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पिशाचिनी बनी प्रेमिका 3 अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। पिशाचिनी बनी प्रेमिका भाग 2 में अभी तक आपने जाना कि एक व्यक्ति के जीवन में किस प्रकार से पिशाचिनी आ जाती है? अब आगे जानते हैं कि उनके जीवन में आगे क्या घटित हुआ था?

इसके बाद गुरुजी! उन्होंने बताया कि उनके दादाजी इस बात से बहुत ज्यादा दुखी हो गए। जब सुबह उन्हें पता चला कि उनकी माता का निधन हो चुका है। अभी अभी तो शादी हुई थी उनकी! और इधर माता की अर्थी उठाने का यह कैसा संयोग था? बहुत ही ज्यादा परेशान जब वह हो गए उसी दौरान वह स्त्री जो कि अब उनकी पत्नी थी, पास आई और उनके सिर को सहलाते हुए बोली जिसे जाना है, वह तो जाएगा ही आप क्यों परेशान होते हो? इस पर हमारे परदादा ने यह कहा। कि वह मेरी मां थी। उसके लिए मुझे बहुत दुख है। तुम नहीं समझती हो, माता का प्रेम कितना अधिक होता है? मां से बढ़कर इस दुनिया में कोई और नहीं। वह मुझे छोड़ कर जा चुकी हैं। इसी वजह से मैं बहुत अधिक दुखी हूं। इधर वह स्त्री अब पूरे परिवार को अपने वश में ले चुकी थी। सभी की सारी इच्छाएं वह पूरी कर दिया करती थी।

माता की जब तक कि तेरहवी नहीं हो गई तब तक वो रुकी रही और फिर अचानक उसने कहा कि चलो मैं आपको वह खजाना दिलवाती हूं। इस बात को मेरे दादाजी ने स्वीकार कर लिया। उनकी मां की तेरहवी के ही दिन उन्होंने! उसके साथ जाना स्वीकार कर लिया। वह तालाब के किनारे उन्हें धीरे-धीरे लेकर चली गई। तालाब पर पहुंचने पर उसने उन्हें एक विशेष पेड़ को दिखाया। उस पेड़ को देखकर। मेरे दादाजी अचरज में पड़ गए। क्योंकि सभी लोग यह कहते थे कि इस तालाब में यही पेड़ सबसे ज्यादा शापित है। इस पर उसने कहा यह श्राप और आपकी बातें। तो पूरी तरह से निरर्थक हैं। इस वजह से आपको इन बातों से परेशान नहीं होना चाहिए। मैं आपके लिए कुछ लाई हूं। और उन्होंने वहां पर एक खरगोश को प्रस्तुत किया। उनसे कहा इस खरगोश की बलि देकर इस खजाने का रास्ता खोलो।

उन्होंने वैसे ही किया और उस खरगोश के सिर को काट दिया। खून को जमीन पर गिराया और उसके बाद में फिर वह उस पेड़ के पास जाकर देखने लगे तो सचमुच में उस जगह एक रास्ता बन गया था। यह देखकर दादाजी आश्चर्य में पड़ गए। उन्होंने नहीं सोचा था कि ऐसा भी उनके जीवन में घटित हो सकता है। तब उसने कहा कि अब आप मेरे सिंदूर से कुछ सिंदूर यहां पर डाल दीजिए। ताकि आपको कोई खतरा ना हो। उन्होंने अपनी उस पत्नी के सिर से यानी मांग से सिंदूर निकाला और उस जगह पर डाल दिया। उस जगह पर एक बड़ा सा द्वार बन गया। यह देख कर! मेरे दादाजी की आंखें फटी की फटी रह गई। उन्होंने नहीं सोचा था ऐसा भी उनके जीवन में। घटित हो सकता है। अंदर जाकर उन्होंने जितना उनके हाथ में आया उतना सोना निकाल लिया। उसे लेकर घर आ गए।

दोनों बड़े ही आनंद में थे। रात्रि समय होने पर उस स्त्री ने कहा कि मैं आपकी इच्छा पूरी करती हूं इसलिए आपको भी मेरी इच्छा पूरी करनी चाहिए। उसका तात्पर्य रतिक्रिया से था। भला क्यों अपनी नई नवेली दुल्हन से वह प्रेम नहीं करते? इसलिए उसकी इच्छा को सहर्ष उन्होंने स्वीकार कर लिया। रात्रि को अचानक से उन्होंने देखा कि उनकी पत्नी बिस्तर में नहीं है, वह कहीं गई हुई है। उन्होंने सोचा कि ठीक है चलो वह थोड़ी देर में आ जाएगी। तभी वह आंखें बंद करके सो गए। जैसे ही वह सोने लगे। अचानक से उन्हें एक अद्भुत सपना आया। वह सपने में एक बार फिर से उसी तालाब के किनारे पहुंच गए। वहां जाकर वही सब कुछ करने लगे जो उन्होंने पहले किया था। अबकी बार वहां पर उस पेड़ से उनकी माँ बाहर निकल आई। उनकी मां बाहर आकर रोने लगी। यह देखकर उन्होंने कहा कि क्या हुआ मां आप तो मृत्यु को प्राप्त हो गई थी। तब उन्होंने कहा कि तू जिस स्त्री के साथ रह रहा है वह एक पिशाचीनी है। वह बहुत अधिक शक्तिशाली है। इसी तालाब में पता नहीं कितने सालों से रह रही थी?

जब तूने! उस हिरण की बलि दी उससे वह जागृत हो गई। इसके बाद! उसने तुझसे वचन ले लिया और तेरी प्रेमिका बनकर तेरे साथ हो गई है। उसी ने मुझे भी मार डाला है क्योंकि मैंने रहस्य जान लिया था । मैंने उस बाल्टी में गंगाजल मिलाया था जिसकी वजह से वह जल गई थी। एक दिन मैंने उसके शरीर में लगी हुई आग बुझाने की कोशिश की तब पता चला कि उसका शरीर तो जलता ही नहीं है। उसके ना जलने के कारण मैं जान गई कि यह कोई दूसरी ही तरह की शक्ति है। मैंने उसे सीधी चुनौती दे दी और मंदिर में रखे सिंदूर को उसके ऊपर मारा। जिसकी वजह से वह गुस्से में आकर आग बबूला हो गई और कहने लगी कि देवी देवताओं की चीजें मुझ पर ना मार मैं तो एक पिशाचिनी हूं। तूने बहुत बड़ी गलती कर दी है। मेरा राज फ़ाश करना चाहती है। इसलिए मैं तुझे मृत्युदंड देती हूं।

उसी ने मुझे मार डाला। बेटा उठ! जल्दी से जल्दी! हनुमान जी के मंदिर में जा। वहां पर? जो सिंदूर हनुमान जी के चरणों के पास पड़ा हो उसको लेकर आना। उस से प्रेम करते वक्त! उसके मुंह में। और स्तनों पर मल देना। ऐसा करते वक्त वह तुझे नहीं रोक पाएगी। कहते हैं उसके बाद उसी समय मेरे दादा जी जब। उठे! और अपनी पत्नी को देखने के लिए जब वह बाहर गए। तब उन्होंने जो देखा उससे वह इस सपने को सच भी मानने लगे। उन्होंने देखा कि वह उसी खरगोश को नोच नोच कर खा रही थी। जैसे कि कोई जानवर किसी जानवर को उसकी खाल सहित नोच कर खाता है। यह देख कर! मेरे दादा हक बक रह गए। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि किसी पिशाचिनी से वह विवाह कर लेंगे।

यहां पर वही घटित हो चुका था। उनके पास अब कोई विकल्प नहीं था। मां के बताए मार्ग से वह तुरंत ही। उस स्थान की ओर गए जहां पर हनुमान जी का मंदिर था। उस मंदिर पर जाने पर उन्होंने हनुमान जी की सेवा में समर्पित। सिंदूर को निकाल लिया। और वह सिंदूर लेकर वह चुपचाप घर आ गए। थोड़ी देर बाद उनकी पत्नी यानी वह पिशाचिनी उन्हें बिस्तर पर बैठी मिली और कहने लगी। अभी मैं संतुष्ट नहीं हुई हूं। कृपया आओ! मेरे दादा ने भी कहा ठीक है, पर मैं तुम्हें फूलों से मल देना चाहता हूं। उसने अपनी आंखें बंद कर ली और उन्होंने उसके स्तनों और मुंह में। हनुमान जी का अभिमंत्रित सिंदूर भर दिया। वो चिल्लाने लगी। तो दादा जी ने! उनकी मां के द्वारा कहे गए तरीके से उसके मुंह को जोर से पकड़ लिया। उसका शरीर जलने लगा। और वह जलते जलते राख हो गई।

इस प्रकार से मेरे दादाजी के जीवन से वह पिशाचिनी हमेशा के लिए नष्ट हो गई। अगर दादाजी की! माता श्री। उन्हें इस प्रकार सहायता नहीं करती तो यह कुछ भी संभव नहीं हो पाता। इसके बाद दादाजी उसी स्थान पर गए और उन्होंने वही प्रक्रिया दोबारा से करने की कोशिश की। कहते हैं उसी स्थान पर अंदर जाकर उन्होंने एक बार फिर से जितना उनके हाथ में आया इतना सोना बाहर निकाल लिया। जैसे ही वह वापस आए, वह जगह और वह पेड़ हमेशा के लिए गायब हो गया। यही धन हमारे पैतृक रूप से हमको प्राप्त रहा जिसके कारण हमने काफी जमीने। हमारे दादा परदादा के समय में ही खरीद ली थी। इस धन की वजह से आज तक हमारे पास धन की कभी कमी नहीं हुई और इसी वजह से हमने चुनाव भी जीते क्योंकि चुनावों में बहुत अधिक पैसा लगता है। लेकिन इस कहानी की सत्यता को लोग नहीं मानते कि कभी उनके परदादा किसी पिशाचिनी के चक्कर में आ गए थे।

बाद में दादाजी ने किसी अच्छी स्त्री से विवाह किया जिससे मेरे दादाजी हुए और उनसे फिर मेरे पिताजी और आज मैं हूं। इस प्रकार से मैं तुम्हें यह सत्य बता रहा हूं इस तालाब! के आसपास शायद आज भी ऐसी शक्तियां रहती होंगी। हालांकि उस समय से लेकर आज तक अब कोई घटना देखने में नहीं आई है। पर शायद उस खजाने का रहस्य उस पिशाचिनी के साथ ही समाप्त हो गया। हमेशा के लिए वह रहस्य एक रहस्य ही बनकर रह गया है। गुरुजी जब उसकी मैंने यह कहानी पूरी सुनी तो मैं आश्चर्य में था। क्या इस दुनिया में ऐसा कुछ घटित होता है? कुछ भी संभव है इस दुनिया में। शायद आप और आपके शिष्य अच्छी तरह बता पाए। कृपया वीडियो के नीचे कमेंट करके उन्हें बताने की यह सब सत्य होता है। उनके भी संदेश मैं सुनना चाहता हूं। क्या लोग इन सब बातों में विश्वास करते हैं? नमस्कार गुरु जी, आपका दिन मंगलमय हो।

संदेश- देखिए इस प्रकार से यहां पर इन्होंने अपने मित्र के परदादा के जीवन में घटित हुई घटना के विषय में बताया है जो कि उनके जीवन में एक पिशाचिनी आ गई थी। ऐसी घटनाएं देखने में बहुत अधिक आती हैं। जब पुराने जमाने के लोगों के जीवन में ऐसी घटनाएं घटती थी। आजकल ऐसा देखने में कम आता है क्योंकि उस वक्त। कर्म खंड अधिक बलवान था, इसलिए शक्तियां साक्षात हो जाती थी। आजकल ज्ञान खंड अधिक बलवान है। इसलिए शक्तियां साक्षात नहीं होती हैं। इसी वजह से केवल मस्तिष्क पर ही आपके हावी रहती हैं। उसके अलावा साक्षात रूप में आपको दिखाई नहीं देती। आपके क्या विचार है,बता सकते हैं? आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद!

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