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भीम वृकोदर साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज आपके लिए एक विशेष तरह की नई साधना लेकर आया हूं। यह साधना महाभारत काल के बाद से ही प्रसिद्धि प्राप्त कर ली और गुरु शिष्य परंपरा में इसको किया जाता है। यह साधना है भीम वृकोदर साधना इस साधना के द्वारा आपके अंदर अतुलनीय बल की प्राप्ति होने लगती है और धीरे-धीरे करके जब उसकी पूर्ण सिद्धि हो जाती है तो आपके अंदर! महान बल आ जाता है l

भीम में हाथियों का बल था और वह गदा युद्ध में भी पारंगत था। कहते हैं दुर्योधन की तरह भीम ने गदा युद्ध की शिक्षा श्री कृष्ण के भाई बलराम से ही ली थी। महाभारत में भीम ने दुर्योधन और दुशासन सहित गांधारी के सभी सौ पुत्रों का वध किया था। द्रौपदी के अलावा भीम की पत्नी का नाम हिडिंबा था। इसी से एक परम वीर पुत्र घटोत्कच की उत्पत्ति हुई। भीम बलशाली होने के साथ-साथ बहुत ही अच्छे रसोइए भी थे। इन्होंने जब द्रोपदी के चीर की रक्षा की थी, कीचक नाम के एक व्यक्ति का भी वध किया था। यही नहीं श्रीकृष्ण के परम शत्रु मगध नरेश जरासंध को भी दो टुकड़ों चीर डाला था। इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि भी कितने अधिक बलशाली थे।

सहज रूप में यह कहा जाता है कि भीम 10000 हाथियों के बल वाले थे। ऐसा कैसे हुआ था कहते हैं दुर्योधन ने भोजन में कालकूट विष खिलाकर इनको लताओं में बांधकर नदी में फेंक दिया था। भीम जल में जब डूबते जा रहे थे तो फिर वह नाग लोग पहुंच गए। वहां नागों के दर्शन से उनका विष उतर गया और नागों का उन्होंने नाश भी प्रारंभ कर दिया। यह सुनकर वासुकी ने सब बातें जानी। वासुकी यानी कि नागराज आर्यक भीम के नाना के नाना थे। यह पहचान कर उन्होंने भीम को गले लगा लिया और उन्होंने एक ऐसी खीर उन्हें खिलाई जिसकी वजह से उनके अंदर एक हजार हाथियों का बल प्राप्त हुआ।

कहते हैं हजारों हाथियों का बल प्राप्त करने के कारण भीम बहुत अधिक शक्तिशाली हो गए थे क्योंकि इनको कालकूट विष का पान करवाया गया था। इसी कारण से कोई भी भोजन ज्यादा देर तक उनके पेट में नहीं रहता था। इन्हीं वह पच जाता था। इसी कारण से वह वृकोदर भी कहलाये। इतने अधिक भोजन खाते हैं कि कोई सामान्य 100, 200 व्यक्ति भी ना खा पाए। इतने अधिक भोजन को खाने के कारण ही इनके अंदर बहुत ही अधिक बल था। इसी कारण से यह वृकोदर कहलाते थे तो यही इनकी साधना के विषय में है तो चलिए जानते हैं कि इनकी साधना को आप किस प्रकार से कर सकते हैं और कैसे भीम की तरह आप भी बलवान हो सकते हैं।

मंत्र- ॐ पवन पुत्राय महाबलाय भीम वृकोदराय शक्ति आगच्छाय हुं

तो इसकी साधना के लिए आपको करना क्या है इसके लिए आपको किसी भी? शुभ दिन जब ग्रह नक्षत्र शुभ दिखते हो। या यूं कहिए कि कोई भी शुभ मुहूर्त हो। उस दिन से आप इनकी साधना को शुरू कर सकते हैं। इसके लिए आपको सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना है। इसके बाद सुबह-सुबह आप को वायु देव को नमन करते हुए उनसे प्रार्थना करनी है कि आज से आपके पुत्र कि वह उपासना करना चाह रहे हैं। यानी कि आपको प्रार्थना करनी है कि हे देव मैं आज से आपके पुत्र भीम वृकोदर की साधना करना चाहता हूं। जिस प्रकार आप ने उन्हें अपरिमित बल प्रदान किया है। इसी तरह मुझे भी अपरिमित बल प्रदान करें।

यह कह कर के आप सुबह-सुबह वायु देवता को प्रणाम करेंगे। इसके बाद फिर आप किसी विशेष ऐसे ऊंचे स्थान का चयन करेंगे। जहां पर वायु बहुत ही तीव्रता के साथ बहती हो। इसके लिए आप किसी पहाड़ की चोटी और अगर खुले स्थान हो तो आप किसी वृक्ष के ऊपर बैठ कर के भी साधना कर सकते हैं। अगर आपको? ऐसा कोई भी स्थान उपलब्ध नहीं है तो आप घर के एकांत में जहां छत हो उस पर भी बैठ कर यह साधना कर सकते हैं। बशर्ते आप पर लोगों की नजरें ना पड़े , क्योंकि दूसरे लोग दूसरी छतों से आपको देख सकते हैं। इसका आपको ध्यान रखना होता है।

इसके बाद आप एक प्रतिमा भीमदेव की बनवाएंगे उसको आप एक बाजोट के ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर के उसको स्थापित करेंगे। उसके आगे आप एक दीपक जो कि सरसों के तेल का होगा, उसको आप को जलाना है। जब तक आप साधना करेंगे यानी कि मंत्र जाप करेंगे तब तक दीपक बुझना भी नहीं चाहिए। अगर आप किसी ऊंचे स्थान में जहां वायु बह रही हो। दीपक ऐसे स्थापित करें कि उसके चारों ओर कुछ ऐसी चीज की व्यवस्था कर दे। किसी चीज से ऐसे ढके कि उस पर हवा ना लगे क्योंकि ऐसे में आपका दीपक बुझ सकता है। तो ऐसे ही स्थान का जब चुनाव कर ले।

इसके लिए कहा जाता है कि सर्वोत्तम स्थान पहाड़ की चोटी होता है क्योंकि हम असल में वायु देवता से ही। यह साधना प्राप्त कर रहे होते हैं और उनके ही बल को हम भीमदेव के रूप में खुद को प्राप्त करवाते हैं।आप जब उस स्थान पर बैठकर के साधना करेंगे तो सदैव इस बात का ध्यान रखेंगे कि उन दिनों आप पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे केवल कमर पर ही धोती पहनेंगे, बाकी पूरा शरीर आपका नग्न होना चाहिए। कमर पर धोती जिस प्रकार भीमदेव पहनते हैं उसी तरह। आपके साथ में एक गदा भी होनी चाहिए। वह गधा भी आप भीमदेव के सामने रखकर उसकी भी पूजा उपासना आप किया करेंगे। यह गदा शक्ति की प्रतीक होती है। कहते हैं इनकी साधना करने के बाद।

4 किलोमीटर तक दौड़ना चाहिए और वायु देवता का ध्यान करना चाहिए। 4 किलोमीटर इसी प्रकार आप रोज दौड़ेगे। साधना के उपरांत इनकी रोज मंत्र की 41 मालाएं आपको जपनी होती हैं और यह प्रयोग 41 दिन तक किया जाता है। इससे हमारे अंदर बल प्राप्त होने लगता है। जो भी लोग भीमसेन की साधना करते हैं, उनको व्यायाम करना अनिवार्य होता है। उनका यह करना बिल्कुल आवश्यक है। जिस प्रकार भीमदेव रोज कसरत करते हैं, उसी तरह आपको भी प्रतिदिन कसरत करनी आवश्यक है। इसके लिए आप सुबह अथवा शाम का समय निर्धारित कर सकते हैं। साधना के बाद आपको 4 किलोमीटर तक लगातार दौड़ना है।

उस दौरान आपको वायु देवता का ध्यान करते रहना है और मन में कुछ भी नहीं सोचना है। इससे वायु देवता आपके शरीर के अंदर जाएंगे और आपके! बल और पराक्रम को बढ़ाते चले जाएंगे। यह एक लौकिक प्रयोग होता है जिसके माध्यम से आपके अंदर अत्यधिक शक्ति पैदा होने लगती है। कहते हैं इस साधना को जो व्यक्ति 12 वर्ष तक कर लेता है वह सचमुच में भीम के समान अपरिमित बलशाली हो जाता है। किंतु इसकी साधना को अगर आप 41 दिन करते हैं तो भीम की कृपा से आपका शरीर स्वस्थ होता चला जाता है और आप शरीर से अत्यधिक बलवान हो जाते हैं।

भोजन में सभी प्रकार के भोजन आप कर सकते हैं, लेकिन एक ही समय आपको भोजन करना है। जब तक यह साधना आप कर रहे हैं। इससे आप बहुत अधिक थक जाएंगे क्योंकि जब दौड़ेगे और एक्सरसाइज करेंगे तो आपको बहुत अधिक थकान महसूस होगी। इसी कारण से व्यक्ति अधिकतर इनकी साधना को छोड़ देता है किंतु अपने आप को स्थिर रखते हुए एक समय जब आप भोजन करेंगे तो बहुत अधिक मात्रा में आपको भोजन करना होता है ताकि आप भीमसेन के समान ही भोजन को ग्रहण करें।

इस साधना को करने से आपके अंदर बल पैदा होने लगता है। भोजन जितना हो सके अच्छा से अच्छा लीजिए जिसमें सभी प्रकार के भोज्य पदार्थ उपस्थित हों, ऐसा कुछ भी ना हो जो उसके अंदर उपस्थित ना हो क्यूंकी एक समय का ही भोजन, आपको पूरे समय ऊर्जा देता रहे 24 घंटे यह आवश्यक है । इस प्रकार से आप इनकी साधना 41 दिन कर लेते हैं तो फिर आप के अंदर अपरिमित बल आने लगता है। मानसिक रूप से आप बहुत मजबूत हो जाते हैं। इसके बाद फिर आपको इनकी रोज कम से कम एक माला करनी है और अगर 12 वर्ष का प्रयोग आप करते हैं तो 12 वर्ष में 1 दिन साक्षात रुप में वायु देव अथवा भीमसेन के दर्शन आपको होते हैं।

जैसे ही उनके साक्षात दर्शन हो उन्हे प्रणाम करें और उनसे बल की मांग करें। फिर वह आपको अतुलित बल प्रदान करते हैं। ऐसा वृतांत आता है। इसके माध्यम से आप अतुलित बहुत अधिक बलशाली हो जाते हैं। अपने इस बल के बारे में और इस प्रयोग के बारे में किसी को भी नहीं बताना चाहिए और यह बल फिर आपके पास सदैव के लिए बना रहता है और कोई भी आपका बल में सामना नहीं कर सकता। यह भी साधना अगर आपको यह पसंद आई है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। धन्यवाद।

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