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भद्रा देवी की स्वर्ण मूर्ती भाग 3

भद्रा देवी की स्वर्ण मूर्ति भाग 3

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है अभी तक लोगों ने इस कहानी में जाना है की किस प्रकार से नहुषा को उसके गुरु राजदेव एक विशेष स्थान के लिए भेजते हैं जहां उसे नीलमणि को प्राप्त करना है उस मणि को प्राप्त करने के लिए वह जब उस स्थान पर पहुंचता है तो उसे रोकने के लिए एक डंडा धारी पुरुष वहां पर तैयार खड़ा मिलता है आइए जानते हैं आगे क्या होता है नहुशा उस डंडा लिए व्यक्ति को देखकर आश्चर्य में पड़ जाता है और उससे प्रसन्न करने लगता है कि आप मुझे क्यों रोक रहे हैं कृपया मुझे आगे जाने दीजिए मेरा उद्देश्य आपसे लड़ना नहीं है मैं यहां पर एक विशेष तरह की नीलमणि को प्राप्त करने के लिए आया हूं गुस्से से पागल हुआ वह डंडा धारी पुरुष जोर-जोर से कहने लगा मैं उस नीलमणि का रक्षक हूं और मैं तुम्हें किसी भी प्रकार से उस नीलमणि के पास जाने नहीं दे सकता तुम होते कौन हो उसके पास जाने के और वह गुस्से से आगबबूला होने लगा उसकी बात को सुनकर के नहुषा को लगा कि यह अवश्य ही मुझ पर हमला करेगा नहुषा ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की नहुषा उससे कहने लगा कि रुक जाओ हे भद्र पुरुष इससे पहले कि तुम कुछ गलत सोचो मैं तुम्हें कुछ बातें बताना चाहता हूं आपने कहा कि यह पूरा क्षेत्र स्वर्णमई है और इसी स्वर्ण को प्राप्त करने की मेरी इच्छा है तो क्या मैं अपने तप से अपनी मेहनत से इसे प्राप्त नहीं कर सकता इसलिए मैंने और मेरे गुरु ने कोशिश करने की सोची है सामने स्वर्ण पर्वत पर मैं नीलमणि ले करके पहुंचा तो अवश्य ही मुझे यह खजाना प्राप्त हो जाएगा मेरा मन किसी भी प्रकार से दूषित नहीं है कृपया मेरी भावनाओं को समझिए वह डंडा धारी पुरुष जोर से कहने लगा तू यहां आ तो गया है लेकिन अब जीवित नहीं जाएगा

मैं तुझे अपने डंडे से मार मार कर के यहां से भगा दूंगा और अगर यहां तो टिका रहा तो तेरी मृत्यु निश्चित है नहुषा सोचने लगा इस प्रकार से कुछ भी संभव हो सकता है कि मैं मारा जाऊ और मेरी यह साधना यही ही अधूरी रह जाए तभी नहुषा को ख्याल आता है कि वह माता को याद करें और वह मन ही मन माता का ध्यान करने लगा माता श्मशान काली तुरंत ही वहां पर ध्यान पर अदृश्य रूप में वहा आ गई उनको पहचानने में नहुषा को तनिक भी देर नहीं लगी उनकी और देखते हुए मन ही मन वह कहने लगा माता मेरी रक्षा करो यह पुरुष मुझे आगे नहीं जाने दे रहा है और मैं इसके आगे जा भी नहीं सकता हूं क्योंकि यह इस प्रकार से हमारे बीच में आ गया है कि मुझे नहीं लगता मैं इस कार्य में सफल हो पाऊंगा अब आप ही कुछ कीजिए माता उसके हृदय में भावना भरने लगी और कहने लगी पुत्र तुम जिस कार्य हेतु यहां आए हो उसके लिए आगे बढ़ो समस्याएं और परेशानियां सदैव आती ही रहती है लेकिन कभी भी उनसे घबराना नहीं चाहिए सदैव इस बात के लिए तैयार रहना चाहिए की परेशानी और समस्याओं का सामना किया जाए जीवन इसी तरह का है और यह नई नई चुनौतियां पैदा करता रहता है उनकी बात को हृदय में स्थापित करके वह तैयार हो गया और उस डंडा धारी पुरुष की और दोड़ने लगा वह डंडा धारी पुरुष गुस्से में आकर इन्हें मारने के लिए दौड़ा और पहला बार उसने इनके सर पर कर दिया जैसे ही नहुषा लहूलुहान हुआ माता क्रोध में भरकर के वहां पर प्रकट हो गई

और चेतावनी देकर नहुषा से कहने लगी कि अगर तेरी इच्छा हो तो मैं इसी समय इस डंडा धारी का वध कर दूं नहुषा ने कहा माता यह अपने कार्य के लिए यहां पर खड़ा है आप इसे क्षमा कीजिए लेकिन डंडा धारी रुकने का नाम नहीं ले रहा था और वह माता से युद्ध करने लगा माता ने भी उसके साथ युद्ध करना शुरू कर दिया नहुषा ने कहा माता इसका वध नहीं करना सिर्फ इसे रोकना है माता श्मशान काली उस पर अपने खड़क से वार करती और वह डंडा धारी दूर उछल करके गिरता फिर से उठकर दोड़ते हुए आता और फिर माता पर प्रहार करता माता के शरीर पर पढ़ते ही उसका गंदा टूट गया मां क्रोध से भर गई और उन्होंने उस डंडा धारी की गर्दन पकड़ कर उसे हवा में उठा लिया और कहा कि मेरे पुत्र को यहां से जाने दे अन्यथा मैं तेरा वध अभी ही कर दूंगी नहुषा आगे बढ़ने लगा इधर माता श्मशान काली ने उसको पकड़ के रखा था काफी देर लड़ने के बाद में वह अपना आत्मसमर्पण कर दिया और कहने लगा मुझे क्षमा कीजिए माता मैं स्थान भैरव हूं मैं इस स्थान का स्वामी हूं और मुझे इसी कार्य हेतु यहां पर नियुक्त किया गया है कि इस नीलमणि की रक्षा करू मणि की रक्षा के लिए ही मेरा जीवन है इसलिए मैं जो भी काम कर रहा हूं वह मेरा कर्तव्य है माता मुझे क्षमा कीजिए मां श्मशान काली उसे नीचे उतार देती है इधर नहुषा आगे बढ़ जाता है

वहां पर एक दिव्य स्त्री प्रकट हो जाती है और कहती है अगर तुम्हें नीलमणि चाहिए तो सोन करवा लाओ यह सुनकर के नहुशा आश्चर्य में पड़ जाता है की सोन करवा क्या होता है सोन करवा एक विशेष तरह का सोने का बना हुआ करवा था जो सोन नदी में मिलना था सोन नदी में जाना पड़ता और वहां से उस दिव्य करवे को प्राप्त करना होता पर वहां तो नदी बह रही थी और उसके पार ही वह करवा मिल सकता था इस पर नहुषा ने कहा कि हे देवी मैं कैसे प्राप्त करूंगा सामने सोन नदी है तब उस देवी ने कहा किसी भी प्रकार से तू नदी पार करके उस स्थान तक पहुंच सोन करवा नाम के स्थान पर तुझे एक करवा मिलेगा जो सोने का बना होगा उसको ला करके इस मणि से छुआ देना जैसे ही तू उसे छू आएगा तो तुरंत ही मणि अपना स्थान बदल लेगी फिर तू उसे पकड़ सकेगा एक नई चुनौती नहुषा के सामने आ चुकी थी नहुषा ने सोचा कि ठीक है अब सोन नदी के पास जाना होगा उस वक्त सोन नदी अलग ही दिशा से बहती थी कुछ देर बाद सोन नदी पर पहुंचने पर वह नदी को पार करने के लिए आगे बढ़ने लगा तभी उस नदी में उसे कई विशेष तरह के जीव दिखाई दिए जो मांस भक्षी थे मांस भक्षी जीवो को देख कर के वह आश्चर्य में पड़ गया कि अब किस तरह से वह नदी पार करेगा क्योंकि अगर उसने नदी नहीं पार की तो वह सोन करवा नहीं ला पाएगा और सोन करवा तक पहुंच भी नहीं पाएगा यही सोचते हुए वह विचार करने लगा एक बार फिर से उसने माता श्मशान काली को याद किया और वहां पर एक बार फिर से श्मशान काली प्रकट हो गई

मां श्मशान काली ने पूछा कि पुत्र अब मुझे क्यों याद किया है क्या कारण है जिसकी वजह से तुमने मुझे याद किया है तुरंत ही नहुषा ने कहा कि मेरे को नदी उस पार उतरना है वहां पर एक सोन करवा नाम का स्थान है वहां जाकर के मुझे सोने का करवा मिलेगा उस सोन के करवे को ला करके ही मैं मणि को प्राप्त कर सकता हूं कृपया मेरी मदद करें महाकाली कहने लगी सुन पुत्र तुझे अगर नदी पार जाना है तो तुझे या तो पुल बनाना होगा अथवा नाव बनानी होगी लेकिन कर्म तो तुझे ही करना होगा मैं तो सिर्फ तेरी सहायता ही कर सकती हूं नहुषा ने कहा ठीक है मैं यहां के पेड़ों की डालियां काट लेता हूं पर मुझे कोई नाविक चाहिए जो नाव बना सके माता ने कहा ठीक है नहुषा ने थोड़ी ही देर में वहां बहुत सारे पेड़ों को गिरा दिया उनकी डालिया इखट्ठी कर ली और सारी डालिया इखट्टी करने के बाद उनको एक स्थान पर लाकर रख दिया तभी माता काली ने वहां पर एक दिव्य पुरुष को उत्पन्न किया उस दिव्य पुरुष ने तुरंत ही उसकी एक चौकोर नाव बना दी जो पानी में डालने पर डूबती नहीं थी यानी पानी की सतह पर चलती रहती थी एक लंबे डंडे की सहायता से अब नहुषा उस और चलने लगा जिस और नदी का दूसरा किनारा था नहुषा धीरे-धीरे करके उस स्थान तक पहुंच गया और फिर नदी के पार उतर गया उसने नाव को किनारे पर लटका दिया

ताकि वापसी में वह फिर से वह नदी पार कर सके सोन करवा नाम के स्थान पर पहुंच कर के वह देखता है कि वहां पर जमीन में कई तरह का सोना पड़ा हुआ है सोना जो मिट्टी से अंदर हल्का हल्का दिखाई देता था इसलिए उसने उस जमीन को खोदना शुरू कर दिया खोदने पर कई सारे सोने के सिक्के उसे दिखाई दिए लेकिन करवा जल्दी नहीं मिल रहा था कई देर खोदने के बाद उसे करवा दिखाई दे गया और उसने उस सोने के करवे को उठा लिया जैसे उसने करवा उठाया सारी जमीन जितना भी सोना था धरती के अंदर चला गया यह देखकर के वहां आश्चर्य में पड़ गया की ऐसा कैसे संभव है अभी तक जो मैं देख रहा था क्या वह माया थी तभी वहां पर उस करवे से एक देवी प्रकट हो गई वह देवी नहुशा के सामने आकर के कहती है कि यह स्थान सोन करवा कहलाता है और इस स्थान पर सोना गड़ा हुआ है भविष्य में लोग इस सोने को प्राप्त करने के लिए इस सोन करवे स्थान पर आएंगे और यहां पर आ करके इसे प्राप्त करने की कोशिश करते रहेंगे इसलिए मैंने सोने को धरती के अंदर कर दिया है केवल तुझे सोन करवा ही चाहिए था इसीलिए मैंने तुझे इस सोन करवे को प्रदान करती हूं जा अपने जिस कार्य के लिए तो आया था उसे अवश्य ही तू संपन्न करेगा मैं कुछ इसलिए नहीं बोल रही कि तेरे साथ माता श्मशान काली खड़ी दिखाई देती है

चला जा यहां से और इस सोन करवे स्थान के बारे में किसी ओर को ना बताना इस प्रकार से नहुषा उस स्थान से बाहर निकल आता है नदी पार करके वह फिर इस पार आ जाता है और उस स्थान पर पहुंचता है जहां पर नील बड़ी रखी हुई थी नीलमणि के पास पहुंचता है और वहां पर एक दिव्य स्त्री खड़ी हुई दिखाई देती है और वह कहती है कि तू ले आया करवा ला करवा मुझे दे दे इस पर नहुषा कहता है मेरे को इसे नीलमणि से छु आना है जब मैं इसे छू आऊंगा तब नीलमणि मेरे हाथ में आएगी वह स्त्री इतने गुस्से में आ जाती है कहती है मुझे करवा दे दे तुम्हें पता है कि करवा केवल सुहागन स्त्री ही रखती है या तो मुझसे तू विवाह कर नहीं तो करवा मुझे दे दे यह सुनकर के नहुशा आश्चर्य में पड़ जाता है और सोचता है कि यह नई मुसीबत कहां से आ गई स्त्री धमकी देकर के कहती है अगर तूने मुझे करवा नहीं दिया अथवा मुझसे विवाह नहीं किया तो तत्काल तेरी मृत्यु हो जाएगी अगर तू इसे परीक्षा समझता है तो इसे ऐसा ही समझ आगे क्या हुआ यह जानेंगे हम अगले भाग में आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद

भद्रा देवी की स्वर्ण मूर्ती भाग 4

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