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बंगाली जादू सीखना पड़ा बहुत महंगा आपबीती सच्ची घटना भाग 4

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है जैसे कि हमारी कहानी चल रही है कि कैसे एक व्यक्ति ने एक तामसिक साधना की और उसके कारण वह एक भयानक संकट में पड़ गए। यह भाग 4 है। चलिए इस कहानी को आगे बढ़ाते हुए पढ़ते हैं इनके पत्र को।

पत्र – प्रणाम गुरुजी! नए साल 2021 की ढेरों शुभकामनाएं। गुरुजी कहानी आगे बढ़ाने से पहले मैं एक दर्शक महोदय को जवाब देना चाहूंगा जिन्होंने भाग 1 में यह टिप्पणी की थी कि तेरा बाप मूर्ख नहीं महामूर्ख था। मैं उनको बताना चाहूंगा कि मूर्खता और कुछ सीखने की जिज्ञासा में बड़ा अंतर होता है और अज्ञान वश की गई गलतियों को मूर्खता का नाम नहीं देना चाहिए। गुरु जी मैं बताना चाहूंगा कि मेरे पापा के पास उस सिद्धि की वजह से ही एक ऐसी विध्या कि वह एक लौकी के बीज से घर बैठे ही किसी को भी आधे घंटे के अंदर ही दर्दनाक मौत दे सकते थे या उसे मार सकते थे।

उसमें होता यह है कि एक लौकी के बीज बोते हैं वह तुरंत ही उठकर उसकी बेल चल पड़ती है या चढ़ जाती है और तुरंत ही फल अगर बड़ा हो जाता है और उसी पर मंत्र पढ़कर उस आदमी का नाम लेकर सुई से लौकी में प्रहार करते हैं जिस पर यह प्रयोग किया जा रहा होता है। वह तड़पने लगता है। जिसका संकेत वह लौकी देती है जिसमें जितनी बार सुई को चुभोई जाती है, उससे खून उतना ही अधिक चलने लगता है। आखिर में चाकू से फल को बेल से अलग करते ही उसकी मृत्यु हो जाती है। गुरु जी यह बात दर्शकों को बतानी है या नहीं, आप ही सोचो और अपनी इच्छा अनुसार तय करें।

जैसा कि जहां पर उन्होंने विधि को बताया है लेकिन कैसे करना है नहीं बताया इसलिए यह तथ्य सब को बताया जा सकता है। आगे! यह कहते हैं।

गुरु जी मैं आगे की कहानी अब आपको बताता हूं। गुरुजी कुछ दिन ऐसे ही बीते इसी बीच में मैं दसवीं क्लास में पहुंच गया था और मुझे भी यह बातें समझ आने लग गई थी। लेकिन उस समय बीच-बीच में आत्माओं का मेरे पापा के शरीर में आना और जाना लगा रहता था। मैं यह बात समझ नहीं पा रहा था कि कौन सी सिद्धि वाली आत्मा है लेकिन जब चाचा जी और बाबा मोहन राम आ जाते थे। तो उनका अलग ही पता चल जाता था। यानी कि वह स्पष्ट संकेत दे देते थे लेकिन गुरु जी ऐसे ही कभी भी मेरे पापा का प्यार हमारे लिए कभी कम नहीं हुआ था। लेकिन समस्या एक ही थी कि वह अब शराब बहुत ही अधिक पीने लगे थे।

इसी बात! से मेरी मां भी काफी परेशान रहती थी। फिर एक दिन मेरे दादा जी घर पर आ गए। उन्होंने मेरी मां से कहा कि अब इसे बजरंगबली के भक्त के पास लेकर चला जाए। वह भी उसे बिना बताए ही क्योंकि इसकी उस शक्ति को यह सिद्धि को। पता भी ना चले और वही सिद्धि को काट भी सकता है। उनके पास कई सारी चमत्कारिक शक्तियां हैं। यह बात मेरी मां की समझ में आ गई थी। लेकिन समस्या यह थी कि उनको क्या बोल कर के हम लोग ले जाएंगे?

इस पर दादाजी ने कहा कि यह तुम मुझ पर ही छोड़ दो। क्योंकि मेरे पापा उनका कोई भी काम कभी नहीं टालते थे। इसीलिए दादाजी ने मेरे पापा को कहा कि रणबीर मुझे कोई काम है। मेरे पापा का नाम रणवीर सिंह था। उन्होंने कहा, तुझे मेरे साथ चलना होगा। गुरुजी बजरंगबली के भक्त का स्थान हमारे गांव से काफी दूर में था। वह लोग सुबह ही निकल गए थे। वहां पहुंचकर मेरे पापा को समझ में आया। कि आखिर वहां इन्हें क्यों लाया गया है। वहां बैठते ही मेरे पापा के शरीर में कुछ हलचल सी हो गई। वहां से निकल कर भाग जाना चाहते थे। वह उस सिद्धि को छोड़ना ही नहीं चाहते थे।

कुछ समय बाद वह भगत जी भी वहां पर आ गए। उन्होंने मेरे दादाजी ने प्रणाम किया था और सारी बात उनको स्पष्ट वह बता दी। उन्होंने पूरी बात को समझाते हुए कहा कि कोई बात नहीं। यह व्यक्ति जहां बैठा है वहां पर बड़ी से बड़ी बुरी शक्तियां भी घुटने टेक देती है। वह लोग यह बात कर रहे थे कि मेरे पापा की आंखें एकदम से लाल ही हो गई थी। और उस दौरान वह अजीब सी हरकतें करते हुए धोनी के पास बैठे भगत जी को घूर रहे थे। भगत जी ने हाथ में लड्डू था? भगत जी ने उन्हें घूरते देख कर कहा कि यह जो लड्डू है। यह तेरे लिए ही है पर तू मेरे हाथ से इसे छीन नहीं सकता।

मेरे पापा , लड्डू छीन करके खाने की कोशिश में उतावले हुए जा रहे थे। भगत जी ने वह लड्डू मेरे पापा को दे दिया और कहा खा ले, मेरे पापा लड्डू लेते ही खा गए और बोले और दो मुझे। भगत जी ने कहा और चाहिए मेरे पापा ने कहा, हां, मुझे भूख लगी है। भगत जी ने कहा अच्छा चल तू यह बता कि तू है कौन तो उन्होंने कहा कि मैं इसका भाई हूं। भगत जी ने कहा, तू साबित कर कि तू इसी का भाई है, उन्होंने मेरे पापा की हथेली पर नमक रखा और कहा कि अब बता, मेरे पापा कुछ बोलते इससे पहले ही उनकी हथेली वह जलने लग गई और वह चिल्लाते हुए बोले कि मेरा पेट फटा जा रहा है। आखिर तूने यह क्या दिया है?

मुझे भगत जी ने कहा कि तुझे भूख लगी थी तू हाथ से छीन कर खाना चाहता था और खा ले और लड्डू… मेरे पापा ने कहा नहीं तो फिर बता कौन है तू? उसने कहा मैं हरेंद्र हूं पानीपत से। भगत जी ने कहा तो क्या मैं तेरी आरती उतारु यह बता इसे छोड़ेगा या नहीं?

उसने कहा नहीं, मुझे लगा… खुद मैं इसे नहीं छोडूंगा। इसके पास मुझे बुलाने का मंत्र है। अगर इसने मुझे याद ना किया होता तो मैं यहां कभी भी नहीं आता। मुझे छोड़ो और जाने दो। उसकी यह बातें सुनकर भगत जी ने कहा, हमने तुझे बुलवाया है । भगत जी ने

जैसे ही मेरे पापा के हाथ से नमक को हटाया, वह तुरंत वहां से भाग गया। उसके भाग जाते ही तुरंत मेरे चाचा जी मेरे पिताजी पर आ गए। उन्होंने आते ही बजरंगबली का जयकारा लगाना शुरू कर दिया। भगत जी ने पूछा, अब तू कौन है? उन्होंने कहा, मैं इसका भाई हूं। भगत जी ने कहा, वह कहां गया ? चाचा जी ने कहा, यहीं बगल में तो खड़ा है और मुझे जबरदस्ती भेज रहा है। भगत जी ने कहा, अच्छा यह बात है। भगत जी ने कुछ पढ़कर धोनी की राख़ मेरे पापा के सिर पर मारी तो वह फिर से आ गया। और कहने लगा मैं फिर भाग जाऊंगा इस बार भगत जी गुस्से में आ गए और मेरे पापा के बाल पकड़ते हुए उन्होंने बोला, तू बाबा बजरंगबली के दरबार से भागने की बात कर रहा है ।

उन्होंने लाठी उठाई और मेरे पापा को पीटना शुरू कर दिया और पीटते पीटते ही बोले, अब दिखा भाग कर उसने कहा नहीं भाग लूंगा। बताओ मुझे क्या करना है। उन्होंने कहा कि तू वचन दे कि तू इसको। इस प्रकार से परेशान नहीं करेगा और बलि भी कभी नहीं मांगेगा। जब उसने कहा नहीं। मैं इसे परेशान नहीं करूंगा, लेकिन अगर यह बुलाएगा तो मुझे आना पड़ेगा और यह मुझसे जो काम कराएगा, उसके बदले इसे बलि देनी ही पड़ेगी। यह हमारे नियम है। क्योंकि इसने मेरी सिद्धि की हुई है। मै इससे सिद्ध हो चुका हूं। इसे हर होली और दिवाली को मुझे एक शराब की बोतल और एक मुर्गा हर साल देना ही होगा। मैं यह वचन देता हूं और उसने हथेली का नमक और जल नीचे छोड़ दिया।

और उसके बाद वह चला गया। उसके बाद गुरु जी भगत जी ने कहा कि इसे थोड़ी देर के लिए लिटा दो और मेरे दादाजी को अलग ले जाकर एक गुप्त मंत्र दे दिया और कहा कि जब भी या कोई और आत्मा इससे या इसके के बच्चों को परेशान करें तो रक्षा मंत्र पढ़ कर दो लाठी जमा कर मारना। वह फिर परेशान नहीं करेगा और उन्होंने मेरे दादाजी को कहा कि जब बाबा मोहन राम ने उपाय तुम्हें बता दिया था तो भी तुम मेरे पास इसे लेकर क्यों आ गए थे? विधियाँ जो तुम्हें बताई गई है। यह उसी से जाएगा और ठीक ही होगा। मैंने उस से वचन ले लिया है उसको होली और दिवाली पर बलि देते रहना। इसके यही काम है और यह वह करता भी रहेगा। परेशान भी नहीं करेगा। पर अगर उस समय पर बली नहीं दी गई तो वह आकर बली जरूर मांगेगा। वह कोई सामान्य आत्मा नहीं है। एक शक्तिशाली प्रेतात्मा है। उसे बिना सोचे समझे कुछ मत कहना और बिना मंत्र पढ़े उसे मत छोड़ना।

नहीं तो भारी नुकसान तुम्हें भुगतना पड़ सकता है। अब इसे लेकर वापस चले जाओ और इस प्रकार वह। उन्हें लेकर वापस जाने की तैयारी करने लगे तब इस प्रकार से यहां पर कथानक समाप्त होता है। आगे क्या घटित हुआ अगले भाग में भेजा जाएगा?

संदेश- यहां पर इन्होंने इनके पिता के साथ में आगे क्या घटित हुआ और किस प्रकार उस प्रेत आत्मा को? बांधा गया बजरंगबली के दरबार में और उसने वचन भी दिया। आगे क्या? होगा आगे पता चलेगा तो अगर यह कहानी और अनुभव अगर आपको पसंद आ रहा है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

बंगाली जादू सीखना पड़ा बहुत महंगा आपबीती सच्ची घटना 5 वां अंतिम भाग

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