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प्राचीन यमराज की दुर्लभ साधना

नमस्कार दोस्तो धर्म रहस्य पर आपका एक बार फिर से स्वागत है आज मैं बात करूंगा एक ऐसे विषय पर और एक देवता के बारे में जिन्हें मृत्यु का देवता कहा जाता है । यमराज का जाता है । यमराज को मृत्यु के देवता के रूप में बहुत समय से माना जाता है इनका संबंध नियति के देवता से है, वेदो में इन्हें धर्मराज कहा जाता है । मृत्यु के बाद यह सभी को उसके कर्मो का फल देते हैं । कर्म फल जो आपके कर्मों का विधान के अनुसार आपकी मृत्यु पर आपके लिए उचित लोको की जो एक नियमावली की तैयारी है । इसके संबंध में इनका विवरण जाना जाता है और माना जाता है वेद में भी इनकी बहन नियम हैं और यह भैंसे पर बैठते हैं और महिष वाहन सवार हैं और अपने हाथ में मृत्यु का डंडा पकड़ते हैं ।

ये दिग पालो में माने जाते हैं दिग पाल का मतलब इनको एक लोक दिया गया है अपनी शासन व्यवस्था चलाने के लिए । परमात्मा के द्वारा इनको एक लोक प्रदान किया गया है मृत्यु के रूप मे यह दिगपाल हैं इनके बहुत सारे नाम है इन्हे धर्मराज कहते हैं मृत्यु कहते हैं काल का देवता जैसे नामांतरित हैं इन्हें नंद कहते हैं व्यवस्थ कहते हैं काल कहते हैं, चित्रगुप्त चित्र, इस तरह से इनके बहुत सारे नाम यमराज की पत्नी देवी धुमोरना थी। कतिला यमराज व धुमोरना का पुत्र था। मैंने ने आपका इनके परिवार का परिचय करवा दिया इनके जो पुत्र है वह भी मंत्र कर्ता है उनकी भी पूजा की जाती है । इनको अलग से हविष्य भी प्रदान किया जाता है इनका अलग लोक जैसे  यमलोक हैं मरने के बाद सभी को यमलोक जाना होता है वहां जाने के बाद ही व्यक्ति के शुभ और अशुभ कर्मो का फल प्रदान करने के बाद उन्हें स्वर्ग या नरक में भेजा जाता है यह धर्म पूर्वक विचार करते हैं इसलिए इन धर्मराज भी कहा जाता है ।

युधिष्ठिर को भी धर्मराज कहा जाता था महाभारत काल में क्योंकि धर्मराज के अँश  के रूप में जन्मे थे ।  स्मृतियों मैं 14 प्रकार के यम का वर्णन है ।मार्कंडेय पुराण मैं इनका वर्णन आता है । कहा जाता है कि जब विश्वकर्मा की पुत्री संध्या ने अपने पति सूर्य को देखकर डर के कारण आंखें बंद कर ली, इस पर क्रोधित होकर सूर्य र्देव ने अपनी पत्नी को श्राप दिया कि तुम्हें जो पुत्र उत्पन्न होगा वह सबका विनाश करने वाला होगा । इसके बाद जब संध्या ने उन्हें चंचल दृष्टि से देखा तब उन्होंने कहा कि तुम जो कन्या उत्पन्न होगी इसी प्रकार से चंचल होकर नदी की तरह बहा करेगी जिसको हम यमुना नदी कहते हैं । मृत्यु लोक रचना हुई उस समय चार द्वारो मे सात चरणो मे तौरण व्यवस्थित है और अपनी सुरमय  नदियों जो पूर्व और पश्चिम में प्रविष्ट होने वाली पुण्य आत्माओं पुरुषों को यमराज शंख चक्र गदाधारी महा प्रसाद के रूप में व्यक्तियों को दर्शन देते हैं विष्णु अंशा अवतार होने के कारण तो दक्षिण द्वार के पापियों को तप्त लौह द्वार पर क्रूर पक्षीयो द्वारा वैतरणी  नदी पार करने के बाद ही इनके पास पहुंचा जाता है ।

यम द्वार के पास आने पर वह अत्यंत धूम नेत्र वाले धूम्र  वरण वाले मेघ  के समान गर्जन करने वाले ज्वाला धारी बड़े रोम युक्त गदाधारी सडसी जैसे नाकों वाले चर्म वस्त्र धारण करने वाले कोटि  भ्रकुटी  के भेष में यमराज दिखाई पढ़ते हैं । इनके साथ हमेशा दो यम दूत रहते हैं दिवाली पर इनकी भी पूजा  का  विधान है । आज मैं आपको बताने जा रहा हूं कि यमराज की साधना कैसे की जाती है और कैसे इसकी पद्धति है । यह एक आसुरी साधना है इसके संबंध में जो बताया गया है मैं आपको वह बता रहा हूं स्वर्ग और नरक के बीच में सौर मंडल में इनकी शक्ति नकारात्मक से सकारात्मकता की और ले जाने वाली होती है । इनकी साधना से व्यक्ति में ऐसी शक्ति आती है कि वह अकाल मृत्यु से बच जाता है और भयंकर से  भयंकर रोगो से भी इनकी साधना से छुटकारा मिलता है ।

इनकी साधना से व्यक्ति के अंदर का जो भय है वह समाप्त हो जाता है इनकी साधना सदैव नकारात्मक  रूप में होती है पर इनकी साधना का फल हमेशा सकारात्मक ही होता है । रुद्र भगवान की साधना के समान  तीव्रतम विधियों के समान इनकी साधना करनी चाहिए बात करते हैं कि इनकी साधना कैसे की जाती है । इनका मंत्र कौन सा होगा और कौन-कौन सी सावधानियां आपको बरतनी होंगी । इनकी साधना भगवान रुद्र की ही साधना के समान की जाती है, जैसे भगवान  रुद्र साधना की जाती है भगवान भैरव की साधना की जाती है अर्ध रात्रि के समय यानी कि जब आधी रात हो तब इनकी की साधना, किसी भी अमावस्या की रात शुरू कर सकते हैं ।

इसमें जो सामग्री चाहिए होगी उसमे आपको यमराज की मूर्ति के सामने एक सरसो का दीपक जलाना होगा और लाल फूलों से कपूर रक्त चंदन से इनकी पूजा की जाती है और माला भी रक्त चंदन की ही होनी चाहिए । आपको दक्षिण दिशा की ओर ही मुख करके साधना करनी है ताकि उनकी मूर्ति का मुह दक्षिण की ओर  हो इनके मंत्र को आप इस प्रकार से जपेगे इनका मंत्र इस प्रकार है।

मँत्रः। ॐ  क्रं क्रां क्रिं क्रों ह्रिं क्रीं क्रीं फट स्वाहा।। 
इसका आपको जाप करना है आप यमराज की पूजा करेंगे उसके बाद आप घी भैंस लाल फूल जावित्री लॉन्ग आदि मिलाकर आपको हवन करना है और उस समय आपको ध्यान करके इनके मंत्र से मन में इनकी पूजा करनी है । इनका ध्यान करना है कि भैस पर बैठे हुए तीव्र प्रकाश युक्त भयंकर रुप वाले विशालकाय रुप का ध्यान करना है और इनकी साधना करनी है । कहते हैं कि 108 मंत्र जाप करके ऐसा आपको 108 दिन तक करना होता है 108 मंत्र जाप करना होता है इनकी साधना से चमत्कारिक शक्तियां प्राप्त हो अकाल मृत्यु चल जाती है और भयंकर से भयंकर रोग का नाश होता है । इस साधना से आपके पास ऐसी शक्ति आ जाती है कि आपके चाहने मात्र से किसी भी व्यक्ति की मृत्यु रोग शोक सब कुछ का नाश कर सकते है । इतना ही नहीं अगर आप चाहे तो किसी की मृत्यु भी करा सकते हैं और आप चाहें तो उसको बचा भी सकते हैं ।

मृत्यु, ऐसा करने से भला नहीं होता सभी लोग जानते हैं कि गलत प्रयोग करने से गलत ही होता है ।हमारे साथ और शत्रु और आसुरी शक्तियां कभी भी हमारा अनिष्ट नहीं कर पाती अगर किसी ने आप पर  मारण प्रयोग भी किया है तो आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा । इसमें आपको सावधानी क्या रखनी है साधना काल में किसी भी प्रकार से आपका ब्रहमचर्य नष्ट नहीं होने देना 108 दिन तक धूम्रपान आलस से भरा  भोजन बिल्कुल नहीं करना हैं। भोजन सर्दी युक्त हो उसे भी नहीं खाना  आपको जब वर्षा ऋतु होती है 4 महीने की, तब आपको इनकी साधना नहीं शुरू करनी है । चैत्र वैसाख नवरात्रि अमावस्या उपयुक्त है । जब आप इनकी साधना करेंगे तब आप सौफ  का शरबत पीयेंगे तो बहुत ही उचित होगा । आपके लिए साधना काल में आपको अनेक तामसी शक्तियां डर देंगी पर आपको भय नहीं करना है ।

इसमें आपको ऐसी-ऐसी आत्माए दिखाई देंगी जो यमलोक में रहती हैं तो आप इसी से अनुमान लगा लीजिए कि स्थिति कितनी भयानक हो सकती है । आपको डरना नहीं है अपने चारों तरफ सुरक्षा घेरा बना लेना है और किसी भी हाल में इस साधना को अधूरा नहीं छोड़ना है । संकल्प लेने के बाद आपको पूरी सिद्धि प्राप्त करना आवश्यक है । यह सभी साधनाओं के लिए धारणीय बात है साधना को आप किसी भी हाल में अधूरा नहीं छोड़ेंगे क्योंकि यह मौत के देवता की साधना है ।इस साधना के बाद आप किसी भी व्यक्ति को देखकर बता सकते हैं कि उसकी मृत्यु कब होगी । इससे आपको मृत्यु  का ज्ञान हो जाता है कि इतने बजे इतने मिनट पर इस दिन उस इंसान की मृत्यु हो जाएगी ।

आप सब जान जाएंगे पर किसी को नहीं बताना है पब्लिक मे किसी को नहीं बताना जिसकी मृत्यु निश्चित है उसको अपनी  सिद्धि से डराने की कोशिश नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने पर आप किसी भी जान बचाने भी संभावना होती है क्योंकि जिसकी मृत्यु आप टाल तो सकते हैं पर इससेआपकी सिद्धि चली जाएगी अगर आपको कोई शारीरिक कष्ट हो या बीमारी हो तो यह साधना ना करे और स्त्रियों को भी अगर कोई मासिक धर्म है तो यह साधना वर्जित मानी जाती है । कष्ट समाप्त होने पर वह फिर से साधना शुरू कर सकती है यानि उतने दिनों तक साधना छोड़ दे । पेट वगैरा इसमें साफ रखिए शुद्धि में भुनी हुई हरण और बहेडे  का इस्तमाल आपको करना चाहिए तो इस प्रकार से जब आप इन के मंत्र का जाप करेंगे तो आपको तीव्रता के साथ सफलता मिलेगी आज मैंने आप लोगों को अत्यंत गोपनीय यमराज की साधना बताई है धन्यवाद।।

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