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भूतनी साधना मे स्वप्नदोष और बचाव अनुभव

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज लेंगे एक ऐसे अनुभव को जहां पर स्वप्नदोष के माध्यम से एक रहस्य से पर्दा उठाने की कोशिश की गई है। आखिर साधनाओं में स्वप्नदोष होता ही क्यों है? और कैसे हम उससे बच सकते हैं। यह एक साधक ने अपने जीवन में पहले गठित एक अनुभव के माध्यम से बताया है। रागिनी भूतनी की साधना मे उन्होंने जो अनुभव किया। वह यहां पर उन्होंने स्पष्ट किया है तो चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं कि इनके जीवन में। किस प्रकार अनुभव घटित हुए थे?

पत्र – जय श्री राम गुरु जी, मेरा नाम के साईं प्रसाद है। मैं सीए की पढ़ाई कर रहा हूं। मेरी उम्र 27 वर्ष है। मैं आपका सब्सक्राइबर हूं। मैं आपकी वीडियोस बहुत दिनों से देख रहा हूं। और वह मुझे बहुत पसंद भी आते हैं। ऐसी ही एक कहानी है रागिनी भूतनी साधना की कहानी जो मुझे बहुत अधिक पसंद आई थी। आपने जो मंत्र इसमें बताया था, वह मैंने याद भी कर लिया था। गुरु जी मेरे अनुभव से पहले मुझे आपको अपने बारे में कुछ बताना है। मैं पहले बहुत ज्यादा पॉर्न वीडियोस देखा करता था। यह आदत मुझे खुद से नहीं, बल्कि एक लड़का जो मेरे पास बगल में ही रहता था, उसकी वजह से लगी थी गुरुजी यह गंदी आदत। कब बहुत ही तीव्रता से आ गई, मुझे पता भी नहीं चला।

वैसे तो मैं गंदी वीडियोस पहले भी देखता था लेकिन 18 वर्ष के होते हैं। यह मेरी लत सी बन गई थी। इसकी वजह से मेरी पढ़ाई, समय फोकस और कुछ बनने की चाहत अब सब कुछ खत्म होती जा रही थी। यह गंदी आदत मुझ पर इस तरह हावी हो गई कि मैं हर दिन 3 से 4 बार अपना वीर्य निकाल लेता था। मेरा अपने ऊपर कोई कंट्रोल नहीं था। इससे मैं पीछा छुड़ाना चाहता था, लेकिन यह मेरे बस की बात नहीं थी। मैं मंदिर, चर्च इत्यादि सभी जगह अपनी समस्या के समाधान के लिए गया। लेकिन कुछ भी हल प्राप्त नहीं हुआ। फिर 1 दिन बुद्ध मंदिर जाने का ख्याल आया तो मैं तुरंत ही। उस मंदिर की ओर निकल पड़ा वहां मुझे एक अलग ही तरह के व्यक्ति मिले। जिनको आज अब मैं अपना गुरु मानता हूं। उन्होंने मुझे देखा और खुद ही मुझे प्राणायाम और ध्यान करने की विधि सिखाई।

18 से 22 वर्ष तक जिस चंगुल में था, अब उससे निकलने का समय आ चुका था। मैंने उनकी बताई हुई हर बात को अमल किया और हर किताब को पढ़ा जो उन्होंने मुझे दी थी। इस लत से निकलना इतना आसान नहीं था। शुरुआत में इतनी तकलीफ होती थी जैसे दिमाग की नसें हीं फट जाएंगी। लेकिन मैं रुका नहीं। आज 5 साल हो चुके हैं मुझे और मैंने इस गंदी लत से बाहर निकलने की विधि ढूंढ ली और अपने आपको मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत भी कर लिया है। अब मैं वीर्य सपने में भी निकलने नहीं देता। मैं स्वप्नदोष को होने से पहले ही रोक लेता हूं। क्षमा करें, गुरु जी थोड़ा कहानी लंबी जरूर है, लेकिन बताना भी जरूरी था।

अब मैं! अपने पॉइंट पर आता हूं। मैंने यह मंत्र जो आपने इस रागिनी भूतनी की कहानी में बताया था। वह रात को हॉल में 10:00 से 11:00 बजे तक जपकर ध्यान किया था। मैं उसी जगह पर सो जाता था। गुरु जी मैं इसके अलावा नरसिंह मंत्र का भी सुबह ध्यान करता था तो हुआ यह कि पहले एक-दो दिन तो कुछ नहीं हुआ लेकिन अचानक से ही तीसरे और चौथे दिन मेरा वीर्य स्खलित होने लगा। 2 दिन लगातार ऐसा हुआ पर अजीब बात यह थी कि मुझे पता भी नहीं चलता था। साधारण तो स्वप्नदोष होने का पता चलता है लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। लगातार तीसरे दिन भी स्खलन हुआ इसलिए मैंने कुछ दिन इस मंत्र का ध्यान नहीं किया, लेकिन कल से मैंने फिर इसका ध्यान शुरू किया है।

अब मैं छत में इसका ध्यान करता। वहां पर अंधेरा भी होता है और कोई आता जाता भी नहीं है। लेकिन अब मैं हॉल पूजा रूम में ही सोता हूं। गुरुजी मेरा वीर्य स्खलन इस मंत्र के जाप से पहले और उसके बाद! बंद करके 1 महीने के ऊपर होने के बाद भी। स्खलित नहीं हुआ था। कृपया इस घटना पर आप स्पष्टीकरण दीजिए और मेरा मार्गदर्शन भी कीजिए कि आखिर यह ऐसा क्यों हो रहा है। अगर आप वीडियो न बनाएं तो भी कोई बात नहीं पर कृपया इस पत्र का जवाब अवश्य दीजिए। धन्यवाद जय श्री राम।

संदेश – ध्यान के माध्यम से ही हम काम को नियंत्रित कर सकते हैं।

भगवान शिव भी ध्यान के माध्यम से ही कामदेव को अपने अधीन लेते हैं। इसी तरह बड़े बड़े सिद्ध जैसे कि भगवान बुद्ध, महावीर स्वामी इन्होंने भी काम को रोकने के लिए ध्यान के माध्यम को ही बताया है। ध्यान के माध्यम से हम अपने शरीर को और अपनी इस इंद्री को वश में कर सकते हैं।

इसे वश में करने के लिए लगातार! ध्यान की आवश्यकता होती है। ध्यान में शांत बने रहने की आवश्यकता है। अपनी सांसों पर नियंत्रण करने की भी आवश्यकता है। बौद्ध धर्म में विपश्यना नाम से ध्यान की प्रचलित विधि है। इसके माध्यम से आप? अपने शरीर की वास्तविकता को तो जानते ही हैं। इस तरह की समस्याओं से भी बच जाते हैं। यहां पर इसी कारण से।

आपने उन गुरु के माध्यम से? विपश्यना सीखी होगी और उसका प्रारंभिक तौर पर साधन किया होगा जिससे आप का वीर्य स्खलन रुक गया। लेकिन जब आपने रागिनी भूतनी साधना की तो ऐसी अवस्था में।

जो भी भूतनी होती हैं।

आप का वीर्य प्राप्त करना चाहती हैं क्योंकि ऊर्जा को वीर्य के माध्यम से प्राप्त करना सबसे सरल होता है। इस तरह वह सारी मंत्र ऊर्जा प्राप्त कर ले जाती हैं। इसी कारण से।

सभी शक्तियां ब्रह्मचर्य नष्ट करने का सबसे पहले प्रयास करते हैं। ऊर्जा को बने रहने देने के लिए। आवश्यक होता है कि आपका अपने पर नियंत्रण हो। और यह काम क्रोध के माध्यम से सबसे पहले आसानी से नष्ट हो जाता है। इसीलिए ऊर्जा अगर बने तो शक्ति, सबसे पहले काम के ही माध्यम से आपकी ऊर्जा कुछ छीनना चाहती हैं।

उसमें भी एक स्त्री बहुत ही सरल होती है क्योंकि कहते हैं स्त्री अपना केवल शरीर देकर आपकी समस्त ऊर्जा प्राप्त कर लेती है चाहे वह किसी भी प्रकार की योनि में स्त्री, कोई भी हो, आपकी ऊर्जा को नष्ट कर आपकी समस्त शक्ति प्राप्त करने का प्रयास करती है यह सभी प्रकार की साधना में होता है इसलिए ब्रह्मचर्य रक्षा सर्वप्रथम अनिवार्य होती है जब भी आप कोई तांत्रिक साधना करने जा रहे हो।

क्योंकि आपकी ऊर्जा अगर निकल गई तो उसके साथ जितनी भी तपस्या पूजा मंत्र जाप अभी तक आपने किया है वह सब कुछ नष्ट हो जाता है। लेकिन शरीर से बाहर निकली। वह ऊर्जा को ऐसी शक्तियां ग्रहण कर अपनी शक्ति बढ़ा लेती हैं। इसीलिए ब्रम्हचर्य नष्ट करना सबसे सरल कार्य होता है। जो लोग ब्रम्हचर्य को धारण कर लेते हैं फिर उनकी परीक्षा क्रोध में होती है। दुर्वासा ऋषि जैसे लोग अपने क्रोध को संभाल ना पाने के कारण अपनी उर्जा बार-बार तपस्या नष्ट करते रहते हैं। और? वह ऊर्जा श्राप बनकर लोगों का नाश करती है ।

इस प्रकार से हर प्रकार से जब आपके अंदर कोई ऊर्जा बनती है तो उस ऊर्जा को संभालना भी आप की ही जिम्मेदारी है। काम ऊर्जा को संभालने के लिए ध्यान सर्वाधिक उपयुक्त है। इसके अलावा योग अपने शरीर को लगातार चलाएमान रखना। शांत और सात्विक भोजन करते रहना। और किसी भी प्रकार के अश्लील साहित्य, सोच और व्यवहार से बचना अनिवार्य होता है। तभी आप जीवन में सफलता और किसी भी प्रकार की तांत्रिक सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

चाहे आप तांत्रिक जीवन में ना भी हो तब भी जीवन में सफलता तभी मिलती है जब आप सच में ब्रह्मचारी होते हो। क्योंकि इससे आपकी सोच का विकास कभी रुकता नहीं है और कर्मठता भी लगातार बनी रहती हैं।

आज का अनुभव अगर आपको यह पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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