहा भैया तुम जो समझ रहे हो जो सोच रहे हो वैसा कुछ भी नहीं हुआ है, यह सब उस डायन की चाल थी उसने मेरा रूप स्वरूप लेकर के तुमसे ऐसी गलत हरकत करवाई तब तुम में अपराध बोध की इतनी बड़ी भावना उत्पन्न हुई की तुमने स्वयं अपनी हत्या कर ली यह तुम्हारी पवित्रता को दर्शाता है l अब उस पिशाचिनी और डायन का नाश करना आवश्यक हो गया है कुछ भी करके अब हमको उसका नाश करना होगा इसलिए आओ और माता कामाख्या की शरण में चलो 9 दिन वहां लगातार बैठकर तप करेंगे और मां से वरदान और शक्तियां प्राप्त करेंगे l

इसके बाद दोनों चुपचाप वहां से चल दिए इधर डाकिनी ने खुले आम अपना स्वरूप को धारण कर लिया और कहा प्रत्येक दिन मेरे पास एक मनुष्य आएगा और मुझसे संबंध बनाएगा और मैं उसका सर काट दूंगी अगर खुद से वह अपना सर कटवाएंगे तब तो ठीक वरना मैं उसके शरीर के चार अंग हाथ और पैरों को उखाड़ दूंगी और उसे जीवित रखूंगी | खुली धमकी देने पर सभी गांव के लोग डर गए और वो भागने को तैयार थे लेकिन कोई भाग नहीं पा रहा था क्योंकि पूरे गांव पर चारों तरफ से पिशाचनियों का पहरा बैठ चुका था सब मजबूर थे l

हर 1 दिन बलि के लिए एक पुरुष उसके पास जाता और वह उसकी बलि लेती और लगातार उसकी शक्तियां बढ़ती जाती थी l इधर नवरात्रि आ चुकी थी और नवरात्रि के पहले दिन से लेकर के नवे दिन तक अखंड तपस्या करने के लिए योगिनी ने कहा, जैसा जैसा मैं कहूं वैसा ही तुम करो मां जगदंबा के मंत्रों जाप करो तभी वह शक्ति हमें प्राप्त होगी l रात्रि का अति शुभ समय है और 9 दिन तक अखंड जाप करने के लिए दोनों वहां बैठ जाते हैं l कामाख्या पीठ में बैठकर दोनों घनघोर तपस्या करने लगते है | नवी रात्रि को लगातार तपस्या करते हुए 9 वें दिन मां जगदंबा माता कामाख्या प्रकट होती हैं l अपने सिंह पर चढ़ी हुई तीव्र स्वर में कहती हैं मुझको तुम दोनों

ने किस हेतु याद किया है सारी बाते जानते हुए वह कहती हैं की ठीक है मैं तुम्हें एक मटका देती हूं इस मटके को जाकर के डाकिनी के सामने रख देना डाकिनी इस में प्रवेश कर जाएगी अर्थात जो डायन तुम्हारी समस्या बनी हुई है डायन इसके आगे परास्त हो जाएगी उसकी सारी सिद्धिया इसके आगे बेअसर हो जाएंगी और तुम उसको इस मटके में कैद कर देना उसके बाद इसको पृथ्वी के अंदर गाड़ देना l इस बात पर नैना ने पूछा माता हम उसका वध नहीं कर सकते हैं क्या तो माता ने कहा वो महा डायन का स्वरूप प्राप्त कर चुकी है उसकी शक्तियां चरम पर हो चुकी है और क्योंकि वह पाताल की रानी बन

चुकी है इस हेतु उसका वध करना सही नहीं है हां इतना जरूर किया जा सकता है की उसे फिर से पाताल भेज सकते हैं, यही एक उपाय है जो मैं तुम्हें मटका दे रही हूं उस मटके को लेकर के उसके पास जाओ उसके सामने अगर तुमने इसे रख दिया तो निश्चित रूप से वह पराजित हो जाएगी और फिर मटके को तुम धरती के अंदर गाड़ देना पाताल लोक तक उसे गाड़ देना ताकि वह फिर पृथ्वी पर ना आ सके l क्योंकि कुछ भी हो उनके लिए उनकी इच्छा

अनुसार लोक बनाए हुए हैं, पाताल में भूत प्रेत पिशाच बुरी शक्तियां राक्षस रहते हैं वो वही की रानी बन चुकी है इसलिए इसे वही भेज दो जिससे ये पृथ्वी पर दोबारा ना आ पाए l लेकिन वह इतनी शक्तिशाली हो चुकी है की मटका अपने पास पहुंचने से पहले ही सारी स्थिति को बिगाड़ सकती है नैना ने कहा सुनो वीरू में तुम्हारे शरीर मे प्रवेश कर जाती हूँ और तुम्हारे शरीर को अत्यंत ही रूपवान शरीर बना देती हूं रात्रि के समय जिस पुरुष की बलि होने वाली हो उसकी जगह तुम चले जाना ऐसा करने से उसे पता भी नहीं चलेगा

और तुम्हारी सुंदरता को देखकर मोहित हो जाएगी और जब वो तुम्हारा सर काटने के लिए तत्पर होगी उसी क्षण मैं बाहर निकल आऊंगी मटके के साथ | रात्रि के समय जो व्यक्ति रोता हुआ जा रहा था जिस पुरुष की बलि थी वीरू ने कहा भाई तुम घर लौट जाओ तुम्हारी जगह मैं चला जाऊंगा इस

समस्या का समाधान सदा सदा के लिए कर दूंगा l इसके बाद वीरू ने अत्यंत ही सुंदर शरीर धारण कर लिया क्योंकि उसके शरीर के अंदर नैनादेवी प्रवेश कर गई थी नैना योगिनी की शक्ति से वह बहुत ही ज्यादा सुंदर हो गया, नैना मटके के साथ शरीर के अंदर प्रवेश कर गई पुरुष को देखकर डायन ने कहा अहोभाग्य इतना सुंदर ! इस पुरुष के साथ संबंध बनाने से तो मुझे अत्यंत आनंद प्राप्त होगा मन तो करता है इसका सर ना काटूं लेकिन मुझे मेरी सेना बढ़ानी है, इसलिए तेरा सर तो काटना ही पड़ेगा चल लेट जा जैसे ही वीरू लेटा डायन उसके शरीर पर आ गई जैसे ही डायन उसके शरीर के ऊपर उतरी तुरंत ही नैना उसके शरीर को छोड़कर बाहर आ गई और मटकी रख दी मटकी के प्रभाव से तीव्र स्वर में हवाएं चलने लगी इतनी तीव्रता से बलवती हुई तो एक विकराल सा द्वार बन गया जो सब चीजों को अपनी तरफ खींचने लगा वहां मौजूद हजारों पिशाचनी भूत प्रेत वेताल सब धीरे-धीरे करके उसमे समाने लगे, महाशक्तिशाली डायन भी कुछ ना कर पाई और वह भी उसी मटके में प्रवेश कर गई जबरदस्त हवा का खिंचाव जो लगातार उन्हें खीच रहा था l

जब सब उसके अंदर प्रवेश कर गए तो उस मटकी के ऊपर ढक्कन रखकर नैना ने मटके को बंद कर दिया और अपनी शक्ति से पैर पटक कर धरती बीच से फाड़ दी धरती फटने पर वो तीव्रता से मटके को लेकर के जमीन के अंदर प्रवेश कर गई l  अत्यंत ही अंदर जाकर के उस मटके को रख दिया फिर वापस आ गई अब फिर से अपना पैर पूरी शक्ति से पटका तो धरती फिर से जुड़ गई इस प्रकार कई किलोमीटर नीचे मटका दब गया l

मटका दबने की वजह से अब सारी शक्तियां उसी पाताल लोक में समा गई तभी माता जगदंबा माता कामाख्या प्रकट हुई माता ने कहा यहां सब कुछ बड़ा ही अस्त-व्यस्त हो गया है ऐसा करो मैं अब तुम दोनों का आदेश देती हूं की तुम अत्यंत गोपनीय स्थान पर चले जाओ और यहां वापस नहीं आना मैं इस क्षेत्र से इस भ्रम जाल को मिटा दूंगी जो कुछ भी जनता ने देखा है जो कुछ भी समझा है वह लोग भूल जाएंगे हमेशा के लिए, यह कहानी दब जाएगी क्योंकि मैं नहीं चाहती ऐसी बातें रहस्य और राज खुले जिसकी वजह से ऐसी शक्तियों को बाहर आने का मौका मिले मनुष्य अपने कर्म से ही प्रभावित रहे ऐसी चीजों से नहीं, माता कामाख्या ने अपनी शक्ति का प्रयोग किया और गांव वाले सब भूल गए कुछ पता ही नहीं रहा की कल तक क्या हुआ था इस प्रकार माता की आज्ञा लेकर नैना और उनका भाई वीरू गोपनीय स्थान पर तपस्या करने के लिए सदा के लिए चले गए ।

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