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भैरव जी की खप्पर सिद्धि साधना विधान

नमस्कार दोस्तो धर्म रहस्य से चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है।  आज बात करेंगे भैरव जी के खप्पर सिद्धि विधान के बारे में यह एक शुद्ध साधना है इससे आपको भैरव जी की विशेष प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है क्या सिद्धि क्या है यह तो लोग भी नहीं बताते जिनको इसकी सिद्धि प्राप्त है लेकिन रक्षा के मामले में खप्पर सिद्धि सबसे उपयुक्त है । इसका विवरण ज्यादातर नहीं मिलता यह साधना बड़ी के चित्र होती है इनका संबंध विशेष प्रकार की शक्तियों से होता है इसका पता सिर्फ गुरु शिष्य परंपरा को ही होता है और किसी को इसकी बाद का पता नहीं होता कोई जान नहीं पाता किया क्या है और इसका विधि विधान क्या है तो आज मैं आप लोगों को खप्पर सिद्धि के बारे में बताऊंगा पर इससे पहले इसके नियमावली को जान लीजिए इसी प्रकार से करेंगे तभी आपको सिद्धि मिलेगी ।

सबसे पहले भगवान भैरव के बारे में जानते हैं यह भगवान शिव का अवतार माने जाते हैं और दुर्गा माता की भी साधना करनी हो वहां पर भी इनकी साधना करना अच्छा माना जाता है । अगर आपने भैरव साधना कर ली तो आपकी साधना का फल कोई चुरा नहीं सकता और भैरव साधना को लेकर लोगों के मन में भ्रांतियां बनी है उसे हटा लेना चाहिए भैरव जी के साथ बहुत सारी तामसिक  शक्तियां जुड़ी होती है ।वह आपके मन का भय नष्ट करने के लिए ही आती हैं क्योंकि ऐसी शक्तियां के साथ जब आप जुड़ते हो तब आपके अंदर भय उत्पन्न होता है पर जब आप इनके साथ रहने लगते हो तब आपका भय समाप्त हो जाता है । आपके अंदर कॉन्फिडेंट आ जाता है इससे उसे कोई भी हरा नहीं सकता और इसमें विशेष प्रकार का आत्म बल और साहस आ जाता है । भैरव जी की साधना इच्छा रखकर ही मन में करनी चाहिए क्योंकि यह सकाम साधना है आपको अपने मन में कोई इच्छा रखकर साधना करनी होगी कहा जाता कि आप उनकी सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं उनकी प्रसन्नता प्राप्त करना चाहते हैं यह सब रखकर ही करें । आपको इनकी साधना रात्रि मैं करनी चाहिए और रंग की बात की जाए तो इनको काला रंग विशेष रुप से प्रिय होता है ।

अगर आप तामसिक साधना कर रहे हैं तभी आप शराब अर्पित करिए नहीं तो इन सब चीजों से दूर रहना चाहिए  शराब चढ़ाना तो ठीक है पर अगर आप मांस चढाएंगे तो वह तामसिक रूप ले लेते हैं  तो जो शिव स्वरुप भेरुजी हैं वह स्वयं इनका भोग नहीं लेते उनके सेवक इसका भोग लेते है भूत प्रेत पिशाच यही आपका भोग लेते हैं और आपके काम करते हैं केवल और केवल मंत्र भैरव जी का होता है । आपको भैरव जी की राजसिक साधना ही करनी चाहिए क्योंकि सात्विक साधना में भैरव जी को प्रसन्न करना बहुत ही कठिन है । राजसिक सिद्धि भी जल्दी होती है और आपका परलोक भी नहीं बिगड़ता है तामसिक साधनाओं में भूत प्रेत पिशाच आपके साथ जुड़ जाते हैं उन के मंत्रों की वजह से इसलिए आपको ईस्ट मंत्र की अलग से साधना करनी होती है नहीं तो ऐसी शक्तियां आपको अपने लोक में खींच लेती है तो अब पूजा की बात करें तो भैरव जी को आप रविवार को खीर का भोग दे, सोमवार को मोदक और मंगलवार को भी और गुड से बनी लापसी भोग में देनी चाहिए बुधवार दही बड़ा देना चाहिए, बृहस्पतिवार बेसन के लड्डू देना चाहिए, शुक्रवार चना चैन और अगर शनिवार के दिन साधना शुरू करते हैं तो उड़द के दाल के पकोड़े भोग में देने चाहिए ।

सेव गुड पापड़ भी दे सकते हैं और अगर आप साधना में काले कुत्ते को रखकर साधना करेंगे जो पूरी तरह से ब्लैक हो आप उसे खाना खिला सकते हैं अगर इस प्रकार से आप साधना करेंगे तो आपको सफलता मिलेगी क्योंकि भैरव की पूजा के बाद उसी स्थान पर आपको बहुत भोग ग्रहण कर लेना चाहिए और जो बचे वह काले कुत्ते को खिला देना चाहिए उसी जगह पर  भैरव साधना में आपको तेल का दीपक जलाना चाहिए और gugle की धूनी देनी चाहिए और उनके यंत्रों का भी ध्यान देना चाहिए  आप इस साधना के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग कर सकते हैं क्योंकि यह सर्वधर्म मे आती है अगर आपको रुद्राक्ष की माला भी ना मिले तो आप इसमें से और सिर्फ केवल अब काले हकीक का ही प्रयोग कर सकते हैं यानी कि काला हकीक की माला का प्रयोग कर सकते हैं ।

आप इसमें काले कपड़े पहनेंगे और आपका आसन भी काले कलर का होगा आप इसमें भैंसे के चमड़ी का आसन प्रयोग कर सकते हैं । आप जब तेल का दीपक चलाएंगे तो वह अखंड  रुप से जलना चाहिए  अगर नहीं जला सकते हैं तो जब तक आप की साधना जब तक चले तब तक आप को दीपक जलाकर रखना होगा । एकांत स्थान में साधना की जाती है।अगर आप परिवार के साथ रहकर साधना करेंगे तो उनको भी अनुभव होंगे और वह डरने लगेंगे तो इस प्रकार आपकी साधना पूरी नहीं हो पाएगी । भैरव जी की खप्पर साधना का मंत्र बहुत बड़ा है इसी मंत्र की आपको एक माला करनी है । 31 दिन तक यह शाबर मंत्र करना है आखिरी दिन आपको हवन करना होगा आखिरी शब्द के आगे आप स्वाहा लगाकर हवन करेंगे और वह काले तिल से करेंगे और जब इस प्रकार से कर लेंगे तब आपको सिद्धि प्राप्त होगी इसमें सिद्धि क्या प्राप्त होगी यह आपके और उनके बीच की बातें हैं तो चलिए जान लेते हैं इनका मंत्र किस प्रकार है –
मंत्र: सत् नाम आदेश गुरू जी को आदेश ।ॐ गुरूजी खप्पर धरती खप्पर आकाश।। खप्पर तीन लोक में करे निवास। पहिला खप्पर ओंकार का दुसरा खप्परसिद्वो का तीसरा खप्पर धरती सारी चौथा खप्पर की ज्योति प्रकाश कौन खप्पर आटे घाटे कौन खप्पर बह्रमा बाटे कौन खप्पर खाए खीरकौन खप्पर उधारे शरीर चांदी खप्पर आटे घाटेसौना खप्पर ब्रहमा बाजे  जहरी खप्पर खायखीर मिट्टी खप्पर उध्रारे शरीर खप्पर मे खाए मसान में लेटे कालभैरव कि पुजा कौन मेटे राजा मेटे (राज) पाट से जाऊ योगी मेटे योग ध्यान से जाए प्रजा मेटे दूध पुत से जाएकालभैरव कपले केश शीश गुरू  का बालक करता फिरे  अलेष अलेष काला पीला तोतला तीनोयोद्धा करे रक्षपाल  रहे पताल मसतक बिंदी सिदुरं कि हनुमान भैरव नाथ जी गुरू जी को आदेश । आदेश।। 
 इसी मंत्र का आपको जाप करना है और एकांत स्थान में आप वहां पर भैरव जी की मूर्ति की स्थापना करें अगर आप मूर्ति की स्थापना नहीं कर सकते तो वहां पर यंत्र की स्थापना करें ।उसके आगे तेल का दीपक जला लीजिए पहले श्री गणेश का पूजन करिए फिर गुरु पूजन करिए और उसके  बाद भगवान शिव की एक माला मंत्र का जाप करें । पूजा आप बटुक भैरव की साधना के रूप में कर सकते हैं या फिर भैरव जी के किसी भी रुप में साधना कर सकते हैं  इस प्रकार से आपको खप्पर की सिद्धि होती है । खप्पर की सिद्धि बहुत ही चमत्कारी होती हैं इसमें क्या प्राप्त होता है वह केवल गुरु शिष्य परंपरा में ही पता होता है परंतु इस में जो प्राप्त होता है वह दुनियादारी से हटकर ही होग। लंबे समय तक इसकी साधना करते हैं उसे विभिन्न प्रकार की शक्तियां विभिन्न प्रकार विभिन्न प्रकार के लोगों का भ्रमण दिखाई देते हैं जो साधारण मनुष्य को दिखाई देना असंभव है ।

इसके लिए आपको योग्य गुरु का चुनाव करना होगा अगर आपके पास कोई भी योग्य गुरु नहीं है तो आप भगवान शंकर को गुरु मान कर यह साधना कर सकते हैं और शाबर मंत्र में आपका मंत्र त्ताकतवर होना चाहिए शाबर मंत्र में गुरु की आवश्यकता नहीं होती इसलिए आप कर सकते हैं फिर भी आप को यह ध्यान रखना होगा कि आपने अपना ईस्ट मंत्र और गुरु मंत्र पूरी तरह से जपा हो ताकि विशेष परिस्थितियों में जब आपके ऊपर भूत प्रेत पिशाच हावी होने लगते हैं और आपको परेशान करने लगे तो आपके पास गुरु मंत्र नहीं है तो भैरव जी के आने से पहले ही वह आपके पास आकर आपको परेशान करेंगे और आपको साधना से हटाने की कोशिश करेंगे । इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ही आप करेंगे और अपने लिए योग्य सिद्धि की प्राप्ति भी करे । हर प्रकार से  आप अपने ब्रम्हचर्य की रक्षा करें । यह विशेष प्रकार की कामना के लिए भी साधना की जा सकती है और आपकी संपूर्ण मनोकामनाओं को पूर्ण करती है।अगर आपको यह साधना पसंद आई हो तो धन्यवाद।।  

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