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पिशाचिनी साधना और गुरु मंत्र रक्षा भाग 4

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। पिशाचिनी साधना और गुरु मंत्र रक्षा आपने अभी तक भाग 3 को जाना था। अब इसके आगे के भाग के विषय में जानने के लिए पढ़ते हैं। इनके पत्र को

नमस्कार गुरु जी मैंने आपको तीसरे भाग में बताया कि मैं इस मायाजाल को समझ नहीं पा रहा था कि आखिर कोई चीज सत्य में घटित हो रही है अथवा यह एक भ्रम है। लेकिन मेरी साधना करने के पीछे का उद्देश्य और धन की प्राप्ति था

अब मुझे! शारीरिक! सुख तो रोजाना मिल रहा था, लेकिन मुझे धन की प्राप्ति करनी थी। इसलिए आज मैंने निर्णय ले लिया। चाहे यह सत्य में घटित हो रहा हो या फिर मेरे खुद के मन के विचार पर मैं अपने हृदय की बात इस पिशाचिनी को अवश्य ही बताऊंगा। इसीलिए उस रात जब वह आई तब मैं अपने होश में नहीं था। फिर भी एक बात अच्छी तरह मुझे याद थी कि मुझे आज उससे क्या कहना है? वह मेरे साथ भोग क्रिया में जैसे ही तल्लीन होने लगी। मैंने उससे कहा, यह तो हम रोज करते हैं किंतु मनुष्य जीवन में धन की प्राप्ति बहुत बड़ा प्रश्न है और मैं चाहता हूं कि तुम मुझे धन की प्राप्ति करवाओ। चाहे धन कहां से कैसे और किस तरह मिले इस से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन मुझे धन चाहिए ताकि जीवन की सारी सुख सुविधाएं मैं हासिल कर पाऊं। गुरुजी तब उसने मुस्कुराते हुए कहा देखो, मैं तो यह नहीं कर सकती, लेकिन मैं एक सखी तुम्हें भेट कर सकती हूं, जिसकी साधना करके तुम्हारे धन संबंधी विभिन्न प्रकार की परेशानियां खुद ब खुद ही नष्ट हो जाएंगी। तब मैंने उससे पूछा। आप मुझे क्या करने के लिए कह रही हैं तब उसने कहा, अब मेरी बात ध्यान से सुनो!

मेरे तुम्हारे शरीर से आनंद प्राप्त करने के कुछ देर बाद ही तुम अब उठना और यहां के पास में जिस जगह एक श्मशान स्थित है वहां पर जाना और वहां पर रात्रि के समय जो भी तुम्हें दिखाई दे उसकी पूजा करना। और उसके आगे अंडा और शराब रखकर। वहां अगरबत्ती जलाकर मैं तुम्हें जो गोपनीय मंत्र बता रही हूं, उसका रात भर जाप करना। इससे वह शक्ति सिद्ध हो जाएगी और तुम्हें विभिन्न प्रकार के फायदे करवा देगी। क्योंकि यह धन से संबंधित शक्ति है। इसलिए तुम्हें धन अवश्य ही प्राप्त होगा। तब मैंने उससे पूछा कि क्या आप स्वयं धन देने में सक्षम नहीं है तब उसने कहा शक्ति जिस रूप में कार्य करना एक बार शुरु कर देती है। उसकी क्षमता उसी कार्य में अधिक रहती है। मेरी क्षमता तुम्हें शारीरिक सुख देने में ही पूरी तरह है और मैं एक पिशाचीनी हूं। मैं कोई देवी नहीं हूं जो सारी शक्तियां और हर प्रकार की मनोकामना तुम्हारी पूरी कर सकूं लेकिन क्योंकि तुम मेरे प्रियतम हो, इसलिए मैं तुम्हारी इस मनोकामना को पूरा करने का मार्ग बता रही हूं।

इस प्रकार जब उसने कहा तो फिर मैं उस बात के लिए तैयार हो गया और उसने मेरे साथ शारीरिक संपर्क किया। कुछ देर बाद वह चली गई और अचानक से मेरी नींद टूट गई। तब मैं उठा और उसकी कही हुई सारी बात मेरे दिमाग में अच्छी तरह चल रही थी। उसने जो कहा था अब मुझे वह करना था इसलिए मैं रात में उसी स्थान पर गया। हालांकि मेरे पास पहले से ही कुछ मांस के टुकड़े अंडे और शराब की बोतल मौजूद थी। क्योंकि मैं जानता था रोज रोज यह चीजें मिलना। मुश्किल होता है इसलिए कुछ बचा कर रखना आवश्यक है। इसीलिए मैंने पहले से ही इन चीजों की व्यवस्था अपनी पिशाचीनी के लिए कर रखी थी, लेकिन यहां पर मसला दूसरा था। अब मुझे इस बात के लिए खुद को तैयार करना था कि क्या मैं जाऊं अथवा इसे एक सपना समझ कर भूल जाऊं? लेकिन? मैंने खुद को देखा और सोचा बार बार इस तरह की घटनाएं वास्तविकता ही है। भले ही इनका अनुभव मुझे पूर्ण प्रत्यक्षीकरण के साथ खुली आंखों से नहीं हो रहा है लेकिन सारे अनुभव तो हो ही रहे हैं।
इसलिए उसकी बात को मानकर मैंने अपने घर का दरवाजा बंद किया। ताला लगाया और चल दिया उस ओर! मैं जानता था कि कहां पर श्मशान घाट स्थित है? मैं वहां पहुंचा तभी वहां मैंने एक चौकीदार को घूमते हुए देखा। उसके पास पहुंचा। उसने कहा, इतनी रात गए। यहां क्या कर रहे हो। यहां से चले जाओ। मैंने भी थोड़ी देर उससे यूं ही वार्तालाप किया और कहा कि मैं तो इधर से गुजर रहा था। सोचा तुमसे थोड़ी देर बातचीत कर लूं। मैं जानता था कि यह मुझ पर शक कर रहा है या तो मैं किसी गलत काम से श्मशान में आया हूं। यानी कोई ना कोई गलत क्रिया करने या फिर मैं कोई तांत्रिक हूं क्योंकि श्मशान में कोई भी मनुष्य रात के समय इस प्रकार से नहीं घूमता है। फिर मैंने कुछ देर उसे अपनी बातों में उलझा कर रखा और कहा ठीक है भाई मैं जाता हूं और उसे मैं भ्रमित करके दूसरी तरफ वाले रास्ते से श्मशान में प्रवेश कर गया। वह भी अपनी बनाई हुई जगह पर वापस चला गया। जहां वह सोता था। इसलिए अब मुझे डिस्टर्ब करने वाला कोई भी वहां मौजूद नहीं था। अब मैं तैयार था। उस क्रिया को करने के लिए मैंने सारी चीजें अपने झोले से निकाली और चल दिया।
मैंने सोचा कि पिशाचिनी ने मुझे संकेत दिया था कि मुझे वह मिलेगा और खुद ब खुद मैं जान जाऊंगा। पता नहीं कहां से एक जलती हुई जो लगभग जल चुकी थी। चिता के पास पहुंचकर मेरा मन कहने लगा। यही मेरा ठिकाना है। और? मैंने अपने हृदय से इस तरह से पूछा तो मेरा हृदय बिल्कुल सटीक जवाब दे रहा था। वहां पर कोई मौजूद नहीं था, लेकिन मुझे मेरा हृदय कह रहा था कि यही वह स्थान है। तो मैंने फिर थोड़ी देर इधर-उधर देखा जब मुझे कोई दिखाई नहीं दिया तो फिर उसी स्थान पर मैंने बैठ कर अंडे, शराब और अगरबत्ती जलाई और थोड़ी देर बाद उसी चिता के सामने बैठकर पिशाचिनी द्वारा बताया गया एकाक्षरी मंत्र का जाप करने लगा और यह करते-करते धीरे-धीरे सुबह हो गई। सूरज का प्रकाश जैसे ही मुझ पर पड़ा। मैंने सोचा अब मेरा यहां से जाना ठीक रहेगा। मेरी साधना हो गई और चुपचाप मैं दूसरे रास्ते से निकल गया। अपने घर पहुंचा। दिन भर के सारे काम कंप्लीट कर और शाम का वक्त एक बार फिर से आ गया। आज रात मेरे साथ क्या होने वाला था, मुझे इसका आभास भी नहीं था।

 सोने के लिए चला गया जब मैं सोकर उठा तभी मैंने देखा मेरे सामने एक भयानक स्वरूप वाली जिसके मुंह में मांस और खून लगा था जो नीचे टपक रहा था। इतने भयानक रूप में एक चुड़ैल सी औरत खड़ी थी। और वह कहने लगी। मुझे मेरा वह भोग आज नहीं देगा क्या? मैं उसे देखकर डर गया तभी वह जोर से कूदी और मेरे हाथों को दबा दिया। मैं बिस्तर से हिल भी नहीं पा रहा था। मेरे चेहरे पर अपना चेहरा सटाकर वह ऐसे ऊपर आ गई थी कि मैं हिल भी नहीं सकता था। इसके बाद आगे क्या हुआ गुरुजी अगले भाग में मैं आपको बताऊंगा? मैंने अपने इस अनुभव को कुछ भी नहीं छुपाया है और एक-एक घटना को वास्तविकता के साथ बताया है। गुरु जी अपना आशीर्वाद बनाए रखें धन्यवाद!

संदेश-तो देखिए यहां पर इनके साथ इस साधना के दौरान उन्होंने दूसरी साधना भी सिद्ध करने की कोशिश की है। अगले भाग में जानेंगे आगे क्या घटित हुआ था तो अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है। लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

पिशाचिनी साधना और गुरु मंत्र रक्षा भाग 5

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