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पुनर्जीवित कर देने वाली माता त्रिपुर सुंदरी कथा भाग 2

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। पुनर्जीवित कर देने वाली माता त्रिपुर सुंदरी कथा भाग 1 में आपने अभी तक जाना है कि गोद राज नाम के एक तपस्वी को एक व्यापारी द्वारा उनकी पुत्री पर हो रहे विशेष तरह के वशीकरण के बारे में बताया गया है। इसकी वजह से अब गोद राज!

वहाँ की ओर जाना चाहते हैं जहां पर उनकी पुत्री।

लोक लज्जा त्याग कर बैठी हुई है।

अब जानते हैं आगे क्या घटित हुआ?

गोदराज ने जब यह प्रस्ताव!

व्यापारी को रखा तो व्यापारी ने कहा। गुरुदेव आप तुरंत ही मेरे घर पर चलिए। मेरी पुत्री को उस वशीकरण प्रभाव से मुक्त कीजिए।

गोदराज ने कहा, ठीक है मैं? इस कार्य के लिए तुरंत ही तैयार हूं। और चलिए मैं आपके साथ आपके घर पर चलता हूं।

दोनों लोग। उस स्थान की ओर गमन करने लग गए जहां पर व्यापारी का घर था। व्यापारी के घर पर पहुंचने पर बाहर खड़ी हुई व्यापारी की स्त्री को देखकर गोद राज ने कहा, क्या यही आपकी पत्नी है?

तब? उस व्यापारी ने कहा, हां, गुरुदेव यह मेरी पत्नी है। और मेरी पुत्री की माता है।

गोदराज स्त्री के पास जाकर कहा- आपकी पुत्री को आपने? किस कमरे में बंद कर रखा है?

जहां वह स्वयं को रखे हुए हैं। इस पर?

कन्या की माता ने कहा, गुरुदेव आप स्वयं चल कर देख लीजिए। मैंने उसे बंद नहीं किया बल्कि उसने ही अपने आप को एक कमरे में बंद कर रखा है।

गोदराज जब खिड़की के सामने गए तो अंदर का दृश्य देखकर उनकी आंखें अचंभित हो गई। क्योंकि सामने वह कन्या नग्न अवस्था में बैठी रो रही थी।

इसके कारण से अब समस्या बढ़ गई थी। क्योंकि उसने भोजन पानी इत्यादि त्यागा हुआ था और उसकी तबियत और ज्यादा बिगड़ सकती थी।

गोदराज ने कहा आप ऐसा करें मेरी आंखों पर पट्टी बांधे। मैं अंदर प्रवेश करना चाहता हूं।

उन्होंने एक पट्टी अपनी आंखों पर बांधकर उस कमरे में प्रवेश किया जहां पर वह कन्या बैठी हुई थी। कन्या उन्हें देखकर घबरा गई।

उसने अपने शरीर को ढकने की कोशिश की। गोदराज जानते थे कि लोक लज्जा क्या होती है इसीलिए उन्होंने स्वयं पर पट्टी बांध ली थी।

गोदराज ने माता त्रिपुर सुंदरी के मंत्रों का प्रयोग कर जल उस कन्या पर जैसे ही छिड़का, वह जोर से चिल्लाई। मुझे छोड़ दो!

अगर आपने मुझे नहीं छोड़ा तो मैं आत्महत्या कर लूंगी।

लेकिन?

गोदराज कहां रुकने वाले थे। उन्होंने फिर से माता त्रिपुर सुंदरी के मंत्रों का उच्चारण करते हुए जल छिड़का और अब की बार वह बेहोश हो गई।

उसकी मां ने जा कर तुरंत ही कन्या पर वस्त्र डाल दिए और गोदराज घर के बाहर इंतजार करने लगे।

उसके तुरंत ही बाद कन्या उस कमरे से बाहर निकली। और गोदराज के चरण पकड़ कर। कहने लगी। कि मैं? आपसे विवाह करना चाहती हूं? मैंने लोक लज्जा को त्याग दिया था।

इसके कारण से मैंने अपने परिवार को बदनाम कर दिया है।

मेरा शरीर! जो केवल मेरा पति देख सकता था, वह आपके सामने ऐसे ही स्पष्ट हो गया है। ऐसी अवस्था में मैं अब आपको अपना पति मान चुकी हूं।

गोद राज ने कहा, मैंने अवश्य ही खिड़की से आपको देखा था। उस वक्त आप नग्न अवस्था में थी, लेकिन इसके बाद मैंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली और तभी मैंने कमरे में प्रवेश किया था।

लेकिन उनकी किसी बात को? कन्या ने स्वीकार नहीं किया। उसने कहा, मैं आत्महत्या कर लूंगी। अगर आपने मुझसे विवाह नहीं किया? एक स्त्री की मर्यादा उसका शरीर ही होती है। ऐसी अवस्था में जब आपने मुझे ऐसे रूप में देख लिया था।

तब भला मैं कैसे अपनी लज्जा को?

बचा सकती हूँ? समाज तो यही कहेगा कि यह कैसी स्त्री है?

इसी कारण से कोई मुझसे विवाह भी नहीं करेगा।

लेकिन आपको मुझसे विवाह करना ही होगा क्योंकि मैं आपको ही अपना पति स्वीकार कर चुकी हूं। यह सुनकर अब गोदराज को आश्चर्य हो गया। उन्होंने कहा, यह तो बहुत बड़ी समस्या चुकी है।

मैं करूं तो क्या करूं? इस पर व्यापारी ने भी।

अपनी पुत्री के प्रस्ताव को समझते हुए हाथ जोड़कर गोदराज से प्रार्थना की।

गुरुदेव! इससे अच्छा और क्या हो सकता है जब मैं आपको दामाद के रूप में प्राप्त कर सकूं और आपकी सेवा कर सकूं? आप अभी तक कुंवारे भी हैं?

कृपया मेरा यह प्रस्ताव स्वीकार कर लीजिए और सामाजिक लोक लज्जा से, और बदनामी से होने वाले सभी प्रभावों को नष्ट कर दीजिए। मैं यह जानता हूं कि एक तपस्वी व्यक्ति के लिए यह सब अच्छा नहीं किंतु मेरी रक्षा सिर्फ आप ही कर सकते हैं।

समाज में भला कौन व्यक्ति मेरी पुत्री से विवाह करेगा? इसलिए आप मेरी रक्षा करें और मेरी पुत्री से विवाह कर ले।

गोदराज कहते हैं। मैं? मां त्रिपुर सुंदरी से आज्ञा लिए बिना यह कार्य नहीं कर सकता और वह माता त्रिपुर सुंदरी मंदिर में चले जाते हैं।

शाम के समय अचानक से ही व्यापारी दौड़ते हुए गोद राज के पास आता है। और उनसे कहता है गुरुदेव रक्षा कीजिए। मेरी पुत्री नदी किनारे चली गई है। आत्महत्या करने के लिए, आपको तुरंत ही साथ में चलना होगा और उसे रोकना होगा।

गोदराज और वह व्यापारी जल्दी-जल्दी नदी के उस तट पर पहुंचते हैं जहां वह कन्या। अबकी बार अपने पूर्वजों को याद करते हुए नदी में कूदने वाली थी।

गोदराज कन्या का हाथ पकड़कर उसे रोक लेते हैं। और कहते हैं मैं तुमसे विवाह करने को तैयार हूं। इस प्रकार गोदराज और उस कन्या का विवाह संपन्न हो जाता है।

गोदराज विवाह के बाद अपनी सुहागरात के समय, उस कन्या के साथ कमरे में प्रवेश करते हैं। पर वहां उन्हें जो दिखाई देता है। वह आश्चर्यजनक होता है।

जो उन्हें दिखा वह उनकी सोच से भी परे था।

इधर! वह तांत्रिक!

रात के समय। किसी को अपने वशीकरण से अपनी कुटी पर ले जा रहा था।

वह चलते चलते एक जगह पर रुक जाता है। तभी उस व्यापारी का एक मित्र!, तांत्रिक और उस कन्या को देख लेता है।

तांत्रिक और कन्या को देखते ही वह अपना सिर पकड़ लेता है। गुपचुप तरीके से वहां से भागकर उस व्यापारी के पास पहुंचता है।

और जब वह व्यापारी को उसके देखे हुए का हाल को बताता है। व्यापारी अपना सिर पकड़ लेता है और कहता है यह कैसे संभव है?

पर वो कहता है मैंने जो कुछ देखा है वह पूर्णता सत्य है।

व्यापारी उसकी बात को नकारता है, लेकिन वह मित्र व्यापारी से कहता है। अगर मेरी बातों पर यकीन नहीं है तो चलो मेरे साथ। व्यापारी और उसका मित्र उस तांत्रिक के पास जाने लगते हैं जिसने व्यापारी की कन्या पर वशीकरण प्रयोग किया था।

जब वहां पहुंचते हैं तो वहां पर विवाह मंडप सजा हुआ होता है। और उस विवाह मंडप पर।

उन्होंने अपनी ही कन्या को बैठे हुए देखा। उस तांत्रिक के साथ में।

यानी की तांत्रिक और व्यापारी की कन्या का विवाह संपन्न होने वाला था। यह देखकर व्यापारी घबरा जाता है।

व्यापारी को कुछ भी समझ में नहीं आता कि आखिर यह सब घटित क्या हो रहा है उसकी पुत्री का विवाह हो चुका है और वह भी गोदराज के साथ में। पर यहां पर तो मेरी ही पुत्री तांत्रिक के साथ बैठी हुई है और थोड़ी ही देर में विवाह भी होने लगेगा।

ऐसी समस्या है अब क्या किया जाए?

दोनों आपस में वार्तालाप करते और तेजी से दौड़ते हुए।

गोदराज के पास जाने का निर्णय लेते हैं दोनों दौड़ते दौड़ते। गोदराज के नजदीक पहुंचते हैं। गोदराज अभी तक उस कन्या को देखकर आश्चर्य में थे।

वह कुछ समझ नहीं पाए। इससे पहले उनके दरवाजे पर वह व्यापारी और उसका मित्र आ चुके थे।

दोनों ने दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया था।

उन दोनों के खटखटाने से गोद राज ने दरवाजा खोल दिया।

और व्यापारी और गोदराज एक दूसरे को देख कर भौचक्के थे। गोद राज ने कहा यह स्त्री कैसी है?

मैं आश्चर्य में पड़ गया हूं।

मुझे नहीं लगता कि यह आपकी पुत्री है।

तभी। वह व्यापारी कहता है आप सत्य कह रहे हैं। आप का विवाह किसके साथ हुआ है? यह तो मैं भी नहीं जानता हूं।

पर मेरी पुत्री का विवाह किसी और के साथ हो रहा है। उसे बचा लीजिए।

इस प्रकार से। यह घटना! जीवन में आश्चर्यजनक बदलाव लाने वाली थी। आगे क्या हुआ हम लोग जानेंगे भाग 3 में।

तो अगर यह कहानी और? घटना आपको पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

पुनर्जीवित कर देने वाली माता त्रिपुर सुंदरी कथा भाग 3

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