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भगवान शिव के 108 नाम की सात्विक साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। भगवान शिव और उनके नामों का वर्णन अनंत बताया जाता है। इनकी साधना अगर सरल और सटीक तरीके से की जाए तो भी यह बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और मनोवांछित वरदान देते हैं। एक सरल और अत्यंत सात्विक साधना भगवान शिव के 108 नामों की है जिसकी मांग दर्शकों के द्वारा की गई थी तो वही मैं आपके लिए 108 नामों की सरल साधना को लेकर उपस्थित हुआ हूं जिसे कोई भी कर सकता है।

इस साधना को करने के लिए आपको सबसे पहले! भगवान भोलेनाथ के एक शिवलिंग का निर्माण करना होगा या फिर आपके अगर घर में शिवलिंग पहले से ही स्थापित है तो कोई बात नहीं। इस शिवलिंग को बनाने के लिए शमशान की मिट्टी, भस्म, काली गाय का गोबर दूध, घी, शहद, बिल्वपत्र, धतूरा वाले तार के का फूल, भांग, रुद्राक्ष की माला, लाल वस्त्र इत्यादि ले ले। घर में या किसी भी स्थान पर जहां शिवलिंग स्थापित करना है, उस स्थान को गोबर से लीप कर पवित्र करें। स्नान इत्यादि कार्यों से निवृत्त होकर मिट्टी भस्म और गोबर में गंगा जी का जल मिलाकर 16 इंच लंबा और 5 इंच मोटाई का शिवलिंग निर्मित करें।

भगवान शिव की पूजा किसी भी पूर्णिमा से आरंभ कर सकते हैं। किसी ज्योतिषी से मुहूर्त निकलवा ले। पूजा में सबसे पहले भगवान श्री गणेश मां जगदंबा पार्वती और अपने गुरु का पूजन करना आवश्यक है और उनसे आशीर्वाद लेकर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके। लाल रंग के आसन पर बैठकर मंत्र का या इनकी नामावली का जाप करें। आपको एक माला रोज करनी है और यह संकल्प 41 दिन का आप ले सकते हैं।

आप सबसे पहले गुरु मंत्र का जाप करो। उसके बाद श्री गणेश की स्थापना सुपारी में कलावा लपेटकर करने और उनका पूजन करें।

जो आपने शिवलिंग स्थापित किया, उसके दाहिने और भैरव जी को भी स्थापित कर ले। भैरव जी को लाल सिंदूर और लाल फूल अर्पित करें। इसके बाद वहां पर सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें। यह दीपक अगर आपके 41 दिन चलेगा तो बहुत अधिक शुभ होगा। वरना तांत्रिक साधना है, इसलिए आप जितनी देर साधना करें, उतनी देर दीपक को अवश्य ही प्रज्वलित रखें।

पंचामृत गंगाजल फूल निवेदित कर, भोलेनाथ का पूजन करने के बाद पंचमुखी रुद्राक्ष की छोटे दाने वाली माला भगवान शिव को पहना दे। वैसे ही दूसरी माला से जाप कर लीजिए पहली बार ।

साधना के बाद यह माला दिव्य हो जाती है और इसी पर आपको मंत्र का जाप करना है। मंत्र भगवान शिव का है और उसमें 108 नाम जुड़े हुए हैं तो चलिए शुरू करते हैं इन 108 नामों को जपना मंत्र के साथ में।

1. ॐ नमः शिवाय शिव:- कल्याण स्वरूप

2. ॐ नमः शिवाय महेश्वर:- माया के अधीश्वर

3. ॐ नमः शिवाय शम्भू:- आनंद स्वरूप वाले

4. ॐ नमः शिवाय पिनाकी:- पिनाक धनुष धारण करने वाले

5. ॐ नमः शिवाय शशिशेखर:- चंद्रमा धारण करने वाले

6. ॐ नमः शिवाय वामदेव:- अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले

7. ॐ नमः शिवाय विरूपाक्ष:- विचित्र अथवा तीन आंख वाले

8. ॐ नमः शिवाय कपर्दी:- जटा धारण करने वाले

9. ॐ नमः शिवाय नीललोहित:- नीले और लाल रंग वाले

10. ॐ नमः शिवाय शंकर:- सबका कल्याण करने वाले

11. ॐ नमः शिवाय शूलपाणी:- हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले

12. ॐ नमः शिवाय खटवांगी:- खटिया का एक पाया रखने वाले

13. ॐ नमः शिवाय विष्णुवल्लभ:- भगवान विष्णु के अति प्रिय

14. ॐ नमः शिवाय शिपिविष्ट:- सितुहा में प्रवेश करने वाले

15. ॐ नमः शिवाय अंबिकानाथ:- देवी भगवती के पति

16. ॐ नमः शिवाय श्रीकण्ठ:- सुंदर कण्ठ वाले

17. ॐ नमः शिवाय भक्तवत्सल:- भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले

18. ॐ नमः शिवाय भव:- संसार के रूप में प्रकट होने वाले

19. ॐ नमः शिवाय शर्व:- कष्टों को नष्ट करने वाले

20. ॐ नमः शिवाय त्रिलोकेश:- तीनों लोकों के स्वामी

21. ॐ नमः शिवाय शितिकण्ठ:- सफेद कण्ठ वाले

22. ॐ नमः शिवाय शिवाप्रिय:- पार्वती के प्रिय

23. ॐ नमः शिवाय उग्र:- अत्यंत उग्र रूप वाले

24. ॐ नमः शिवाय कपाली:- कपाल धारण करने वाले

25. ॐ नमः शिवाय कामारी:- कामदेव के शत्रु, अंधकार को हरने वाले

26. ॐ नमः शिवाय सुरसूदन:- अंधक दैत्य को मारने वाले

27. ॐ नमः शिवाय गंगाधर:- गंगा को जटाओं में धारण करने वाले

28. ॐ नमः शिवाय ललाटाक्ष:- माथे पर आंख धारण किए हुए

29. ॐ नमः शिवाय महाकाल:- कालों के भी काल

30. ॐ नमः शिवाय कृपानिधि:- करुणा की खान

31. ॐ नमः शिवाय भीम:- भयंकर या रुद्र रूप वाले

32. ॐ नमः शिवाय परशुहस्त:- हाथ में फरसा धारण करने वाले

33. ॐ नमः शिवाय मृगपाणी:- हाथ में हिरण धारण करने वाले

34. ॐ नमः शिवाय जटाधर:- जटा रखने वाले

35. ॐ नमः शिवाय कैलाशवासी:- कैलाश पर निवास करने वाले

36. ॐ नमः शिवाय कवची:- कवच धारण करने वाले

37. ॐ नमः शिवाय कठोर:- अत्यंत मजबूत देह वाले

38. ॐ नमः शिवाय त्रिपुरांतक:- त्रिपुरासुर का विनाश करने वाले

39. ॐ नमः शिवाय वृषांक:- बैल-चिह्न की ध्वजा वाले

40. ॐ नमः शिवाय वृषभारूढ़:- बैल पर सवार होने वाले

41. ॐ नमः शिवाय भस्मोद्धूलितविग्रह:- भस्म लगाने वाले

42. ॐ नमः शिवाय सामप्रिय:- सामगान से प्रेम करने वाले

43. ॐ नमः शिवाय स्वरमयी:- सातों स्वरों में निवास करने वाले

44. ॐ नमः शिवाय त्रयीमूर्ति:- वेद रूपी विग्रह करने वाले

45. ॐ नमः शिवाय अनीश्वर:- जो स्वयं ही सबके स्वामी है

46. ॐ नमः शिवाय सर्वज्ञ:- सब कुछ जानने वाले

47. ॐ नमः शिवाय परमात्मा:- सब आत्माओं में सर्वोच्च

48. ॐ नमः शिवाय सोमसूर्याग्निलोचन:- चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आंख वाले

49. ॐ नमः शिवाय हवि:- आहुति रूपी द्रव्य वाले

50. ॐ नमः शिवाय यज्ञमय:- यज्ञ स्वरूप वाले

51. ॐ नमः शिवाय सोम:- उमा के सहित रूप वाले

52. ॐ नमः शिवाय पंचवक्त्र:- पांच मुख वाले

53. ॐ नमः शिवाय सदाशिव:- नित्य कल्याण रूप वाले

54. ॐ नमः शिवाय विश्वेश्वर:- विश्व के ईश्वर

55. ॐ नमः शिवाय वीरभद्र:- वीर तथा शांत स्वरूप वाले

56. ॐ नमः शिवाय गणनाथ:- गणों के स्वामी

57. ॐ नमः शिवाय प्रजापति:- प्रजा का पालन- पोषण करने वाले

58. ॐ नमः शिवाय हिरण्यरेता:- स्वर्ण तेज वाले

59. ॐ नमः शिवाय दुर्धुर्ष:- किसी से न हारने वाले

60. ॐ नमः शिवाय गिरीश:- पर्वतों के स्वामी

61. ॐ नमः शिवाय गिरिश्वर:- कैलाश पर्वत पर रहने वाले

62. ॐ नमः शिवाय अनघ:- पापरहित या पुण्य आत्मा

63. ॐ नमः शिवाय भुजंगभूषण:- सांपों व नागों के आभूषण धारण करने वाले

64. ॐ नमः शिवाय भर्ग:- पापों का नाश करने वाले

65. ॐ नमः शिवाय गिरिधन्वा:- मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले

66. ॐ नमः शिवाय गिरिप्रिय:- पर्वत को प्रेम करने वाले

67. ॐ नमः शिवाय कृत्तिवासा:- गजचर्म पहनने वाले

68. ॐ नमः शिवाय पुराराति:- पुरों का नाश करने वाले

69. ॐ नमः शिवाय भगवान्:- सर्वसमर्थ ऐश्वर्य संपन्न

70. ॐ नमः शिवाय प्रमथाधिप:- प्रथम गणों के अधिपति

71. ॐ नमः शिवाय मृत्युंजय:- मृत्यु को जीतने वाले

72. ॐ नमः शिवाय सूक्ष्मतनु:- सूक्ष्म शरीर वाले

73. ॐ नमः शिवाय जगद्व्यापी:- जगत में व्याप्त होकर रहने वाले

74. ॐ नमः शिवाय जगद्गुरू:- जगत के गुरु

75. ॐ नमः शिवाय व्योमकेश:- आकाश रूपी बाल वाले

76. ॐ नमः शिवाय महासेनजनक:- कार्तिकेय के पिता

77. ॐ नमः शिवाय चारुविक्रम:- सुन्दर पराक्रम वाले

78. ॐ नमः शिवाय रूद्र:- उग्र रूप वाले

79. ॐ नमः शिवाय भूतपति:- भूतप्रेत व पंचभूतों के स्वामी

80. ॐ नमः शिवाय स्थाणु:- स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले

81. ॐ नमः शिवाय अहिर्बुध्न्य:- कुण्डलिनी- धारण करने वाले

82. ॐ नमः शिवाय दिगम्बर:- नग्न, आकाश रूपी वस्त्र वाले

83. ॐ नमः शिवाय अष्टमूर्ति:- आठ रूप वाले

84. ॐ नमः शिवाय अनेकात्मा:- अनेक आत्मा वाले

85. ॐ नमः शिवाय सात्त्विक:- सत्व गुण वाले

86. ॐ नमः शिवाय शुद्धविग्रह:- दिव्यमूर्ति वाले

87. ॐ नमः शिवाय शाश्वत:- नित्य रहने वाले

88. ॐ नमः शिवाय खण्डपरशु:- टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले

89. ॐ नमः शिवाय अज:- जन्म रहित

90. ॐ नमः शिवाय पाशविमोचन:- बंधन से छुड़ाने वाले

91. ॐ नमः शिवाय मृड:- सुखस्वरूप वाले

92. ॐ नमः शिवाय पशुपति:- पशुओं के स्वामी

93. ॐ नमः शिवाय देव:- स्वयं प्रकाश रूप

94. ॐ नमः शिवाय महादेव:- देवों के देव

95. ॐ नमः शिवाय अव्यय:- खर्च होने पर भी न घटने वाले

96. ॐ नमः शिवाय हरि:- विष्णु समरूपी

97 ॐ नमः शिवाय.पूषदन्तभित्:- पूषा के दांत उखाड़ने वाले

98. ॐ नमः शिवाय अव्यग्र:- व्यथित न होने वाले

99. ॐ नमः शिवाय दक्षाध्वरहर:- दक्ष के यज्ञ का नाश करने वाले

100. ॐ नमः शिवाय हर:- पापों को हरने वाले

101. ॐ नमः शिवाय भगनेत्रभिद्:- भग देवता की आंख फोड़ने वाले

102. ॐ नमः शिवाय अव्यक्त:- इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले

103. ॐ नमः शिवाय सहस्राक्ष:- अनंत आँख वाले

104. ॐ नमः शिवाय सहस्रपाद:- अनंत पैर वाले

105. ॐ नमः शिवाय अपवर्गप्रद:- मोक्ष देने वाले

106. ॐ नमः शिवाय अनंत:- देशकाल वस्तु रूपी परिच्छेद से रहित

107. ॐ नमः शिवाय तारक:- तारने वाले

108. ॐ नमः शिवाय परमेश्वर:- प्रथम ईश्वर

इस प्रकार से आप समझ सकते हैं कैसे भगवान शिव के 108 नामों का जाप आपको करना है। इससे सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है। अगर आप एक माला जाप करते हैं तो आपके लिए कुछ भी असंभव! नहीं रहता है लेकिन जो लोग छोटी पूजा करना चाहते हैं, वह इसी प्रकार प्रतिदिन एक बार से 7 बार जैसा भी आपकी क्षमता हो। उस हिसाब से साधना कर सकते हैं और जिनको सिद्दी की कामना है वह रात्रि काल में यानी कि 11 बजे से शुरू होनी चाहिए और 3:00 बजे तक समाप्त हो जानी चाहिए एक माला। 41 दिन अगर इस तरह करते हैं तो आपको दुर्लभ सिद्धि की प्राप्ति होती है। भगवान शिव आप को दर्शन देते हैं अथवा आपको कोई शक्तिशाली योगिनी शक्ति प्रदान करते हैं। तो जैसी आपकी सामर्थ्य! उसी प्रकार से साधना को आप कर सकते हैं।

सबसे बड़ी बात यह एक सात्विक साधना है। इसी कारण से आप कोई भी व्यक्ति इसको साधना को कर सकता है। साधना के दौरान अगर इस विशेष प्रकार की कोई अनुभव होते हैं तो उसे किसी से व्यक्त ना करें। केवल अपने गुरु से व्यक्त कर सकते हैं और उस रुद्राक्ष की माला से आप जब जाप करते हैं तो चारों और विभिन्न प्रकार की विकिरण आपको नजर आती हैं। चमत्कारिक विकिरण चारों तरफ फैल जाती हैं। सुगंधित वातावरण हो जाता है और चारों तरफ दिव्य शक्तियों का एक प्रकार से आगमन आपको नजर आता है। भगवान शिव की शक्ति इसमें बहुत ही सत्विकता से आपको प्राप्त होती हैं और अगर यह साधना 12 वर्ष की जाए तो अवश्य ही भगवान शिव के साक्षात दर्शनहोते हैं । लेकिन उस के लिए आपको एकांत में इनके मंत्रों का जाप करना होगा और? 12 वर्ष तक अखंड दीपक जलाना अनिवार्य है। यह कोई छोटी मोटी साधना नहीं है। यह एक बहुत ही सुंदर सात्विक और बहुत ही शक्तिशाली साधना है। भगवान शिव के मंत्रों से संपुट होती हुई उन के 108 नामों को दर्शाने वाली।

दिव्य योगिनी की सिद्धि दिलाने वाली यह बहुत ही सरल और प्रत्येक व्यक्ति के द्वारा की जा सकने वाली साधना है जो भगवान शिव की निश्चित कृपा दिलाती है। आशा करता हूं आप सभी लोगों को यह साधना पसंद आई होगी।

आप सभी का दिन मंगलमय हो ओम नमः शिवाय।

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