Site icon Dharam Rahasya

भानु अप्सरा और अप्सरा लोक के दर्शन भाग 5

भानु अप्सरा और अप्सरा लोक के दर्शन भाग 5

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आप लोगों ने अभी तक भानु अप्सरा की कहानी के भाग 4 को जान लिया है। इस कहानी को आगे बढ़ाते हुए अब इनके अनुभव के पत्र को। आगे पढ़ते हैं और जानते हैं 5वे भाग के बारे में।

ईमेल पत्र-प्रणाम गुरु जी, यह मेरे साधना अनुभव का पांचवा भाग है। मैं आपको इसे भेज रहा हूं। साधना के इन आखरी के कुछ दिनों में मेरी अनुभवों को देखते हुए मेरी गुरुदेव ने मुझे कहा था कि अब मेरे साधना पूर्ति का दिन दूर नहीं है। कहते हैं कि गुरु की वाणी शिव की वाणी के समान होती है और मेरे इस साधना काल में यह बात फलित भी हो गई थी। आखिरकार वह दिन आ गया जब मेरी साधना पूरी होने वाली थी। मैं जैसे एक के बाद एक 21 दिनों के अनुष्ठान किया करता था। यह दिन वैसे ही एक 21 दिन के अनुष्ठान का आखिरी दिन था। तारीख 3 अक्टूबर के महीने की 20 तारीख यह तिथि जो। पूर्णिमा थी। इस दिन को हम पश्चिम बंगाल के लोग लक्ष्मी पूजा के रूप में मनाते हैं तो इस दिन भी रोज की तरह रात को मैं साधना में बैठ गया। फिर उस रात को जप पूरी होने के बाद मैंने हवन भी कर लिया। अब मेरा अनुष्ठान पूरा हो चुका था। पर इस बार भी मुझे भानु अप्सरा के दर्शन नहीं हुए। यह वैसा ही था जैसा मेरे साथ साधना के इन 9 महीनों में हर एक अनुष्ठान के बाद होता आया था। मैं झूठ तो नहीं बोलूंगा पर हां इस बार दर्शन ना होने पर मुझे सच में बहुत हताशा हुई थी। यहां तक कि उस समय मैं बहुत रोया भी। क्योंकि इस बार मैं असफल होने के लिए तैयार नहीं था और बहुत उम्मीद लगाए हुए बैठा था। मुझे लगा कि मैं शायद ऐसी पारलौकिक शक्तियों को प्रत्यक्ष करने के काबिल ही नहीं हूं। फिर कुछ देर तक रोने के बाद मेरा मन थोड़ा हल्का हुआ। तब मेरे मन में भानु और अप्सरा लोक के उन सपनों के ख्याल आने लगे जो मैंने साधना के इन 9 महीनों में देखे थे। अब मैं थोड़ा अच्छा महसूस कर रहा था। मैंने अप्सरा यंत्र पर अर्पित उन घासों को एक कागज में रखा और उस कागज को मरोड़ कर एक गेंद की तरह बना दिया ताकि मैं उसे हमारे घर के पीछे वाले उस तालाब में फेंक सकूं क्योंकि यह तालाब हमारे घर से एक दम लगा हुआ था तो मैं इसी तरह उन घासों को हमारे छत के ऊपर से गेंद की तरह देखते हुए तालाब में डाल देता था।

मैंने सोचा कि चलो साधना में अगर प्रत्यक्षीकरण नहीं हुआ तो नहीं हुआ कोई बात नहीं। वैसे भी इस साधना से मैं जो कुछ चाहता था वह मुझे बहुत पहले ही मिल चुका था। यहां तक कि भानु की वजह से मुझे तो अप्सरा लोक के दर्शन भी हुए। इसके अलावा भानु के दिए हुए उपदेश के कारण ही मुझे मां काली के आशीर्वाद और संरक्षण भी प्राप्त हुए थे, जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी। मैंने ठीक निर्णय कर लिया था कि कल से मैं यह साधना और आगे नहीं करूंगा। छत के ऊपर से तालाब की तरफ देखते हुए मैंने भानु को कहा। तुमने मुझे बहुत कुछ दिया है भानु तुम हमेशा अपने लोक में खुश रहना। और फिर उस कागज को छत के ऊपर से ही मैंने तालाब में फेंक दिया। मैंने घड़ी में देखा तो इस समय रात के 2:00 बज रहे थे। रात को सोने से पहले और साधना करने के बाद मैं रोज कुछ देर ध्यान करता था। मैंने सोचा कि ध्यान करके सो जाऊंगा तो फिर मैं साधना कक्ष में ध्यान करने, बैठ गया। साधना और ध्यान के समय हम जो कुछ भी देखते हैं, वह सत्य होता है या हमारा भ्रम कभी-कभी हमको इस बात का पता नहीं चलता। मैं तब पूरी तरह ध्यान में था या नहीं, मैं नहीं बता सकता। पर तब मैंने जो कुछ भी देखा लग रहा था। मेरे सामने ही सब कुछ हो रहा है। उस समय मुझे अचानक से बहुत जोरदार गुलाब की खुशबू आने लगी। खुशबू इतनी जोरदार थी कि मेरी आंखें खुल गई। मैंने देखा कि मेरी चारों तरफ बहुत ज्यादा प्रकाश था। जैसे मैं प्रकाश के एक समंदर में हूं। फिर जहां पर अप्सरा यंत्र रखा हुआ था। मैंने देखा कि वहां पर एक बड़ा प्रकाश पुंज सा बन रहा है। जैसा मैं सपने में देखा करता था फिर उस प्रकाश पुंज ने आकार लेना शुरू किया और देखते ही देखते कालनेमि और उन सात अप्सराओं के साथ भानु मेरे सामने प्रत्यक्ष हो गई। यह सब मैं अपनी खुली आंखों से देख रहा था। उस समय उन सब के शरीर से इतना तेज निकल रहा था कि मानो हजार सूर्य एक साथ उदय हो चुके हैं। वह सभी बहुत सुंदर दिख रहे थे। उनका रूप बहुत ही कोमल था। लग रहा था। जैसे सारे जगत की सुंदरता इकट्ठा होकर मेरे सामने प्रकट हो गई हो।

भानु मुझे देखकर बहुत ही तीव्रता से मुस्कुरा रही थी। लग रहा था जैसे। हजार लोग एक साथ मुस्कुरा रहे हो, मुझे नहीं पता कि तब मुझे क्या हुआ था पर उस समय मेरे मन में भानु के प्रति कोई भाव नहीं था। ना प्रेमिका का ना पत्नी का नाही मित्र का कुछ नहीं केवल उसके सुंदर से चेहरे को देखी जाने का मन कर रहा था। एक बात अच्छी थी कि उस समय मेरे मन में कोई गलत भावना नहीं थी। भानु ने तब मुझसे बस एक चीज के बारे में पूछा, तुम्हें क्या चाहिए। मैंने कहा कि मुझे कुछ नहीं चाहिए। भानु जो कुछ भी चाहिए था वह तो तुमने मुझे पहले ही दे दिया है। मेरे सामने प्रकट हुई यही बहुत है मेरे लिए भानू ने तब मुस्कुराते हुए कहा, क्या तुम्हें धन चाहिए या फिर मान ज्ञान वैभव बोलो, क्या चाहिए तुम्हें मैं तुम्हें सब कुछ देने के लिए तैयार हूं। मैंने कहा, जो भी तुम्हारी इच्छा हो भानु जो भी तुम मेरे जीवन के लिए ठीक समझो, मुझे दे दो। भानू ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया तो ठीक है। मैं तुम्हें मेरे साथ मेरे इन सात सहचरियों की प्रत्यक्ष सिद्धि प्रदान करती हूं। तुम्हारी हर इच्छा अवश्य पूरी होगी। जब कभी भी तुम्हें मेरी जरूरत होगी। तब मेरा ध्यान करना मैं तुम्हारे सामने उपस्थित हो जाऊंगी। फिर भानू ने मुझसे पूछा, क्या तुम मुझे कुछ नहीं दोगे? प्रकाश तो तब मैंने भानु के लिए रखी हुई गुलाब की माला उसके चरणों के आगे अर्पित कर दिया। भानु बहुत प्रेम के साथ मुझे देख रही थी। फिर अचानक आसमान में बहुत जोर से एक बिजली सी चमकी और मेरे सामने से वह सब कुछ गायब हो गया। वह सुंदर सी खुशबू वह प्रकाश भानु कालनेमि और वह 7 अप्सराएं सब कुछ गायब हो गया। चारों तरफ एकदम शांति छा गई थी। मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना सुकून मिला था गुरु कृपा से आखिरकार। मेरे 9 महीने का परिश्रम सफल हुआ था।

फिर सुबह होने के बाद सबसे पहले मैं अपने गुरुदेव के पास गया और उन्हें सारी बात बताई। उन्होंने कहा कि अच्छा हुआ तूने अप्सरा से बेकार की चीजें नहीं मांगी क्योंकि अंत तक तूने उसके साथ कोई संबंध बनाने की कोशिश नहीं की। इसलिए तुझे उनकी अच्छी सिद्धि प्राप्त हुई है। अंत में अप्सरा साधना से संबंधित कुछ बातें मैं कहना चाहता हूं। यह जो चंद्र ज्योत्सना श्रेणी की अप्सराएं हैं, इनके साथ और भी सात अप्सराएं होती हैं, जिनके नाम भी चंद्र से शुरू होते हैं। मतलब की कुल मिलाकर आठ अप्सराओं का एक ग्रुप होता है कोई साधक अगर किसी एक चंद्र ज्योत्सना श्रेणी की अप्सरा को सिद्ध करता है तो बाकी की सात अप्सराएं भी बिना किसी परिश्रम के उस साधक से सिद्ध हो जाती हैं। इन श्रेणी की अप्सराओं को बहुत सी भाषाओं का ज्ञान होता है। यहां तक कि वह बहुत अच्छी इंग्लिश भी बोल देती हैं। अगर आप लोग किसी भी एक अप्सरा की प्रत्यक्ष सिद्धि करके उसे अपने साथ रखते हैं तो वहां हमारे मनुष्य लोक के 1 दिन में सिर्फ 6 प्रहर मतलब करीब 18 घंटे तक ही आपके साथ प्रत्यक्ष रुप में रहेगी। बाकी के दो पहर मतलब करीब 6 घंटे उसे अपने लोक में वापस जाना ही पड़ेगा क्योंकि यही अप्सरा लोक का नियम है। कहते हैं कि अपने साधना अनुभव को किसी को नहीं बताना चाहिए इससे सिद्धि जा भी सकती है पर गुरु जी आपने यह जो तरीका निकाला है, मैं इससे बहुत प्रभावित हूं। इससे अनुभव भी प्रकाशित हो रहे हैं और यह पता भी नहीं चलता कि किस का अनुभव है जिससे सिद्धि जाने का डर भी नहीं रहता।

मैंने अपना अनुभव इसलिए बताया क्योंकि मैं यह दिखाना चाहता हूं कि तंत्र क्षेत्र में सब कुछ बुरा नहीं होता। कभी-कभी बहुत अच्छा भी होता है। जरूरत होती है तो सिर्फ एक साफ मन की आप सभी को सिद्धि प्राप्त हो सकती हैं जैसा मुझे प्राप्त हुई सिर्फ अपने गुरु वाक्य पर विश्वास रखें। समय की चिंता छोड़ दीजिए। एकांत स्थान का चयन करें। परिश्रम करते रहिए। ब्रह्मचर्य का विशेष ध्यान रखें और अपने मन में कभी भी कामवासना का कोई स्थान मत दीजिए क्योंकि आप मनुष्य लोक के जीवो को बुद्धू तो बना सकते हैं पर इन पारलौकिक शक्तियों को नहीं। ब्रह्मचारी नहीं बनेंगे तो इस जन्म में तो क्या किसी भी जन्म में सिद्धियों का मुंह नहीं देख पाएंगे। पहले अपने मन को साफ कीजिए। एक योग्य साधक बनिए। फिर साधना क्षेत्र में उतरिये यह सब सिद्धियां खुद ही आपसे सिद्ध होना चाहेंगे। अंत में हमारे प्रिय गुरुदेव सूरज प्रताप जी से मैं यह कहना चाहता हूं कि भानु से जुड़े मेरे कुछ और भी छोटे-मोटे अनुभव है। अगर आपकी अनुमति मिले तो मैं वह भी आपको भेजना चाहूंगा। मेरी अभी उम्र 23 वर्ष है और मैं एक कॉलेज स्टूडेंट हूं। आज 6 दिसंबर है और सामने के 13 दिसंबर से मेरे कॉलेज में एग्जाम शुरू हो रहे हैं तो अभी मैं बहुत व्यस्त हो जाऊंगा। अगर आपकी अनुमति मिले तो एग्जाम खत्म होने के बाद मैं आपको अनुभव भेज दूंगा। मुझे आपकी अनुमति का इंतजार रहेगा तब तक के लिए आप भी स्वस्थ रहना और खुश रहना गुरु जी आप को मेरा प्रणाम।

संदेश-तो देखे यहां पर इन्होंने अप्सरा साधना का एक बहुत ही उच्च कोटि का अनुभव और साथ में अच्छे निर्देश दिए हैं जिससे साधक को यह बात समझने में आसानी होगी। किस सिद्धियों में हमें क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए। आप अवश्य जी अपने अनुभव धर्म रहस्य चैनल को भेजते रहिए और जो भी गोपनीय रहस्य हैं और सिद्धि का ज्ञान है उसे साधकों के साथ इस चैनल के माध्यम से साझा करते रहिए ताकि सभी का मार्गदर्शन अच्छी प्रकार से हो सके। आपके सुखद भविष्य की कामना करता हूं। तो यह था आज का इनका अनुभव अगर आपको आज का वीडियो पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

भानु अप्सरा और अप्सरा लोक के दर्शन भाग 6

Exit mobile version