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पिशाचिनी साधना और गुरु मंत्र रक्षा 6 वां अंतिम भाग

पिशाचिनी साधना और गुरु मंत्र रक्षा 6 वां अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। पिशाचिनी साधना और गुरु मंत्र रक्षा का यह अंतिम भाग है। पिछले भाग में हम लोगों ने जाना था कि कैसे एक साधक के जीवन में दो पिशाचिनी शक्तियां आती हैं और उनकी वजह से धन प्राप्ति के और अन्य तरीके जो वह करवाना चाहती हैं, उस से कितना नुकसान भी हो सकता है तो चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं आगे के अनुभव के विषय में।

नमस्कार गुरु जी, गुरु जी, अब मैं आपको आगे इस घटना के विषय में बताता हूं। मेरे सामने अब कोई विकल्प नहीं था। उन्होने ने मेरे दिमाग को अपने वश में जैसे कर लिया हो और मैं धीरे-धीरे उस औरत की ओर बढ़ा जो सो रही थी। मैंने तकिया भी उठा लिया। लेकिन पता नहीं कहां से मेरे अंदर उस वक्त अच्छाई जाग गई और मैंने सोचा जिंदगी में धन जैसी चीजें व्यक्ति के खुद के सामर्थ्य से आती और जाती रहती हैं लेकिन इसके लिए किसी की हत्या करना बहुत ही बुरा कर्म है। तो मैंने वह तकिया वापस रख दी मैंने गुस्से से भरी हुई पिशाचिनी को देखा, लेकिन मैंने उसकी ओर ध्यान ही नहीं दिया। अपने कमरे में जाकर वहां पर लेट गया। तब पिशाचिनी आकर गुस्से से कहने लगी। तुमने हमारी बात नहीं मानी है। इसका बहुत बुरा परिणाम तुम्हें देखने को मिलेगा और फिर उसने मेरे साथ एक बार फिर से शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश कि मुझे पहले से ही हल्का बुखार था, लेकिन उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था। और इससे मुझे तेज नींद आ गई। मैंने भी कंबल को अच्छी तरह से ओढ लिया ताकि पसीने से बुखार उतर जाए।

सुबह के वक्त मेरे दरवाजे पर बड़ी जोर से दस्तक हो रही थी और मैं समझ नहीं पा रहा कि आखिर दरवाजा खटखटाने के पीछे क्या कारण हो सकता है। तभी मैं किसी प्रकार उठा क्योंकि मुझे अभी भी बुखार था और इससे मुझसे अच्छी प्रकार से चला नहीं जा रहा। मैंने दरवाजा खोला तो वहां पर तीन चार लोग खड़े थे। वह सब कहने लगे। इंस्पेक्टर साहब यही है। हमें इसी पर शक है। मुझे कुछ समझ में ही नहीं आया कि आखिर हुआ क्या है? तभी सामने पुलिस वाले को देख कर मुझे और ज्यादा घबराहट हो गई। उसने तुरंत ही मुझे अपने साथ थाने ले जाने की कोशिश की। मैंने उनसे पूछा, समस्या क्या है उसने उस वक्त कुछ नहीं बताया और थाने पहुंचने पर जब मैंने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि इनके घर वाले और दूर के रिश्तेदार आप पर।

शक कर रहे हैं कि आपने उस औरत को गायब कर दिया है और उसके साथ उसका रुपया पैसा और धन भी कहीं रख कर आ गए हैं। लोगों को शक ना हो इसलिए आप इसके घर पर ही रह रहे हैं तब मेरे सर ही चकरा गया।

मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि ऐसा भी कुछ हो सकता है। कल रात तक जिसे मैं मारने की कोशिश कर रहा था। आज वह गायब है और उसी के गायब होने का इल्ज़ाम मुझ पर लगाया गया है। मैंने इस इंसान को स्वीकार नहीं किया और स्पष्ट रूप से पुलिस वाले से कहा कि मैं तो उन्हें मां के समान मानता था। ऐसे में भला मैं ऐसा क्यों करूंगा और अगर मुझे ऐसा कुछ करना ही होता तो भला मैं यहां पर क्यों रुकता, मैं तो गायब हो चुका होता। पुलिस वाले ने कहा, अब सारा परिवार अगर तुम पर इल्जाम लगा रहा है तो कुछ तो बात होगी। तुम यह शहर अब नहीं छोड़ सकते और बार-बार तुम्हें पुलिस थाने आना ही पड़ेगा। मेरे लिए अच्छी खासी समस्या बन चुकी थी। रात के समय मैं इस परेशानी से निकलने के लिए अपनी पिशाचीनी शक्तियों को बुलाने लगा, लेकिन वह दोनों नहीं आई तब और भी ज्यादा मैं परेशान हो गया कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है एक रात में आखिर सब कुछ कैसे बदल गया, लेकिन एक चीज जो हर रात मेरे साथ हो रही थी। मेरे शरीर को कोई चूस लेता था और वीर्य नष्ट हो जाता था। अब मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं, कहां जाऊं। मैंने जितनी साधना की और जो कुछ भी प्राप्त किया था वह सब कुछ नष्ट हो गया था। पिशाचिनी भी मौजूद नहीं थी।

अगर पिशाचिनी मौजूद होती तो शायद बता सकती थी कि आखिर उस औरत के साथ क्या हुआ था लेकिन अब यह भी मेरे हाथ में नहीं था। मेरी स्थिति दिन प्रति दिन बहुत खराब होती जा रही थी। इसलिए मैंने एक अच्छे तांत्रिक को दिखाने के बारे में सोचा। मैं एक बंगाली तांत्रिक के पास गया। इसका बड़ा ही नाम था। तब उसने मुझे देखकर कहा, तुम्हारी साधना बिगड़ चुकी है और तुमने कोई गलती की जिसकी वजह से अब तुम्हारी शक्ति पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। लेकिन साधना की वजह से तुम्हारे शरीर पर दुष्प्रभाव हमेशा रहने वाला है। मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाऊंगा। क्योंकि उस साधना का असर तुम पर बुरी तरह हो चुका है। उसकी बात सही थी। मेरी वह पिशाचिनी साधनाए बिगड़ चुकी थी और इनकी वजह से अब ना तो मेरे पास सिद्धि थी ना ही धन और स्वास्थ्य भी रोज रोज खराब होता जा रहा था। मेरे वीर्य के कारण के कारण अब मैं दिन प्रतिदिन कमजोर होता ही जा रहा था। ना तो काम करने में मन लगता और ना ही कुछ करने का सामर्थ्य बचता, रात में अपने आप सब कुछ हो जाता था जिसका मुझे आभास तक नहीं होता था।

अब मेरे सामने कोई विकल्प नहीं बचा। मैं कोशिश करता ही गया। मैंने एक बार फिर से उसी साधना को करने की कोशिश की लेकिन बुखार आने के कारण बीच में ही छोड़ना पड़ा। मैंने कई तांत्रिकों को दिखाया लेकिन सभी ने मुझे मना कर दिया। कोई मेरी परेशानी को हल करने योग्य था ही नहीं तब मैंने यूट्यूब पर बहुत सारे लोगों के वीडियो देखें और पहली बार आपके चैनल के सारे अनुभव पढ़े। इन अनुभवों को जानने के बाद अब मेरे मन में विचार आया कि मैं आपसे बात करूं। ईमेल के माध्यम से मैंने आपको अपनी बात बताई। तब आपने कहा कि सबसे उत्तम मार्ग केवल और केवल गुरु मंत्र दीक्षा है। क्योंकि कोई भी तांत्रिक या आपके द्वारा की गई साधना बिगड़ी हुई साधना को नहीं सुधार सकते। केवल गुरु मंत्र का जाप लगातार करते रहने से बुरे से बुरे प्रभाव को नष्ट किया जा सकता है। इस प्रकार गुरुजी तब मैंने आपसे ऑनलाइन दीक्षा ली। दीक्षा पूरी होते ही अचानक से मैंने एक चमत्कार देखा। मुझे पहली बार दोनों शक्तियों के चेहरे नजर आए जो मुस्कुराते हुए दिख रहे थे। उसके तुरंत बाद ही शरीर से एक जैसे भार हट गया। भार के हटते ही मैं अब स्वस्थ महसूस कर रहा था। गुरु जी धीरे-धीरे में साधना करते चले गया और लगातार गुरु मंत्र का जाप करते हुए अब मैं इस योग्य हो गया हूं कि ना तो मेरे अंदर कोई गलत भावना रह गई है। मन पवित्र हो चुका है। रात को होने वाली वीर्य नष्ट होने वाली समस्या पूरी तरह समाप्त हो चुकी है और अब जब भी साधना करने बैठता हूं, ध्यान अच्छा लगता है। मन को पूरी शांति मिलती है। ऐसा लगता है जैसे माता पराशक्ति की कृपा मुझ पर आ गई है। गुरु जी आप के प्रभाव के कारण उस केस से भी मैं पूरी तरह बच गया हूं और जिन लोगों ने भी मुझ पर इल्जाम लगाया था वह सब लोग मुंह की खा गए हैं।

इसके अलावा मैं अपना खुद का एक बिजनेस शुरू कर लिया हूं जो धीरे-धीरे आगे भी बढ़ रहा है। इसीलिए गुरु जी दिवाली पर मैं आपको कुछ भेट भी देना चाहता हूं। गुरु जी इस छोटी सी भेंट को आप स्वीकार कीजिए।

गुरु जी मैं यह कहना चाहता हूं कि बिना गुरु मंत्र के कोई भी तांत्रिक साधना नहीं करनी चाहिए और गुरु के ही मार्गदर्शन में ही कोई भी तांत्रिक साधना करनी चाहिए।

सभी साधनाएं दिखने में भले ही आसान हो किंतु वह कठिन होती हैं और उनकी नियमावली भी बहुत ही कठिन होती है। साधनाये जो अक्सर छोटी दिखती हैं, उतनी ही तीव्र और भयंकर भी होती हैं। यह मैं स्वयं के अनुभव से जान चुका हूं। भविष्य में अवश्य ही आपके मार्गदर्शन में मैं भैरवी साधना अवश्य करना चाहूंगा ताकि मुझे भी मेरे गुरु की तरह ही भैरवी की कृपा मिल सके। आपका विशेष रूप से धन्यवाद गुरु जी और सभी धर्म रहस्य के साधकों को मेरा प्रणाम।

संदेश-तो देखिए यहां पर इनके अनुभवों से आप समझ सकते हैं कि साधनाएं सरल नहीं होती हैं और उनको नियंत्रित रखना भी साधक के लिए तभी संभव है जब उसने गुरु मंत्र रक्षा कवच को धारण कर रखा हो और। जब तक आप गुरु मंत्र नहीं लेते, आपके अंदर इतनी ऊर्जा नहीं बनती है। यहां वैसे ही शक्तियों को अपने नियंत्रण में रख पाए और साधना बिगड़ने का दुष्प्रभाव क्या हो सकता है। इस अनुभव के माध्यम से आप सभी अच्छी तरह समझ सकते हैं तो यह था आज का अनुभव अगर आपको यह वीडियो पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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