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प्रेत शक्ति और हनुमान भक्ति भाग 5

गुरुजी प्रणाम, गुरुजी प्रेत शक्ति और हनुमान भक्ति का पांचवा भाग…गुरुजी मौलवी द्वारा बताई गई पर्चियों की प्रक्रिया(एक पर्ची को गिलास के पानी में डाल कर पिलाने और दूसरी पर्ची को सर पर मल कर उसको घर के बाहर जलाने) को पत्नी द्वारा करते छोड़ कर मैं तो शराब पीने बाहर चला गया, टेंशन जो काफी हो गई थी करीब एक घंटे बाद घर आ कर देखा तो लड़का धीरे 2 खुद ही बुदबुदा रहा था कि अब बाबा नहीं आयेंगे और आंखों से उसके धीमे 2 आंसू भी निकल रहे थे सब उसके आस पास खड़े होकर उसको दिलासा दे रहे थे कि बाबा जरूर आयेंगे भैय्या तू अपनी पूजा कर ले, मैंने आ कर पूछा कि क्या हुआ तो बच्चों ने बताया कि जब से आया है बस यही बात बुदबुदा रहा कि अब बाबा नहीं आयेंगे मैं भी उसको ऐसा करते हुए देखता रहा…गुरुजी मेरी समझ नहीं आया कि लड़का स्वयं ही अफसोस कर रो रहा है या उसके अंदर बैठी कोई आत्मा उससे ऐसा करा रही है क्योंकि लड़का पूर्ण रूप से बेहोश था और उसी अवस्था में बुदबुदा रहा था यह सब देख कर मेरा सर चकरा गया कि अब इसको यह क्या हो गया अब कोन सी नई मुसीबत आने वाली है, मैं यह सब देखता हुआ वहीं पर शराब के नशे में खाट(बेड) पर बैठ कर और बीड़ी पीने लगा, बीड़ी अभी खत्म भी नहीं हुई थी लड़का “जय श्रीराम – जय श्रीराम” करने लगा यह सब सुनकर सब के मुरझाए चेहरे खिल उठे और कहने लगे कि बाबा आप कहां चले गए थे, किसी को कोई जवाब ना दे कर वह करीब 2 मिनट जय श्रीराम – जय श्रीराम का नारा..लगाकर वापस चले गए उसके पश्चात लड़के की पूजा उसके आस पास खड़े हो कर पत्नी और बच्चों ने पूरी कराई, सुबह मेरे उठने पर पत्नी ने कहा कि आप दिल्ली लड़की से बात कर लो मैंने कहा कि क्या बात हो गई तो उसने कहा कि आप ही पूछ लो तब में स्नान आदि कर लड़की से फोन मिला कर बात की लड़की ने पूछा कि आप लड़के को किसी मौलवी के पास ले गए थे तो मैंने हां कहकर पूछा कि क्या बात हो गई तो उसने बताया कि जब मम्मी ने रात में बताया था कि आप किसी मौलवी के पास ले कर गए हैं तो उसने नोएडा स्थित अपने ननदोई (जो लड़के के साथ बालाजी के भगत को साथ ले कर गए थे) से इस बारे में बात की थी तब उन्होंने उस भगत से बात कर बताया कि उनसे कह दो यह मौलवी वाला काम बंद कर दें कहीं बाबा नाराज ना हो जाए अगर बाबा नाराज हो गए तो लेने के देने पड़ जाएंगे, ऐसा कहकर लड़की ने और हवा खराब कर दी, फिर मैंने पत्नी से कहा जैसा दिल करे करो, गुरुजी जैसे 2 बालाजी के 40 दिन पूरे होने को आ रहे थे वैसे वैसे लड़के पर ये आत्माएं अपना कहर जोर 2 से जल्दी 2 ढा रहीं थी, पूजा करते लड़के को गिरा देना, जलते दीपक का स्वयं ही बुझ जाना, रात में जोर 2 से लड़के का चिल्लाना, कई कई दिन तक लड़के को बिना कुछ खाए पिए बेहोश रखना..गुरुजी घर में अब इतनी दहशत हो गई थी कि रात को कोई भी टॉयलेट को नहीं निकलता था खुद मेरा भी बुरा हाल था, रात को चाहे 12 या एक बजे आंख खुल जाए टॉयलेट सुबह दिन निकलने पर ही जाता था, मोबाइल पर पूरी रात हनुमानजी के भजन चलते रहते थे परन्तु डर फिर भी नहीं जाता था दिल और दिमाग से, मैं जगने पर पूरी रात नहीं सोता था बस यही सोचता रहता था कि क्या होगा और केसे इन प्रेत आत्माओं से छुटकारा मिलेगा यहीं बातें सोचकर एक दिन मैं सुबह लड़के के पूजा करते समय(लड़का खड़े हो कर पूजा करता था) मौलवी द्वारा सर पर मलने वाली पर्ची को ले कर चुपके से लड़के के पीछे खड़ा हो गया और मोका देख कर मैंने वह पर्ची हाथ में ले कर लड़के के सर पर 2 – 3 बार मलने के पश्चात जब उस पर्ची को अपनी मुट्ठी में ले कर जलाने के लिए घर से बाहर यह कहता हुआ भागा की साले आज तुझे नहीं छोडूंगा बड़ा परेशान कर रखा है तूने, तो मुझे ऐसा महसूस हुआ कि जैसे कोई बिजली के करंट का गोला मेरी मुट्ठी के अंदर बंद हो गया है और वो करीब 50 से 100 वोल्ट का बिजली का झटका सा मुझे लगा रहा था, घर के बाहर जाकर जब मैंने मुट्ठी में बंद पर्ची को जलाने के लिए अपनी मुट्ठी खोली तो वह करंट का गोला गायब हो चुका था, यह सब कुछ इतनी जल्दी हुआ की मैं कुछ समझ ही नहीं पाया की क्या हो गया, मैंने जल्दी से घर के बाहर जा रही पानी की नाली में उस पर्ची को जलाने के बाद जब पूजा कर रहे लड़के के कमरे में गया तो लड़का जोर 2 से चिल्ला कर कह रहा था..कि मम्मी यह सब तू क्या करा रही है पापा से उस मौलवी की पर्ची द्वारा अब मुझे कोई नहीं बचा सकता मरने से, मैंने पत्नी से पूछा कि क्या हुआ जब पत्नी ने कहा उस मौलवी की पर्चियां को पानी में बहा आओ इसको परेशानी हो रही है, मैंने ऐसा ही करा और उन पर्चियां को गली के बाहर नाले में बहा दिया और लड़के से कहा कि तू मेरी तरफ से बाबा से माफी मांग ले और कह दे कि यह सब गलती से हो गया इतना कहकर में अपनी जान छुड़ाकर वहां भगा, 40 दिन पूरे होने के दो तीन दिन बाद मैं अपनी पत्नी और दोनों छोटे लड़के और लड़की के साथ बड़े लड़के को लेकर यूपी रोडवेज की सुबह 7.00 बजे बुलंदशहर डिपो से चलने वाली जयपुर, अजमेर वाली गाड़ी में बैठ कर बालाजी धाम के लिए रवाना हो गया दोपहर लगभग 2.45 पर उस गाड़ी ने हमको बालाजी मोड़ पर उतारा(लड़का बुलंदशहर से यहां तक पूरे सफर में बेहोश ही रहा बस कभी 2 धीरे से मुस्करा जाता कोई उससे बात करने की कोशिश करता वो उसको झपट देता)…एक सस्ता सा रूम ले कर शाम को आराम करने के पश्चात करीब 5.00 सभी स्नान आदि कर(गुरुजी लड़का अभी तक अपने होश में नहीं था, उसने स्नान आदि भी किया तो किसी शक्ति के वशीभूत होकर, वह नॉर्मल लग ही नहीं रहा था वह कहने पर हर कार्य कर तो रहा था पर ऐसा लगा रहा था जैसे उस से कोई करा रहा है यह केसी अवस्था होती है मुझे नहीं पता) किन्तु मंदिर के लिए रवाना हो गए, पेशी(प्रशाद) ले कर मंदिर के बाहर लटक रही पिन्नियों में पेशी को डाल कर मंदिर में जाने वाली लोगों की लाइन में लग गए, बालाजी का मंदिर आने से पहले ही मंदिर में लगी लाइन में लगा लड़का पूर्ण रूप से बेहोश हो गया उसको अन्य श्रद्धालुओं की मदद से हाथों में उठा कर बड़ी मुश्किल से बालाजी मंदिर होते हुए प्रेतराज सरकार के दरबार ले जा कर बिठा दिया, वहां लड़का कुछ देर बुरा सा मुंह बनाता रहा फिर हम अपने रूम में आ गए फिर अगले दिन बालाजी के दर्शन करने के पश्चात सीधे तीन पहाड़ी भेरो बाबा के दरबार में लड़के पर प्रेत की सवारी आ गई कुछ देर बुरा सा मुंह बनाने के बाद सब नॉर्मल हो गया और हम लोग शाम की बस में बैठ कर अपने घर आ गए और अगले दिन से लड़का नॉर्मल हो कर अपने कार्यालय जाने लगा, अभी एक माह भी नहीं बीता था कि लड़के को रात में फिर ऐसी परेशानी होने लगी, रात को अचानक डर जाता कभी चिल्लाने लगता और कभी उस पर प्रेत की सवारी आ जाती.इसी तरह करीब 15 दिन गुजर गए हम लोग फिर से काफी परेशान रहने लगे, एक दिन लड़का काफी परेशान कर रहा था तभी लड़के पर बाबा की सवारी आ गई कुछ देर बाद वह कहने लगे अब तुझे नहीं छोडूंगा दरबार ले कर ही जाऊंगा मेरी पत्नी ने बाबा से कहा बाबा कोन है यह काफी परेशान कर रहा है तब बाबा ने कहा यह यहीं रह गया था और रातों को यहीं कमरों में घूमता है फिर बाबा की सवारी लड़के से चली गई, एक बार फिर सभी के मन में डर समा गया कि कोई प्रेत है जो रात को घर के कमरों में घूमता है और लड़के को परेशान करता है, फिर एक बार सभी का रात में घर के कमरों से निकालना बंद हो गया, यह सब देख कर मैं पुनः लड़के को लेकर अपनी पत्नी और छोटी पुत्री के साथ बालाजी निकल गया लड़का इस बार भी पूरे सफर और बालाजी के मंदिर जाने तक बेहोश रहा, इस बार मैं वहां दो दिन रुका फिर वही बालाजी के दर्शन उसके पश्चात तीन पहाड़ी स्थित भेरो बाबा के दर्शन करने के पश्चात वापस घर आ गया गुरुजी एक बार फिर लड़का पुनः सही हो कर अपने कार्यालय जाने लगा हम को अब ऐसा महसूस होने लगा कि लड़का इस बार पूर्ण रूप से ठीक हो गया है..गुरुजी अभी एक माह ही बीता था कि लड़का फिर से रात को डरने लगा और बुरी 2 आवाजें निकालने लगा, एक बार फिर सभी के मन में कोफ बैठ गया कि अब क्या होगा, धीरे 2 एक माह और गुजर गया लड़के का पहले की तरह बुरा हाल था हम अब ये सोचने लगे कि बालाजी के यहां से लड़का ठीक होने वाला नहीं है इसको कहीं और किसी तांत्रिक या किसी और से दिखाना चाहिए, लड़के के कार्यालय के एक कर्मचारी के कहने पर हम लड़के को शनिवार के दिन शहर के है एक बड़े हनुमान मंदिर में ले गए, वहां के पुजारी जी को शनिवार के दिन हनुमानजी की गद्दी आती थी, जब हमने उन पुजारी जी को लड़के को दिखाया तो उन्होंने लड़के को देखते ही बताया कि इस लड़के पर 7 प्रेत थे अब केवल दो प्रेत रह गए हैं 5 प्रेत चले गए, उन्होंने बताया कि इस लड़के का बालाजी से इलाज चल रहा है तो वहीं का इलाज चलने दो मेरे यहां पर मत दिखाओ यहां से बड़ी शक्ति तो बालाजी में है एक बार फिर वहीं जाकर बाबा से पुनः प्रार्थना करो कि बाबा हमारे लड़के का संकट काटो और चिंता मत करो वे अवश्य ही संकट काट देंगे, अगर हमारे यहां से इलाज कराओगे तो कुछ गलत भी हो सकता है, मैंने उनसे पूछा बाबा गलत केसे हो जाएगा हम तीन बार तो बालाजी हो आए हैं लड़के को लेकर, काफी रुपया खर्च हो गया है एक बार जाने पर ही तीन से चार हजार रुपया खर्च हो जाता है..तब पुजारी जी कहने लगे मेरी बात मान लो इसको लेकर बालाजी ही जाओ वहीं का इलाज चल रहा है तो वहीं का चलने दो मैं भी अपनी भभूत दे दूंगा तो मेरे यहां से जो प्रेत, दूत बनकर जाएंगे और बालाजी के जो प्रेत, दूत बनकर तुम्हारे यहां रह रहे होंगे कभी 2 दोनों दूतों का आपस में टकराव हो जाता है और इस टकराव में ये पीड़ित को ही नुकसान पहुंचाने से नहीं चूकते(गुरुजी यहां पुजारी जी की बातें विस्तार से बताने का मतलब यही है कि कोई मेरी तरह पीड़ित इंसान यह गलती ना कर दे) उनकी यह बातें सुनकर मैं भी हैरत में पड़ गया और सोचने लगा साला इंसान जीते जी एक दूसरे को परेशान तो करता ही है मरने के बाद भी चैन से नहीं बैठता, अब करूं तो क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा इतने में ही मैं बड़ी लड़की से कहने लगा कि जब यहां आए हैं तो प्रशाद भी लाकर चडा देते हैं और मैं प्रशाद लाकर चड़ाने लगा, प्रशाद चढ़ाने के पश्चात जब मैं लड़के के पास पहुंचा तो देखा लड़के पर मंदिर में ही प्रेत की सवारी आ गई थी और लड़की उससे कुछ पूछ रही थी मैंने लड़की से पूछा कि क्या हुआ तो वह कहने लगी यह अपना नाम बादशाह बता रहा है और अपने को दिल्ली के बदरपुर के उसी मोहल्ले का निवासी बता रहा है जहां पर हमारी “दीदी” रहती हैं मैंने भी उससे पूछा कि भाई कोन है तू और क्यों परेशान कर रहा है इसे तो उसकी बातें सुनकर मेरे तो गुरुजी होश ही उड़ गए..उसने बताया कि हमको तो तुम्हारा रिश्तेदार यहां ले कर आया था वो खुद तो भाग गया और हम को यहीं पर छोड़ गया, हम तो इस लड़के को बहुत पहले अपने साथ ले जाते परन्तु हम जब भी इसको अपने साथ ले जाने की कोशिश करते हैं तो बाबा(हनुमानजी) बीच में आकर खड़े हो जातें हैं, मैंने उस से उसका नाम पूछा तो उसने मेरी दिल्ली स्थित बड़ी लड़की के मोहल्ले(गुरुजी मैं बेटी की ससुराल के लोगों और उनके पते को गुप्त रख रहा हूं जिस से वो नाराज ना हों) का नाम ले कर बोला कि में वहां का बादशाह हूं और मैंने ही तुम्हारे रिश्तेदार “राज” को मारा था और में अब तक सात को मार चुका हूं मैंने उससे पूछा कि वो केसे मरा था तो उसने बताया जब मेरी उम्र 20 वर्ष के करीब थी तो मुझको मेरे दोस्तों ने फांसी लगा कर मार दिया था और अब इस समय हम दो ही हैं इस लड़के पर में और ये दिनेश चाचा, ये चाचा तो हर समय शराब पीकर सोते रहते हैं और अब भी सो रहे हैं उसकी इन बातों को सुनकर में सोचने पर मजबूर हो गया कि आखिर हमारे परिवार के किस सदस्य की पूजा के कारण हनुमानजी इन प्रेत आत्माओं के सामने लड़के को ले जाने पर ढाल बनकर खड़े हो जाते है शायद लड़के की उसी सेवा के कारण जो उसकी मम्मी ने हाई स्कूल के पेपर के दौरान लड़के को 10 रुपए के केले बंदरों को खिलाने और मंदिर में जाकर 10 रुपए का प्रशाद हनुमानजी को चढा कर पास होने के लिए बोला था जिसका कर्ज आज तक हनुमानजी उतार रहे हैं…गुरुजी पहले की तरह इस घटनाक्रम का निष्कर्ष निकालो…कुछ तबियत खराब होने के कारण में ज्यादा नहीं लिख सका इसका अगला भाग अगले दिन दूंगा और कोशिश करूंगा कि इसके अब ज्यादा भाग ना बनाऊं बस दो या तीन भाग ही और…कुछ लोगों के गलत कॉमेंट आ रहे हैं मैं उनसे बस यही कहना चाहता हूं कि एक बार ऐसी समस्या से हो कर गुजरो तब पता चलेगी क्या होती है टेंशन और ऐसी टेंशन से केसे गुजरा जाता है कोई ऐसी टेंशन में मर जाता है, कोई शराब आदि जैसे नशे में डूब जाता है, कोई अपने बुरे कर्मो का फल समझ सब कुछ ईश्वर पर छोड़ चुपचाप घर बैठ जाता है और कोई अंत तक संघर्ष करता रहता है अंत में फल चाहे जैसा भी मिले…चाहे जैसा भी मिले…

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