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भानु अप्सरा और अप्सरा लोक के दर्शन भाग 2

भानु अप्सरा और अप्सरा लोक के दर्शन भाग 2

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग भानु अक्षरा के द्वितीय भाग के बारे में जानेंगे तो चलिए पढ़ते हैं। इनके पत्र को और जानते हैं। इनके साथ आगे क्या घटित हुआ था।

ईमेल पत्र-

प्रणाम गुरुजीl मैं आपको भानु अप्सरा और अप्सरा लोक के दर्शन का आगे का भाग भेज रहा हूंl मैं अपनी साधना चलाता जा रहा थाl अब आई अगस्त के महीने की 14 तारीखl उस रात साधना के बाद जब मैं सो गया तब मुझे एक सपना आयाl सपने में मैंने देखा कि रात का समय था और मेरे साधना कक्ष में स्थापित अप्सरा यंत्र से दो वैसे ही प्रकाशपुंज बाहर निकले, जिनको मैंने पहले तालाब के किनारे देखा थाl फिर मैंने देखा कि वह दो प्रकाशपुंज हमारे घर से बाहर निकल कर हमारे घर के पीछे के उस तालाब की तरफ जाने लगे, जहां में  अप्सरा यंत्र की घासो को डाला करता थाl तो मैं भी उनके पीछे-पीछे उस तालाब की तरफ जाने लगाl मैंने देखा कि वह तालाब के किनारे जाकर खड़ी हो गई और फिर उन प्रकाशपुंज का आकार बदलने लगाl मैंने देखा कि उनमें से एक का आकार बदल कर एक लड़की का आकार हो गया और दूसरे का आकार एक सिंह यानी एक शेर जैसा हो गयाl पर मुझे उनके शरीर और चेहरे कुछ भी ठीक से दिखाई नहीं दे रहे थे, क्योंकि उनमें से बहुत ज्यादा प्रकाश निकल रहा थाl फिर उस लड़की के आकृति ने मुझसे कहा,’आओ, हमारे साथ आओ’, ऐसा कहते हुए वह दोनों तालाब के अंदर चली गईl इस समय पूरे तालाब के अंदर से एक नीली रोशनी आ रही थीl तब मैंने भी उनकी बात मानते हुए तालाब में छलांग लगा दीl तालाब के अंदर घुसते ही मैंने देखा कि मेरे चारों तरफ पानी नहीं है, मैं तालाब के अंदर नहीं हूं, बल्कि मैं एक बहुत बड़े दर्पण यानी एक आईने के अंदर से बाहर की तरफ निकल रहा हूंl वो बड़ा सा आइना एक बहुत बड़े पेड़ के नीचे स्थापित था जिस पेड़ के पत्तों का रंग गुलाबी कलर का था और उसकी टहनियां पूरे सफेद रंग कीl
 मुझे यह सब कुछ ठीक से समझ नहीं आयाl मैंने सोचा कि अभी अभी मेरे साथ यह क्या हुआ? मैंने तो तालाब में छलांग लगाई थी, लेकिन मैं इस आईने से बाहर कैसे निकल रहा हूं? तभी मैंने फिर से उस बड़ी सी आईने को छूने की कोशिश की, तो देखा कि मेरा हाथ उस आईने के अंदर घुस गयाl तभी मुझे समझ आया की शायद, उस तालाब की सतह से यह आइना जुड़ा हुआ है, जिससे तालाब के अंदर घुसते ही मैं इस बड़े से आईने के बाहर निकल रहा हूंl
 फिर मेरी नजर मेरे चारों तरफ गई तो देखा, मैं एक बहुत ही सुंदर जंगल जैसी जगह पर खड़ा हूंl पेड़ के पास से एक छोटी सी नदी निकल रही थी जिसकी गहराई बहुत ज्यादा नहीं थीl इस जगह पर चारों तरफ बहुत बड़े-बड़े पेड़, सुंदर सुंदर फूलों के पौधे देखी जा सकती थीl उनमें से कुछ पेड़ों की टहनियों से कुछ झूले लटक रही थीl चारों तरफ कुछ सुंदर तालाब और छोटे-छोटे झरने भी थेl कुछ तालाबों में कमल के पुष्प खिले हुए देखे जा सकते थेl बहुत दूर में छोटे-छोटे पहाड़ भी थे, जिनमें से कुछ का रंग हल्का नीला और कुछ का हल्का गुलाबी दिखाई दे रही थीl चारों तरफ बहुत से तितलियां, काले भ्रमर, मधुमक्खी और छोटी छोटी पक्षियों को उड़ते हुए मैं देख सकता थाl वहां पर चलती हुई हवाओं में एक मीठी सी खुशबू थी, यहां दिन का समय था और लग रहा था की अभी वसंत का रितु चल रहा होl
 मेरे चारों तरफ मेरे से कुछ दूरी पर मैंने कुछ लड़कियों को भी देखा, जिनमें से किसी की उम्र 16 से 17 साल की थी और किसी की 23 से 24 साल की भी लग रही थीl उनमें से कुछ उन तालाबों और झरनों में नहा रही थी, तो कुछ उन नदी और तालाबों के किनारे बैठी थीl कुछ लड़कियां उन झूलों में झूला झूल रही थी, तो कुछ आपस में हंसी मजाक करते हुए इधर उधर टहल रही थीl वह सभी लड़कियां बहुत ही ज्यादा सुंदर थी गुरुजी, इतनी ज्यादा सुंदरता हमें शायद ही कहीं देखने को मिलेl मैं उन सभी से कुछ दूरी पर था, इसलिए वह मुझे नहीं देख पा रही थीl
 यह सब कुछ था तो सिर्फ एक सपना, पर लग रहा था कि मेरे साथ सच में घटित हो रहा हैl कुछ देर बाद मुझे अपनी दाहिनी तरफ से कुछ लड़कियों की आवाज सुनाई दी, जो मुझे बोल रही थी, ‘तो आखिरकार तुम यहां आ ही गए’l उनके अचानक ऐसे बोलने से मैं चौक गया और जल्दी से अपनी दाहिनी तरफ मुड़ा तो देखा कि, मुझ से कुछ ही दूरी पर 7 लड़कियां थी, जो चलते हुए मेरी तरफ आ रही थीl वह सातों के सात लड़कियां बहुत ही सुंदर थीl उनकी उम्र 18 से 20 की बीच में होगीl उनमें से कुछने साड़ी पहनी थी, तो कुछने किसी अलग तरह का कपड़ा पहना था जिनके नाम मैं नहीं जानताl वह सब मेरे पास आकर खड़ी हो गईl मैं उनसे कुछ पूछ पाता उसके पहले ही, उनमें से कुछ ने मेरा हाथ पकड़ कर खींचते हुए और कुछ ने मुझे पीछे से धक्का देते हुए पासही पढ़े हुए एक बड़े से पत्थर के ऊपर बिठा दीयाl फिर वो सब भी मेरे चारों तरफ बैठ गईl वह सब हंसते हुए मुझे बोली ‘तुम्हारा यहां पर स्वागत है’l मैंने सब से पूछा की आप लोग कौन हैं? यह जगह कौन सी है? और मैं भला यहां कैसे पहुंच गया? तब वह सभी लड़कियां हंसते हुए बोली, ‘नहीं नहीं, हम तो तुम्हें कुछ नहीं बताएंगेl तुम एक साधक होना? तो खुद ही सोच कर बताओ कि हम लोग कौन हैं, जरा हम भी तो देखें कि साधक महाराज में कितनी समझ है’l मैं बोला कि, मुझे सच में कुछभी समझ नहीं आ रहा, तब वह लोग बोली,’तो ठीक है, हम ही समझा देते हैं’l फिर अचानक वह सब जोर जोर से हंसते हुए मुझे चारों तरफ से गुदगुदाने लगीl  उनके ऐसा करने से मैं अपनी हंसी रोक नहीं पाया और हंसते हुए पत्थर से नीचे गिर गयाl लेकिन वह सब तब भी मुझे गुदगुदाना नहीं छोड़ रही थी और मैं हंसा जा रहा थाl हंसते-हंसते मेरी हालत खराब हो रही थीl
  तब ही मुझे एक सिंह यानी शेर की बहुत जोर से दहाड़ने की आवाज सुनाई दीl जैसे वह हमारी ठीक पास ही में खड़ा होl उस आवाज के होते ही उन सारी  लड़कियों ने मुझे छोड़ दिया और उठ खड़ी हो गईl फिर जब मैंने अपने सामने देखा तो पाया कि मेरे सामने एक बहुत सुंदर लड़की खड़ी हुई थी और उसके साथ, उसके ठीक बाजू में एक बड़ा सा शेर खड़ा थाl वह लड़की उम्र में 23 से 24 साल की लग रही थी, उनका एक सुंदर गोल सा चेहरा था और वह बहुत ही गोरे रंग की थीl उनके बाल बहुत लंबे थे और वह साड़ी और गहने पहनी हुई थीl लेकिन उनके साथ खड़ा हुआ वह शेर कुछ अलग सा था, क्योंकि उस शेर के शरीर का रंग घने काले रंग का था, जैसे मानो काजल का रंग होl इस वजह से वह शेर और भी भयानक दिख रहा थाl
 फिर सिंह के साथ खड़ी उस लड़की ने उन बाकी के सात लड़कियों से हंसते हुए कहा, ‘अब छोड़ो भी उसे, तुम लोग आखिर क्यों इतना परेशान कर रहे हो उसको? उसे सताना बंद करो’l फिर मैंने खड़े होकर उस लड़की से कहां, प्रणाम, मेरा नाम प्रकाश है और उनसे पूछा की कृपया मुझे बताइए आप लोग कौन हैं? और मैं यहां कैसे पहुंच गया?
 तब सिंह के साथ खड़ी हुई उस लड़की ने मुझे कहा, ‘मैं वही चंद्रज्योत्सना अप्सरा हूं, जिनकी तुम साधना कर रहे हो प्रकाश, और यह बाकी के 7 अप्सराएं मेरी सहचरिया है’l तब उन बाकी के 7 अप्सराओं ने भी एक-एक करके अपना अपना नाम बतायाl उनके नाम कुछ इस प्रकार थे, ‘चंद्रा, चंद्रिका, चंद्र अवंतिका, चंद्र कौमारिया, चंद्रकला, चंद्रप्रभा और चंद्रदेहा’l
  अब यह जानकर की वह सब अप्सराएं है, मुझे समझ नहीं आया कि क्या करना चाहिएl तो मैंने उन चंद्रज्योत्सना अप्सरा देवी के चरणों में में गिरकर उन्हें ‘प्रणाम देवी’- ऐसा कहते हुए प्रणाम कर लियाl
  मुझे ऐसा करते देख वह अप्सरा देवी हंस पड़ी और मुझे ऊपर उठायाl फिर मुस्कुराते हुए वह मुझे कहने लगी, ‘तुम तो मेरे प्रेमी हो, एक प्रेमी के लिए अपनी प्रेमिका को ऐसे प्रणाम करना क्या उचित है? कृपया फिर से ऐसा मत करना प्रकाश’, यह बात बोलते हुए उन्होंने मेरे ललाट पर प्रेम से चुंबन कर लियाl फिर इस जगह के बारे में उनसे पूछने पर उन्होंने कहा की ‘यह हमारा लोक है, अप्सरा लोक, हम सब यही निवास करते हैं और मैं ही तुम्हें यहां लाई हु’l
  उनके ऐसा बोलने पर मैं थोड़ा घबरा गयाl मैंने उनसे पूछा की, ‘क्या? मतलब क्या मैं स्वर्ग में हूं? पर मैं यहां कैसे आ सकता हूं? मैं तो अपने घर में सो रहा था, कहीं मैं सोते-सोते मर तो नहीं गया?’ मेरी यह सब बातें सुनने पर वह सभी जोर-जोर से हंसने लगीl मैंने घबराते हुए उनसे बोला, ‘कृपया मुझे अपने लोक में वापस जाने दे’, और मैंने उस बड़े से आईने की तरफ भागना शुरू किया, ताकि मैं वापस लौट सकूंl वह सभी हंसते हुए मुझे रुकने को बोल रही थी, पर मैंने किसी की भी नहीं सुनीl फिर मैंने जल्दबाजी में उस बड़े से आईने के अंदर घुसने की कोशिश की, लेकिन घुस नहीं पाया, और उस आईने से टकरा कर मैं जमीन पर गिर गयाl उसी समय मेरी नींद टूट गई और देखा कि मैं अपने साधना कक्ष में जमीन पर सो रहा था और यह जो सब मेरे साथ हुआ वह बस एक सपना थाl इस समय घड़ी में सुबह के सारे छे बज रहे थेl
 मैं अपने अनुभव के बाकी का भाग के बाद के पार्ट में भेज दूंगा गुरुजी, प्रणामl
संदेश-देखिए इस प्रकार से उनको यहां पर साधना के माध्यम से और स्वप्न के कारण अप्सरा लोक के दर्शन हुए। अब आगे क्या घटित हुआ यह अगले पत्र में हमें जानने को मिलेगा तो अगर आज की कहानी और इनका यह अनुभव आपको पसंद आया तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

भानु अप्सरा और अप्सरा लोक के दर्शन भाग 3

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