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नैना योगिनी साधना और डायन भाग 1

इस बार हमारी कहानी कामाख्या क्षेत्र जो तंत्र-मंत्र का गढ़ माना जाता है उसकी है, उस इलाके में बहुत समय पहले ऐसे मठ हुआ करते थे जिन में गुरु लोग अपने शिष्य को गोपनीय से गोपनीय साधनाएं करवाया करते थे, यहां के क्षेत्रों में उस जमाने में इन्हीं तंत्र मंत्र के कारण जो बहुत से गलत कार्य करने वाली स्त्रियां थी, वो डायन बन जाया करती थी और डायन की शक्तियां उन्हें प्राप्त हो जाती थी, उन शक्तियों के द्वारा उन्होंने बहुत से मनुष्य ही नहीं वहां के जीव जंतुओं भूत-प्रेतों जैसे सभी को अपना गुलाम बना के रखा करती थी, यह क्षेत्र इसलिए बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हो गया था और उस जमाने में आज

से 1000 साल पहले बहुत ही ज्यादा तंत्र मंत्र का प्रयोग हुआ करता था, ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे किनारे जितने भी क्षेत्र थे वहां पर विशेष रूप से इस

तरह की क्रियाएं तंत्र-मंत्र लोग प्रयोग किया करते थे, हालांकि आज ये सारी विद्या लुप्त हो चुकी है लेकिन एक समय था जब यह बहुत ही ज्यादा तीव्रता से इसका प्रयोग हुआ करता था यह कहानी एक वीरू नाम के व्यक्ति की है जिसने योगिनी देवी की सहायता से अपने क्षेत्र को डायन से मुक्त कराया था और साथ ही साथ अपनी जिंदगी की भी रक्षा की थी जैसे की हमे मालूम ही है कामाख्या शक्तिपीठ के आस पास में बहुत से पुराने जमाने में मठ हुए करते थे l गुरु लोग अपने शिष्यों को वहां तंत्र मंत्र विद्या की जानकारी दिया करते थे, एक व्यक्ति था जिसका नाम वीरू था, उस वीरू नाम के व्यक्ति ने अपने गुरु

से योगिनी विद्या के बारे में पूछा गुरु ने कहा मैं तुम्हें योगिनी विद्या सिखाऊंगा तो यह बताओ की समस्त योगनियों में कौन सी योगिनी तुम्हें अत्यधिक प्रिय है जिसकी साधना तुम करना चाहते हो वीरू ने कहा- मैंने सुना है गुरु जी की सबसे अच्छी योगिनी नैना योगिनी है तो मैं नैना योगिनी की ही

साधना करना चाहता हूं l गुरु ने पूछा किस रूप में नैना योगिनी को सिद्ध करना चाहोगे मां के रूप में बहन के रूप में या फिर पत्नी के रूप में तो गुरु की आज्ञा से उसने कहा निश्चित रूप से मेरे पास बहन नहीं है इसलिए मैं बहन के रूप में उसे सिद्ध करना चाहता हूं और मुझे बहन की बहुत आस भी है मां बाप का मैं अकेला पुत्र हूं, मैं दूसरों को देखता हूं की उनकी बहनें हैं तो वो बड़े खुश रहते हैं उनका आदर सत्कार होता है समाज में उनकी इज्जत होती है, यही नहीं भाई बहन के जितने त्यौहार पडते हैं उनमे अकेलापन महसूस करता हूँ इसी वजह से मैं बहन चाहता हूं मेरे पास बहन नहीं है पत्नी तो मिल ही जाएगी किसी ना किसी वक्त परिवार वाले मेरी शादी करा देंगे तो और मां मेरे पास है ही लेकिन मेरे पास बहन नहीं है मैं बहन के रूप में ही नैना योगिनी

को प्राप्त करना चाहता हूँ l उसकी बात से गुरु ने खुश हो कर कहा की बेटा तुमने सही कहा मां और बहन के रूप में ही यह शक्तियां जल्दी सिद्ध हो

सकती है पत्नी के रूप में हालांकि इनकी शक्तियां चरमोत्कर्ष पर होती हैं अर्थात उसका साधक संसार में किसी को भी पराजित कर सकता है लेकिन वह व्यक्ति अनुरागी होना चाहिए वह स्वयं शिव समान होना चाहिए तभी वह इन शक्तियों को धारण कर पाएगा वरना वह शक्तियां इसका ही नाश कर

डालेंगी इसलिए तुम्हारा विचार उत्तम है, बहन के रूप में नैना योगिनी की प्राप्ति के लिए मंत्र साधना बताऊंगा, ऐसा करो उस क्षेत्र में जहां पर कामरूप कामाख्या मंदिर स्थित है उसकी दक्षिण दिशा की तरफ पर्वत है उस पर्वत पर एक छोटी सी कुटिया बनाकर रखी हुई है, उस कुटिया में रहकर के साधना उपासना करना शुरू कर दो याद रखना इस साधना उपासना में किसी भी प्रकार का विघ्न नहीं आना चाहिए और अपनी साधना को तुम सफल करने के दौरान घबराना नहीं, चाहे देवी किसी भी प्रकार की परीक्षा ले और परीक्षा कैसी भी हो सकती है, इसलिए तुम सहज रूप से मुझसे इस गोपनीय मंत्र को (नैना देवी

के मंत्र को) प्राप्त करो और फिर नैना योगिनी की साधना में जुट जाओ l गुरु से मंत्र प्राप्त कर वह साधना करने के लिए उस पर्वत शिखर पर चला गया l रात्रि के समय वहां पर बहुत ही ज्यादा शेरों और भेड़ियों की आवाजें, सियारो की आवाजें और अन्य तरह के जितने भी जीव-जंतु हैं उन सब की आवाजें आया करती थी, जब भी वह साधना करता था । जबकि उस क्षेत्र में वहां पर कोई ऐसा जीव नहीं पाया जाता था, इसको वह चमत्कार समझते हुए साधना

पूरी करने लगा 6 माह साधना के पश्चात में 1 दिन तीव्रता से महाराक्षसी उत्पन्न हुई वो राक्षसी उसके ऊपर आई और उसके सिर पर वार करने लगी वो

उन वारो को सह गया और नैना नैना कहते हुए बेहोश हो गया, प्रेम में निश्छलता देखकर के देवी ने अपना भयानक रूप त्याग दिया और उसके प्रेम में वशीभूत होकर उसे उठाया और अपनी गोदी में बिठा कर के उसके सर

को सहलाते हुए उसके माथे पर पानी के छींटे दिए आंखें खोलने पर एक अद्भुत अत्यधिक सुंदर स्त्री को अपने पास देख कर के उसके बाहों में लेटा हुआ छोटे बच्चे की तरह स्वयं को देखा, क्योंकि वह अत्यंत विशालकाय दिखाई पड़ रही थी तो उसके गोदी में लेटा हुआ वह बहुत ही छोटा सा नजर आ रहा था अत्यंत विशालकाय रुप को देख कर के उसने कहा हे देवी आप कौन हैं आप इतनी विशालकाय कैसे हैं, मुस्कुराते हुए कहा भैया तुमने मुझे बुलाया इतने दिन मेरी साधना और उपासना की है क्या मैं नहीं आती और तुम कब से अपनी बहन को प्राप्त करने के लिए तपस्या करते जा रहे थे कब से मुझे पुकार रहे थे, कब तक मैं अपने भाई की आवाज नहीं सुनती तुम मुझे बहन के रूप में देखना चाहते थे ना ले आ गई हूं मैं तेरी बहन के रूप में आज से तुम मेरी सारी बात मानना और मैं जो जो कहूंगी वही करना, जिंदगी में मैं तेरे पास कोई कमी नहीं रहने दूंगी तू जिस भी उद्देश्य से मेरी साधना किया है वह निश्चित रूप से सफल होगी और मेरे प्यार और वात्सल्य को सहेजता से स्वीकार कर देख मैं तेरे लिए भोजन लायी हूँ और बायां हाथ हवा में उठा कर एक थाल प्रकट किया जिसके अंदर अत्यधिक विचित्र प्रकार के विभिन्न व्यंजनों से वह भरी हुई थी और वह थाली उसके पास रखकर फिर दाहिने हाथ में पूड़ी और अन्य पकवान के लिए एक और थाली प्रकट की और उसके सामने रख दी वीरू यह देखकर खुशी के मारे आंसू बहाने लगा l नैना योगिनी को देखकर मुस्कुराता हुआ कहा दीदी आपने तो एक बहन का कर्तव्य निभाना शुरू कर दिया मैं पता नहीं कब से भूखा था और आपने मेरी मन की इच्छा को

जानकर मेरी बात को समझ कर तुरंत ही मेरे लिए भोजन परोस दिया। धन्यवाद, स्वयं वहां पर बैठी हुई नैना उसको चारों तरफ से पंखा से हवा देने लगी ऐसा अद्भुत नजारा देख करके उसकी आंखों से आंसू आने लगे और वीरू ने कहा इतना प्यार तो मां भी नहीं कर सकती जितना आप एक बहन के रूप में कर रही हैं, वो भी मुस्कुरा कर बोली अरे मैं तो सिर्फ आज ही सेवा कर रही हूं तू तो पता नहीं कितने महीनों से लगा हुआ था मेरी सेवा करने पर, तो क्या मैं इतना भी नहीं करूंगी मेरे बच्चे तू अब भोजन कर ले मैं अदृश्य हो रही हूं मैं तेरे साथ रहूंगी और तेरे कार्यों को संपन्न करूंगी इतना कह कर के वहां से वह लोप हो गई, कहते हैं उस गांव के पास ही एक डायन रहा करती थी जहां

पर वीरू का गांव था । वीरू जब उस गांव में गया तब तक वो डायन बहुत सिद्ध हो चुकी थी और बहुत सी चमत्कारी और दुर्लभ शक्तियां उसको प्राप्त हो चुकी थी, वो बड़ी ही शक्तिशाली धीरे धीरे होती चली जा रही थी । गांव के नजदीक उसने डेरा बनाया और अपनी तंत्र विद्या की मैली विद्या से उसने यह जान लिया की अगर मैं 9 पुरुषों की बलि दे देती हूं तो निश्चित रूप से मैं बहुत ही शक्तिशाली हो जाऊंगी और दुनिया की अर्थात इस क्षेत्र में मेरी बराबरी करने वाली कोई और चुडैल डायन नहीं रह पाएगी l मेरी शक्ति के आगे सारी चुडैल और डायन मेरे आगे नतमस्तक हो जाएंगी नरक की शक्तियां मेरे अधीन होने लगेंगी और मैं धीरे-धीरे करके पंच भूतों पर भी अधिकार कर लूंगी l

ऐसी बात जानकर उसने एक सोच बनाई की मैं अगर इसी गांव के नजदीक रहकर के इस गांव के 9 पुरुषों से विवाह कर लूं और इन पुरुषों से विवाह करने के बाद धीरे-धीरे करके इनकी बली देती जाऊं तो उत्तम होगा, अपनी इच्छा से अगर यह मनुष्यबली दे तो मुझे अधिक शक्ति प्राप्त होगी, लेकिन भला कौन अपनी इच्छा से बली देगा इसलिए उसने भयंकर मायाजाल रचा उसने अपने आप को एक रानी की तरह से बना लिया और अपनी सहेलियों के साथ में वहां पर मायावी रूप में एक सेना जो की भूत-प्रेत, पिशाच और भूतिनी से भरी थी उनकी पूरी सेना बना ली और एक डेरा सा बनाया l डाकिनी वहां पर रहने लगी और चारों तरफ गांव में एक खबर फैला दी की कोई प्रदेश की राजकुमारी यहां पर आई है और यहां पर वह रहना चाहती है, गांव में जब उत्सव हुआ तब वह गांव में आई और सभी लोगों को चांदी के सिक्के देने लगी और सब को खुश करने लगी, सब उसकी वाहवाही करने लगे उसे देख कर सब खुश हो जाते

थे कि यह आई है तो निश्चित रूप से हमें बहुत कुछ देगी और सभी उसकी प्रशंसा करते थे डाकिनी वहां के प्रमुख व्यक्ति से मिली l उस गांव के मुखिया से उसने कहा की मेरा यहां आने का उद्देश्य था की मैं किसी बलवान या अच्छे पुरुष से विवाह रचाऊ लेकिन समस्या यह है की जो भी मुझसे विवाह करेगा वह मारा जाएगा ऐसी अवस्था में मैं किस व्यक्ति से विवाह करूं लेकिन अगर

जो मेरा सच्चा प्रेमी होगा वह मारा नहीं जाएगा और मैं सदैव खुश रहूंगी l इसलिए मैं गांव के हर पुरुष को आमंत्रित करती हूं कि वह मुझसे विवाह करें जिसका भी प्यार मेरे लिए सच्चा होगा उसे मृत्यु नहीं आएगी और मैं उसे अपना राजा घोषित कर दूंगी और अतुल्य संपत्ति खजाने रुपए पैसे से उसे भर दूंगी सारा राज्य में उसे सौंप दूंगी l यह सुनकर गांव के बहुत से लोगों के मन में विचार आया की इससे अच्छा मौका कहां हो सकता है, तो बहुत से पुरुषों का उसके पास प्रस्ताव आ गया उनमें से एक पुरुष को देख कर वो मुस्कुराई और समझ गई की यह दिखने में सुंदर और बलवान है और उसके पास गई उसने कहा मैं तुमसे विवाह करूंगी लेकिन शर्त है की अगर तुम्हारी मृत्यु नहीं हुई तो मैं तुम्हें अपना राजा घोषित कर दूंगी । मृत्यु वाली बात पे भला गांव के लोग क्यों डरते गांव के लोगों में कई सारे पुरुषों ने वहां पर खड़े होकर के वचन दे दिया और कहा हम सब आपको वचन देते हैं चाहे अगर हमारी मौत भी हो जाएगी तो भी हम आपके प्रति समर्पित रहेंगे आप से ही प्रेम करेंगे इस प्रकार कई सारे लोगों में से करीब 70,80 लोगों ने इस तरह उसको वचन दे दिए

अब उनमें से एक के साथ उसने विवाह रचाया और कहा अगर भगवान की इच्छा रही तो इनकी मृत्यु नहीं होगी अगर उन्होंने मेरे से सच्चा प्रेम किया है

तो वह सफल रहेगा, उस पुरुष को वह अपने साथ ले गई, जाने के बाद सुहागरात के समय वह उनके साथ संभोग करते वक्त कहने लगी याद रखिए

कोई परिस्थिति हो जाए आपको प्रसन्न ही रहना है और मुझे वचन दीजिए अगर मैं कुछ भी करूं आप हर चीज को स्वीकार करेंगे चाहे कुछ भी हो आप प्रभावित नहीं होंगे सभी लोग उसकी बात को पहले ही मान गये थे और पहला व्यक्ति जिसके साथ उसका विवाह हुआ था उसने उसको वचन देकर कहा की मैं वचन देता हूं चाहे कुछ भी हो मैं तुम्हारा साथ नहीं छोडूंगा और जिस समय वो संभोग कर रही थी उसी दौरान उसका रूप चुडैल का हो गया डायन के रूप में वह दिखने लगी पुरुष उसे देखकर भयभीत हो गया लेकिन उसने सोचा की हो सकता है ऐसी कोई माया हो इसलिए उसने अपनी आंखें बंद करके कहा मैं अपनी जान तक तुम्हें देने को तैयार हूं लेकिन मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा इतना सुनते ही, उस डायन ने अपनी लंबी सी चाकू निकाली और उसकी गर्दन उड़ा दी हंसते हुए कहने लगी पहली बली हो गई वह भी सहजता से स्वयं ही उसने स्वीकार किया किया चाहे मेरी मृत्यु भी हो जाए फिर भी मैं तुम्हारा साथ नहीं छोडूंगा l मनुष्य की यही वास्तविकता होती है की संभोग………..आगे जाने भाग 2 मे

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