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पिशाचिनी साधना और गुरु मंत्र रक्षा भाग 3

पिशाचिनी साधना और गुरु मंत्र रक्षा भाग 3

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। पिशाचिनी साधना और गुरु मंत्र रक्षा यह भाग 3 है अब चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं आगे के इनके अनुभव के विषय में।

नमस्कार गुरु जी, पिछली बार मैंने जब आपको पत्र भेजा था तब मैंने आपको बताया था कि जब मैं सारा सामान यानी मांस और शराब की बोतल लेकर के घर पहुंचा तो वहां पर पिशाचिनी मौजूद नही थी

तभी। अचानक से मेरे ऊपर कुछ पानी की बूंदे गिरी और तब मुझे होश आया तो मैंने देखा कि मैं सारा स्वप्न ही देख रहा था।

सपने में इस प्रकार से अनुभव होना बड़ा ही विचित्र था। लेकिन सब कुछ ऐसा लग रहा था जैसे सच में घटित हुआ हो, पिशाचिनी सच में आई थी।

लेकिन इस प्रकार फिर रात्रि के वक्त मै अब तैयार था मुझे लगा। शायद सपने के माध्यम से ही सही, लेकिन यह पिशाचीनी अवश्य ही मुझे दर्शन देगी। लेकिन मैंने जो पिछली बार गलती की थी। कि मैं उसका भोग लेकर उपस्थित नहीं हुआ था। वह गलती मैं यहां पर बिल्कुल भी नहीं करना चाहता था। इसीलिए मैं शाम को ही कसाई की दुकान पर गया और उससे कहा कि मुझे बकरे का मांस दे दे। उसने पूछा, क्या चाहिए तो फिर मैंने कहा जो सबसे अधिक अच्छा साफ सुथरा हो, वही दे दो और इस प्रकार उसने मुझे वह मांस का टुकड़ा काली पॉलीथिन में दे दिया। अब इसके बाद थोड़ी दूर पर शराब की दुकान थी। वहां से फिर मैंने एक बार और शराब की बोतल ले ली।

क्योंकि पिछली बार जो ली थी, वह बहुत अच्छी नहीं निकली थी। साधना के दौरान मैंने उनका प्रयोग किया था। और अब यह कोई सपना नहीं था। मुझे वास्तव में पिशाचिनी को प्रसन्न करना था इसलिए मैं कोई कमी नहीं रखना चाहता था। मैं उसका इंतजार करने लगा। शाम को उसके मंत्रों का जाप करने के बाद मैं सो गया।

थोड़ी ही देर बाद अचानक से फिर से मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई। मैं उठा और दरवाजा खोला। वहां पर गहनों से लदी हुई एक सुंदर और खूबसूरत लड़की मौजूद थी। उसने कहा, क्या मैं अंदर आ सकती हूं? तब मैंने कहा ठीक है, आप आ जाइए, आप को क्या परेशानी है? तब उसने कहा कि आपने ही तो मुझे बुलाया है क्या आप सिर्फ एक दिन में ही मुझे भूल गए? तब मैंने कहा नहीं, मैं आपको नहीं जानता हूं तब वह मेरे गले लग कर हंसने लगी। मैंने कहा, आप कौन हैं इस प्रकार करने का क्या मतलब है? तब हंसते हुए बोली, अरे पागल तूने मुझे सिद्ध किया है।

इसके बावजूद तू मुझे भूल गया है, यह तो बड़े अचरज की बात है। तब मैंने उसकी ओर देखा।

उससे पूछा पिछली बार मैंने जब आपको देखा तब आपका रूप अलग था। अब आपका रूप अलग है। ऐसा क्यों है?

आप रूप बदल बदल कर क्यों दर्शन देती हैं? तब उसने कहा, इंसानों के भावनाओं और इच्छाओं को हम अच्छी तरह समझते हैं। एक ही स्त्री को देखते हुए कब तक तुम्हारे मन में आनंद रहेगा, इसलिए मैं चेहरा बदल कर आ गई। देखो पिछली बार के चेहरे से मेरा चेहरा कहीं ज्यादा उत्तम है।

उसकी बात में सच्चाई थी। वह पिछले वाली लड़की से ज्यादा सुंदर लग रही थी। तब मैंने कहा ठीक है!

आप बैठिए, मैं आपके लिए आप का भोग लेकर आता हूं। तब वह खुश होकर कहने लगी, अच्छा किया। इस बार तुमने कोई गलती नहीं की है। इस बात से मैं काफी खुश हूं।

और मैं फिर अंदर गया उस काली पॉलीथिन को उठाया। शराब की बोतल ली और उसके पास आ गया। वह मेरे सामने ही बैठ गई और कहने लगी कि यह भी कोई बात है। मैं तो आपकी प्रेमिका हूं। अब अगर सिर्फ प्रेमिका खाएगी। तो अच्छा नहीं लगेगा इसलिए अब आपको भी मेरे साथ खाना होगा। तब मैंने उससे कहा। मैं यह सब नहीं खाता हूं। तब वह एक बार मेरी ओर देख कर हंस कर बोली। तुम मुझसे प्रेम कर सकते हो? मेरे शरीर को छू सकते हो और जो चीज में खाती हूं उस से परहेज कर रहे हो, यह कैसी बात हुई? अब मुझे भी साबित करो कि तुम मेरे प्रेमी हो।

यह वही सब चीजें हैं जो मेरे शरीर के अंदर जाएंगी और तब तुम मेरे शरीर से प्रेम करोगे। क्या तब तुम्हें यह सब कुछ नहीं दिखाई देगा? उसकी बात में सच्चाई थी लेकिन मैंने कभी मांस नहीं खाया था। और उससे भी बड़ी बात यह थी कि वह कच्चा मांस खाने वाली थी। ऐसे में मेरे मन में बहुत बड़ी दुविधा आ चुकी थी। मैंने उससे कहा, आप तो कच्चा मांस खाएंगी और मैं भला कच्चा मांस कैसे खा सकता हूं?

मैं यह नहीं खाऊंगा। तब पहली बार मैंने पिशाचिनी के मन में क्रोध देखा। उसने कहा क्या तुम मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकते हो? अरे जब मैं खाने जा रही हूं तो मेरे साथ तुम कैसे नहीं खा सकते हो, तुम्हें खाना पड़ेगा।

उसके गुस्से को देख कर मुझे भी भय लगा।

मैंने उसकी बात मानने का निर्णय ले लिया। तब?

एक टुकड़ा उसने खाया और शराब पी। मुझे उसने वही टुकड़ा बढ़ाकर कहा, अब तुम मेरा झूठा खाओ। क्योंकि तुम तो मेरे प्रियतम हो। तब मैंने उस मांस के टुकड़े को दांत से काटा। कच्चा मांस!

सोच कर ही मेरे मन में और पेट में उथल-पुथल मच गई थी। लेकिन उसके मन को रखने के लिए मुझे वह कच्चा मांस खाना पड़ा और जैसे ही वह मेरे पेट में गया। मेरे शरीर ने तुरंत ही उसे बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी। यानी मुझे उल्टी आ चुकी थी। मैं दौड़ता हुआ। किचन की तरफ गया और वहां जाकर मैंने उल्टी करनी शुरू कर दी।

तब वह पीछे से आई और कहने लगी। तुमसे नहीं हो सकेगा, मैं जा रही हूं और इतना कहकर वह वहां से चली गई।

तभी अचानक से मेरी आंख एक बार फिर से खुल गई। मैंने आंखें खोल कर।

अपनी आंखों को मिलते हुए सारी बात को याद किया। मुझे यकीन नहीं हो रहा था। इतना सब कुछ जो रात में घटित हुआ। वह सिर्फ एक सपना कैसे हो सकता है? मैंने तुरंत जाकर किचन की ओर अपने कदम बढ़ाए। पर मैंने तो वहां सच में उल्टी कर रखी थी। पर मैं तो रात भर सोया था। तो फिर यह सपना था या फिर हकीकत थी? इसके बारे में और अधिक पता लगाने के लिए मैं उस पॉलिथीन की तरफ बढ़ा। और उस पॉलिथीन में ना तो मांस था और शराब की बोतल खाली पड़ी थी।

इसका मतलब यह तो स्पष्ट था कि कोई ना कोई आकर मांस खाया है और बोतल भी पिया है। लेकिन मैं तो रात भर सोता रहा।

जो कुछ मैंने सपने में देखा वह सच भी था या फिर एक फसाना था? मुझे अनुमान ही नहीं लग रहा था। यह सिद्धि की दुनिया कितनी अजीब और विचित्र होती है। क्या हम अपने सूक्ष्म शरीर से कोई कार्य करते हैं या फिर अपने स्थूल शरीर से करते हैं?

गुरु जी इस बारे में भी आप बताइएगा आगे की कहानी मैं आपको भेज दूंगा नमस्कार गुरु जी!

संदेश-तो देखिए यहां पर इनके साथ जो अनुभव घटित हुआ इसको हम तंद्रावस्था, भ्रम की अवस्था और सिद्धि में अलग-अलग चरण के रूप में जानते हैं। जब कोई व्यक्ति सिद्ध हो जाता है और शक्ति शरीर युक्त नहीं होती है तो वह आधेभ्रम में अर्ध निंद्रा में या फिर ऐसे मायाजाल में व्यक्ति को डाल देती है कि उसे लगता है कि सब सच में घटित हो रहा हैऔर वह सोता रहता है। कभी-कभी वह सच में सारे कार्य करता है, लेकिन उसे लगता है कि वह सो रहा था।

यह सिद्धियों का एक विशेष आवरण होता है पर ऐसा मायाजाल होता है जिसको समझना। बिल्कुल भी आसान नहीं है।

आप सारे कार्य करके! भी ऐसा महसूस करेंगे कि आपका शरीर बिल्कुल भी थका नहीं है और कुछ ना करके भी सोते हुए भी थक जाएंगे। इसीलिए यह मायाजाल की दुनिया बड़ी ही विचित्र होती है और सिद्धियों का अलग-अलग अपना एक स्तर होता है जो वह साधक के साथ में घटित होता है। आगे के अनुभव को हम अगले पत्र के माध्यम से जानेंगे तो अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

पिशाचिनी साधना और गुरु मंत्र रक्षा भाग 4

https://youtu.be/f8to41eFqEE

 

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