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पूजा भगवान विष्णू की दर्शन माँ काली के

जय श्री कृष्णा।।गुरूजी आपको प्रणाम।।मैंने अपने अनुभव आपको भेजे है, यदि आपको सही लगे तो आप अपने चैनल में प्रस्तुत कीजिए।।और नहीं तो आपसे विनम्र निवेदन है की मेरे सवालों के जवाब देते हुए मेरा मार्गदर्शन कीजिए।।
आपकी बहुत कृपा होगी।।आपको नमन गुरुजी।

गुरू जी।आपको प्रणाम।धर्म रहस्य के सभी साधकों को मेरा नमन।मै लगभग 2 वर्ष से आपके चैनल से जुड़ा हूं।मैंने आपकी सारी वीडियो देखी है|यूं तो मैंने बहुत सारी वीडियो देखी है लेकिन मुझे आपकी हर वीडियो अच्छी लगती है, आपकी बातो में बहुत ही सच्चाई नज़र आती हैं।और हमारे सनातन हिंदू धर्म को बढ़ावा देने के लिए भी आपका धन्यवाद, आपकी वजह से हमारे लोगो मै धर्म का सही प्रचार हो रहा है। आपके सारे अनुभव वाले वीडियो से हमारे बीच भगवान प्रति विश्वास बढ़ता है और भिन्न भिन्न प्रकार साधनाओं के बारे में जानने का तथा उन साधनाओं को करने का मार्गदर्शन मिलता है।आपकी बातें बिल्कुल भी बनावटी नहीं है। सारी वीडियो देख  मन बहुत प्रसन्न हुआ, मन में एक उम्मीद सी जगी अध्यात्म को लेकर।बचपन से ही मेरी रुचि अध्यात्म में रही है। मै हमेशा से ही पूजा पाठ, साधना  के प्रति आकर्षित रहा हूं।परंतु किसी गुरू के ना मिलने के कारण मेरी ये इच्छा पूरी नहीं हो पाई।मेरा नाम कौशल है।मै बिहार का रहने वाला हूं, फिलहाल मै दिल्ली में रह कर आगे की पढ़ाई कर रहा हूं।मै अपना निजी अनुभव और उनसे जुड़े सवाल आपके और आपके चैनल क माध्यम से जानना चाहता हूं।जिसे सिर्फ आपके चैनल मै ही प्रकाशित किया जाए, तथा मेरा ईमेल गुप्त रखा जाय।

ANUBHAV- 01..
मैं बचपन से ही बहुत ही ज्यादा आध्यात्मिक रहा हूं।मुझे साधनाओं और सिद्धी में बहोत रुचि रही है।मेरे नानाजी जी बहोत ही स्पिरिचुअल थे।उनके पास बहोत ही किताबे थी, गीता , पुराण, रामायण, उपनिषद इत्यादि।जब भी उनके पास जाता तो  सारी किताबे पढ़ता तो मेरी भूख बढ़ती जाती।के कैसे भगवान को पाया जाए, शक्ति कैसे पाई जाए।मैंने किताबो  बताए मंत्रो को जपना शुरू किया।चुकी मै 14-15 साल का बच्चा था, बहुत सी बाते मेरे समझ के बाहर थी।मैंने मांसाहार का सेवन भी बंद कर दिया था।और काम वासना तो उस टाइम समझ में ही नहीं आता था, तो इससे कोई परेशानी थी नहीं। हर विधि और अनुष्ठान में गुरू का ज़िक्र होता था, और  भी लिखा होता था कि बिना गुरू के कोई बात नहीं बनेगी।तो धीरे धीरे मैंने मंत्र जपना बंद कर दिया। बस ऐसे ही पूजा पाठ करने लगा। फिर भी मेरा मन संतुष्ट नहीं हुआ, कैसे भी कर के मै शक्ति पाना चाहता था जैसे के ग्रंथों में वर्णित है।फिर कहीं किसी किताब से मैंने कुण्डलिनी जागरण के बारे में पढ़ा, मन में ये बात ठान ली के अब ये करना ही है।और उसमे ये भी लिखा हुआ था के इसमें गुरू की जरूरत उतनी नहीं हैं।मै बहोत खुश हो गया के अब तो करना ही है।धीरे धीरे मै ध्यान  का अभ्यास करने लगा।ध्यान के बाद उसमे त्राटक का अभ्यास लिखा था।अब मै बहुत ध्यान लगाने लगा था, आपने जो ध्यान  अनुभव बताए थे , वो सारे मुझे अनुभव होते थे। लेकिन मै किसी  पूछ नही सकता था के मै सही दिशा में  हूं की नहीं।इसलिए मै सिर्फ अभ्यास करता रहा। एक पुस्तक मै मैंनेत्राटक अभ्यास के बारे में पढ़ा, मैंने त्राटक  अभ्यास शुरू किया, जैसे जैसे उस किताब  बताया गया था मै उसी अनुसरण करने लगा।शुरुआत मैंने निकट त्राटक से की थी, फिर दूर त्राटक, अंतर त्राटक, बिंदु त्राटक, दीपक त्राटक इत्यादि से अभ्यास को जारी रखा।मेरी सारी इच्छाएं ख़तम हो गई थी। मुझे कोई भी दुख सुख का अनुभव नई होता था। बॉडी में वाइब्रेसन होते थे कभी कभी।मेरा मन शांत हो गया था, मै कहीं और खो गया था, ऐसा लगता था के मै किसी और दुनिया में जी रहा हूं।बस सुबह उठ के अभ्यास करना , फिर स्कूल जाना फिर वापस आ,  शाम फिर अभ्यास करना यही मेरा डेली रूटीन बन गया था।यहां तक  सब ठीक चल रहा था, फिर मेरे साथ अजीब सी अनुभूति होने लगी।मेरा बॉडी गर्म होने लगा था।अजीब सी शक्ति महसूस होने लगी, मै समझ नही पा रहा था कि ये क्या हो रहा है और मुझे क्या करना चाहिए।एक रात की बात है मै अपने कमरे में सो रहा था, मच्छरदानी लगी हुए थी, उन दिनों लाईट की बड़ी समस्या होती थी।।अचानक से लाईट चली गई , कुछ मच्छर मच्छरदानी के अंदर घुस गए थे उनके काटने से मेरी नींद खुल गई।।मैंने नींद में ही मच्छर मारने के लिए हाथ चलाया और मेरा हाथ मच्छरदानी के कपड़े (जिससे वो बना होता है) टकराया, और मै चौक गया।जितनी बार मै अपना हाथ टकराता उतनी बार ही मेरे उंगलियों के अग्र भाग से चिंगारी जैसी निकलती, जैसे दो पत्थर के टकराने से या दीवाली के चितपुत्ती पटाखे से निकलती है।मै हड़बड़ा क उठ गया, फिर बहोत बार ऐसा किया हर बार ही ऐसा हो रहा था। फिर मैंने चादर के साथ भी ऐसा किया वैसे ही बार बार चिंगारी निकल रही थी।चुकी मै अकेले कमरे में सो रहा था, तो डर के कारण मां को आवाज़ लगाई। मेरे साथ जो भी हो रहा था मैंने मां को बताया फिर उन्होंने भी देखा, फिर कहा बेटा ये साइंस है,।वस्तुएं आवेशित हो जाती है रगड़ से, तुम सो जाओ कोई ऐसी बात नहीं है। मै फिर किसी तरह सो गया, अगले दिन भी सारी बात याद आ रही थी, शाम में जब ट्यूशन से वापस आया तो फिर से मैंने ऐसा करने की सोची।इस बार रात बीतने पर दोस्तो से ऐसा करने को कहा लेकिन उनसे नहीं हुआ। फिर अपनी बहन, और मां को भी ऐसा करने को कहा लेकिन उनलोगो से कुछ नहीं हुआ।रात को सोने से पहले फिर सारी लाईट ऑफ कर के फिर से ऐसा किया फिर तेज सी चिंगारी निकली, जितनी तेज से हाथ चलता उतनी तेज से चिंगारी निकलती।।मेरा हाथ गर्म होने लगा था, मैंने दोनों हथेलियों को आपस में रगड़ने लगा जैसे हाथ धोते समय करते है। इस बार मुझे और हैरानी हुई, मेरे हाथो के आपस के रगड़ के कारण भी चिंगारी निकल रही थी। बार बार ऐसा कर रहा था हर बार ऐसा हो रहा , मै इधर उधर हाथ मारने लगा हर जगह ऐसा ही अनुभव हो रहा था।।मै अंदर से डर गया के क्या हो गया है मुझे, मै अपनी ध्यान साधना अकेले ही बिना किसी को बताए करता था, इसीलिए मै किसी को बता नहीं पाया ।।मुझे लगा के कोई भूत प्रेत वाली बात है, या उस पुस्तक के अनुसार कुण्डलिनी शक्ति के गलत अभ्यास से भी ऐसा हो सकता है।।मै किसी से पूछ भी नहीं सकता था वरना घरवाले कहते पढ़ाई लिखाई छोर के यही सब करते हो।।धीरे धीरे डर से मैंने ये ध्यान साधना छोड़ दी।।बाद में ये अनुभव भी कुछ दिन के बाद गायब हो गए।।१) गुरू जी ये सब क्या था ? क्या हो रहा था मेरे साथ, कृपया कर के मार्गदर्शन करे??

बेताल कैसे पैदा हुआ कहानी भाग 1

ANUBHAV :02
गुरुजी,  मै अपना दूसरा अनुभव भी बताना चाहता हूं। जैसा के मैंने आपको बताया है की बचपन से ही मेरा मन पुजा-पाठ में लगा रहता है। भिन्न भिन्न प्रकार की साधनाएं के बारे में जानकारी लेना  मेरे रुचि मै रही है। इसके सन्दर्भ मै,मैंने बहुत सारी पुस्तके पढ़ी और वीडियो देखी है।।बचपन से ही मै भगवान श्री वष्णु को मानता आया हूं, मैंने लगभग सारे पूजा पाठ, उपवास भगवान श्री विष्णु के लिए ही किया है।।बाकी देवी देवताओं मै भी मेरी आस्था है , फिर भी मै सबसे अधिक उन्हीं को पूजता और भजता हूं।।आप मुझे वैष्णव भी कह सकते है। लेकिन इतने दिनों में मुझे एक बार भी स्पष्ट रूप से भगवान श्री विष्णु की कोई स्वप्न दर्शन नहीं हुए है।।ना ही कोई स्पष्ट संकेत मिले।।लेकिन माता काली मेरे सपनों में बाहोत बार आईं हैं।इसलिए इतने दिनों में मैंने पहली बार ,2019 की नवरात्र में माता काली की पूजा की है।
अपने स्वप्न के बारे में बताता हूं।मैंने एक सपने में देखा के मै अपने घर के पास हूं, लेकिन बाहर जंगल और पहाड़ी जगह भी है।कभी मुझे घर दिखता कभी जंगल और पहाड़ दिखता, सपने की इस्थिती तो आप जानते ही है।।चारो तरफ युद्ध हो रहा है , सब डर के इधर उधर भाग रहे है।लोग मर रहे है, चारो तरह कोलाहल मचा है।।आस पास के लोग सब डर से सेहमे हुए है, सब चिल्ला रहे है।।आकाश पूरा लाल है, और घना काला बादल भी छाया है।।चारो तरफ आंधी तूफ़ान जैसे स्थिति  हो रही है।।लोगो के मन में भयंकर भय व्याप्त है, सब लोग त्रहिमाम कर रहे है। अचानक से मै एक ऐसे स्थान पे पहुंच जाता हूं, जहा बहुत से लोग हाथ जोर कर एक देवी की मूर्ति के सामने खड़े थे।।वो एक उच्चे पहाड़ जैसे स्थान पर खुले में ही विराजमान थी, उनके एक हाथ में त्रिशूल था और दूसरा हाथ कमर से सटा हुआ था, त्रिनेत्र धारी देवी थी, बाल पूरे बिखरे हुए थे, आंखे बंद थी।।सभी लोग उनसे रक्षा की फरियाद कर रहे थे, सभी उनको प्रसन्न करने या ऐसा कहे के उनको जगाने के लिए मंत्र पढ़ रहे थे।।मै उन्हीं के बीच में चुप चाप खड़ा सबको कोई ना कोई मंत्र पढ़ता देख रहा था और सुनने की कोशिश भी कर रहा था ताकि मै भी उनसे सुन के पढ़ सकु। मुझे उस समय तक माता काली का कोई भी मंत्र वास्तव में याद नहीं था।मेरे भी प्राण संकट में लग रहे थे, मै भी बहुत डरा हुआ था।मुझे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था, ना ही मुझे देवी का कोई मंत्र याद था।।मै डर से बस आंख बंद कर के हाथ जोर के बिना किसी मंत्र जाप के , बस लगातार, जय मां काली, जय मां काली, जय मां काली जय मा काली बोले जा रहा था।।थोड़ी ही देर हुए थे, की उन्होंने एक साथ तीनों नेत्र खोल दिए और मेरे तरफ देखने लगी। बाकी सब लोग वैसे ही मंत्र पढ़ रहे थे उन्लोगो को कुछ भी पता नहीं चल रहा था।, मै बस जय मां काली , जय मां काली,भय से बोले जा रहा था।उतने भयानक रूप में भी इतनी करुणा , इतनी ममता, इतना प्यार था, के मेरे आंखों में आज भी आंसू आ जाते है याद कर के।(मै बहुत रोया था सपने से जागने के बाद भी)वो तुरंत मेरे पास चली आई हवा मै ही, मुझे अपने गोद में ले लिया। उस समय मै एक नन्हे से बालक के रूप में उनके गोद मै था, क्या सुखद अनुभूति थी जगदम्बा की।।और वैसे ही हवा में उड़ती हुई मेरे घर में मुझे छोड़ के चली गई।।मैंने उनको स्पष्ट रूप से देखा था।।वो करुणामयी थी, भक्तवत्सला , जगदम्बा।।
इसके बाद बाद भी माता काली मेरे सपने में बहुत बार आ चुकी है। बहुत सारे स्वप्न है।। अगर आप बाकी के स्वप्नो के बारे में लिखने बोलेंगे तो मै जरूर सारे स्वप्न अनुभव जो कि माता काली से संबंधित है, लिख के भेजूंगा।।२) गुरू जी मेरा प्रश्न ये है, मैंने बचपन से अभी तक भगवान श्री विष्णु की आराधना की है, लेकिन मुझे कभी उनके दर्शन सही से क्यों नहीं हुए??
माता काली ही मेरे सपनों में क्यों आती है जबकि मैंने ऐसे कोई पूजा साधना कभी नहीं की है??बस आते जाते मंदिर में प्रणाम करता हूं, कभी कभी ही माता काली के मंदिर गया हूं?ऐसा क्यों हो रहा है??कृपया मार्गदर्शन करे?

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