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प्रेत शक्ति और हनुमान भक्ति भाग 3

गुरूजी प्रणाम, प्रेत शक्ति और हनुमान भक्ति का तीसरा भाग…दिल्ली से मेरी लड़की के साथ उसके ससुर, दामाद और उनके बड़े भाई आए थे वो भी आकर सच्चाई जानने की अपने तरीके से कोशिश करने लगे बार 2 उससे सवाल करते की कौन है वो और इस लड़के को क्यूं परेशान कर रहा है वो उनके हर सवाल का जवाब अपने तरीके से सही दे रहा था, फिर उन लोगों ने उससे पूछा कि उसने फांसी क्यों लगाई थी कोई भी परेशानी थी तो अपने भाइयों से कहता या घर में किसी और से कहता कोई तो तेरी बात समझ कर तेरी समस्या का समाधान करता क्यों तूने यह फांसी लगाने का गलत निर्णय लिया किन्तु वह कुछ नहीं बोलता सिर्फ यही कहता मेरे से कोई भी प्यार नहीं करता मैंने यहां आकर गलत किया आप अजय भाई को बचा लो ये बहुत खतरनाक हैं, उससे यह भी पूछा कि उसके मन में फांसी लगाने का ख्याल कब आया और फांसी लगाने वाली प्लास्टिक की डोरी वह कब लाया, उसने बताया फांसी लगाने का उसके मन में काफी पहले से विचार चल रहा था क्योंकि आप लोगों में से कोई भी मेरे से प्यार नहीं करता और फांसी लगाने वाली डोरी उसने वह चुपके से उस दिन खरीद ली थी जिस दिन(17 नवंबर 2018 वाली रात) आप लोगों के साथ शादी के कपड़े लेने के लिए शॉपिंग करने को गया था, जब वह इस बात से संतुष्ट हो गए की यह राज ही है और इसके साथ कोई और भी है(बात करते हुए वह बीच 2 में अपनी उपस्थिति का अहसास दिला देता था)अपने यहां आए रिश्तेदारों के लिए मैंने अपने छोटे पुत्र से खाने के लिए मुर्गे का गोश्त और एक इंग्लिश की शराब की बोतल मंगवा ली थी, खाना बनने के पश्चात मैं और मेरे समधी शराब पीने के लिए बैठ गए शराब पीने के दौरान उनका बड़ा पुत्र भी हमारे साथ पीने के लिए बैठ गाय इसी दौरान उनका बड़ा पुत्र बोला मौसा जी आप अजय को राजस्थान स्थित बालाजी मंदिर ले जाओ यह वहां पर पूर्ण रूप से ठीक हो जाएगा, मैंने उनसे कहा यह सब तो ठीक है परन्तु मेरे मन में एक बार इसको उस मनोचिकित्सक से दिखाने का विचार है जिस से विजय(करीब 3-4 वर्ष पूर्व मेरा छोटा पुत्र दिमागी रूप से बीमार हो गया था) ठीक हुआ था तो वे कहने लगे कि उसको बाद में दिखा लेना या दिखाना ही जरूरी है तो इसको अभी दिखा देते हैं मैंने उनसे कहा कि वो तो शाम को 6.00 बजे के बाद बैठता है, फिर तय हुआ की शाम को इसको उसी मनोचिकित्सक के दिखाने के पश्चात ही कुछ सोचेंगे, फिर मैंने खाना खाने के पश्चात अपने समधी से कहा कि आप भी तो कभी ऐसे भूत प्रेत ग्रस्त(मेरे समधी पूर्व में ये भूत प्रेत ग्रस्त पीड़ितों को देखा करते थे किन्तु यह सब कार्य उन्होंने अब बंद कर दिया था) लोगों का इलाज किया करते थे आप भी देख कर देखो शायद कुछ बात बन जाएं इसके पश्चात वो भी अपने तरीके से लड़के को देखने लगे किन्तु उनके ऐसा करने पर तो लड़के के अंदर बैठी उस आत्मा ने अपना उग्र रूप दिखाना शुरू कर दिया जोर 2 से चिल्लाना और लंबी 2 जीभ निकालना तो वह पहले ही कर रहा था अब वो जोर 2 से अपने हाथों से अपनी छाती को भी पीटने शुरू कर दिया और उसके अंदर बैठी वो बुरी आत्मा जोर 2 से कहने लगी ले जाऊंगा – ले जाऊंगा यह सब देख कर मेरे समधी ने अपना वह कार्य बंद कर दिया और कहने लगे काफी दिन हो गए यह कार्य बंद किए अब मेरे से नहीं हो रहा, लड़के के जोर 2 से छाती पीटने और बार 2 ले जाऊंगा – ले जाऊंगा कहने पर घर के सभी सदस्य अब और भी ज्यादा घबरा गए यह सब देख शराब के नशे में मैंने अपना आपा खो दिया और 2 – 3 लड़के के गाल पर जोर से थप्पड़ लगा कर बोला साले जिंदा रहकर तो तू कुछ कर नहीं सका अब मर कर शेर बन रहा है साले कर के दिखा, थप्पड़ खा वह आत्मा शांत हो गई तब मैंने लड़के को तसल्ली दी की वह घबराए नहीं सब ठीक हो जाएगा, कुछ देर शांत बैठने के पश्चात लड़का फिर वही हरकतें करने लगा अब उसकी यह हरकतें जोर 2 से चिल्लाना, जीभ निकालना और अपने दोनों हाथों से अपनी ही छाती को जोर 2 से पीटना और बार 2 यह कहना कि ले जाऊंगा – ले जाऊंगा ज्यादा ताकत के साथ होने लगी यह सब देख कर घर के सभी सदस्य अब और ज्यादा घबरा कर रोने लगे इसी बीच मेरी शादी शुदा लड़की मेरे दामाद से उनके रिश्ते के बहनोई(कुछ समय पूर्व इनकी दो वर्षीय पुत्री को ऊपरी हवाओं का चक्कर हो गया था तो ये लोग स्थानीय बालाजी के भगत के साथ राजस्थान स्थित बालाजी मंदिर गए थे तब से वह लड़की पूर्ण रूप से ठीक थी) का मोबाइल नंबर ले कर.उनसे बात करने लगी, बात करने के पश्चात जैसा उन्होंने बताया वैसा ही करने के लिए मेरे से कहने लगी तब मैंने लड़की से कहा कि यह सब काम अब मैं नहीं कर सकता क्योंकि मैंने इस समय शराब पी रखी है यह सब काम अब तू ही कर दे मेरा ऐसा कहने पर लड़की ने जैसा दामाद के रिश्ते के बहनोई ने जैसा कहा था वैसा ही कर दिया…एक सवा हाथ का लाल कपड़ा ले कर उसमे एक पानी वाला नारियल दुकान से मंगाकर उस नारियल को लाल कपड़े में बांधने के पश्चात हनुमानजी को आव्हान कर लड़के के पूरे शरीर से 7 बार क्लॉकवाइज उतार कर हनुमानजी से यह मनोती मांग ली कि भगवान हनुमानजी आप मेरे भाई को ठीक कर दो हम आपके नियमानुसार(घर में मांस, शराब, प्याज, लहसुन आदि का सेवन नहीं करेंगे) घर पर नित्य पूजा सेवा करेंगे और आपके दर्शन करने को आपके बालाजी धाम आ रहे हैं, यह काम करने के पश्चात मेरी लड़की ने हनुमानजी में नियमों जैसे: शराब, मांस, प्याज व लहसुन का घर में 40 दिन तक या जब तक लड़का ठीक ना हो प्रयोग बंद करने तथा हनुमानजी की सुबह शाम नाह धोकर पूजा सेवा भाई अजय या घर के किसी भी सदस्य से करने को कहा, इसी तरह शाम हो गई फिर दामाद द्वारा तय हुआ की पापा(मेरी तसल्ली के लिया) की तसल्ली के लिए एक बार अजय को उस मनोचिकित्सक को दिखा देते हैं उसके बाद सीधे दिल्ली जा कर अपने पापा को घर के रास्ते में उतार कर सीधे बदरपुर होते हुए बालाजी धाम को निकलेंगे..मनोचिकित्सक के क्लिनिक पर ना मिलने और मेरे द्वारा शराब पी लेने के कारण मुझे और मेरी शादी शुदा पुत्री को घर पर ही छोड़ कर मेरे दामाद अपने पापा और अपने बड़े भाई के साथ मेरे प्रेत ग्रस्त लड़के को साथ ले कर दिल्ली होते हुए बालाजी धाम को निकल लिए साथ में मेरे छोटे लड़के विजय को भी साथ ले गए कि कोई दूसरा भी मेरे(दामाद) अतिरिक्त गाड़ी चलाने वाला होना चाहिए, मेरे प्रेत ग्रस्त पुत्र का वहीं हाल था जोर 2 से चिल्ला कर जीभ निकालना, रास्ते में दोनों भाइयों ने अपने रिश्ते के बहनोई(जिन से मेरी लड़की ने फोन पर बालाजी के बारे में पूछा था तथा जिनकी दो वर्षीय पुत्री भी बलाजा धाम जाने के पश्चात ठीक हुई थी) को नोएडा से अपने साथ ले लिया, बदरपुर पहुंचने से पूर्व एक बार फिर जाने का प्लान चेंज हुआ तय हुआ कि अगर पापा जी को घर के रास्ते में छोड़ते हैं तो राज की आत्मा का भी पापा के साथ घर जाने का खतरा बराबर बना रहेगा अगर यह आत्मा घर पहुंच गई तो जैसे अजय को परेशान कर दिया है वैसे ही किसी घर के अन्य सदस्य को भी परेशान ना करने लगे, दामाद के बहनोई ने कहा कि संगम विहार से बालाजी के भगत और पापा दोनों को साथ ले कर बालाजी धाम को निकालते हैं, रास्ते में जाते हुए कई दफा ये लोग रास्ता भटके(इन्हीं आत्माओं के कारण या स्वयं ही)बालाजी को याद करते ही जल्द ही सही रास्ता मिल जाता और सुबह तक जैसे तेसे आखिर पहुंच ही गए बालाजी धाम.बालाजी मंदिर में पहुंचते ही मंदिर के रास्ते में लड़के का बेहोश हो जाना, मंदिर में जा कर जोर 2 से चिल्लाना, मंदिर में सर पर उस आत्मा की सवारी आ कर खेलना, यह सब हर प्रेत ग्रस्त इंसान के साथ होता है और मेरे लड़के के साथ भी हुआ और अगले दिन मेरे दामाद मेरे लड़के को ले कर दिल्ली रवाना हो गए हम दोनों में तय हुआ कि इस रात के समय तक वो सरिता विहार की मार्केट में पहुंच जाएंगे और मैं अपनी गाड़ी से अपनी शादी शुदा लड़की और उसकी पुत्री को ले कर उस तय जगह पर पहुंच जाऊंगा, ऐसा इस लिए तय हुआ था कि अगर हम दोबारा से लड़की के यहां गए तो ऐसा ना हो वहां पहुंच कर और कोई बुरी आत्मा लड़के के साथ ना लग जाए, मैं अपनी पत्नी और पुत्री को साथ ले कर दिल्ली जा कर अपने लड़के को देर रात तक घर आ गया,(घर पहुंचने से पूर्व रास्ते में मैंने अपने पीने के लिए शराब ले ली थी जिस को रास्ते में पी गया) गुरुजी घर पहुंचने के कुछ समय बाद मेरा छोटे लड़के के साथ मामूली झगड़ा हो गया मैं उसको दो चार गालियां दे कर दूसरे कमरे में सो गया, सुबह पत्नी ने बताया कि रात को पहले छोटी लड़की इसी तरह खेलने लगी जैसे अजय खेलता था फिर बड़ी लड़की भी खेलने लगी फौरन अजय के सर पर बाबा हनुमानजी की सवारी आ गई तब का कर ठीक हुई कुछ देर बाद छोटा लड़का विजय भी ऐसा करने लगा फिर दोबारा अजय पर बाबा की सवारी आ गई वो सही हुआ तो मैं भी ऐसी हो गई.फिर मां (मेरी 90 वर्षीय बुजुर्ग मां) ने बाबा से जोर 2 से रोते हुए बाबा से प्रार्थना की कि बाबा यह सब क्या हो रहा है हमारे घर में तब फिर से अजय पर बाबा की सवारी आई तब मैं ठीक हुई, पत्नी ने रोते हुए कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं ये बुरी आत्मा घर से अजय के साथ बालाजी गई ही ना हों या फिर गई हों तो रास्ते में ही कहीं रुक गई हों मंदिर में ना गई हो, ऐसा सुनकर मेरा दिमाग भी चकरा गया कि साला अब क्या होगा, फिर मैंने बड़ी मुश्किल बड़े लड़के को जगाया कहा स्नान कर हनुमानजी की आरती कर ले और मैं भी तैयार हो जाता हूं, मैं तैयार हो कर लड़के को तैयार करवाने लगा जैसे तेसे लड़का तैयार हो कर धूप और दिया जलाकर आरती करने लगा तब ही लड़का बेहोश हो कर गिर पड़ा(गनीमत थी लड़का चारपाई अर्थात बेड पर नहीं सो रहा था वहीं फर्श पर कपड़े बिछा कर सो रहा था जिस कारण ओढ़ने वाली रजाई(कम्बल) वहीं पर पड़े थे जिन पर वो बेहोश हो कर गिरा था नहीं पक्का फर्श होने के कारण उसका सर ही फट जाता) हम सभी लोग डर गए घर में सभी रोने लगे तब मैंने किसी तरह गुस्से से सभी को चुप कराया और लड़के को होश में लाने लगा काफी देर हो गई परन्तु वह होश में नहीं आया तो सभी बाबा को याद करने लगे और कहने लगे की बाबा आओ – बाबा आओ, जहां बाबा रात में खुद ही बार 2 आ रहे थे इस बार तो घर के सभी सदस्यों के रोने धोने और आग्रह करने पर भी नहीं आ रहे थे, करें तो क्या करें कुछ समझ नहीं आ रहा था.

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