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भानु अप्सरा और अप्सरा लोक के दर्शन भाग 6

भानु अप्सरा और अप्सरा लोक के दर्शन भाग 6

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम भानु अप्सरा और अप्सरा लोक के दर्शन भाग 6 के विषय में जानेंगे। यह पत्र आने में काफी समय लग गया है। जिस के संबंध में साधक महोदय ने बताया भी है तो चलिए शुरू करते हैं। इनके अनुभव को जानना

ईमेल पत्र-प्रणाम गुरु जी कैसे हैं। आप? आशा करता हूं कि ठीक होंगे। चैनल के सभी साधक भाइयों को मेरा प्रणाम पत्र भेजने में मुझे बहुत देर हो गई क्योंकि मैं किसी जरूरी काम में फंस गया था। इसके लिए मैं माफी मांगता हूं। साधना में सिद्धि प्राप्ति के बाद अब मेरा जीवन पहले से कई ज्यादा अच्छा हो गया था। सब कहते हैं कि मेरी पर्सनालिटी में बहुत ज्यादा बदलाव आया है जो मैंने भी कई बार अनुभव किया है। अब मैं जहां भी जाता हूं, सब लोग मुझे बहुत अटेंशन देते हैं। मेरे कॉलेज और हमारे मोहल्ले में बहुत सी लड़कियां और औरतें मुझे घूरती रहती हैं। यहां तक कि अब तो कई बार मुझे प्रेम के प्रपोजल भी आते हैं। मैं अब अपने आप को बहुत कॉन्फिडेंट महसूस करता हूं। मन में हर समय एक खुशी सी छाई रहती है। हो ना हो यह सब मेरी साधना की वजह से ही हुआ है। मैं अब पहले से बहुत अधिक खुश हूं। इन सब के लिए मैं अपने गुरुदेव और भानु का बहुत शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मेरे जैसे एक फालतू और बेकार लड़के का जीवन संवारा है। साधना में भानु और उनकी बाकी सात अप्सराओं के प्रत्यक्ष सिद्धि कि प्राप्ति के बाद अब हर एक या 2 दिन के बाद भानु अपने आप ही मुझसे मिलने आया करती है। वह कभी-कभी अपनी उन सात सहेलियों के साथ आती है तो कभी-कभी अकेले ही चली आती है। पर हर समय उसके साथ वह काला शेर कालनेमि जरूर आता है। क्योंकि वह भानु को कभी अकेले नहीं छोड़ता भानु भी। कालनेमि को अपनी संतान की तरह प्रेम करती है और हर समय उसे अपने साथ रखती है। चाहे वह कहीं भी क्यों न जा रही हो। वह जब भी आती है। एक बार में करीब करीब 18 घंटे तक हमारे लोक में प्रत्यक्ष रूप से रहती है और उसके बाद फिर से अपने अप्सरा लोक में वापस चली जाती है। इन 18 घंटों में भानु हमारे लोक में अपना अधिक समय ही मां दक्षिणी काली और बाबा महाकालेश्वर शिव के ध्यान करते हुए बिता देती है। और बाकी समय जब वह मेरे साथ रहती है तब वह मुझे हमारे इस जगत के बारे में सनातन धर्म के कई शास्त्रों के बारे में सनातन दर्शन के रहस्य के बारे में ध्यान के बारे में बहुत कुछ बताती रहती है और यह सब सुनने में बहुत अच्छा लगता है। जैसे मैंने पहले बताया था कि भानु को कई भाषाओं का ज्ञान है और वह इंग्लिश भी बहुत अच्छी तरह से बोल लेती है तो भानु मुझे पढ़ाई में भी मदद कर देती है। कॉलेज में मेरा सब्जेक्ट इंग्लिश है जो मुझे कभी भी पसंद नहीं आता क्योंकि मैं जियोग्राफी लेना चाहता था पर मां के कहने पर मुझे।

इंग्लिश लेना पड़ा। पर अब भानु के साथ पढ़ने में बहुत अच्छा लगता है। मुझे जिन प्रश्नों के उत्तर चाहिए होते हैं, मैं उन्हें मेरी डायरी में लिख लेता हूं। और फिर जब जब भानु मुझसे मिलने आती है, मैं रात के समय सोने से पहले उन प्रश्नों के उत्तर भानु से जान लेता हूं। भानु भी अपनी मधुर आवाज में बहुत प्रेम और धैर्य के साथ मुझे सब कुछ समझ आती है। फिर जब मैं रात को सो जाता हूं तब भानु मेरे कमरे में ही फिर से महादेव और माता का ध्यान करने बैठ जाती है। अपने जीवन में भानु जैसी एक दोस्त तथा मार्गदर्शिका को पाकर मैं सच में बहुत खुश हूं। मेरे प्रति उसका बर्ताव ऐसा होता है जैसे कि वह मेरी प्रेमिका है। कभी-कभी तो उसका बर्ताव ऐसा भी होता है जैसे वह मेरी प्रेमिका नहीं, मेरी पत्नी हो। पर एक मुख्य बात यह है कि जब भी मैं उसके साथ रहता हूं, मेरे मन में जरा सी भी कामवासना नहीं आती। भानु का चरित्र और मन तो इतना पवित्र है कि कभी-कभी मेरी इच्छा होती है कि उसके चरणों में स्वयं को अर्पित कर दूं। अपने कोमल, स्वभाव और स्वच्छ चरित्र से भानु तो महा पापी और कामुक पुरुषों के मन में भी स्त्रियों के प्रति सम्मान उत्पन्न कर सकती है। एक बार मैंने भानु से पूछा कि क्या देवता, गंधर्व अप्सरा आदि स्वर्ग लोक के निवासियों में कामवासना होती है? तब उसने बड़े ही प्रेम के साथ जवाब दिया था कि हर देवता गंधर्व अप्सरा आदि योनिया भी अन्य योनियों की तरह ही आती है। लेकिन इन उच्च कोटि की योनियों में कामवासना होती है। पर ना के बराबर, परमेश्वर के माया के कारण इस संसार में कोई भी काम के प्रभाव से पूर्णता मुक्त नहीं है। गुरु जी अब मैं आपको साधना पूर्ति के बाद उस दिन के बारे में बताता हूं। जिस दिन भानु पहली बार मुझसे मिलने आई थी।

साधना पूर्ति के दो दिन बाद हमारे परिवार को एक विशेष कारण से हमारी खानदानी जमीन का कुछ हिस्सा बेचना पड़ा था ताकि हमारे पास कुछ पैसे आ सके। हमारी वह जगह हमारे घर से 45 किलोमीटर दूर एक गांव में थी। दूर होने के कारण हम वहां उतना जाते भी नहीं थे और अभी तो पूरे 9 साल गुजर रहे थे। हमें उस जमीन को देखे हुए तो हम सब लोग हमारे परिवार वाले जमीन पर पहुंचे तो देखा कि हमारे जमीन पर वहां के एक जमीदार ने कब्जा कर लिया है। यहां तक कि जमीदार के लोग बोले कि अगर हमने अपनी जमीन को हाथ भी लगाया तो वह लोग हमें मार डालेंगे। इस बात के लिए हमने पुलिस में भी कंप्लेंट लिखवाई पर पुलिस वालों ने भी इसके लिए हम से पैसे मांगे। अब हमारे पास 2 महीने से ही पैसे नहीं थे तो अब जमीन छुड़ाने के लिए पुलिस वालों को कैसे देते पैसे? इसलिए हम लोग बहुत टेंशन में आ गए थे। आगे क्या होगा उस दिन रात के समय हम सब घर वापस आकर चिंता में बैठे रहे। मेरी मां बाबा बड़े भैया सब सोच रहे थे कि क्या किया जाए। मैं भी अपने कमरे में बिस्तर के ऊपर बैठकर खिड़की के बाहर की तरफ देख रहा था। तभी आसमान में सुंदर से चांद को देखते हुए मुझे भानु के याद आ गई। भानु ने कहा था कि जब भी मुझे उसकी जरूरत हो तब मुझे उसका ध्यान करना है। चाँद की तरफ देखते हुए मैं सोच रहा था कि अगर भानु यहां होती तो शायद वह हमारी कुछ मदद कर पाती। इतने में ही मुझे जोरों से गुलाब के फूलों की खुशबू आने लगी। तब मैं सोच रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है कि अचानक से पीछे से किसी ने मुझे आलिंगन कर लिया। ऐसा अचानक होने से मैं चौक गया। जब पीछे! की तरफ मुड़कर देखा तो वह भानु ही थी जिसने मुझे आलिंगन किया हुआ था। उसका रूप बिल्कुल वैसा ही पवित्र और निर्मल था। जैसे मैंने उसे प्रथम बार साधना पूर्ति के समय देखा था। उसका वह शांत और आंखों में शीतलता प्रदान करने वाला रूप मेरे लिए टेंशन के बावजूद भी मुझे शांति दे रहा था। उस समय मैं कुछ नहीं बोल पाने की हालत में था। सिर्फ उसके सुंदर से चेहरे को देखे जा रहा था। लग रहा था जैसे एक सपना हो, मुझे इस हालत में देखकर भानु हल्का सा मुस्कुराई। फिर मेरी गोद में अपना सिर रखकर सो गई और एक हाथ पकड़ कर हथेली के ऊपर चुंबन कर दिया। तब जाकर मुझे एहसास हुआ कि है कोई सपना नहीं बल्कि हकीकत है। भानु सच में मेरे सामने प्रत्यक्ष रूप में विद्यमान थी।

मैंने पूछा कि क्या तुम सच में मेरे सामने आई हो। मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा। भानु हंस पड़ी और बोली कि मुझे तो आना ही था। तुम्हें वचन जो दिया था, फिर मेरे चेहरे को देखते हुए उसने पूछा, क्या हुआ प्रकाश तुम इतनी चिंता में क्यों हो, मैं बोला नहीं, नहीं, कुछ नहीं हुआ है। छोड़ो जाने दो। मैं तुम्हें कोई असुविधा में नहीं डालना चाहता। फिर भानु मुस्कुराते हुए अपनी मधुर आवाज में मुझसे बोली, शायद तुम भूल गए हो। प्रकाश कि मैं एक अप्सरा हूं और मैं बहुत कुछ कर सकती हूं। मैं यह भी जानती हूं कि तुम मुझसे झूठ बोल रहे हो। अभी जल्दी से बताओ कि क्या हुआ है तब मैंने उस दिन सुबह से घट रही वह सारी घटना भानु को बता दी। फिर भानु ने कहा, अच्छा तो तुम लोगों को वह जमीन वापस चाहिए। फिर कुछ समय चुप रहने के बाद उसने बोला, ठीक है। कल सुबह ही तुम लोगों को वह जमीन वापस मिल जाएगी। मैंने बोला वह कैसे? यह कैसे हो सकता है? तब भानु ने पूछा, तुम मुझ पर विश्वास तो करते हो ना। मैंने बोला हां तब भानु बोली तो सुबह का इंतजार करो और यह बोलकर वह उठके कहीं चली गई। मैं सोच रहा था। जब भानु ने बोला तो जरूर कल सुबह कुछ होने वाला है। फिर मैं जल्दी से अपनी मां और बाबा के कमरे में गया देखा कि वह दोनों चिंता में बैठे हुए हैं। मैंने उन्हें बता दिया कि आप लोग चिंता मत करो। कल सुबह हमें अपनी जमीन वापस मिल जाएगी। वह लोग बोले, यह तू कैसी बातें कर रहा है। लगता है ज्यादा चिंता करने से तेरा दिमाग खराब हो गया है। मैं बोला कि ठीक है। कल सुबह आप लोगों को पता चल जाएगा। फिर जब सुबह हुई हमारे साथ कुछ अजीब हुआ सुबह के 7:45 बज रहे थे जब हमारे दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। बाबा और बड़े भैया ने जब दरवाजा खोला तब सब लोग चौक गए। हमने देखा कि वह वही जमीदार और 3 लोग हमारे सामने खड़े थे, जिन्होंने हमारी जमीन पर कब्जा किया था। वह सभी ने मेरे बाबा के सामने रोना धोना शुरू कर दिया और कहने लगे कि हमें माफ कर दीजिए। हमसे बड़ी भूल हो गई थी। आप लोगों की जमीन हम वापस दे रहे हैं। आप लोग बस पुलिस स्टेशन में अपनी कंप्लेंट उठवा लीजिए। यह सब बोलकर वह सब हमारे यहां से चले गए। तब हम सब बहुत खुश हो गए और क्योंकि हमने आज ही जमीन बेचने का दिन तय किया था तो मेरे बाबा और बड़े भैया उस पार्टी के पास चले गए जिनसे हमारा लेनदेन तय किया गया था। पर अब एक और समस्या आ गई। वह पार्टी जान गई थी कि हमारे इस जमीन को लेकर वहां के जमीदार के साथ कुछ विवाद हुआ था।

उन्होंने हमसे यह विवादित जमीन खरीदने पर मना कर दिया। अब क्योंकि हमें दो दिन बाद ही एक बड़ी रकम के पैसे की जरूरत थी तो बाबा फिर से चिंता में आ गए और इतनी जल्दी जमीन के लिए नए खरीदार कैसे मिलेंगे। घर में आज फिर से वैसा ही चिंता का माहौल था और मैं भी अपने कमरे में ठीक कल की तरह ही चिंता में बैठा हुआ था। अब जब मैंने फिर से भानु के बारे में सोचा तो वह फिर से आ गई। वह कहने लगी। क्या हुआ प्रकाश फिर से क्यों चिंता करते हो। मैंने उसे फिर से अपने नए प्रॉब्लम के बारे में बताया तो कुछ देर सोचने के बाद वह बोली ठीक है। कल सुबह तुम लोगों को धन मिल जाएगा। ऐसा बोलने के बाद वह फिर से चली गई। तब मैं फिर से भागते हुए मां और बाबा के पास गया और उन्हें फिर से बता दिया कि कल सुबह हमें पैसे मिल जाएंगे। अब वह कहने लगे लगता है इस लड़के का दिमाग फिर से खराब हो गया है। फिर से उल्टी सीधी बातें बोल रहा है। तब मैं और कुछ ना बोल कर चुपचाप अपने कमरे में चला गया। पर अगले दिन सुबह फिर से हमारे साथ कुछ अनोखा हुआ। सुबह 7:30 से 8:00 के बीच जमीदार साहब फिर से हमारे घर आ गए और मेरे बाबा को बोलने लगे। बस मुझ पर इतना एहसान करें कि आगे हमारे इस केस को लेकर आप पुलिस के पास नहीं जाएंगे और एक भारी बैग मेरे बाबा के हाथ में थमा दिया। उनसे पूछने पर कि यह क्या है। उन्होंने बताया कि यह आप लोगों को खुश करने के लिए है। हमने बैग खोला तो चौक गए क्योंकि अंदर तो पैसे थे। बाबा ने घबराकर वह बैग वापस कर दिया और कहा कि हमें नहीं चाहिए तब वह जमीदार साहब मैं आप लोगों से दिल से माफी मांगता हूं। आप लोग इसे ले और मुझे छोड़ दें। यह बोलकर हमें बैग देखकर वह चले गए। यह सब होने पर घर के लोग मुझे कहने लगे। तेरी कही हुई बातें आखिर सच कैसे हो गई। कहीं तू कोई बाबा तो नहीं बन गया है तो मैं बोला, मैंने तो बस मां काली से प्रार्थना की थी। यह सब देवी मां की इच्छा है और खुशी के मारे दौड़ते हुए अपने कमरे में चला गया ताकि मैं भानु का आवाहन कर सकूं। पत्र बड़ा लंबा हो गया है। गुरु जी तो बाकी का भाग अगली बार भेजूंगा प्रणाम!

संदेश-तो देखे यहां पर इन्होंने किस प्रकार समस्या से अपने आप को निकलवाया अपनी उस सहायिका शक्ति भानु की मदद से अप्सराओं का हृदय पवित्र होता है और वह निश्चित ही साधकों की मदद करती हैं। अगर साधक निष्कलंक है और पूरी तरह हृदय से पवित्र है। तो यह था आज का अनुभव अगर आपको यह पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

भानु अप्सरा और अप्सरा लोक के दर्शन भाग 7

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