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पूर्वजों का सच्चा आसुरी तंत्र प्रयोग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज एक अनुभव लेंगे साथी साथ ऐसे गोपनीय आसुरी तंत्र के बारे में पीडीएफ भी दूंगा जिसका प्रयोग केवल विशेष अवस्था में ही आप करें। क्योंकि ऐसा करने पर आपके शत्रु का निश्चित नाश हो जाता है।

और साथ ही साथ इस अनुभव की कथा को भी आपको सुनाया जाएगा।

चलिए पढ़ते हैं पत्र को और जानते हैं कि इनके पूर्वजों के साथ क्या घटित हुआ था?

अनुभव पत्र– नमस्कार गुरु जी और धर्म रहस्य चैनल को देखने वाले। सभी दर्शकों को मेरा नमस्कार! मैं अपना नाम और पता इसलिए नहीं बताना चाहता क्योंकि? हमारे समाज में। इसे एक षड्यंत्र की तरह देखा जाएगा। लेकिन क्योंकि हमारे ही पूर्वजों में। ऐसा कुछ घटित हुआ था इसलिए! बताना भी आवश्यक है। गुरु जी से मेरी प्रार्थना है मेरी ईमेल और नाम इत्यादि के विषय में सारी बातों को गोपनीय ही रखा जाए।

साथ ही साथ यह एक सत्य घटना है और इसकी समस्त जिम्मेदारी मैं लेता हूं।

गुरुजी! आज से बहुत! वर्ष पहले की बात है जब अंग्रेजों का शासन था। उस दौरान अंग्रेजों ने जमीदारों को बहुत सारे हक दिए थे। वह अपनी जमीदारी प्रथा में किसानों का बहुत अधिक शोषण करते थे।

उनसे लगान वसूली जमीदार ही करते थे। लेकिन सारा टैक्स! कलेक्ट कर के सारा अंग्रेजों को पहुंचा दिया जाता था।

एक बार मेरे ही पूर्वज जो कि हमसे शायद दो या तीन पीढ़ी पहले रहे होंगे शायद मेरे परदादा लगेंगे।

वह लकड़ियां काटकर। हमेशा घर लाते थे और कुछ लकड़ियां मंदिर में दान अवश्य करते थे।

क्योंकि उनका ऐसा सोचना था कि हवन के लिए अगर लकड़ी मंदिर में दी जाए तो उसका पुण्य परिवार वालों को भी मिलता है। उन्होंने यही सोचकर हमेशा यह कार्य किया।

वह जंगल में जाते और केवल पेड़ों की सूखी डालिया ही काटते और नीचे पड़ी हुई लकड़ियां ही इकट्ठा किया करते थे।

एक दिन। बरसात के समय में उन्हें कहीं भी।

सूखी लकड़ी दिखाई नहीं दे रही थी।

लकड़ी ना मिलने के कारण वह जंगल से एक बाग की ओर निकल गए। जो बाग! एक जमीदार का था जो वहां का स्थानीय व्यक्ति था और बहुत ही अधिक शक्तिशाली था उसकी बाग में कुछ ऐसे पेड़ थे जो सूख गए थे। और उनको काटकर के लकड़ी लाई जा सकती थी।

मेरे इस पूर्वज ने सोचा कि क्यों ना मैं लकड़ी काटकर? अपने परिवार के लिए लेकर जाऊं और साथ ही साथ मंदिर में भी इसे दान कर दूंगा।

यही सोचकर उन्होंने! उनके बाग से एक पेड़ की बहुत सारी शाखाएं तोड़ डाली।

और उन्हें लेकर मंदिर पहुंच गए।

जमीदार वहीं से गुजर रहा था। उसने यह सारी हरकत देख ली।

और वह बहुत अधिक क्रोधित हो गया।

उसने मेरे इस पूर्वज पर दादा को। बुलाया और कहा कि तूने मेरी बिना आज्ञा के यह कार्य कैसे किया है? उसने अपने कुछ गुंडों को बुलवाकर मेरे परदादा को बंधवा दिया और फिर कोड़ों की मार उन पर बहुत लगाई।

यह सब बातों से पंडित जी जिन्हें मेरे परदादा लकड़ी दिया करते थे। बहुत अधिक क्रोधित हो गए। उन्होंने जमीदार को रोकने की कोशिश की। लेकिन जमीदार ने पंडित जी को भी पकड़ कर उनको भी कोड़ों की मार लगवाई।

इस बात से पंडित जी को बहुत अधिक क्रोध आ गया। उन्होंने स्थानीय सभी लोगों को इकट्ठा किया। लेकिन जमीदार के खिलाफ बोलने की क्षमता किसी में भी नहीं थी।

उन्होंने अंग्रेजों को भी इस बारे में बताया। लेकिन अंग्रेज भला! साधारण व्यक्ति का साथ क्यों देते उल्टा उन्होंने भी? गांव वालों को डरा धमका कर भगा दिया।

इससे जमीदार की हिम्मत और बढ़ गई और जमीदार ने मंदिर में रखी हुई। माता लक्ष्मी की एक सोने की प्रतिमा भी उठा कर अंग्रेजों को दे दी।

इससे गांव वाले अब और भी क्रोधित हो गए। जमीदार धीरे-धीरे धर्म परिवर्तित करता जा रहा था। इसी कारण से उसे हिंदू देवी देवताओं में कोई दिलचस्पी नहीं रहा था।

इसी कारण से वह ऐसी हरकतें करने लगा। उसे रोकने का कोई और रास्ता नहीं था। तब पंडित जी ने मेरे इस पूर्वक परदादा को बुलाया। और उनसे कहा, अगर आप आसुरी तंत्र प्रयोग करेंगे? तो अवश्य ही इसका नाश संभव है।

अन्यथा यह हम पर ऐसे ही। बुरे प्रयोग करता रहेगा और हम को बर्बाद कर देगा। हमारी पूजा पद्धति नष्ट कर देगा। गांव में तो इसका आतंक है कि अपनी इच्छा अनुसार किसी की भी बहू बेटी को अंग्रेजों के यहां पहुंचा देता है। इसी कारण से रात में कोई स्त्री गांव से बाहर निकलती तक नहीं।

उसकी इस प्रकार की हरकतों से परेशान गांव वाले उसका कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे थे। इसी कारण से पंडित जी ने। मेरे परदादा को यह गोपनीय आसुरी तंत्र विद्या का प्रयोग सिखाया।

यह मिश्र तंत्र से आता है। इस तंत्र के द्वारा किसी भी बड़े से बड़े प्रबल शत्रु का केवल 2 दिनों में ही। नाश किया जा सकता है।

इसकी विधि मैं आपको भेज रहा हूं और इसे आप प्रकाशित भी अवश्य कर दीजिएगा।

इसके बाद उन्होंने साधना के लिए सबसे शुभ और शक्तिशाली रातों यानी कि। दिवाली की चौदस और अमावस्या का चयन किया। दो ही दिन में उन्होंने लगातार जाकर सिद्ध करने की कोशिश की। और इसके लिए उन्होंने! जो साधना क्षेत्र चुना वह भी शमशान था।

क्योंकि पंडित जी के अनुसार भयंकर प्रयोगों में। आपको घर से ऐसे मारण प्रयोग नहीं करनी चाहिए। क्योंकि ऐसा करने पर उस घर पर बुरी शक्तियां आकर निवास करती हैं इसी कारण से। तामसिक क्षेत्र का ही चुनाव करना चाहिए।

उन्होंने! विभिन्न प्रकार से इस मंत्र को सिद्ध करके। क्योंकि इसका पुरश्चरण केवल 10000 मंत्र है। 2 दिन में ही इसका पूर्ण सिद्धि करण कर लिया। दशांश हवन करने के बाद में अब बात थी इसका प्रयोग करने की। लेकिन उन्होंने अभी भी यह सोचा कि चलो एक बार यह करके देखते हैं कि उसे समझाते हैं। अगर अभी वह नहीं माना तो मैं इसका भीषण प्रयोग कर दूंगा। उन्होंने राई का पंचांग लेकर उसे अभिमंत्रित कर। सर्वप्रथम वशीकरण प्रयोग किया।

सारे लोग उसकी बात को समझने लगे लेकिन?

वह टस से मस नहीं हुआ। उसने प्रतिमा वापस करने के बारे में मना ही कर दी। वशीकरण कार्य तो कर रहा था लेकिन पूरी तरह नहीं। इसीलिए उन्हें अब इसी मंत्र का भीषण प्रयोग करने की सोची। उन्होंने राई से प्रतिमा बनाकर। दाहिने पैर से सिर तक तलवार से उसके 108 टुकड़े किए। उनसे फिर हवन किया और उसके बाद विभिन्न प्रयोगों को करने लगे। इसका प्रयोग का असर इस तरह हुआ कि शत्रु ज्वर से पीड़ित हो गया।

यानी कि उसे तेज बुखार आ गया।

और अधिक क्रोध में भरकर इन्होंने जब आगे का प्रयोग किया तब उनके शरीर पर फोड़े पैदा होने लगे।

इससे उस जमीदार को बहुत अधिक कष्ट होने लगा। किंतु फिर भी उसने वह मूर्ति वापस नहीं की।

इन्होंने फिर एक बार फिर से प्रयोग किया। इससे उसे दिन में भी अंधकार साथ दिखने लगा।

यह बात पता नहीं कैसे जान गया कि उस पर तंत्र प्रयोग किया जा रहा है?

और उसने? ब्राह्मण की हत्या करवा दी।

क्योंकि वह यह सोच रहा था कि किसी ब्राह्मण ने सारा तंत्र प्रयोग शायद उस पर करवाया है।

ब्राह्मण की हत्या से क्रोधित हुए मेरे परदादा अब।

अत्यधिक क्रुद्ध हो गए थे। उनके पास अब कोई और विकल्प नहीं था इसकी हत्या करने के लिए।

और उन्होंने फिर वही प्रयोग कर दिया जिसको करने के लिए मनाही की जाती है। उन्होंने इस मंत्र का प्रयोग किया। केवल 3 दिनों में ही जमीदार की मृत्यु हो गई।

इस प्रकार से उन्होंने अपना बदला भी ले लिया और साथ ही साथ अपने ब्राम्हण मित्र का भी बदला ले लिया।

वही विधि विधान में आपको भेज रहा हूं। लेकिन दर्शकों से! कुछ बातें स्पष्ट रूप से कह देना चाहता हूं। इस प्रयोग को। किसी? सात्विक व्यक्ति किसी ब्राह्मण?

किसी कमजोर व्यक्ति पर कभी ना करें। साथ ही मां दुर्गा के उपासक, भगवान शिव और भगवान विष्णु के उपासक ऊपर भी इसका प्रयोग करना मना है ऐसा करने पर अगर वह आप से अधिक शक्तिशाली हुआ तो शक्ति आप पर वापस लौट कर आ सकती है। और आप की भी मृत्यु हो सकती है या जो प्रयोग आपने उस पर किया होगा वही पलट कर आप पर भी आ जाएगा। इसलिए जब तक शत्रु आप की हत्या ही ना करने वाला हो या बहुत अधिक बुरा ना कर रहा हो और आपका कोई दोस्त ना हो तब तक इस प्रयोग को ना करें।

गुरुजी नीचे मैंने सारा प्रयोग बता दिया है। कृपया इसे आप अपने इंस्टामोजो अकाउंट पर बाकी तंत्रों की तरह डाल सकते हैं।

नमस्कार गुरु जी!

संदेश – देखिए यहां पर इन्होंने विशेष तरह के आसुरी तंत्र प्रयोग को भेजा है। जिससे प्रयोग को करने पर निश्चित रूप से शत्रु की हानि होती ही है तो यहां पर अपनी इंस्टामोजो अकाउंट में डाल दिया है और इस प्रयोग को आप अवश्य ही तब करें जब लगे कि आपका शत्रु। आपके समझाने बुझाने यह किसी भी प्रकार से बुरा कर्म करने के फलस्वरूप। फिर भी आपकी कोई गलती ना होने पर भी आपको दंड दे रहा है और पहले ही क्षमा प्रार्थना देवी देवताओं से कर लें। तभी ऐसा प्रयोग करें क्योंकि ऐसे आसुरी प्रयोगों का प्रभाव अवश्य पड़ता है और शत्रु के ऊपर अवश्य संकट आ जाता है।

तो किसी को बुरा ना चाहते हुए सिर्फ आप ज्ञान के लिए इसको ले सकते हैं लेकिन प्रयोग तभी करें जब परिस्थितियां आपके नियंत्रण में कभी ना हो। आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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