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पिशाच मंदिर और नीली आखों वाली पिशाचिनी भाग 1

पिशाच मंदिर और नीली आखों वाली पिशाचिनी भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । आज हम बात करेंगे एक विशेष टॉपिक पर ।  बात करते हैं पिशाचो के बारे में । हम जानते हैं कि मंदिरों और मठों की कहानियों में । मैं आपके लिए विशेष तरह की कहानियां लेकर आता हूं । जो कहीं ना कहीं हमारी पौराणिक कथाओं के रूप में छुप गई या समाप्त हो गई ।  इसी तरह आज मैं आपके लिए पिशाच मंदिर और नीली आंखों वाली पिशाचिनी की कहानी लेकर आया हूं । बात करेंगे उस जमाने की । जब था महाभारत का समय । यह कहानी महाभारत के काल  समय कुछ समय बाद की कहानी है । और कहां पिशाच पैदा हुए पिशाचो की उत्पत्ति की कहानी भी इसमें थोड़ी बहुत समझ में आती है हमको ।  हालांकि पूरा विवरण नहीं मिलता है । लेकिन महाभारत से बहुत कुछ स्पष्ट होता है । तो एक बसाई के मुंह से कश्मीर में रहने वाले हैं बसाई लोग हैं । इनको पिशाचो का वंशज भी माना जाता है । ऐसा कहा जाता है अब इस बात में कितनी सत्यता है । हम नहीं कह सकते । लेकिन यह बात कहीं ना कहीं से रिलेटेड होती है । अब चूकी बात करेंगे हम महाभारत काल की । तो जो महाभारत का समय था जिसमें महाभारत लड़ी जा रही थी । उस समय जो दरर्द देश था । जिसको हम दरर्द देश के नाम से जान रहे थे । उस क्षेत्र में निवास करने वाले पिशाच और पिशाचनिया रहा करते थे । और इन्होंने महाभारत के युद्ध में पिशाच देश के योद्धाओं ने पांडवों की ओर से भाग भी लिया था । यानी कि पिशाच उसमें लड़े थे । पिशाच दरर्द के निवासी या पिशाच योद्धा उस वक्त पांडवों के साथ युद्ध में सम्मिलित हुए थे । और उन्होंने युद्ध भी किया था । यह वर्णन आता है यानी कि यह बात यहां से सिद्ध होती है । जो पशाई लोग हैं कश्मीर के पश्चिम उत्तर के सीमांत प्रदेश है । वहां पर पिशाचो का निवास स्थान रहा होगा । यानी कि पिशाच वहां पर रहते होंगे । यह क्षेत्र जो है वह उत्तरी कश्मीर हम गिलगित-बल्तिस्तान और यासीन का क्षेत्र कहते हैं । और यह रूस के दक्षिणी भाग है जो रूस है ।

उसके दक्षिण में दक्षिणी रूस के सीमांत प्रदेश में यह स्थान माना जाता है । यहां पर ही पिशाच और भी पिशाचीनिया उस समय रहा करते थे । और जिन की साधनाए आजकल प्रचलित है । उनमें तो आप जानते ही हैं दो नाम बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हैं एक कर्ण पिशाचिनी है एक काम पिशाचिनी है । तो यहां पर मैं नीली आंखों की इस पिशाचनी की बात कर रहा हूं । इसके अलावा इनके संबंध में जो कहानियां है वह सिंहासन बत्तीसी में पुतलियां पिशाचिनीयों के रूप में माना जाता है । और जो मैंने बताया है कि जैसे कश्मीर का जो स्थान है । वहां बसाई लोग रहते हैं यह उनके वंशज माने जाते हैं । और यह रिलेटेड इसीलिए कहा जाता है कि यह जो लोग हैं यह कच्चे मांस का भक्षण करने की प्रथा इन की आज भी मतलब चली आ रही है । तो कच्चे मांस का भक्षण कच्चा मांस खाना इसीलिए इनको लोग बुरा लोग मानते हैं । और इनको सोचते थे कि यह पिशाचो के वंशज है । और यह इतने अधिक शक्तिशाली होते थे कि यह देवताओं से भी लड़ जाते थे । और उनको भी हराने की क्षमता रखते थे । और मनुष्य जाति को विशेष रूप से यह पूजा देते थे । यानी कि इनकी साधना मनुष्य अगर करता था तो उनको अपनी शक्तियां प्रदान करते थे । मनुष्यो के लिए बहुत ही ज्यादा बुरे भी थे । मनुष्यो का मांस और रक्त पीना बहुत पसंद करते थे । सबसे ज्यादा इनको रक्त पीना पसंद होता है मनुष्यो का । कहते हैं आज भी बहुत से ऐसे पिशाच और पिसाचनिया है जो छुपी अवस्था में है सशरीर है । और घूम रहे हैं । तो यह कोई सत्य नहीं बहुत बड़ा एक राज है । जो अभी भी इस दुनिया में मौजूद है साक्षात रूप में । और इसी वजह से देखिए आप पिशाचिनीयों कि जब सिद्धियां की जाती है पिशाचो की सिद्धियां की जाती है तो सिद्ध हो जाते हैं वह । वो इस तरह नहीं होते हैं आप उनकी पूजा कीजिए तो सिद्ध ना हो तो भी सिद्ध हो जाते हैं । लेकिन इनकी वजह से आपका जीवन भी उनके जैसे ही हो जाता है ।  क्योंकि इनकी पूजा करने वाला इनके जैसा ही हो जाता है ।  यह इनके बारे में कहा जाता है । तो यहां पर जो मैं बता रहा हूं वह नीली आंखों वाली पिशाचीनी की कहानी सुना रहा हूं । जो पसाई कश्मीरी लोगों के माध्यम से पता लगती है । कहते हैं कि महाभारत का जब युद्ध हुआ उस युद्ध में पांडवों की ओर से पिशाचो ने युद्ध किया । और उन्होंने बहुत ही ज्यादा रक्तदान किया । कौरवों की सेनाओं का वहां जाकर मतलब खून पीते थे  वह ।

और शायद इसके पीछे कहीं ना कहीं भीम के पुत्र घटोत्कच और उसके भी पुत्र इन लोगों का हाथ हो सकता है । क्या इन लोगों ने उनकी सहायता की हो या उन्होंने इनको बुलाया वगैरा हो । खैर यह तो एक शोध का विषय है । लेकिन अब बात पर आते हैं । कश्मीर में पसाई लोगों की रहने की जगह जिसको हम गिलगित यासीन का क्षेत्र कहते हैं । जो दक्षिण में से नीचे स्थित माना जाता है । यह वही स्थान है जहां पर पिशाचों का वास आज भी माना जा सकता है । साक्षात पिशाच वहां पर विद्यमान हैं रहते हैं  अदृश्य अवस्था में । या इस तरह की अवस्था में अगर यह पूजा पाठ किया जाए । इनका तो निश्चित रूप से चाहे वह कर्ण पिशाचिनी की हो या काम पिशाचिनी की हो तो इस तरह की सिद्धि यहां पर आप करेंगे सौ फ़ीसदी इनकी सिद्धियां हो जाएगी अगर एकल अकेले स्थान पर आप यह सब चीजें आप करते हैं । कई लोगों ने इन लोगों को देखने का दावा भी किया और जो लोगों देखते हैं । वह लोग अगर अपनी रक्षा सुरक्षा करने में सक्षम नहीं है तो वह मृत्यु को प्राप्त भी हो जाते हैं । तो यहां पर कहते हैं किसी जमाने में पिशाच मंदिर होगा । पिशाच मंदिर कब ध्वस्त हो गया कब नष्ट हो गया इसके बारे में कोई वर्णन नहीं है । लेकिन पिशाच मंदिर यहां पर रहा होगा वहां पर बहुत सारे पिशाच और पिशाचिनीया साधना और पूजा किया करते थे । वह अपने सबसे बड़े पिशाच देवता की पूजा और उसमें मगन रहा करते थे । यह क्षेत्र बहुत ही ज्यादा दुर्लभ था और इस क्षेत्र में कोई भी मनुष्य प्रवेश नहीं करता था । सारे मनुष्य यह जानते थे कि इनके क्षेत्र में अगर प्रवेश करेंगे तो यह लोग मार डालेंगे और हमारा रक्त पी जाएंगे । और यह भोजन क्योंकि यह कच्चा भोजन खाते हैं । तो शायद हमको कच्चा ही खा जाए तो इस वजह से पिशाचो का यह क्षेत्र बहुत ही ज्यादा दुर्लभ था । और लोग वहां तक जाना पसंद नहीं करते थे । ऐसी अवस्था में 1 दिन कई सारे पिशाच और पिशाचीनी मंदिर में पूजा कर रहे थे वह रक्त चढ़ाते थे रक्त पीते थे मांस कच्चा खाते थे ।

उसमें भी वह सबसे ज्यादा मनुष्य को करते थे । क्योंकि मनुष्यों का रक्त सबसे ज्यादा शुद्ध और मांस सबसे ज्यादा कोमल होता था । जो किसी भी जीव को फाड़ कर खाने में या उसको कच्चा खाने में तो वह अगर आप खा रहे हो है उसको तो उसको मास काफी ज्यादा मजबूत होता है । उसके ऊपर आप यह समझ लीजिए कि खाल उसकी काफी ज्यादा मोटी होती है चाहे वह कोई सा भी जीव क्यों ना हो । लेकिन प्रकृति में केवल मनुष्यों का शरीर सबसे ज्यादा नाजुक है । और उसके शरीर को फाड़कर खाने में  दांत से नोचने में आसानी होती थी । इसीलिए यह लोग पिशाच मंदिर में मनुष्यों की बलि चढ़ाया करते थे । उसके बाद देवता को दी जाने वाली बलि । बलि के बाद में उस रक्त को पी लेते थे । उसके शरीर के मांस को सारे लोग खा लिया करते थे । केवल हड्डी का ढांचा बचता था वह फेंक दिया जाता था । तो इस क्षेत्र में कोई पुरुष जाने की हिमाकत नहीं करता था । इसी के नजदीक में एक राजा रहा करता था और वह राजा का राज्य था । राजा ने कह रखा था कि पर्वत के पार क्योंकि पिशाच की जगह है उस स्थान पर आप लोग नहीं जाएंगे । उस क्षेत्र में कभी नहीं जाया करेंगे । एक बार राजा का पुत्र यूं ही शिकार करने के लिए निकला हुआ था । और उसके साथ कई सारे सैनिक थे । और उन सैनिकों ने तभी देखा कि एक हिरण जो पूरी तरह से नीले रंग में था । पहली बार उसको देख कर के सब लोग आश्चर्य में पड़ गए । सब ने कहा पहली बार हम लोग एक नीले रंग का हिरण रंग देख रहे हैं । जो दौड़ रहा है और बहुत तेजी तेजी से छलांग लगा रहा है । राजा के पुत्र को तुरंत ही उस पर आकर्षण हो गया । और उसने कहा कि इसे हमें पकड़ना चाहिए या हमें इसे मार कर के अपने राज्य की शोभा बढ़ानी चाहिए । और वहां जाकर के लोगों को दिखाना चाहिए कि हमने नीले रंग का हिरण मारा है । राजा के पुत्र की बात को सुनकर के उसके साथ जितने भी सैनिक वहां गए हुए थे । सबने एक स्वर में कहा हा ऐसा दुर्लभ हिरन पकड़ना बहुत ही अच्छी बात होगी । तो राजा के पुत्र ने अपनी आधी सेना दाहिनी ओर और आधी सेना बाई ओर की ओर भेज दी । और कुछ सैनिकों के साथ वह सीधा सीधा उसका पीछा करने लगा ।

उसने अपने सैनिकों को इस प्रकार से कहा कि आप लोग आगे का उसका रास्ता रोके और वहां पर जाल वगैरह लगाएं । जाल में फंस जाएगा तो हम उसे पकड़ लेंगे । और अगर वह हमारी पकड़ में नहीं आता है तो उसे अपने धनुष बाण से मार डालेंगे । और इसको ले जाकर के अपने राज महल में सजाएंगे । और लोगों को दिखाएंगे की नीले रंग का यह बहुत ही सुंदर हिरण हम लोगों ने मारा है । उसे घेरने के लिए सेना की दो टुकड़ियों एक दाहिनी ओर एक बाएं ओर उसके काफी आगे निकल गई । और राजा का बेटा अब अपने कुछ सैनिकों के साथ धीरे-धीरे पीछे पीछे उस हिरण के पास पहुंचने लगा । हिरण भी बड़ा चतुर था कुछ आवाज सुनकर वह समझ गया कि उसके पीछे कुछ है । यानी कि कुछ लोग उसका पीछा कर रहे हैं । इसकी वजह से उसने जोर जोर से छलांग मार करके कूद कूद के वहां से दौड़ना शुरू कर दिया । पहाड़ी क्षेत्र में उसकी दौड़ बहुत ही तेज होने वाली थी । क्योंकि पहाड़ के ऊपर से जब नीचे दौड़ते हैं तो बहुत ही तेज आप की गति हो जाती है । क्योंकि जमीन की और आपको गुरुत्वाकर्षण बल स्वयं ही खींचता है । और आप जब कूदते हुए चलते हैं तब काफी तीव्रता से नीचे पहुंचते हैं । राजा के सैनिकों ने भी इस बात को समझ लिया था । इसलिए पहले ही उससे आगे आगे पहुंच गए थे । उन्होंने नीचे पहाड़ के बहुत बड़े-बड़े जालों को लगा दिया था । ताकि अगर नीली आंखों वाला वह हिरण उनकी पकड़ में आ जाए तो उसे लेकर के राजा के पुत्र के पास जाएंगे । और उन्हें अच्छा खासा इनाम इस बात के लिए मिलेगा । राजा के पुत्र ने भी उसके पीछे पीछे दौड़ना शुरू कर दिया । सब ने चारों ओर से हिरण को घेर लिया है अब हिरण बीच में था । उसने चारों ओर नजर दौड़ाई और उसने सब समझ लिया कि वह चारों ओर से घेरा जा चुका है । यानी कि चारों तरफ से अब सैनिक उसके आसपास नजर आ रहे हैं । वह तेजी से दौड़ने लगा और दौड़ते दौड़ते अंततोगत्वा उसने जब आखिरी छलांग लगाई तो वह सीधे वह जाल के ऊपर ही गिरा । वहां पर जाकर उसके पैर फंस गए और वह पूरी कोशिश करने लगा उस चीज को उखाड़ने की । लेकिन वह उखाड़ नहीं पा रहा था ।

तभी तक बहुत ही जल्दी जल्दी राजा के सारे सैनिक वहां पर आ गए । उन्होंने सबने उस जाल को कस के पकड़ लिया ताकि हिरण कूदना पाए । हिरण ने भी पूरी तरह से अपनी पूरी कोशिश की । और तभी वहां पर अचानक से तेजी के साथ में काफी सारे हिरणो की एक बाढ़ सी आ गई  । बहुत सारे हिरण आकर उस क्षेत्र में दौड़ने लगे । वह सभी उसके आसपास चारों ओर ऐसे घूम रहे थे ऐसे दौड़ रहे थे मानो कि वह उनका राजा हो । सबकी नजर उसी हिरण पर पड़ गई । अब राजा के पुत्र ने यह पहली बार नजारा देखा वह सोचने लगा यह कैसे संभव है । कि एक हिरण को बचाने के लिए इतने सारे हिरणों का झुंड चारों तरफ से आ गया हो । कुछ भी किसी को समझ में नहीं आ रहा था । राजा के बेटे ने देखा कि पहले मुझे लगता है कि पेड़ पर चढ़ जाना चाहिए । और देखना चाहिए कि आखिर यह सब हो क्या रहा है । ताकि उसे यह पूरी तरह से दिख सकें राजा और उसके सैनिक कुछ सारे कम से कम तीन या चार सैनिक उस पर पेड़ ऊंचे चढ़ गए । क्योंकि पेड़ बहुत ही ज्यादा ऊंचे होते हैं । तो वह जाकर के ऊपर काफी ऊंचाई पर जाकर बैठ गए । तभी जोर से गर्जना होती है उस गर्जना को सुनकर यह हिरण भी बहुत तेज आवाज में फूकार भरता है । और तभी उनके सामने खड़ी हो जाते हैं बहुत सारी पिशाच और पिशाचीनियां । अपने नग्न शरीरों में हाथ में लोहे की तलवार लिए हुए । बाए हाथ में एक बड़ा पात्र । जिसमें वह मारने वाले का रक्त भर लेते थे । क्योंकि वह वस्त्र धारण नहीं करते थे । इसलिए नग्न स्वरूप में भयानक रूप में वह सब के सब वहां पर प्रकट हो गए । अब राजा के उस पुत्र को समझ में आया कि शायद इन्होंने हमें घेरने के लिए ही यह सारा प्रयोजन किया होगा । राजा का पुत्र बहुत ही ज्यादा आश्चर्यचकित था । उसने कहा पेड़ पर और ऊपर चढ जाओ । ताकि पेड़ की झाड़ियों और पत्तों के कारण हमें कोई देख ना पाए । सबकी आंखों में भयंकर डर व्याप्त हो गया था । सब पिशाचों ने तुरंत ही हमला कर दिया । जो कि हिरण बने हुए थे उन सब ने कुछ ही क्षण में उन सभी मनुष्य को पकड़ लिया जो सेना में सैनिक के रूप में आए थे । उनको अपनी देवीय शक्तियों और देवीय रस्सियों से बांध लिया और पकड़ कर खींच कर ले जाने लगे । तभी उनमें से कुछ पिशाच आए और उन्होंने उस जाल को काट दिया जाल को काटकर जैसे ही उन्होंने फेंका वहां पर अत्यंत ही सुंदर नीली आंखों वाली एक नग्न स्त्री खड़ी थी ।

जिसकी सुंदरता को देख करके ही लोगों के मन में काम भाव जागृत हो जाए । ऐसे अद्भुत सुंदरी जिसकी आंखें पूरी तरह नीली थी । एक पूर्ण गोरी बदन की तरह जैसे बर्फ का रंग होता है । उस रंग वाली लाल सुनहरे बालों वाली जिसके बाल सुनहरे जैसे थे और आंखें नीली थी । अपने हाथ में तलवार लिए हुए थी चारों तरफ देखते हुए मुस्कुराती है । और कहती है आज हमने बहुत सारे मनुष्यों को पकड़ लिए हैं । आज देवता को बलि चढ़ेगी क्योंकि हमारा उत्सव चल रहा है । उत्सव के समय में हमें कम से कम 51 मनुष्यों की बलि देनी होती है । आज तो भोजन का भी पूरा प्रबंध हो चुका है । ऐसा करो तुम लोग जाओ मैं और मनुष्यों को ढूंढती हूं । मुझे लगता है इनमें से कुछ मनुष्य को मैंने जो देखे थे वह दिखाई नहीं पड़ रहे हैं । सभी पिशाच उन मनुष्य रूपी सैनिकों को पकड़ कर अपने साथ पहाड़ की ऊंचाई पर खींच कर ले जाने लगे । और पिशाचिनी ने उनको कहा कि जल्दी से जल्दी इस क्षेत्र से गुजर जाओ । क्योंकि हम को यह अधिकार नहीं कि हम इस क्षेत्र में ज्यादा देर रहे । वरना हमारी शक्तियां खत्म हो जाएगी । तब तक मैं उन मनुष्यों को ढूंढ लेती हूं अगर पकड़ पाई तो ठीक नहीं तो मैं तुरंत दौड़कर आ जाऊंगी । वह इधर-उधर घूमी लेकिन उसने कहीं पर भी कोई भी मनुष्य नहीं दिखा । राजा का पुत्र उसकी सुंदरता को देख कर प्रभावित था । उसके रूप उसके रंग और उसकी सुंदरता के साथ उसके अंदर भरी हुई विभक्तसा को भी वह देख रहा था ।

कुछ देर इधर-उधर देखने के बाद पिशाचिनी फिर से हिरनी के रूप में बदल गई । और वह नीले रंग की हो गई और दौड़कर पहाड़ पर चढ़ने लगी । राजा के पुत्र ने सैनिकों को कहा कि अब उतर लो । और हमारे 51 सैनिक मारे जा चुके हैं । उनको ले जाया जा रहा है क्या हमको उन्हें ऐसे ही मरने देंगे । तो राजा के साथ चार सैनिकों ने कहा हमें राज्य वापस लौट जाना चाहिए । क्योंकि अगर हम यहां रुकते हैं तो हम भी मारे जाएंगे । हमारी ताकत और उनकी ताकत में बहुत बड़ा भेद है । राजा के पुत्र ने कहा नहीं मुझे अब इस सारे रहस्य का पता लगाना ही होगा कि आखिर यह पिशाच और पिशाचिनीया कौन है । और इनकी शक्तियां क्या है वरना ऐसे ही यह लोग करते रहेंगे । और यह समस्या से कभी भी छुटकारा नहीं होगा । तो फिर क्या किया जाए सब ने विचार किया । राजा के पुत्र ने कहा हमें इन सब का पीछा करना होगा और उसके लिए हमको अपने सिरों पर नकली सींग लगाने होंगे । राजा के पुत्र ने अपने सैनिकों को कुछ विशेष प्रयोजन को करने को कहा ।  और एक विशेष प्रकार के कवच लोगों ने पहने तैयार किए और उनका पीछा करने लगे । जिसमें उनके सिर पर सींग थे वह इस तरह के कवच उन्होंने बनाए थे ताकि उनको देखकर लगे कि कोई दैत्य या दानव वह है । राजा के पुत्र ने उनका पीछा किया और वह पिशाचिनी अपने नगर में प्रवेश कर गई थी । अब राजा का पुत्र उसके पीछे पीछे जा रहा था उसके मन में यह बात बार-बार आ रही थी कि अगर यह पिशाचिनी ना होती तो अवश्य ही मैं इससे विवाह कर लेता । कुछ देर बाद उसे उसका नाम पता चल गया उस पिशाचिनी को सब रेवा रेवा कह कर पुकार रहे हैं । रेवा का पीछा करते हुए अब राजा और उसके चार सैनिक उस नगर में प्रवेश कर गए थे । जहां चारों तरफ झाड़ियां और बड़े-बड़े पेड़ थे । लेकिन अब उनके पास कोई और विकल्प नहीं था रहस्य का पता लगाना अवश्य था । उनके पीछे वह जाने लगे तभी उनके सामने एक विशालकाय पिशाच आया । और कहने लगा तुम लोग कौन हो और यहां क्या कर रहे हो  । क्या मंदिर नहीं जाना । अब इसके आगे क्या हुआ यह हम लोग जानेंगे अगले भाग में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

पिशाच मंदिर और नीली आखों वाली पिशाचिनी भाग 2

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