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पिशाच मंदिर और नीली आंखों वाली पिशाचिनी भाग 4

पिशाच मंदिर और नीली आंखों वाली पिशाचिनी भाग 4

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । पिशाच मंदिर और नीली आंखों वाली पिशाचिनी भाग 3 आप अभी तक जान चुके है । कि क्या क्या घटित हुआ है सुकता की दूसरी पत्नी उसके सामने ही सुहागरात पर मृत पाई जाती है । उसका हृदय किसी ने बाहर निकाल दिया था । यह एक संकेत था एक ऐसा संकेत कि कोई भी सुकता के दिल में नहीं रह सकती और ना ही सुकता किसी और के दिल में रह सकता है । सुकता इस बात से परेशान हो गया । सुकता को इस बात का शक हो रहा था कि कहीं रेवा ही तो यह सब नहीं कर रही है । क्योंकि कोई किसी का दिल बाहर निकाल कर क्या करेगा सुकता ने यह बात सुनी थी की पिशाचिनीया जिस से प्रेम करती है जिसे अपना पति बना लेती है फिर संसार में कोई दूसरी स्त्री को उसकी पत्नी या प्रेमिका बनने नहीं देती है । अगर ऐसा कभी भी होता है तो वह उसे जान से मार देती हैं  । ऐसा उसके साथ दो बार अभी-अभी घटित हो चुका है । उसकी दोनों ही पत्नियां मारी जा चुकी थी और दूसरी पत्नी को तो उसे इस तरह से मारा था कि वह एक स्पष्ट निर्देश था कि कोई भी तुम्हारे हृदय में वास कर सकती है । नाही किसी के हृदय में तुम निवास कर सकते हो । उसका दिल निकालना एक प्रकार से एक बुरा संकेत था । सुकता बहुत परेशान हो जाता है सुकता इधर-उधर भटकने लगता है । महल में एक कमरे से दूसरे कमरे तक उसका आना-जाना लगा रहता है । उसे देख कर के उसके पिता को बहुत ज्यादा कष्ट होता है उसका पिता इस समस्या के लिए सभागार में सभा बुलाता है । उस सभा में लगभग माने हुए सारे मंत्री वहां पर मौजूद होते हैं । राजा सबसे सलाह लेता है कि सुकता की इस समस्या का हल किस प्रकार से किया जाए । और सुकता की सारी बीती हुई बातों को वह उन लोगों को बता देता है । सभी सुनकर परेशान हो जाते हैं वह कहते हैं पिशाचिनी को मारने के अलावा दूसरा और कोई विकल्प नहीं है । यह अवश्य ही वह पिशाचिनी कर रही है क्योंकि पिशाचिनीयो के बारे में ऐसा सुना जाता है कि वह अपने पति को किसी के साथ बाट नहीं सकती । और वैसे भी वह तो रक्त पिशाचिनी है रक्त पीने वाली पिशाचिनीया ।

भला मनुष्यो को क्यों छोड़ेगी इस पर सभी निर्णय लेते हैं कि कोई ना कोई शक्तिशाली तांत्रिक को ढूंढा जाए जो उसका सामना कर सके । उनमें से एक मंत्री कहता है मैं एक तांत्रिका को जानता हूं । लेकिन तांत्रिका त्रिजटा को ढूंढना काफी कठिन होगा । क्योंकि वह इतनी आसानी से नहीं मिलती लेकिन मैं यह बात का दावा करता हूं कि अगर वह मिल गई और उसने हमारी बात मान ली तो आपकी समस्या चुटकियों में वह दूर कर देगी । क्योंकि उसकी सिद्धि का स्तर बहुत ही ऊंचा है वह बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली है । उसने हजारों साल से तपस्या करने की मनसा में लगातार साधनाएं की है । उसका उद्देश्य है कि वह पृथ्वी पर ही बैठे बैठे अमर हो जाए और अपनी साधनाओं को चरम सीमा तक लेकर जाए । उसके बारे में आस-पास के गांव वाले बताते हैं कि वह कुछ भी करने में सक्षम है । इसलिए अगर आपकी आज्ञा हो तो सैनिकों का एक दल तांत्रिका को ढूंढने के लिए भेज दिया जाए । और उनसे प्रार्थना की जाए कि वह इस समस्या में हमारी सहायता करें  । राजा कहता है ठीक है त्रिजटा जहां भी मिले उसे ढूंढ कर लाइए और उससे विनम्र पूर्वक निवेदन कीजिए कि वह एक बड़ी समस्या को हल कर सकती है । कृपया वह हमारी मदद करें । सैनिक नगर के चारों ओर घूमने लगते हैं हर जगह उन्हें ढूंढने को भेजा जाता है । एक बार एक जल में वे पानी पीने के लिए उतरते हैं तब उन्हें जल के अंदर एक परछाई दिखाई देती है । कुछ सैनिक कहते हैं कि अवश्य ही इसके अंदर कुछ है । तो इसके कारण कई सारे सैनिक पानी के अंदर छलांग लगा देते हैं । और अंदर जो नजारा वह देखते हैं उससे वह दंग रह जाते हैं जल में तपस्या करती हुई वहां पर एक स्त्री बैठी हुई नजर आती है । उसको देखकर वह समझ जाते हैं के इसकी साधना का स्तर कितना अधिक ऊंचा है । जल में तपस्या करती हुई तांत्रिका को देख कर के वह तुरंत ही राजा को खबर देते हैं । राजा अपने प्रमुख मंत्रियों के साथ में उस तट के निकट पहुंच जाता है । और सभी लोग वहां पर पूजा पाठ करना शुरू कर देते हैं जोर जोर से ध्वनिया करते हैं ताकि साधना भंग भी हो और वह बाहर भी निकले । जैसे ही वह बाहर निकलती है वह लोग तांत्रिक त्रिजटा की जय बोलते हैं । क्रोध में भरी हुई तांत्रिका शांत हो जाती है क्योंकि उसकी तपस्या को भंग करने का प्रयास किया गया था । लेकिन जल्दी ही वह सब कुछ जान जाती है ।

और राजा के पास आकर के कहती है चलिए आप के राज महल में । तांत्रिका फिर राज महल में आ जाती है वहां उसकी पूरी आवा भगत होती है । और सभी के साथ उसका वहां पर पूजन किया जाता है देवी देवताओं की तरह पूजित होने पर तांत्रिका बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हो जाती है । और कहती है कि आपकी समस्या मै समझ सकती हूं । पिशाचिनी क्योंकि राजा की पुत्री है तो उसमें अत्यधिक बल है । और यहां पर वह बदला लेने के लिए ही यह सारे कार्य कर रही है । इसलिए उसे किसी भी प्रकार से कम मत आकिएगा । और सबसे बड़ी बात यह है कि वह अभी भी केवल वह राजा के पुत्र से ही प्रेम करती है । इस कारण से उसके अंदर सतीत्व का भाव भी है । यही सतीत्व का भाव उसे पराजित नहीं होने देगा । इतनी आसानी से तो इसके लिए यही एक अच्छा उपाय है कि उसे हम उसका सतीत्व भंग नहीं कर सकते है । तो उसके प्रेमी का सतीत्व को पूरी तरह से भंग करवाया जाए । और उसे बहुत सारे भागों में बांट दिया जाए इस पर राजा कहता है कि आप जो भी करेगी वह में जानता हूं । मैं सब इस बात के लिए आप को पूरी तरह से छूट देता हूं । और कहता हूं कि आप जो भी कुछ करवाना चाहे वह करवा सकती हैं । तांत्रिका उन्हें बताती है कि मैंने चुनी हुई 21 कन्याएं राजकुमार के लिए लेकर आई हूं । और उन 21 कन्याओं का विवाह एक साथ राजा के पुत्र सुकता से करवा देना चाहिए । क्योंकि इस विवाह के माध्यम से 21 जगह सुकता की शक्तियां बट जाएंगी । जिन जिन से वह संबंध बनाएगा उन उन के माध्यम से उसका ब्रह्मचर्य नष्ट होगा । क्योंकि यह सब उसकी पत्नियां हैं उसमें उस पर तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा । लेकिन इससे पिशाचिनी का व्यवहार खंडित होगा । और उसकी शक्तियां खंडित होगी और फिर मैं उससे लिपटूंगी । राजा ने गुपचुप तरीके से 21 कन्या से सुकता का विवाह करवा दिया । एक साथ 21 कन्या से विवाह करने के बाद सुकता खुद ही परेशान था ।

और कह रहा था कि यह इस तरह का व्यवहार उसके साथ क्यों किया जा रहा है । आखिर वह 21 पत्नियां कैसे संभालेगा । जबकि वह जानता है कि पुरानी दोनों कन्याओं का वध हो चुका है । शायद पिशाचिनी को यह बात पता चल गई पिशाचिनी क्रोध में पागल हो गई उसने पिशाच नगर में तबाही मचाना शुरू कर दी । उसके गुस्से को देख कर उसके पिता ने उसे समझाया और कहा कि तुम क्या चाहती हो । पिशाचिनी ने कहा मुझे बदला चाहिए मैं उन 21 कन्याओं को जान से मार देना चाहती हूं । इस पर उसका पिता कहता है जब वह तुझे छोड़कर जा चुका है तो क्यों उसके पीछे दौड़ रही हो । पिशाचिनी रेवा ने कहा नहीं मैं उस से प्रेम करती हूं और उसे किसी भी हालत में पाना चाहती हूं । इसलिए मैं किसी की नहीं सुनूंगी मुझे वह चाहिए ही चाहिए । और कोई स्त्री मेरा पति मुझसे नहीं छीन सकती है । चाहे वह 21 हो या 21 हज़ार । उसका पिता उसकी बात से प्रभावित हो जाता है और उसकी बात को मानने के अलावा उसके सामने और कोई मार्ग शेष नहीं रहता । पिशाचिनी की बात को सच मानते हुए रेेवा के साथ में एक छोटी टुकड़ी के साथ पिशाच राज भेज देते हैं । सभी बहरूपियों का रूप बनाते हैं यानी कि अपने-अपने रूपों को बदल लेते हैं । और नगर में प्रवेश करते हैं । लेकिन उनसे यह कहा जाता है कि अमावस के बाद वहां मत रुकना तुरंत लौट आना । क्योंकि इससे तुम्हारी शक्तियां जा सकती हैं । पिशाचिनी रेवा बहुत ही तीव्रता से वह स्थान पर पहुंचती है जहां पर 21 कन्याएं थी । पिशाचिनी उनके ऊपर अपने सैनिकों को हमला करने का आदेश दे देती है । लेकिन वह उनके पास पहुंच करके रुक जाते हैं ठिठक जाते हैं । क्योंकि वह देखते हैं उनके चारों तरफ एक सुरक्षा गहरा बना हुआ है । और बगल में ही बैठी हुई तांत्रिका जोर से कहती है कि आ गई । पिशाचिनी मुझ से युद्ध कर । तांत्रिका और रेवा के मध्य भयंकर युद्ध शुरू हो जाता है । एक-एक करके पिशाच तंत्रिका पर हमला करने लगते हैं । लेकिन तंत्रिका की शक्ति और ऊर्जा के सामने कोई नहीं टिक पाता । तांत्रिका एक-एक करके बहुत सारे पिशाचो का वध कर देती है । अंततोगत्वा बात आती है रेवा की ।

रेवा कहती है कि मैं भी देखती हूं तुझ में कितना दम है और उस तांत्रिका की ओर दौड़ती है । तांत्रिका उस पर मारण शक्ति का प्रयोग कर देती है । मां कालिका का मंत्र प्रयोग कर रेवा का सिर काट दिया जाता है । रेवा की मौत हो जाती है । लेकिन रेवा मरते हुए भी अपने कटे हुए सर से कहती है कि मेरा पति मुझसे कोई नहीं छीन पाएगा । और इस तरह से रेवा की मौत हो जाती है । सुकता अब अपने राज्य में वापस आ जाता है । और उस 21 कन्याओं के साथ में वह सुख पूर्वक रहने लगता है । राज्य में हर्ष का माहौल हो जाता है । और क्योंकि यह बात फैल जाती है की रेवा नाम की पिशाचिनी को मार डाला गया है । सुकता रेवा के पास आता है और उसके आंसू निकल आते हैं । कुछ भी हो आखिर वह उसकी पत्नी थी । और उसने भी उसको पसंद किया था । लेकिन उसके व्यवहार के कारण और मनुष्यों को खा जाने के कारण आज वह उसे छोड़कर जा चुकी हैं । सुकता कहता है मैंने तुम्हें धोखा नहीं दिया लेकिन तुमने अपनी जिद में अपने प्राण खुद ही ले लिए हैं । इसके बाद राजा है यह घोषणा करता है की सुकता को राजा बनाया जाए । कुछ ही दिनों बाद सुकता को राजा बनाने की प्रक्रिया चालू की जाती है । और इस प्रकार सुकता को राजा बना दिया जाता है । एक दिन सुकता उसी उपवन में घूम रहा था । जिस उपवन में उसकी पहली पत्नी गायब हुई थी । वहां पर एक पेड़ के नीचे आराम करती हुई एक असीम सुंदरी को वह देखता है । उसके रूप और यौवन को देख कर के उसके मन में प्रेम भाव जागृत हो जाता है । उसे सुकता देखता है कि यह असीमित सुंदरी यहां पर पड़ी क्या कर रही है । और उसके पास जाकर उसे जगाता है वह सुंदरी आंखें खोलती है । और एक टक सुकता को देखती है और कहती है कि मैं भटक चुकी हूं । मुझे कुछ भी याद नहीं है मैं कहां से आई और क्या कर रही हूं । आप मेरी सहायता कीजिए । राजा सुकता कहता है अवश्य और उसे अपने राज्य महल ले आता है ।

उसकी सुंदरता को देखकर पूरे राज्य में चर्चा होने लगी । अत्यधिक सुंदर स्त्री को देखकर बाकी सब राजा की पत्नियां उससे जलने लगती है । राजा सुकता कुछ दिन उससे बात करने के बाद अपना प्रणय निवेदन उससे कर देता है । और कहता है कि मैं आपसे विवाह करना चाहता हूं । मैं आपको पहली नजर में देखकर आपसे मुझे प्रेम हो गया था । वह सुंदरी भी कहती है मेरे जीवन का कोई अस्तित्व ही नहीं है मुझे कुछ भी याद नहीं है मैं कहां से आई हूं और मैं क्या कर रही हूं । लेकिन आपके इस प्रेम भाव को देखकर मैं आपकी पत्नी बनना स्वीकार करती हूं । इस प्रकार राजा सुकता का विवाह फिर से एक कन्या के साथ हो जाता है । अब तक राजा सुकता कई सारे विवाह कर चुका था । लेकिन वह सबसे अधिक प्रेम इसी कन्या से करता है । क्योंकि इसकी सुंदरता इसका सील आचरण और व्यक्तित्व सबसे अलग था । राज उत्सव की घोषणा करता है कि विवाह के दिन उत्सव मनाया जाएगा । उत्सव में सभी लोग नाचेंगे गाएंगे और राजा और रानी अपनी झांकी देंगे । रात के समय जब सुहागरात का दिन आता है । उस दिन एक विशेष तरह का व्यवहार राजकुमारी द्वारा किया जाता है । जिसकी वजह से पूरे राज्य में हड़कंप मच जाता है । वह व्यवहार यह था की राजकुमारी अपने शरीर से सारे वस्त्र उतार कर के नग्न होकर पूरे महल में घूमने लगती है । और इसके बाद वह रथ लेकर के उस पर अपने घोड़ों की सहायता से दौड़ते हुए पूरे राज्य में घूमने लगती है । ऐसा व्यवहार जिसे देख कर के पूरा राज्य आश्चर्यचकित हो जाता है । राजा की रानी जिसे मर्यादा में रहना चाहिए अपने नग्न शरीर के साथ पूरे महल में घोड़े के रथ पर बैठी हुई इधर-उधर घूम रही है । यह सुहागरात का दिन था और राजकुमारी महल से गायब थी । जब यह बात राजा सुकता को पता लगती है । तो वह कहता है कि राजकुमारी को तुरंत ढूंढवाया जाए । सैनिक आकर कहते हैं की राजकुमारी पूरे नग्न शरीर में रथ पर बैठी हुई इधर-उधर घूम रही है । सभी उन्हें देखकर आश्चर्यचकित हैं । राजा सुकता को कुछ समझ में नहीं आता है । और सैनिकों को कहता है कि तुरंत राजकुमारी को पकड़कर बंधी बनाकर यहां लाया जाए । आखिर वह इस तरह का व्यवहार क्यों कर रही है । हम लोग जानेंगे अगले भाग में कि आगे क्या हुआ । आखिर राजकुमारी ने इस तरह का व्यवहार क्यों किया था । यह सब जानकारी हम जानेंगे अगले भाग में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

पिशाच मंदिर और नीली आंखों वाली पिशाचिनी भाग 5

 

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