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पथरी के लक्षण कारण उपचार भाग 2

पथरी के लक्षण कारण उपचार भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य आयुर्वेद में आपका एक बार फिर से स्वागत है पिछले भाग 1 में हमने जाना था कि पथरी यानी कि किडनी स्टोन से हमारे शरीर में क्या-क्या परेशानियां आ सकती हैं? आज हम लोग किडनी स्टोन से बचाव और आयुर्वेदिक उपचार के बारे में जानेंगे। तो सबसे पहले हम बचाव के बारे में बात कर लेते हैं।

अगर आपके जीवन में किसी वजह से किडनी स्टोन बन चुका है तो इस गुर्दे की पथरी से बचने के लिए कुछ उपायों को अवश्य अपनाना चाहिए। सबसे पहला उपाय है अतिरिक्त मात्रा में पानी पिए। क्योंकि पानी से मूत्र में मौजूद पदार्थों को गलन होता है जो स्टोन पैदा करते हैं। दिन भर मे इतना अधिक आप पानी पिए जैसे कि कम से कम 2 लीटर के बराबर पेशाब आए। नींबू पानी, संतरे का जूस जैसे कुछ पदार्थ के इस्तेमाल से भी आपको उसमे मदद मिल सकती है। पीने वाले पदार्थों की वजह से साइट्रेट पथरी के को रोकने में सहायता मिलती है।

दूसरा आप कैल्शियम को कम अवश्य लें। क्योंकि कैल्शियम लेने से ऑक्सी लेट के स्तर में वृद्धि हो जाती है और इसी के कारण से गुर्दे की पथरी भी हो जाती है। इसको अगर आप को रोकना है तो अपनी जो भी आपकी उम्र है उसके हिसाब से कैल्शियम की मात्रा को धारण करें। खाद्य पदार्थों में कैल्शियम की मात्रा को निश्चित रूप से पूरा करें।

तीसरी चीज आप सोडियम को कम लें। क्योंकि उच्च सोडियम जो है वह आहार में गुर्दे की पथरी बना सकता है और यह आपके मूत्र में कैल्शियम की मात्रा को बढ़ाता है। इसलिए गुर्दे की पथरी से बचने के लिए अपने आहार में सोडियम की मात्रा को कम करना चाहिए। दैनिक सोडियम सेवन जो लगभग होता है वह 2300 मिलीग्राम तक सीमित रहना चाहिए। इसके अलावा पशु प्रोटीन को भी अपने जीवन में आप सम्मिलित न करें। यानी कि उसे कम मात्रा में लेंगे। क्योंकि अधिकतर प्रोटीन को अधिक लेने से यूरिक एसिड में स्तर बढ़ जाता है जिसकी वजह से गुर्दे की पथरी हो जाती है। उच्च प्रोटीन के हादसे साइट्रेट जो पेशाब में मौजूद एक रसायन होता है जो स्टोन को गठन को रोकता है इसका स्तर भी कम हो जाता है इसलिए पशु प्रोटीन को सीमित करना चाहिए यानि कम से कम लेना चाहिए। पथरी बनाने वाले जो पदार्थ हैं उनको भी नहीं लेना चाहिए जैसे कि चुकंदर है, पालक है, चॉकलेट, रेवत, चीनी चाय और मेवो जो है इसमें भी ऑक्सी लेट वगैरह होता है तो यह सब पथरी को गठन को आसान करते हैं, पथरी बना देते हैं जिनकी वजह से पथरी शरीर में बन जाती है।

इसके अलावा यह पता चला है कि कुछ पुरुष जो विटामिन सी की बहुत ज्यादा खुराक ले लेते हैं उनके बीज गुर्दे की पथरी होने का जोखिम अधिक हो जाता है। इसके अलावा अगर आपको किडनी स्टोन है तो उसके लिए परीक्षण कौन-कौन से परीक्षण करेंगे ।

एक तो आपको उसके लिए रक्त परीक्षण करना होगा जिसमें कैल्शियम और यूरिक एसिड की जांच पता करेंगे । दूसरा मूत्र परीक्षण करेंगे, इसमें आप 24 घंटे का मूत्र इकट्ठा करके उसके बारे में पता लगा सकते हैं। इसके अलावा इमेजिंग परीक्षण किया जाता है जो इमेजिंग टेस्ट जो होता है उसमें पेट का एक्सरे सीटी स्कैन अल्ट्रासाउंड और सिटी स्कैन की छवियां होती है उसमें गुर्दे और मूत्राशय की पथरी के बारे में लगभग पता चल जाता है।

दवाओं को भी इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें

एलोप्यूरिनॉल (यूरिक-एसिड स्टोन के लिए)
मूत्रवर्धक दवाएं
सोडियम बाइकार्बोनेट (सोडियम साइट्रेट के लिए)
फास्फोरस का घोल

चलिए आप जान लेते हैं कि आयुर्वेद के हिसाब से अगर आपको इस चीज से बचना है तो फिर आप क्या-क्या करेंगे? सबसे पहले तो वही हमेशा की तरह कि आपको सबसे पहले इसे रोकना है तो आपको करना क्या है? आयुर्वेदिक कहता है कि इसमें आप टमाटर चुकंदर अमरुद पालक इन सब को कम मात्रा में खाना चाहिए क्योंकि इसकी वजह से आपको पथरी बनने की संभावनाएं अत्यधिक होती हैं।

इसके अलावा लाल मांस – बकरा अन्य बड़े जानवर जो हैं उनका मांस खाना छोड़ देना चाहिए। और अगर आप बहुत मांसाहारी हैं तो महीने में 1 बार से अधिक नहीं खाना चाहिए। रोजाना कम से कम 9 से 10 गिलास पानी पीना चाहिए और बीज वाली चीजों का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए, जिनके अंदर बीज पाया जाता है। इसके अलावा आयुर्वेदिक इलाज के लिए इसमें आयुर्वेद की दवा से इलाज करते हैं

जब तक स्टोन का आकार 10mm तक हो, एक स्टोन का इलाज औषधियों से आसानी से हो जाता है। लेकिन स्टोन का साइज अगर इससे बड़ा हो जाता है तो फिर शल्यक्रिया से इसे निकालना चाहिए उसके लिए सर्जरी करानी आवश्यक हो जाती है।

किडनी की पथरी के इलाज के लिए आयुर्वेद में पाषाणभेद या पत्थर चट नाम के पौधे का बहुत ही विस्तृत वर्णन आया है। यह पाषाणभेद या पत्थर चट नाम का पौधा निश्चित रूप से किडनी को नष्ट कर देता है। इसके लिए इस पौधे की 5 से 6 पत्ते आधा गिलास पानी में उबालकर सुबह-शाम पीने से इसमें निश्चित रूप से लाभ होता है। इसके अलावा कुछ दवाएं भी हैं, जैसे वरुणादि क्वाथ गोक्षुरादि गुग्गुल। पुनर्नवा क्वाथ दवाएं इसमें बहुत ही अधिक कारगर मानी जाती हैं।

इसमें अलावा तृणपंचमूल पुनर्नवा इत्र की आयुर्वेदिक औषधियों से भी आपको इसमें लाभ मिलता है। इसके साथ ही कुलथी की दाल। और अगर किडनी में स्टोन की समस्या है तो उसमें यह कारगर होती है। मगर यह सभी दवाएं किसी आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श से ही ले क्योंकि उपचार की मात्रा जो होती है ऊपर नीचे हो जाती है। इसलिए हमेशा ध्यान रखना चाहिए जब भी इस तरह की चीजें आप लेते हैं। या इनका इस्तेमाल करते हैं तो फिर आप किसी आयुर्वेद डॉक्टर का सलाह जरूर लीजिये ताकि आपको आसानी से फायदा हो सके ।

इसके अलावा बहुत से ऐसी चीजें जिनके छोटे-छोटे प्रयोग घर में आप कर सकते हैं। अगर बड़े उपचार से बचना है और साथी साथ छोटी मोटी पथरी को यूंही गला के शरीर से निकाल देना है। तो इसमें सबसे महत्वपूर्ण है गिलोय जिसको गुडूची के नाम से जानते हैं। पेशाब करते समय अगर जलन महसूस होती हो तो कहते हैं कि गिलोय के तने का चूर्ण 10 ग्राम, आंवले के फलों का चूर्ण 10 ग्राम, सोंठ चूर्ण 5 ग्राम, गोखरू के बीजों का चूर्ण 3 ग्राम, अश्वगंधा की जड़ों का चूर्ण 5 ग्राम लिया जाए और इसे पानी में उबाल लिया जाए और फिर काढ़े को रोगी को दिन में 1 बार प्रतिदिन 1 महीने तक देने पर निश्चित रूप से इस में राहत मिलती है ।

पुनर्नवा से भी फायदा होता है इसको हम खरपतवार के रूप में जानते हैं। पथरी की वजह से कमर और पेट के दर्द में पुनर्नवा कचूर और अदरक की समान मात्रा को लेकर अगर आप रोगी को खिलाते हैं तो उसकी दर्द मे उसको तुरंत आराम मिलता है। इसके अलावा बड़ा, नींबू या कागजी नींबू का एक गिलास तैयार रस ले और सुबह सुबह खाली पेट पी लीजिए 5 मिलीमीटर आकार तक की पथरी घुल कर निकल आने वाली दवा के रूप से प्रयोग की जाती है।

आयुर्वेदानुसार दैनिक दिनचर्या कैसी हो

आंवले का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर भूमि आंवले के रस के साथ। इलायची के दानों को मिलाते हैं और हल्का गर्म करके पीने की सलाह दी जाती है। इसके अनुसार उल्टियां चक्कर और पेट समस्याओं में यह राहत देता है । दारू हल्दी और आंवले के फलों का सामान चूर्ण समान मात्रा में लेने से पेशाब संबंधी समस्याओं में गजब का फायदा भी होता है। इसके अलावा अश्वगंधा का भी इस्तेमाल बहुत ही फायदेमंद है।

कहते हैं अश्वगंधा की जड़ों का रस आंवले के फलों का रस समान मात्रा में आधा-आधा कर लिया जाए। मूत्राशय और मूत्र मार्ग में पेशाब करते समय जलन की शिकायत इससे खत्म हो जाती है। यह पथरी को गला कर मूत्र मार्ग से बाहर निकाल देता है। इसका इस्तेमाल कम से कम 2 महीने तक करना चाहिए।

सौंफ का भी इस्तेमाल आप कर सकते हैं। सौंफ की चाय को पथरी के इलाज के लिए कारगर उपाय पहले से माना जाता रहा है। सौंफ की चाय बनाने के लिए आधा चम्मच सौंफ के बीजों को कुचल कर पानी में 5 मिनट तक उबाले फिर जब यह गुनगुना हो जाए तो इसे पी लेना चाहिए। ऐसा प्रत्येक दिन 2 से 3 बार करें तो पेट दर्द और जितनी भी किडनी की समस्या है। उसके दर्द में आपको राहत मिलेगी, सौंफ की जड़ों का रस 25 मिलीग्राम दिन में 2 बार लेने से पेशाब से जुड़ी समस्याओं में तेजी से राहत मिलती है तो इस प्रकार से अगर आप चाहे तो घर पर इन प्रयोगों को करा कर सकते हैं। जिनमें आपको निश्चित रूप से फायदा देखने को मिलता है। तो यह था किडनी की पथरी का इलाज अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया है तो शेयर करें धन्यवाद।

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