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पुनर्जीवित कर देने वाली माता त्रिपुर सुंदरी कथा 5 वां अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। अब आगे की अंतिम कथा के बारे में जानते हैं।

गोदराज! इस स्थिति से उबरने के लिए सुबह उठकर मंदिर में जाता है और वहां ध्यान अवस्था में। जो देखता है उससे वह और भी अधिक परेशान हो जाता है।

वह गुस्से से अपने घर वापस आता है। और अपनी पत्नी से कहता है। मैं तुम्हें आज से सदैव के लिए संकल्प लेकर त्यागता हूं। हे यक्षिणी तूने बहुत गलत कर्म किए हैं? तूने मेरी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए मेरी पत्नी को ही मार डाला।

यक्षिणी यह सुनकर हंसने लगती है और कहती है अब तो मैं तुम्हारी पत्नी हो चुकी हूं। मांस वाले शरीर से इतना मोह क्यों मैं तो तुम्हें? पूरी जिंदगी आनंद देने वाली हूँ।

गोद राज उस पर बहुत अधिक नाराज था और उसके क्रोध की सीमा नहीं रही। उसने यक्षिणी को घर से निकाल दिया। यक्षिणी भी गुस्से से कहने लगी। हां, यह सत्य है मैंने और उस तांत्रिक ने, तुम से बदला लिया। तुम्हारी पत्नी को मैंने ही जला कर मार दिया। वह साधु जो आया और कह रहा था कि मैंने पुनर्जीवित किया है तुम्हारी पत्नी को, वह वही तांत्रिक था। तुमने मुझे छोड़ कर अच्छा नहीं किया है? मुझे त्याग कर तुम कहीं के नहीं रहोगे। यह कहकर वह यक्षिणी चली जाती है। इधर जंगल में जाकर के गोदराज अब अपनी पत्नी के शरीर को ढूंढता है उसे उसका शरीर दिखाई पड़ता है।

तभी वहां पर राजा के सैनिक आ जाते हैं और वह उसे पकड़कर राजा के समक्ष ले जाते हैं। राजा कहता है तुमने अपनी पत्नी को मार डाला है इसलिए मैं तुम्हें मृत्यु दंड देता हूं। यह सुनकर अब गोदराज को आश्चर्य होता है। वह कहता है यह आपसे किसने कहा? तब राजा कहता है। तुम्हारी पत्नी मेरे सामने आई थी और वह गिड़गिड़ाते हुए अपनी रक्षा की प्रार्थना कर रही थी। सैनिकों ने देख लिया है। तुमने उसे जंगल में मार दिया है। यह सुनकर अब गोद राज आश्चर्य में पड़ जाता है। वह समझ चुका था। यह सारा खेल उस यक्षिणी का है। अब इससे कैसे बचा जाए, वह कहता है। मैं प्रमाणित कर दूंगा कि मैंने अपनी पत्नी का वध नहीं किया है। आप मुझे माता त्रिपुर सुंदरी मंदिर में केवल 3 दिन रहने की आज्ञा दें। राजा ने कहा, ठीक है 3 दिन के अंदर साबित करो कि तुम्हारी पत्नी झूठ बोल कर गई है।

क्योंकि वह कह रही थी। मेरा पति मुझे मार डालेगा। कृपया मेरी रक्षा करें। वह जंगल में जाकर मुझे मार देगा। तब मेरे सैनिकों को मैंने आज्ञा दी थी कि जंगल में जाकर के। अब! ढूंढे! लेकिन तब तक तुमने अपनी पत्नी को मार डाला था।

अब मैं तुम्हें 3 दिन मंदिर में रहने का आदेश देता हूं अपने आप को साबित करने के लिए। और मंदिर को चारों ओर से सैनिक फैले रखेंगे ताकि तुम कहीं भाग ना जाओ।

मंदिर में पहुंचकर गोद राज रोने लगता है और माता को पुकारने लगता है। वह संकल्प लेता है कि माता! जब तक आप प्रत्यक्ष दर्शन नहीं देंगी और मेरी समस्या का हल नहीं करेंगी। मैं यहीं बैठा आपका जाप करता रहूंगा।

गोदराज 3 दिन तक लगातार मंत्रों का जाप करता रहता है।

3 दिन बाद समय समाप्ति की घोषणा होने ही वाली थी तब गोदराज बहुत अधिक! इस बात से दुखी हो गया कि माता ने उसे अभी तक प्रत्यक्ष दर्शन नहीं दिए और आखिरकार उसने अपना सिर माता को चढ़ा दिया। क्योंकि वह जानता था कि बदनामी का दाग! उसके जीवन को कलंकित तो करेगा ही अभी तक कि उसके सभी अच्छे कर्मों को भी धूमिल कर देगा। इस प्रकार से उसके सिर चढ़ाते ही माता त्रिपुर सुंदरी प्रत्यक्ष दर्शन उसे देती है। और कहती हैं पुत्र।

कलयुग की कुछ मर्यादा है। इन्हीं कारणों से देवी देवता प्रत्यक्ष दर्शन नहीं दे सकते किंतु तूने तो अपने जीवन का ही अंत कर दिया।

इस पर गोद राज कहता है माता मेरी विपदा का अंत करो। आप तो सब जानने वाली हैं। माता त्रिपुर सुंदरी कहती हैं पुत्र। मृत्यु के बाद किसी को पुनर्जीवित करना।

नियम विरुद्ध है। इससे त्रिदेव पर संकट आ जाता है, संसार की मर्यादा नष्ट हो जाती है।

लेकिन क्योंकि तू मेरा बहुत बड़ा सच्चा पुत्र है इसलिए मैं तुझे इसकी युक्ति बताती हूं। मृत्यु के 24 घंटे के अंदर प्राणी को दोबारा जीवन प्राप्त हो सकता है। लेकिन तेरी पत्नी को मरे हुए तो काफी समय हो चुका है।

लेकिन एक विकल्प अभी भी शेष है।

मृत्यु लोक में कर्म करने की छूट सभी को दी गई है। अगर कोई कर्म करें और कर्म के फल स्वरुप मृत्यु को टाल दे। तो फिर उस पर नियम कायदे कानून नहीं लगते? इसलिए मैं तेरे सूक्ष्म शरीर को किसी भी लोक में गमन करने की शक्ति प्रदान करती हूं। साथ ही साथ त्रिपुरा अस्त्र भी तुझे देती हूँ । जा तेरे पास समय कम है। तुझे अपनी पत्नी को एक यक्ष लोक से वापस लाना होगा। क्योंकि? यक्षिणी के मारने के कारण वह एक यक्ष लोक में ही विद्यमान हो गई है। जब तेरे पास समय कम है, किंतु मैं तेरी पत्नी के शरीर को सड़ने नहीं दूंगी। वह बिल्कुल ऐसे रहेगा जैसे कि उसकी मृत्यु हुई ही नहीं।

यह कहकर माता त्रिपुर सुंदरी वहां से अदृश्य हो जाती है। अब अपनी सूक्ष्म शरीर के साथ गोदराज यक्ष लोक की ओर गमन कर जाता है। यक्ष लोक के द्वार पर उसे बहुत सारी शक्तियां रोकने की चेष्टा करती है। लेकिन वह अपनी त्रिपुरा देवी के मंत्रों द्वारा। उन सबको मार्ग से हटा देता है। अंदर पहुंचकर उसे उसकी पत्नी दिखाई देती है। रोती हुयी आकर इनके चरणों को छूती है और कहती है। आप मेरे लिए यक्ष लोक तक आ गए हैं। मुझे उस यक्षिणी का कार्य करना पड़ रहा है और वह पृथ्वी लोक में आनंद पूर्वक इधर-उधर घूम रही है। इस पर गोदराज कहता है तुम चिंता मत करो चलो मेरे साथ।

इस प्रकार गोदराज अपनी पत्नी को जैसे ही ले जाने की कोशिश करता है, वहां पर एक विशालकाय सर्प उनका मार्ग रोक देता है।

उस सर्प को रोकने के लिए अंततोगत्वा!

गोदरेज को त्रिपुरा अस्त्र का प्रयोग करना पड़ता है।

वह अस्त्र लगते ही वह सिर्फ अपने वास्तविक रूप ,यक्ष राज रूप में प्रकट हो जाता है। कुबेर के रूप में वहां पर कुबेर जी ने कहा, माता त्रिपुर सुंदरी के अस्त्र का प्रयोग मुझ पर किया गया। मेरा अहोभाग्य मेरी मृत्यु इसलिए नहीं हुई क्योंकि माता स्वयं मेरी रक्षा कर रही हैं किंतु अपनी पत्नी के लिए। ऐसा समर्पण मैंने आज तक नहीं देखा, जाइए अब आप का सामना? यमलोक में यमराज से होगा क्योंकि यह यक्ष लोक से यम लोक लोक होते हुए ही आप मृत्यु लोक में जा सकते हैं।

उसके बाद गोदराज अपनी पत्नी को लेकर यमलोक से होते हुए गुजर रहे थे। तभी यमराज उनके सामने खड़े हो जाते हैं और कहते हैं कोई भी प्राणी मृत्यु के बाद वापस मृत्युलोक नहीं जा सकता।

तुम इतनी शक्तिशाली हो कि तुम वापस जा सकते हो लेकिन यह स्त्री! काफी समय पहले मृत्यु को प्राप्त हो चुकी है। यह वापस नहीं जा सकती। इस पर गोदराज प्रार्थना करते हैं कि आप हमें ना रोके मुझे अपनी पत्नी को वापस ले जाना है और अपने जीवन पर लगे दाग को भी मिटाना है। किंतु दोनों लोगों की बहस का कोई हल नहीं निकलता। अंततोगत्वा माता त्रिपुर सुंदरी के मंत्र का उच्चारण करते हुए त्रिपुरा अस्त्र का प्रयोग एक बार फिर से गोदराज कर देता है।

गोदराज के वार से यमराज घायल हो जाते हैं और वह माता को पुकारते हैं। माता की कृपा से तुरंत ही यमराज स्वस्थ हो जाते हैं। और वह कहते हैं जा ले जा अपनी पत्नी को।

तुझे रोकने की सामर्थ्य अब किसी में भी नहीं है क्योंकि जब स्वयं पुनर्जीवन देने वाली माता शक्ति तेरे साथ हैं तो फिर तुझे कौन रोक सकता है? इस प्रकार से वहां से गोदराज मृत्यु लोक वापस आ जाता है। यहां पर अब! अपनी पत्नी के शरीर में उसकी आत्मा को वह डालता है। और उधर स्वयं भी अपने शरीर में वापस आता है? माता त्रिपुर सुंदरी साक्षात फिर से प्रकट हो जाती हैं। और? गोदराज का सर जोड़ देती है। साथ ही साथ उसकी पत्नी को भी पुनर्जीवन प्रदान करती हैं। दोनों माता त्रिपुर सुंदरी की वंदना करते हैं। माता त्रिपुर सुंदरी कहती हैं। अब इस अस्त्र का प्रयोग उस तांत्रिक पर करो जो वास्तविकता में, इस सब कारण का विशेष गुनहगार है और इस प्रकार से गोद राज उस अस्त्र को उस तांत्रिक पर चला देते हैं। तांत्रिक की तक्षण वही मृत्यु हो जाती है।

तभी वहां पर राजा आ जाता है और अपने।

कार्य के लिए माफी मांगता है।

तभी वहां पर वह यक्षिणी भी आ जाती है और माता से प्रार्थना करती है कि माता मैंने भी इनको पति के रूप में प्राप्त किया था। यद्यपि मैंने बहुत बुरे कर्म किए हैं। फिर भी आप मुझे क्षमा कीजिए। माता त्रिपुर सुंदरी कहते हैं पति की इच्छा।

यानी कि पति को प्राप्त करने के लिए तूने यह सब गलत कर्म किए ताकि तेरी ऊर्जा बढ़ सके।

किंतु तूने बाद में बहुत ही गलत कर्म किए हैं। फिर भी तूने मेरी शरण ली है इसलिए मैं तुझे क्षमा तो करती हूं, किंतु चिरकाल तक तुझे पृथ्वी पर ही भटकने का।

श्राप भी देती हूं। अब तू!

तब तक इस पृथ्वी पर भटकती रहेगी जब तक 7 पुरुषों के साथ में तेरा विवाह नहीं होगा और जब तक पृथ्वी पर 7 पुरुषों से विवाह करके संतुष्ट जीवन बिताते हुए। तू शक्तियों को प्राप्त नहीं करेगी तब तक तुझे इसी पृथ्वी पर भटकते रहना होगा।

संदेश – कहते हैं तब से वह यक्षिणी। काम प्रिया! पृथ्वी पर भटक रही है अब तक। कहा जाता है कि उसने तीन पुरुषों को पति रूप में स्वीकार किया हुआ है और तीन पुरुष अभी तक उसने भोगे हैं।

अभी भी वह चार पुरुष उसे प्राप्त करने हैं। तभी वहां मृत्यु लोक से मुक्ति प्राप्त करके अपने वास्तविक लक्ष्य को प्राप्त कर सकती है। किंतु इतने अधिक समय तक भटकने के कारण वह अत्यधिक शक्तिशाली हो चुकी है।

इस प्रकार से माता त्रिपुर सुंदरी की कृपा के कारण पुनर्जीवन दो लोगों को प्राप्त होता है।

ऐसा ही वर्णन आप लोगों ने भाग 1 में भी जाना था कि इसी मंदिर परिसर में

माता त्रिपुर सुंदरी की कृपा से कैसे एक व्यक्ति को पुनर्जीवन प्राप्त हो गया था ? इस घटना के कई सौ साल बाद दोबारा से यह हुआ था।

माता त्रिपुर सुंदरी ही है जो पुनर्जीवन प्रदान कर सकती हैं लेकिन उसमें भी मर्यादा की एक नियमावली सदैव रहती है। कि कोई भी प्राणी केवल 24 घंटे तक ही जीवित रह सकता है और पुनर्जीवन प्राप्त कर सकता है लेकिन भक्ति से और भक्ति की शक्ति के आगे सब कुछ संभव है।

जय माता त्रिपुर सुंदरी।

आप सभी का दिन मंगलमय हो?

धन्यवाद!

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