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बाबरा भूत और नवलखा मंदिर का मूलक तांत्रिक भाग 4

बाबरा भूत और नवलखा मंदिर का मूलक तांत्रिक भाग 4

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । बाबरा भूत नवलखा मंदिर और मुलक तांत्रिक अभी तक कि आपने इस सीरीज मे आपने जाना है कि किस प्रकार से नग्न शरीर वाली दो भूतनीया नंदा और चंपा ने बहुत ही ज्यादा मुलक को परेशान किया । उसी में से जो भूतनी थी वह ऐसी स्थितियां पैदा कर रही थी जिसमें मुलक काफी ज्यादा परेशान हो रहा है । शर्म लहजा इस तरह की चीजों के कारण अधिकतर व्यक्ति प्रभावित हो जाता है । इस बात से घबराते हुए मूलक ने उन भूतनियो के दिए हुए प्रस्ताव को स्वीकार करने के अलावा अन्य कोई चारा ना देखते हुए उसने वही करना स्वीकार किया । और उसने डरते डरते आंखें बंद करते हुए भूतनी के योनि पर इस प्रकार से जल को गिराना शुरू किया उसे देखकर भूतनी हंसने लगी । और पास जा कर के उसे मूलक यही वह वस्तु थी ना जिसके कारण तूने उस ऋषि की पुत्री को प्रभावित करने की कोशिश की । और देख कितना बड़ा यह माया जाल है इस दुनिया का जो तू आज तक समझ नहीं पाया । और तू क्या पूरी दुनिया समझ नहीं पाई एक योनि वह होती है जिससे बालक की उत्पत्ति होती है वह पूजनीय होती है । जैसे माता हमारी कामाख्या है उनकी योनि पूजनीय है वह प्रतीक है मां के स्वरूप का वह स्थान जहां से एक बालक एक पुत्र एक जीव पृथ्वी पर आता है । एक योनि वह होती है जिसके कारण से काम उत्पन्न हो जाता है और मूर्ख इंसान उस काम के कारण प्रभावित होकर के अपने लक्ष्य से भटक जाता है । सोच अगर मैं अभी सुंदरी स्त्री बन करके तुझे अपनी योनि दिखाती तो तू बड़ा ही आकर्षित होकर मेरे पीछे ऐसे लपकता जैसे कि कोई स्वादिष्ट मिठाई को देखकर के व्यक्ति लपकता है । वही मैंने विभस्या से रूप में जब तुझे योनि दिखाई तो तू उससे घृणा कर रहा है । अरे मूर्ख चीज तो वही है लेकिन इन बातों को तू क्या पूरी दुनिया नहीं समझ सकती है यह ईश्वर का रचा हुआ एक भयंकर मायाजाल है ।

इस मायाजाल से बचने की हमेशा कोशिश करनी चाहिए अब बता तेरे ग्रहण किए हुए जल का मैं क्या करूं । मुलक ने कहा देवियों मैं कुछ नहीं जानता हूं इस संबंध में मेरा ज्ञान अत्यंत अल्प है आपकी जो इच्छा हो वह कीजिए । और मुझे मेरी तांत्रिक सिद्धि में सफलता प्रदान करवाइए मैं आपको और आपके साथी को दोनों लोगों को प्रणाम करता हूं । इस प्रकार दोनों नंदा और चंपा उसे देख कर के हंसने लगी और कहने लगी कि ठीक है । लेकिन सुन मैं तुझसे एक बात कहती हूं तू जल को लगातार इस शिवलिंग पर गिरा रहा है जो जल है वह व्यर्थ जा रहा है । कुछ ऐसा कर जिससे कि यह जो जल है व्यर्थ ना जाए । उसकी बात की गंभीरता को समझते हुए मूलक तांत्रिक ने कहा ठीक है मैं ऐसा ही करूंगा । तब उन भूतनीयों कहा यही तेरी परीक्षा है अगर तू इस में सफल रहा तो हम तुझे छोड़कर चली जाएंगी और तेरी परीक्षा यहीं पर संपन्न हो जाएगी । लेकिन अगर तू ऐसा नहीं कर पाया तो इसी जल में तुझे डूबो डूबो कर मारूंगी ।क्यू नन्दा हा चंपा इस तरह उन दोनों ने आपस में बात की चंपा ने कहा नंदा तुझे क्या लगता है क्या यह कर पाएगा तो नंदा ने चंपा से कहा हां री लगता तो है शायद । इसे क्या करना है इसे समझाना था समझा दिया । लेकिन अब तो इस पर ही निर्भर करता है कि यह कर पाएगा या नहीं कर पाएगा । चंपा ने कहा तूने इसे अच्छा बेवकूफ बनाया तूने तो इसे सच्चाई ही दिखा दी । नंदा ने कहा हां क्या करूं मूर्ख इंसान ऐसे ही फसे रहते हैं इसलिए मैंने सोचा चलो इसे एक वास्तविकता ही दिखा देती हूं ।

योनि की वास्तविकता के पीछे सारा इंसान पागल है और आगे भी रहने वाला है उन मूर्खों को क्या पता की इसकी वास्तविकता क्या है । और दोनों एक दूसरे को देख कर के हंसने लगी उन दोनों ने एक गंभीर बात बताई थी । जिसकी आज भी आवश्यकता है मनुष्य प्रभावित हो जाता है चीजों से लेकिन स्वयं नहीं देखता कि वह चीज का वास्तविक कारण क्या है । यही हाल मूलक का भी था अब मूलक को यह बात समझ में आ रही थी कि आखिर वह क्यों इतनी इच्छाओ में फस गया ।और आज तो उसे समझ में आ रहा था की वास्तविकता में कोई भी चीज हमारे अंदर से ही प्रकट होती है कामवासना हो या कोई इच्छा हम स्वयं ही उसे प्रकट करते हैं । और हमारा शरीर उसकी चाह रख लेता है उसकी चाह मे हम बह जाते हैं और गलत किसी भी कामों में लिप्त हो जाते हैं । गलत कर्मों के प्रति हम तीव्रता से प्रभावित होते हैं इन इच्छाओं के कारण इनसे सदैव बचने की कोशिश करनी चाहिए । लेकिन अब मूलक के पास एक बहुत ही बड़ी समस्या थी समस्या यह थी अगर वह जल शिवलिंग पर चढ़ाएगा वह जल तो बर्बाद होना ही है । वह जल बह करके मिट्टी में मिल जाएगा तो क्या किया जाए उस जल का उसने सोचा क्यों ना शिवलिंग की जो धारा है वह एक तरफ बह करके निकले । ऐसा शिवलिंग तैयार किया जाए और ज्यादातर शिवलिंगो में यह चीज देखने को भी मिलती ही है । जब उन पर जल चढ़ाया जाता है तो एक दिशा की और जाकर जल गिरता है इसीलिए उसने उस शिवलिंग के महत्व को समझते हुए और इसकी वास्तविक आकृति को समझते हुए उसने इस कार्य को संपन्न किया । उसने अब जल जब चढ़ाना शुरू किया उसी के नीचे जिस स्थान से वह जल गिरकर के बाहर गिरता वह नाली वहां पर उसने वह जल इकट्ठा कर फिर से पात्र में इकट्ठा कर लिया ।

अब जब भी वह जल चढ़ाता वह पात्र में इकट्ठा हो जाता फिर वह जल चलाता फिर पात्र में जल इकट्ठा हो जाता । लेकिन अब समस्या थी कि वह इस जल का उपयोग कहा करें ।उन्होंने कहा था इस जल का सदुपयोग करना अगर इस जल का सदुपयोग नहीं करेगा तो उसकी सिद्धि उसे नहीं मिलेगी । और यह परीक्षा में असफल हो जाएगा उसने कहा सबसे अच्छा तरीका यही है कि क्यों ना मैं इसे किसी बेल के पेड़ के ऊपर चढ़ा दूं । उसने जल्दी ही पता किया और पता चला कि एक बेल का पेड़ नजदीक में ही है उसने जितना भी जल शिवलिंग पर चढ़ाया था उसने पात्र में उस जल को फिर से इकट्ठा किया । और उस जल को जाकर के बेल के पेड़ उस पेड़ पर चढ़ा दिया जो कि भगवान शिव को बहुत प्रिय होता है । यह सोचकर उसने अपना कार्य किया दोनों भूतनी और उसके पास आई और अत्यंत ही रूपवान स्वरूप उन्होंने धारण कर लिया । अब वह भूतनीयों जैसी नहीं थी अत्यंत ही सुंदर दो स्त्रियां थी । और दोनों उसके पास आकर के कहने लगी लगता है तू समझ गया तूने सही प्रकार से प्रयोग किया साधना का मूल तत्व जानना बहुत आवश्यक होता है । साधना केवल बताने की वस्तु नहीं है साधना करने की वस्तु होती है साधना होता है शरीर को साधना होता है मन को साधना होता है आत्म तत्व को साधना । उस परातत्व को इसलिए हमने तुझसे यह कार्य करवाया तुझे जल की महत्वता भी बताई भगवान शिव की शिवलिंग पूजा का अर्थ बताया कि आखिर शिवलिंग में एक लाइन से क्यों बनाई जाती है । अर्थात जो भी शिवलिंग पर चढ़ाया गया है उसका प्रसाद रूप में वितरण उस तत्व तक पहुंचाया जाए ताकि वह शक्ति उसकी सामर्थ्य और उसकी ऊर्जा उस व्यक्ति तक पहुंचे ।

शिवलिंग में बनने वाली वह लाइन इसी बात का प्रतीक है जो कुछ भी शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है वह एक तरफ बह करके निकले । और उसे इकट्ठा कर लिया जाए और प्रसाद रूप में वितरण किया जाए । अब क्योंकि यहां मानव नहीं थे और तूने सबसे अच्छा चयन बेल के पेड़ को किया तो यह बहुत ही अच्छी बात है इसलिए हम तुझ से प्रसन्न हैं । और तुझे हम अपने सौंदर्य रूप में दर्शन दे रहे हैं बता तेरी क्या इच्छा है । मूलक ने कहा आपकी कृपा से मुझे सिद्धि मिले भूतनीयों ने प्रसन्न होकर के उसके सिर पर अपना अपना हाथ रखा । और कहा वैसे कहने को तो मैं तेरी दादी की उम्र से भी ज्यादा की   हूं नंदा ने कहा चंपा ने कहा हां हम तेरी दादी की उम्र से भी ज्यादा की है । लेकिन हमारे यहां उम्र का कोई अंतर नहीं पड़ता क्योंकि हम सब भगवान शिव की सेविका है लेकिन तुम्हारी उम्र में तो पड़ता है । इसलिए तू हमें अपनी दादी ही समझ और मैंने तुझे स्त्री शरीर की रचना के बारे में भी बता दिया कि आखिर योनि की इज्जत करना सबके लिए आवश्यक है । उस बात को समझने की आवश्यकता है और हमने इस साधना के माध्यम से तुझे समझा भी दिया है  । ठीक है अब तू अगले चरण में प्रवेश कर हम लोगों से तू मुक्त हुआ और तू अपनी साधना के अगले दौर की ओर बढ़ जा । ऐसा कह कर के दोनों ही शक्तियां आशीर्वाद देकर के वहां से गायब हो गई । मूलक ने देखा वास्तव में जीवन की वास्तविकता का सारा तत्व क्या है अब उसके सामने अगला लक्ष्य था कि वह अपनी साधना को संपन्न करें । एक बार फिर से वह उस बाबा बने हुए व्यक्ति के पास गया और उससे कहने लगा कि बाबा अगले चरण के लिए मुझे दीक्षित कीजिए यानी आगे की बात बताइए । उन्होंने कहा ठीक है अब तू साधना के अगले चरण में पहुंच गया है अब साधना कर अब तुझे झंझावात का सामना करना पड़ेगा ।झंझावात यह सुनकर के मूलक तांत्रिक ने कहा यह क्या बला है । तब उस बूढ़े व्यक्ति ने उसे समझाया कि झंझावात नाम का एक प्रेत अब तुम्हारी परीक्षा लेगा ।

झंझावात हवाओं का एक ऐसा समूह है जो साथ में चलता है यह भी बावरा का ही सेवक है और बावरा की शक्ति के कारण ही बहुत तीव्रता से कार्य करता है । तो इसे हवा समझ ऐसी हवाएं जो किसी पर्वत को भी उखाड़ कर फेंक सकते है ऐसी भयानक और शक्तिशाली शक्ति से तुम्हारा सामना होगा । जाओ आगे की पूजा को संपन्न करो जो मंत्र जाप करना है उस मंत्र को जाप करते रहो । एक बार फिर से तुम्हें ओम भूम भूतेश्वरा बाबरा भूत सिद्धि मम वश्याम कुरू कुरू स्वाहा इस मंत्र की सिद्धि का प्रयास करते रहना है ।और आगे बढ़ते हुए । इस भूत मंत्र को भगवान भूतेश्वर को समर्पित करते हुए बावरा को सिद्ध करने की कोशिश करते रहना है । इसलिए अगले चरण में प्रवेश करो जाओ और अपनी साधना को आगे बढ़ाओ । उसकी बात को सुनकर के मूलक ने एक बार फिर से साधना करनी शुरू कर दी साधना वह कर ही रहा था । अचानक से एक बार फिर से चारों तरफ झाड़ियां और पेड़ हिलने लगे एक तेज तूफान सा वहां आने वाला था । जब वह जल चढाने लगा तो वह जल शिवलिंग पर ना गिरते हुए जमीन पर गिर रहा था । हवा इतनी तीव्र थी तो उसने सोचा इसका क्या किया जाए । तो फिर उसने शिवलिंग से सटाकर के ही और विपरीत दिशा की ओर करते हुए ताकि जल सीधा शिवलिंग पर ही चढ़े उसने कोशिश कर उस जल को वहां पर चढ़ाया । और इस प्रकार से मूलक ने उस दिन की साधना संपन्न की रात को वह जब सो रहा था । अचानक से तीव्र हवा चली और उसकी झोपड़ी के ऊपर के हिस्से पूरी तरह से हवा में उड़ता हुआ चला गया ।

थोड़ी देर बाद जो दीवारे उसने बनाई थी वह भी गिर गई । और अंततोगत्वा जिस खाट पर वह सो रहा था जो उसने स्वयं ही निर्मित की थी घास फूस के द्वारा और लकड़ी के टुकड़ों से वह भी उनके साथ उड़ता हुआ जंगल के बीच में गिरता पड़ता गिरता पड़ता चला गया । तूफान इतना तेज था कि वह समझ नहीं पा रहा था । किस प्रकार से इस तूफान का सामना किया जाए बहुत ही तीव्रता से हवाएं चल रही थी । उन हवाओं में उसने जब ध्यान लगाकर देखा तो कुछ काली प्रकार की आकृतियां दिखाई पड़ी । पूरी तरह से मूलक समझ चुका था यह तूफान प्रकृति द्वारा उत्पन्न किया हुआ नहीं है इसमें जरूर कोई तांत्रिक क्रियाएं है । और उनका कहना बिल्कुल सही था यह निश्चित रूप से झंझावात का काम है । झंझावात एक ऐसा प्रेत है जो हवाओं को तेजी से उड़ाता है और बहुत तेजी से चलाता है । झंझावात ने तीव्रता से शिवलिंग को अपने लपेटे में ले लिया और इस प्रकार वह शिवलिंग वहां से गायब हो गया । वह ऐसे चक्रवात में शिवलिंग फस गया जिस वजह से अब उस स्थान पर कुछ नहीं था । यह देख करके मूलक तांत्रिक जोर से चिल्लाया और हे महादेव हे महादेव हे महादेव कहता हुआ उस चक्रवात को देख कर के उसके पीछे दौड़ने लगा । वह चक्रवात शिवलिंग को उड़ाए जा रहा था अब बिना शिवलिंग के की हुई सारी साधना असफल हो जाने वाली थी । अगर उस शिवलिंग पर दोबारा से पूजा उसी स्थान पर नहीं की जाती तो अब तक की गई सारी साधना असफल हो जाती । इसलिए मूलक तांत्रिक उस चक्रवात के पीछे दौड़ता हुआ भागने लगा लेकिन तब तक देर हो चुकी थी । चक्रवात शिवलिंग को उठाए हुए लिए हुए जा रहा था और उसके बीच में चक्रवात के बीच में फंसा शिवलिंग घूमता हुआ एक दिशा की ओर बढ़ रहा था । अब क्या हुआ क्या बोला तांत्रिक ने अपनी साधना पूरी तरह से संपन्न कर पाया क्या । मुलक तांत्रिक इस मुसीबत से अपने आप को बचा पाया जानेंगे हम लोग अगले भाग में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

बाबरा भूत और नवलखा मंदिर का मूलक तांत्रिक भाग 5

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