Site icon Dharam Rahasya

बाबा काली वीर जी कथा और साधना

बाबा काली वीर जी कथा और साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग बाबा कालीवीर जी की कथा और साधना के विषय में ज्ञान प्राप्त करेंगे, जिसका पूरी तरह से एक विधान है और इसके संबंध में ईमेल के माध्यम से कई दर्शकों ने भी कहा था तो चलिए शुरू करते हैं। सबसे पहले जानते हैं कि आखिर बाबा कालीवीर जी कौन है और इनके संबंध में इनके चालीसा और साधना का जो मंत्र है, वह किस प्रकार से वर्णित है। तो जैसा कि हम जानते हैं कि बाबा कालीवीर जी को नागों के देवता के रूप में जाना जाता है। इनके संबंध में जो विवरण आता है वह इस प्रकार से है कि यह माना जाता है कि बाबा कालीवीर जी इस कलयुग में कई बार अवतार लिए हैं। इसके अलावा उन्होंने त्रेता युग में लक्ष्मण जी का अवतार लिया था और यह माना जाता है कि द्वापर युग में बलराम जी का अवतार भी इन्हीं को कहा जाता है। बाबा कालीवीर जी ने कश्मीर में जन्म लिया था और उनके पिता का नाम राजा ईसर और माता का नाम केसरी था। यह भी कहा जाता है कि बाबा कालीवीर जी ने इंद्रदेव की बेटी के साथ विवाह किया था। बाबा कालीवीर का अधिकतर जीवन अयोध्या में ही बीता था।

इन्हें हम नागों के देवता के नाम से जानते हैं और उसी स्वरूप में इनकी पूजा भी करते हैं। जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में लोग इन्हें नाग देवता के रूप में मानकर उनकी पूजा करते हैं। बाबा कालीवीर जी को राजा मंडलीक के वजीर के रूप में भी लोग मनाते हैं। ऐसा वर्णन आता है कि बाबा कालीवीर जी ने राजा मंडलीक को कई बार युद्ध में विजय दिलाने में मदद की थी। बाबा कालीवीर जी काले घोड़े की सवारी करते हैं और इनका जो वस्त्र है, वह भी काला है। बाबा कालीवीर जी के सिर पर लाल पगड़ी होती है इनका स्वरूप दिखने में कुछ इस प्रकार से है कि बाबा कालीवीर हाथ में तलवार लेकर काले घोड़े पर सवार होकर जिनके गले में नाग लिपटा हुआ है, दिखाई पड़ते हैं। जम्मू कश्मीर के लोग बाबा कालीवीर जी को कुल देवता के रूप में भी मानते हैं और कुल देवता के रूप में इनकी पूजा करते हैं। क्योंकि राजा कालीवीर जी ने राजा मंडलीक को कई बार युद्ध में जीत दिलाई जब वह हार चुके थे। लगभग एक बार जब राजा मांडलिक को बंगाल की एक रानी सिर्गला ने अपने काली तंत्र जादू की मदद से उन्हें बंदी बना लिया था और अपने वश में करके रख लिया। तब बाबा कालीवीर जी ने अपनी शक्ति से राजा मंडलीक को बचाया था। बाबा कालीवीर की कहानी हर युग में सुनी जाती है। उन्होंने हर युग में अवतार लिया था। जम्मू कश्मीर में रहने वाले लोगों के घरों में बाबा कालीवीर की तस्वीर देखने को मिलती है और यहां लोग इन्हें कुल देवता के रूप में पूजते हैं। जम्मू-कश्मीर के साथ हिमाचल। प्रदेश! और पंजाब में कालीवीर जी की पूजा कैसे की जाती है। ऐसा माना जाता है कि बाबा कालीवीर जी दुनिया के पहले सरदार के तौर पर कालीवीर जी को कलयुग का सरदार के नाम से भी जाना जाता है। बाबा कालीवीर जी भगवान महादेव के चेले यानी कि शिष्य भी कहलाते हैं।

यह भी कहा जाता है कि इन्होंने अपना सत्य कभी किसी को नहीं बताया और कलयुग में सभी भक्तों के कष्ट मिटाने के लिए घर में उनके प्रकट हुए। उनकी समस्याओं का निवारण करते हैं। बाबा कालीवीर जी की चौकी कई जगह लगाकर उन के माध्यम से लोगों के कष्ट साधक लोग दूर करते हैं। यह कहा जाता है कि बाबा कालीवीर जी को कोई भी जो सच्चे मन से याद करता है, इनकी साधना करता है। उसे सिद्धि प्राप्त होती है और यह उस साधक की मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं। बाबा कालीवीर जी के भारत में कई मंदिर भी बने हुए हैं जहां पर जाकर लोग बाबा कालीवीर जी से सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। बाबा कालीवीर देव का जो आवाहन मंत्र है, यह वहां की लोकल लैंग्वेज में हमें सुनने को मिलता है कि मैं आज उसी को आपको पहले पढ़कर सुनाता हूं-

जय राजा कालीवीर
जय गुग्गे दा बजीर
जय-जय कालीवीर
सांई 52 वीरें दा
सहाई साध-फकीरें दा
मालक धनालें दे सीरें दा
योद्धा तीरें-श्मशीरें दा
काले घोड़े दा सवार
हत्थ लेदी तलवार
शाम सौली नौहार
गल चिट्टड़े ने हार
सील बैंत दा जाया
जप जोग कमाया
कष्ट रोग नठाया
मन कश्मीर जुद्धया च काया
तन तेरी माया
जय राजा कालीवीर
जय गुग्गे दा बजीर
मुनि-गुणी जोगी ऐ
मास-पत्त दा भोगी ऐ
पूजा परजोगी ऐ
देवता संजोगी ऐ
अदूनाथ दा चेला
तेरा थान तेरा बेल्ला
तन मारू मरेला
तेरा सांभ संगेला
पैन गुग्गड़ी दा वीर
छिक्कै पिंजनी मारै तीर
मंडलीकैं दा ऐ बजीर
सुट्टै फट देवै चीर
कौल दा धनी
कुत्थै थान कुत्थै बनी
गल बासक मनी
शोभा तेरी घनी
हिंदुएं दा खालक ऐ
गौ-ब्राहमण दा पालक ऐ
माता तेरी कालक ऐ
तूं सच्चा औदा बालक ऐ
जय राजा कालीवीर
जय गुग्गे दा बजीर
पैन गुग्गड़ी दी मन्न
नीले ताजिये दी मन्न
अठें तपियें गी मन्न
नौमें शिवें तपियें गी मन्न
सुर्ग ओं तां सुर्गा फिरो
प्याल ओं तां प्याला फिरो
देस ओं तां देसा फिरो
परदेस ओं तां परदेसा फिरो
मंडिये दी लाज रखो
चेले दी भलैई रक्खो
भक्तें दी भक्ती चेता रक्खो
बच्चड़े दी सच्चाई मन रक्खो
सीसां हस्सो मुखां बोलो
अमरत बोलो बादशाह जी
सिद्धी पायो राह जी
अपनी देओ थाह जी
जय राजा कालीवीर
जय गुग्गे दा बजीर
करों सारें दी भलाई
आखै तुकी कालका माई
जय माता मल्ल रानिए
अंबे सिंह भवानिए
माता देविएं दी रानी
माता रानिएं दी महारानी
पुक्खे गी भोजन
त्र्याएं गी पानी
औतरां दे घर ऐंसेआ दे
जय माता मल्ल रानिए
तेरी साम तेरी साम
सुर्ग ओ तां सुर्गा फिरो
प्याल ओ तां प्याला फिरो
मंडियै दी लाज रक्खो
चेलै दी भलैई रक्खो
भगतिए दी भगती चेतै करो
देसा फिरो परदेसा फिरो
प्रगटो प्रगटो आओ बाहर
अपनी ओंद करो जाहर
सीसें हस्सो मुखा बोलो
अमरत बोलो बादशाह जी
श्री महावीर जी श्री कालीवीर जी
ठंडी चौलो पौन जी
बगाओ निर्बल सीर जी
नाथै टौलियै दी दुहाई ऐ
गंग देवक दी दुहाई ऐ
जय बीर जय कालीवीर
बीरें दा बीर कालीवीर
काले झुंडे काली शमशीर
साधे दा डंडा मुशटंडे दा पीर
जय जय मल्ल रानी
जय जय कालीवीर।

यह कालीवीर का आवाहन मंत्र है और कोई भी साधक इनकी साधना अगर करना चाहता है तो इनकी मूर्ति के सामने अखंड दीपक जलाकर 41 दिनों तक रोजाना, एक माला मंत्र जाप रात्रि के समय बैठकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके शुद्ध काले वस्त्र पहनकर और काले रंग के ऊनी आसन पर बैठकर। सबसे पहले गुरु मंत्र का ध्यान कर मंत्र जाप करें। फिर भगवान शिव के मंत्र का जाप करें और फिर माता काली के किसी भी मंत्र का 11 बार जप करके उनसे आज्ञा ले और उसके बाद फिर इनके इस स्त्रोत या मंत्र को रोजाना एक माला रात्रि के समय करे जप 41 दिन अखंड दीपक जलाए रखें। साधना के दौरान पूरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन करें। भयभीत ना हो अगर साधना के दौरान सांप इत्यादि आए तो उनसे भी ना डरे क्योंकि किसी भी प्रकार से अगर शक्तियां आकर भयभीत करेंगी तो उससे आप प्रभावित ना हो इससे यह बाबा कालीवीर प्रसन्न हो जाते हैं और पहले सर्प के रूप में और बाद में साक्षात काले घोड़े के ऊपर बैठकर दर्शन देते हैं। इनकी सिद्धि हो जाने पर आप विभिन्न प्रकार के चमत्कार कर सकते हैं और इनकी सिद्धि जल्दी होने की पूरी संभावना रहती है। जिन लोगों के लिए कुल देवता है उनकी पूरी परिवार की रक्षा सदैव करते रहते हैं। इस स्त्रोत के माध्यम से उनकी साधना की जाती है। इसके अलावा इनका एक खुद का चालीसा भी है।

कालीवीर चालीसा

काली-पुत्र का नाम ध्याऊ, कथा विमल महावीर सुनाऊ|
संकट से प्रभु दीन उभारो, रिपु-दमन है नाम तिहारो|
विद्या, धन, सम्मान की इच्छा, प्रभु आरोग्य की दे दो भिक्षा|
स्वर्ण कमल यह चरण तुम्हारे, नेत्र जल से अरविंद पखारे|
कलिमल की कालिख कटे, मांगू मैं वरदान|
रिद्धि-सिद्धि अंग-संग रहे,  सेवक लीजिए जान|
श्री कुलपति कालीवीर प्यारे,
कलयुग के तुम अटल सहारे|
तेरो बिरद ऋषि-मुनि हैं गावें,
नाम तिहारा निसदिन धयावे|
संतों के तुम सदा सहाई,
ईश पिता और कलिका माई|
गले में तुम्हारे हीरा सोहे,
जो भक्तों के मन को मोहे|
शीश मुकट पगड़ी संग साजे,
द्वार दुंदुभी, नौबत बाजे|
हो अजानुभुज प्रभु कहलाते,
पत्थर फाड़ के जल निसराते|
भुजदंड तुम्हारे लोह के खम्भे,
शक्ति दीन्ह तुम्हे माँ जगदम्बे|
चरणन में जो स्नेह लगाई,
दुर्गम काज ताको सिद्ध हो जाई|
तेरो नाम की युक्ति करता,
आवागमन के भय को हरता|
जादू-टोना, मूठ भगावे,
तुरतहि सोए भाग्य जगावे|
तेरो नाम का गोला दागे,
भूत-पिशाच चीख कर भागे|
डाकनी मानत तुम्हरो डंका,
शाकनी भागे नहीं कोई शंका|
बावन वीरों के तुम स्वामी,
अखिल जगत तुम्हारा अनुगामी|
अद्धभुत तुम्हरी सेना आवे,
दुष्टों के जो प्राण सुखावे|
वीर तुम्हारे विकट हैं योद्धा,
शिवगण धारे प्रबल क्रोधा|
हाथ में अनुपम खड़ग सुहावे,
असुरों को जो मार मुकावे|
बदन भयंकर छाती चौड़ी,
अद्धभुत नाहर संग है जोड़ी|
मंत्र मान्यो मंडलीक स्नेही,
जीत्यो गजनी पल भर में ही|
काल दैत्य को तुमने मारा,
दुष्ट दलन कियो बारम्बारा|
वासुकि आए तुम्हारी शरणा,
हृदय लगाए दिखाई करुणा|
बीता द्वापर कलयुग आया,
चहुँ और अंधियारा छाया|
दैत्य, असुर, दुराचारी, लोभी,
अत्याचारी संतन अति क्षोभी|
यज्ञ भंग ध्वनि त्राहि-त्राहि,
सदा मुनिजन संत कराहिं|
गंगाधर की टूटी समाधि,
चिंतन बैठी शक्ति अनादि|
ब्रह्मा, विष्णु कैलाश पे आये,
शिव भोले को वचन सुनाये|
धरा दुखी रोवे नर-नारी,
मिटी धर्म की रेखा सारी|
रक्तपान संहार की लीला,
सुरसा सम बढ़े असुर कबीला|
है सन्मति की सूखी धारा,
मृत्यु-लोक बना काली कारा|
शिवा संग सोचे त्रिपुरारी,
विपदा दूर हो कैसे भारी|
अंतिरिक्ष से आशुतोष उतारे,
एकार्णव में शेष अवतारे|
कहयो काली नाम है धरना,
अवतरो वीर प्रकाश है करना|
मेटो अंधेरा धरा पे जाओ,
धर्म-ध्वजा को तुम फहराओ|
महादेवी की अद्धभुत माया,
किरणों का एक अश्व बनाया|
तुम सारथी यह तुम्हारा वाहन,
कलयुग का तुम करो विदारन|
जग का तुम अंधियारा मेटो,
जाल पाप का जाए समेटो|
भोले शिव तुम्हें दीन्ह आदेसा,
संतन के तुम हरो कलेसा|
धरती के संताप हटाइये,
दीनन के सब कष्ट मिटाइये|
जो कोई ताको कृपा चाहे,
पढ़े चालीसा जाप करावे|
जो नित कालीवीर ध्यावे,
समरथ, बल, सुबुद्धि पावे|
जयति-जयति जय देव तुम्हारी,
निशचय करो तुम विजय हमारी|

दोहा

तूने ही तो सब दिया और क्या रखूँ आस|
मनसा, वाचा, कर्मणा, रहूं मैं तेरा दास|
बोल – कालीपुत्र की जय|
         महावीर रणधीर की जय|

इसे हम कालीवीर चालीसा कहते हैं। उसको भी पढ़ कर आप इनकी मंत्र जाप के बाद। अवश्य कर सकते हैं जिससे और भी अधिक वह प्रसन्न होंगे। यह है बाबा कालीवीर की जी की साधना, बिल्कुल सरल और सामान्य तरीके से की जा सकने वाली लेकिन क्योंकि इस साधना में सामना आपका विभिन्न प्रकार की शक्तियों से होता ही है। इसलिए तैयार रहें और भयभीत ना हो। किसी एकल एकांत जगह पर ही इस साधना को करें। भोजन स्वयं बनाएं और जिस प्रकार माता काली की आराधना की जाती है। लगभग उसी प्रकार सारी नियमों का पालन करें क्योंकि यह माता काली के ही वीर कहलाते हैं। उनके पुत्र के रूप में आते हैं, समझ सकते हैं। इनकी सिद्धि कर के विभिन्न प्रकार के तांत्रिक कार्य और करवाए जा सकते हैं। और सभी षटकर्मों का प्रयोग किया जा सकता है। यह था साधना और विवरण बाबा कालीवीर जी का अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

Exit mobile version