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भगवान गणेश के 32 रूप और रहस्य

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग जानेंगे एक महान रहस्य के बारे में और यह रहस्य है। भगवान गणेश हम लोग भगवान गणेश के प्रमुख स्वरूप उनके रहस्यों को बारे में जानेंगे। साथ ही साथ हम भगवान गणेश के 32 रूपों के विषय में भी पूरी तरह से जानेंगे। चलिए शुरू करते हैं। भगवान गणेश की कहानी तो सभी लोग जानते हैं, लेकिन इन के 12 प्रमुख स्वरूप माने जाते हैं। जैसे सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन।इनका वर्णन नारद पुराण में पहले आया था। इनके पिता भगवान शंकर है। माता भगवती पार्वती हैं। भाई श्री कार्तिकेय माने जाते हैं। बहन अशोक सुंदरी, मनसा देवी और देवी ज्योति हैं। इन की दो पत्नियां हैं रिद्धि और सिद्धि। पुत्र दो है शुभ और लाभ पुत्री जो इनकी संतोषी माता है। इनका प्रिय भोग मोदक या लड्डू है। प्रिय पुष्प जो लाल रंग का है, प्रिय वस्तु है दुर्वा (दूब) और शमी पत्र।

अधिपति यह जल तत्वों के माने जाते हैं।मुख्य अस्त्र – परशु , रस्सी और इनका वाहन मूषक है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गणेश जी को केतु के रूप में जाना जाता है किंतु एक छाया ग्रह है जो राहु नामक छाया ग्रह से हमेशा विरोध में रहता है। गणेश जी को मानने वाले का मुख्य प्रयोजन सर्वत्र देखना होता है। गणेश अगर साधन है तो संसार के प्रत्येक कण में वह विद्यमान है।कहते हैं। अनाज गणेश, अनाज को पैदा करने के लिए किसान की आवश्यकता होती है तो किसान भी गणेश है। किसान को अनाज बोने और निकालने के लिए बैलों की आवश्यकता है तो बैल भी गणेश अनाज होने के लिए खेत की आवश्यकता है तो खेत भी गणेश इस प्रकार चक्की से निकलकर रोटी तवा चिमटा, रोटी बनाने वाला और खुद खाने वाला भी गणेश यह महान रहस्य भगवान गणेश का माना जाता है। इनकी पूजा के बिना हम कोई भी शुभ कार्य नहीं कर सकते। वरना हमें पूरा फल प्राप्त नहीं होता है। इसीलिए भगवान गणेश बहुत ही उत्तम देवता माने जाते हैं। चलिए अब बात करते हैं इनके मंगलकारी 32 स्वरूपों के बारे में, क्योंकि इसके विषय में बहुत ही कम लोगों को ज्ञान है। क्योंकि? मुद्गल पुराण में इसका वर्णन देखने को मिलता है। भगवान गणेश के यह बत्तीस मंगलकारी स्वरूप अगर कोई ध्यान करता है तो उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और भगवान गणेश की अवश्य ही कृपा प्राप्त होती है। यह बहुत ही दुर्लभ और रहस्यमई ज्ञान है। भगवान गणेश अपने इन 32 रूपों में। बहुत ही दुर्लभ सिद्धियां प्रदान करते हैं। इनका सटीक ध्यान कर लेने वाला अवश्य ही इन्हें सिद्ध कर ले जाता है। इनके? इन 32 रूपों का ध्यान एकांत में अकेले बैठकर जन शून्य स्थान पर करना चाहिए। एक से लेकर पूरे 32 स्वरूपों को ध्यान करते हुए आपको यह 32 स्वरूपों के विषय में। जाप और ध्यान लगाना चाहिए भगवान गणेश अपने इन स्वरूपों में। बहुत ही दुर्लभ और तत्व रूप की सिद्धि करवाते हैं। इसलिए भगवान गणेश बहुत ही दुर्लभ देवता के रूप में इन रूपों में अपने स्वरूप को दर्शाने वाले हैं तो चलिए शुरू करते हैं इनके इन 32 स्वरूपों का वर्णन।

पहले श्री बाल गणपति इनकी 6 भुजाएं और शरीर का रंग लाल है। इनका ध्यान करें। श्री तरुण गणपति। आठ भुजाओं वाले और रक्त वर्ण शरीर वाले हैं। श्री भक्त गणपति। चारभुजा वाले सफेद रंग के शरीर वाले हैं। श्री वीर गणपति 10 भुजाओं वाले रक्त वर्ण शरीर के हैं। श्री शक्ति गणपति चार भुजाओं वाले सिंदूरी रंग के शरीर वाले हैं। श्री द्विज गणपति चार भुजाधारी शुभ वर्ण शरीर वाले हैं। श्री सिद्धि गणपति 6 भुजा वाले पिंगल वर्ण शरीर वाले हैं। श्री विघ्न गणपति 10 भुजा धारी सुनहरे शरीर वाले हैं। श्री उच्छिष्ट गणपति। चार भुजाओं वाले नीले रंग के शरीर वाले हैं। श्री हेरंब गणपति। आठ भुजाओं वाले सफेद रंग के हैं। श्री उद्ध गणपति 6 भुजा धारी कनक यानी सोने के रंग के शरीर वाले हैं। श्री क्षिप्र गणपति।

6 भुजा धारी रक्त वर्ण शरीर वाले हैं। श्री लक्ष्मी गणपति आठ भुजाओं वाले गौर वर्ण के शरीर वाले हैं। श्री विजय गणपति चार भुजाधारी रक्त वर्ण शरीर वाले हैं श्री महागणपति 8 भुजा धारी रक्त वर्ण के शरीर वाले हैं। श्री निर्त्त गणपति छ भुजाधारी रक्त वर्ण के शरीर वाले हैं। श्री एक अक्षर गणपति चार भुजाधारी रक्त वर्ण शरीर वाले हैं। श्री हरिद्रा गणपति।

6 भुजा धारी पीले रंग के शरीर वाले हैं श्री त्रियेक्ष गणपति। सुनहरे शरीर वाले तीन नेत्रों वाले चार भुजा धारी स्वरूप वाले हैं। श्री वर गणपति 6 भुजाओं वाले रक्त वर्ण शरीर वाले हैं। श्री ढूंढी गणपति।

चार भुजा धारी रक्तमणि शरीर वाले हैं श्री क्षिप्रप्रसाद गणपति 6 भुजाओं वाले रक्तमणि त्रिनेत्र धारी हैं श्री ऋण मोचन गणपति। चार भुजा धारी लाल वस्त्र धारी गणपति हैं श्री एकदंत गणपति। छठ पूजा वाले श्याम वर्ण शरीर के रंग वाले हैं।

सृष्टि गणपति चार भुजाधारी मूषक पर सवार रक्त वर्णी शरीर धारी स्वरूप में है। श्री द्वमुख गणपति 11 के चार भुजा धारी और दो मुख वाले हैं। श्री उद्दंड गणपति 12 भुजा धारी रक्तमणि शरीर वाले हाथ में कुमुदनी और अमृत का पात्र रखते हैं।

श्री दुर्गा गणपति 8 भुजा धारी रक्त वर्णी लाल वस्त्र पहने हुए दिखाई पड़ते हैं श्री त्रिमुखी गणपति तीन मुख वाले 6 भुजाओं वाले रक्त वर्ण शरीर धारी हैं। श्री योग गणपति। योग मुद्रा में विराजित नीले वस्त्र पहने चार भुजा धारी हैं। श्री सिंह गणपति श्वेत वर्णी 8 भुजा धारी सिंह के मुख और हाथी की सूंड वाले स्वरूप में दिखाई पड़ते हैं। श्री संकट हरण गणपति।

चार भुजा धारी रक्त वर्ण ही शरीर हीरा जड़ित मुकुट पहने दिखाई पड़ते हैं। तो यह सभी स्वरूप महा ध्यान में लाए जाने योग्य है। इनका सटीक ध्यान क्रम से लगाने वाला साधक भगवान गणेश के लोक को प्राप्त करता है और उनकी सिद्धियां भी उसे जल्दी मिल जाती हैं। अगर श्मशान में बैठकर इनके 32 स्वरूपों का ध्यान किया जाए तो भूत प्रेतों की सिद्धि हो जाती है। घर में बैठकर। ध्यान करने से। समस्त संकट टलते हैं। मंदिर में बैठकर ध्यान करने से आपके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

ध्यान रहे इनका ध्यान करते वक्त किसी और विषय पर नहीं सोचना चाहिए वरना। विघ्न आपके जीवन में आते हैं। तो यह थे अति गुप्त 32 स्वरूप जो भगवान गणेश के अगर आज का विडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करे शेयर करे subscribe करे आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ॥

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