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बंगाली जादू सीखना पड़ा बहुत महंगा आपबीती सच्ची घटना भाग 2

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। पिछली कहानी को आगे बढ़ाते हुए चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को।

पत्र – माफ करना गुरु जी, मैं आज आपके आगे की कहानी बताने जा रहा हूं जो मुझसे छूट गई थी। गुरुजी मेरे पापा उसी पूजा की वजह से मृत्यु को प्राप्त हुए थे। ट्रेन दुर्घटना में यह बात सुनी सुनाई नहीं है। मेरे परिवार की सच्ची बात है। मुझे आप पर अति विश्वास हो चुका है और आप के माध्यम से लोगों को बताना चाहता हूं कि कोई भी व्यक्ति ऐसे कर्म करने से। अपने परिवार को बर्बाद ना करें। गुरुजी उनकी उस सिद्धि की वजह से मेरी छोटी बहन की, मृत्यु के बाद से ही उस आत्मा ने अपने वश में कर लिया था लेकिन अभी हमारे गांव के पास ही यह गांव बावली नामक!

जगह पर मेरी मां ने मेरी बहन का इलाज कराया है। अभी तो वो ठीक है अभी मैं आपको आगे की कहानी बताता हूं। गुरुजी जब मेरे पापा को कोई अंदर श्मशान में खींचने लगा तो उनकी मदद के लिए कोई अनजान शक्ति आ गई। लेकिन शमशान वाली शक्ति ज्यादा ताकतवर थी। फिर उस शक्ति ने मेरे पापा की मदद के लिए। वहां पर अपनी कोशिश की। उसने बाबा मोहन राम को पुकारा उनकी पुकार पर बाबा मोहन राम आकर उनकी मदद करने लगे और मेरे पापा को उन्होंने घर लाकर छोड़ा। जब वह घर आ गए तो सुबह जैसे ही सो कर उठे, चाय आदि से निपट कर बैठे ही थे कि जय बाबा मोहन राम की बोलकर अंगड़ाई लेकर तोड़ी। ऐसा होता देख मेरी मां ने उनसे पूछा क्या हुआ? लेकिन वह कुछ भी नहीं बोले, उनकी आंखें लाल हो गई थी।

क्योंकि मेरी मां बहुत ही बहादुर है। उन्होंने मेरे पापा से पूछा कौन हो? तो अचानक कि वह रोने लगे। मेरी मां ने कहा रोने की क्या बात है तुम मुझे बताओ कौन हो?

अब क्यों हमें परेशान कर रहे हो तब वह बोले, मैं इसका छोटा भाई हूं और इन्हीं की वजह से रो रहा हूं क्योंकि मैं इसे कितनी बार बताऊं? यह हमेशा कुछ ना कुछ मुसीबत अपने पल्ले बांध लेता है।

लेकिन इस बार इसने ऐसा कर लिया कि अगर मैं सही समय पर बाबा मोहन राम को नहीं बुलाता तो इसको कोई बचा नहीं पाता। फिर मेरी मां ने पूछा, आप इनके भाई हो मैं कैसे मानूं तुम्हारा नाम क्या है? उन्होंने बताया कि मैं कुछ ही दिनों मतलब पैदा होने के कुछ ही दिन बाद मर गया था। लेकिन जब मैं पैदा हुआ था तो उसके बाद से यह मेरी देखभाल एक मां की तरह करता था। इसी वजह से मैं इसके साथ आज हूं। उस समय तक मेरा कोई नाम नहीं रखा गया था। मैं मरने के बाद बजरंगबली की शरण में चला गया था, इसलिए मेरा नाम बजरंग है। उन्होंने कहा बच्चों को! बुलाने पर मैं और मेरी बहन वहां गए तो मेरी मां ने कहा, बेटा यह तेरे चाचा जी हैं। इन्हें नमस्ते करो और पूछो उस समय हमें कुछ पता नहीं था । उन्होने कहा और हमने कर दिया। उन्होंने आशीर्वाद भी दिया और मेरी बहन से उन्होंने पैर नहीं छूने दिये।

क्योंकि हमारे यहां कन्या से पैर नहीं छूने दिया जाता है क्योंकि कन्या को देवी स्वरूप माना जाता है।

गुरु जी मुझे लिखने में थोड़ा सा विलंब और स्पष्टता नहीं है। इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं। क्योंकि इस घटना को सात आठ साल हो चुके।

इसी वजह से दिक्कत हो रही है। गुरु जी आगे कहानी इस प्रकार से है। कि उस दिन मेरी मां ने मेरे पापा के शरीर में आए मेरे चाचा जी! उन से वचन ले लिया। उनके हाथ में नमक रखकर उनसे कहा कि आप अपने भाई के हमेशा भले में रहेंगे, इनकी रक्षा करेंगे। और उन्होंने वचन दे भी दिया। फिर वह मेरे पापा के शरीर से चले गए। उनके जाते ही मेरे पापा का शरीर कुछ इस तरह अकड़ गया। जैसे उन्हें शाम को शराब पी ली हो। तब जाकर के वह काम करने लायक हुये। गुरु जी इस प्रकार कुछ समय बीता सब ठीक था, लेकिन मेरे पापा को अब फिर से परेशानी हुई तो हमारे बगल में ही हमारे कुटुंब से ही मेरे बाबा जो दादा जी लगते हैं। बस वही हमारा साथ देते थे। मेरी मां ने उनको पूरी बात बताई तो उन्होंने कहा कि बेटी तू चिंता मत कर मेरी जानकारी में एक बजरंगबली के भक्त हैं। हम कुछ दिन बाद इसको वहां लेकर जाएंगे, ठीक है। लेकिन अगले ही दिन वह जिसकी सिद्धि उन्होंने की थी, वह मेरे पापा के शरीर पर आ गया। हमें कुछ पता ही नहीं चला। उसी दिन सुबह से ही मेरे पापा ने शराब पीनी शुरू कर दी थी।

उनकी आंखें लाल हो गई थी, लेकिन उनकी आंखों की पुतली ऊपर की ओर चढ़ी हुई थी और वह भी ऊपर की तरफ ही थी। फिर भी मेरी मां नहीं डरी और उन्होंने मेरे पापा के बाल पकड़े और कहा, कौन है तू? गुरुजी उस बड़ी सी शक्ति के बदन से एक बदबू से आ रही थी। पूरे घर में छाई हुई थी तब उसने मेरी मां से कहा कि तुमने मेरे बाल जो पकड़े हैं, वह मैंने पकड़ने दिए हैं। नहीं तो जल्दी से कोई भगत या तांत्रिक भी मुझे नहीं पकड़ सकता। यह सुनकर मेरी मां ने बाल छोड़ दिये और फिर पूछा कि बता तू कौन है?

गुरुजी उसने बताया मेरा नाम हरेंद्र है। मैं हरियाणा के पानीपत का हूँ इसने मेरा भोग नहीं दिया और मुझे काम करा लिया। गुरु जी जैसे ही मैंने शुरू में बताया था कि एक शराब की बोतल और मुर्गा देना होता है इस साधना में। गुरुजी उसने कहा कि इसने एक मौलवी को चैलेंज किया तो उसकी हवा भी निकाल दी। अब मेरा वो भोग नहीं दिया है, ठीक है मेरी मां ने कहा, हम तेरा जो भी होगा, दिलवा देंगे, लेकिन इन्होंने तेरी पूजा की है और तू ही इन्हे परेशान कर रहा है। उसने यह गलती मानी नहीं।

मेरी नहीं मेरी मां ने कहा, तू जा! लेकिन फिर मेरी मां ने उससे पूछा है। तेरे बच्चे या घर बार हैं। उसने कहा हां, मेरे दो बच्चे और मेरी पत्नी और मां बाप भाई भी है। फिर मेरी मां ने कहा कि तू वहां क्यों नहीं जाता, उन्हें परेशान कर ले। यहां क्यों आया है उसने कहा, मैं यहां पर अपने आप नहीं आया। यह लेकर मुझे आया है। मेरी रोड दुर्घटना में मौत हो गई थी। मैं शराब पीकर चला रहा था। फिर यह मुझे यहां पर ले आया है। मैं अपने आप घर पर नहीं आया। लेकिन मैं अपने घर पर नहीं जा पाया। उन्होंने घर बांध रखा है। इसी बात होने के बाद अचानक की किसी ने मेरे पापा के शरीर में ही आकर जय बजरंगबली का जयकारा लगाया। इस बार मेरे चाचा जी थे। उन्हें हम अपने पित्र देवता के रूप में मानने लगे हैं। उनका भी स्थान अपने पुत्रों के साथ ही बनाया हुआ है। वह गुस्से में आकर बोले, इसको आप समझा नहीं सकती। क्योंकि यह समझने!

वाला नहीं, यह बहुत बड़ी-बड़ी गलतियां करता है। किसी के भी साथ बहस कर बैठता है। मेरी मां ने कहा, हमें तो पता भी नहीं। इन्होंने क्या किया है। अभी थोड़ी देर पहले आया था। मेरे चाचा जी ने कहा, मुझे पता है। मैंने ही बाबा मोहन राम की मदद से इसको बाहर निकाल दिया है तो मेरी मां ने कहा, इससे बचने का कोई उपाय तो बताइए।

तू गुरुजी उन्होंने कहा, मैं थोड़ी देर के लिए बाबा को इसके शरीर में भेजूंगा कल! क्योंकि आज इसका शरीर सह नहीं पाएगा। तुम लोग कल शाम को एक चिलम लोंग और साफी लाकर रख लेना साफी एक जालीदार कपड़ा होता है जो चिलम पर लगाकर चिलम के रूप में पिया जाता है। इतना कहकर उन्होंने कहा, उपाय भी वही बताएंगे और किसी बड़े समझदार को जरूर बुला लेना। इतना बोल कर बहुत चले गए। उनके जाते ही मेरे पापा इतने थक गए थे कि थोड़ी ही देर बाद वह सो गए और शाम को उठे उनका सिर दर्द कर रहा था। जैसे डंडों से उन्हें बहुत अधिक पीटा गया हो। इसके बाद क्या हुआ गुरुजी मैं आपको अगले भाग में लिख कर भेज दूंगा।

आत्माएं शरीर पर इस तरह कब्जा कर लेती हैं जिससे मस्तिष्क पूरी तरह से इनके ही चक्कर में आ जाता है।

नमस्कार गुरु जी!

संदेश- यहां पर इनके पिता के ऊपर उस प्रेत आत्मा का कब्जा है जिसको इन्होंने शमशान में जाकर सिद्ध करने की कोशिश की थी। अब जब तक कि उसका विसर्जन नहीं हो जाता। तब तक? उसे भगाने का और कोई तरीका नहीं है क्योंकि उस शक्ति को खुद ही बुलावा देकर बुलाया गया। साधने से पहले यही आवश्यक हो जाता है कि आपके अंदर इतनी अधिक ऊर्जा पहले से विद्यमान हो कि आप ऐसी शक्तियों का मुकाबला अपने मस्तिष्क से बड़ी आसानी से कर सकें। और ऐसा तभी होता है जब आपने किसी बड़े गुरु की शरण नहीं रखी हो। कोई गुरु मंत्र पूर्णतया सिद्ध किया हो या फिर आपने बरसों तक तपस्या और साधना की हो। आगे क्या घटित होगा। यह हम लोग अगले भाग में जानेंगे। तो अगर यह जानकारी आपको पसंद आ रही है और यह कहानी आपको पसंद है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

बंगाली जादू सीखना पड़ा बहुत महंगा आपबीती सच्ची घटना भाग 3

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